प्राय ज्योतिष पर विश्वास करने वालो के प्रश्न, और ज्योतिषीयो द्वारा कही जाने वाली कुछ बाते। जिनके पीछे के तथ्य जानकर जिज्ञासु मित्र इस अन्धविश्वास से बाहर निकलने के प्रयास मे एक कदम और आगे बढ़ाकर अपने भविष्य को अपनी शिक्षा परिश्रम समर्पण और आत्मविश्वास के बल पर बनाएगें न कि बोगस ज्योतिष के सहारे भाग्यवादी विचारो व पुरुषार्थ से रहित जीवन जी कर।

क्या ज्योतिष सही मे बोगस है।
- जी हां ज्योतिष बिल्कुल बोगस है ब्रम्हांड की गलत जानकारी के आधार पर बनाया गया है। स्थिर व चपटी पृथ्वी के गिर्द परिक्रमा करते सभी ग्रह, पृथ्वी के पास मे सूर्य और चन्द्रमा सूर्य से भी दूर इस तरह की जानकारी ज्योतिष का आधार है जो आज भी वही है इसमे कोई बदलाव नहीं आया या किया गया है। फलित का एक भी सिद्धांत सही नहीं है ज्योतिष मे जिस से किसी भी व्यक्ति के भविष्य के संदर्भ मे सटीक भविष्यवाणी की जा सके।

यदि ज्योतिष बोगस है और एक भी सही सिद्धांत नहीं है तो ज्योतिषी कुछ बाते सही कैसे बता देते है।
- अपनी टुल्लेबाजी मे अच्छा अनुभव और दक्षता के आधार पर। साथ ही परोक्ष/अपरोक्ष रुप से व्यक्ति के स्वयं ही अपने बारे मे जानकारी देने के कारण भी। अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर जाएं। 
https://ashiishshandil.blogspot.in/2016/04/blog-post_30.html

मैंने जो ज्योतिषी को कुछ नहीं बताया था न ही ज्योतिषी मुझे जानता ही था तब भी बात सही बता दी।
- ऐसा आपका विचार है। ज्योतिषी को व्यक्ति को पढ़ना अच्छी तरह से आता है - और बङा ज्योतिषी भी वही बनता है। सभी की समस्याए या भविष्य से सम्बन्धित प्रश्न एक से ही होते है और ज्योतिषी सुबह से शाम तक उन्ही प्रश्नो के उतर देते है। इसलिए यह कोई मुश्किल काम नहीं होता है कि एक दो बात भी सही न बता सके। वैसे भी जो सही टुल्लेबाजी नहीं कर सकते है उन्हे कम ज्ञानी समझ लिया जाता है और जिसने मूर्ख बना कर मन की तस्सली कर दी वह - श्री श्री ....!

अगर कोई भी सिद्धांत सही नहीं है तो ज्योतिषी भूतकाल की घटनाएं कैसे सही बता देते है।
- यह भी आपका विचार है कि ज्योतिषी भूतकाल की घटनाए बताने के लिए किसी सही सिद्धांत का प्रयोग कर रहे है अथवा कुछ सिद्धांत तो सही है जो बता सकते है। यदि ऐसे सिद्धांत होते जो भूतकाल की घटनाओ को सही बताने मे सक्षम हो, तो उनके प्रयोग से भविष्य भी बताया जा सकता है। क्योंकि भूतकाल पहले भविष्य था फिर वर्तमान बना और फिर भूतकाल। सिद्धांत का काम घटना बताना है घटना भूतकाल की है या भविष्य की यह जानकारी उसे नहीं होती। तो ऐसे किसी सही सिद्धांत को भविष्य के संदर्भ मे भी प्रयुक्त किया जा सकता है। जरा इस पर थोङा विचार करे - कोई सिद्धांत घटना घट जाने के पश्चात उसका सही वर्णन कर दे - आप समझ जाएगें।


ऐसा नहीं हो सकता है कि ज्योतिष गलत हो। मैंने ज्योतिषी का बताया हुआ टोटका किया और मुझे उस से लाभ हुआ।
- यह आपका का भ्रम मात्र है। कोई टोटका यदि किसी कार्य को करने/बनाने मे सक्षम होता तो उसी कार्य के लिए वही टोटका किसी दूसरे व्यक्ति के लिए भी उतना ही प्रभावी होता। यदि टोटके ने ही कार्य करना है तो कर्म की आवश्यकता ही नहीं रहती। याद रहे कि आपके सभी कार्यो के होने न होने के पीछे आपकी अपनी मेहनत और लगन है जिसे व्यक्ति स्वयं नजर अंदाज कर देते है और ज्योतिषी कभी इस बात का एहसास नहीं होने देते है। इसलिए व्यक्ति को यही लगता है कि टोटका करने से काम बने।

ज्योतिष आस्था और श्रद्धा का विषय है. यदि वही नहीं है तो ऐसे मे ज्योतिष क्या कर सकता है।
- यह बात ज्योतिषीयो द्वारा ही प्रचारित की गई है अपनी गलत भविष्यवाणी और टोटके आदि से लाभ न मिलने की स्थिति से निपटने के लिए। ज्योतिष सिद्धांतो का विषय है। फलित के सिद्धांत है ज्योतिष मे जिनका किसी व्यक्ति की आस्था श्रद्धा व विश्वास से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। स्वयं विचार करे यदि आस्था श्रद्धा से ही भविष्य ज्ञात किया जा सकता या काम बना करते, तो ज्योतिष की आवश्यकता ही क्या थी। उसी कार्य मे आस्था श्रद्धा मात्र से ही सब काम बना करते। ज्योतिष पर आस्था और श्रद्धा का अर्थ हुआ कि उसमे लिखे हुए सिद्धांतो पर आस्था श्रद्धा होना ! ज्योतिष के सिद्धांत को तो नहीं पता कि किस व्यक्ति की उस पर आस्था है कि किस की नहीं। और व्यक्ति के ज्योतिष के पर आस्था श्रद्धा रखने से वह सिद्धांत फलित हो जाएगा ऐसा तो होने से रहा। यदि ऐसा होता तो कुंडली की और ज्योतिषी की क्या आवश्यकता थी। स्वयं ही किसी सिद्धांत या टोटके पर आस्था रखो और काम बन जाएगे - वह भी बिना कर्म किए ही।

ज्योतिष गलत नहीं है। इतने बङे और प्रसिद्ध व्यक्ति भी ज्योतिष मे विश्वास है अगर गलत होता तो क्या वह विश्वास करते।
- किसी विषय वस्तु पर विश्वास करना और ज्ञान होना दोनो अलग बाते है। हर व्यक्ति के किसी विषय वस्तु पर विश्वास के अपने कारण हो सकते है। विशेषतः उस विषय वस्तु के बारे मे जिसका उसे ज्ञान ही न हो व अन्य के विश्वास के कारण उस पर विश्वास कर रहे है। व्यक्ति कभी भी अपने विश्वास के कारण को जानकर उसकी सत्यता जी जांच नहीं करते है और अपने विश्वास का प्रसार करते रहते है। जब व्यक्ति किसी दूसरे को सही मानकर अनुसरण करने लग जाते है तो वह भी उसके विश्वास के पीछे के तथ्य की सत्यता को जानने का प्रयास करेगें यह आवश्यक नहीं होता है। इसलिए किसी को भी दोष कहां है यह दिखाई नहीं देता है। हर विषय का सभी को ज्ञान हो यह आवश्यक नहीं अतः बिना विषय को जाने विश्वास करना और जानकर विश्वास करना दोनो अलग बाते है। यदि विषय सही है तो किसी के विश्वास न करने से गलत नहीं हो जाता, यदि विषय ही गलत है तो कोई कितना भी विश्वास करे सही नहीं होने वाला है।

ज्योतिषी गलत हो सकता है ज्योतिष नहीं। जिन ज्योतिषीयो को ज्योतिष का सम्पूर्ण ज्ञान है दुर्लभ है।
- यह वाक्य रटकर आप अपने मन को तस्सली देते है अपने भाग्यवादी और पुरुषार्थ रहित जीवन मे सब कुछ पाने की आस लिए। क्योंकि व्यक्ति को भविष्य जानना है उसे हर कीमत पर जानना चाहते है। इसलिए अपनी इस उम्मीद को धूमिल नहीं होने देना चाहते है कि कहीं कोई ज्योतिषी अवश्य ही होगा जो सही भविष्य बता सकता है। न तो कोई ज्योतिषी कम ज्ञानी है और न ही महाज्ञानी ही। सभी ज्योतिषी कुंडली मे एक जैसे सिद्धांतो का प्रयोग कर रहे है इसलिए भविष्यवाणी गलत होने का कारण सिद्धांत है ज्योतिषी का ज्ञान नहीं। यदि कोई ज्योतिषी होता जो सही भविष्यवाणी कर सकता हो, तो क्या वह गुमनामी का जीवन जी सकता था ? फिर भी ऐसे ज्योतिषी दुर्लभ ही है अभी विलुप्त तो नहीं हुए है जिन्हे खोजा न जा सके - तो खोज करते रहिए।

ज्योतिष को किताबे पढकर नहीं सीखा जा सकता है इसके लिए किसी गुरु का होना आवश्यक है।
- जिसको भी पढना लिखना आता है वह ज्योतिष की किताबे भी पढ सकता है और पढ़कर उसे समझ कर एक ज्योतिषी भी बन सकता है। क्योंकि ज्योतिष सही नहीं है, तो आप ज्योतिष सीखकर ज्योतिषी तो बन गए परन्तु ज्योतिष मे एक भी सिद्धांत सही न होने के कारण आपको टुल्लेबाजी करनी नहीं आयेगी। जिसे सीखने के लिए आपको कोई महान टुल्लेबाज गुरु की आवश्यकता पङेगी। अब गुरु(केवल ज्योतिष के) जी जितने महान ठगाचार्य टुल्लेबाज होगें आप उतने ही अच्छे ज्योतिषी ? - बनेगें।

कभी भी एक सिद्धांत देखकर भविष्यवाणी नहीं की जानी चाहिए या नहीं हो सकती है।
- क्योंकि ज्योतिष के मूल सिद्धांत ही सही नहीं है। इसलिए फलकथन के लिए बनाए गए सिद्धांत सही कैसे हो सकते है - सभी अन्तर्विरोधी है। इसलिए एक सिद्धांत देखो या दस कोई विशेष अन्तर पङने से रहा। इसका कारण यह है कि ज्योतिष की रचना के बाद भविष्यवाणी सही नहीं हो रही थी इसलिए सभी ने अपने-अपने सिद्धांत बना लिए किसी ने ज्योतिष के मूल सिद्धांतो पर विचार ही नहीं किया कि क्या वह सही है। चूंकि मूल सिद्धांत ही गलत जानकारी के आधार पर व किसी वैज्ञानिक विधि से नहीं बनाए गए थे तो उनके आधार पर बने फलित के सभी सिद्धांत अन्तर्विरोधी हो गए। न ही उनकी जांच करने का कोई साधन ही उपलब्ध था, इसलिए कुंडली मे धन योग के साथ दरिद्र योग भी होते है, विवाह योग है तो तलाक का योग भी, वाहन सम्पति का योग है तो न होने का भी। कोई भी योग स्पष्ट न होने के कारण किसी एक निर्णय पर पहुंचना नामुमकिन होता है - इसलिए टुल्लेबाजी ही एक मात्र सहारा होती है।
अधिकतर ज्योतिषी पोंगा पंडित है और ज्योतिष का व्यापार करते है, सही भविष्यवाणी नहीं कर सकते है, केवल सच्चा ज्योतिषी ही सही भविष्यवाणी कर सकता है।
- यह भी आपका भ्रम है. कोई ज्योतिषी ज्योतिष का व्यापार कर रहा हो अथ्वा मुफ्त मे ही. दोनो मात्र ठगी है. पैसे लेने या न लेने से सिद्धांतो मे कोई अन्तर नहीं आता है वह वही रहते है - बोगस। इसलिए जिन ज्योतिषीयो को टुल्लेबाजी मे महारत हासिल होती है वही ज्ञानी हो जाता है - मूर्ख बनने वालो की नजर मे।

ज्योतिष का अन्य महत्वपूर्ण साहित्य खो गए/नष्ट कर दिए गए थे/जल गए थे।
- यह बात बिल्कुल गलत है। ज्योतिष का हर साहित्य उपलब्ध है भले ही कुछ खो क्यों न गया था। परन्तु ज्योतिष केवल भारत मे ही नहीं था अन्य देशो मे भी था इसलिए सभी साहित्य आज उपलब्ध है। यह बात ज्योतिषीयो द्वारा ही फैलाई गई है अपनी गलत टुल्लेबाजी का बचाव करने के लिए। यदि साहित्य ही उपलब्ध नहीं हो तो जाहिर है सरासर ठगी की जा रही है।

यदि ज्योतिष बोगस होता तो सदियो से नहीं चल रहा होता कभी का समाप्त हो गया होता।
- कोई विषय इसलिए सही नहीं हो जाता है कि वह सदियो से चला आ रहा है। आज जो ज्ञान हमारे पास उपलब्ध है वह सदियो पहले नहीं था और जो आज नहीं है वह सदियो बाद हो भी सकता है। वर्तमान मे उपलब्ध जानकारी/ज्ञान को ही भविष्य की पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता है। और भविष्य की पीढ़ी अगर उसके विचार उद्गम तथ्य को जाने बिना स्वीकार कर ले तो वह उसकी सबसे बङी भूल होती है। क्या क्यों और कैसे यह शब्द ही नई खोज के लिए प्रेरित करते है। ज्योतिष के विषय मे यही किया गया और आदिकालीन ब्रम्हांड के ज्ञान पर बने ज्योतिष को जस का तस सही मानकर स्वीकार कर लिया गया। न किसी ने कारण जानने की कोशिश की और न ही आज के वैज्ञानिक ज्ञान के परिपेक्ष्य मे आदिकालीन ज्ञान की विवेचना की। इसलिए ज्योतिष सदियो से ही आदिकालीन ज्ञान के आधार पर ही चलता रहा। समाप्त तब होता जब कोई नई वैज्ञानिक विचार के साथ इस विषय पर गहन अध्ययन कर तथ्य की खोज करता। यह काम ज्योतिषीयो ने करना था क्योंकि वही ज्योतिष का ज्ञान रखते थे। परन्तु अपने व्यापारिक उपयोग के कारण क्यों इस दृष्टिकोण से देखते। कापर्निक्स गैलिलियो आदि वैज्ञानिक भी यदि टालेमी के सौरमंडल को ही सही मान कर चलते और अपनी खोज न करते तो क्या पता हम आज भी पृथ्वी को चपटी व स्थिर मान कर राहु को ग्रहण का करण समझते।

ऋषियो के बनाए हुए ज्योतिष को कोई गलत कैसे कह सकता है।
- व्यक्ति के यही विचार उसे ले डूबते है। अपने अज्ञान के व कुछ जानने की जिज्ञासा न होने के कारण। ज्योतिष के बारे मे अधिकतर जानकारी जो कुंडली बनाने के लिए आवश्यक थी उन्हे उसका ज्ञान ही नहीं था। न ही हमारे सौरमंडल की ही सही जानकारी उन्हे थी जो ज्योतिष का आधार है। ऋषियो ने जो ज्योतिष बनाया था उसे आज खगोलशास्त्र कहते है. न फलित ज्योतिष उन्होने बनाया था न ही वह इसका समर्थन ही करते थे। परन्तु अपनी बुद्धि के प्रयोग न करने के कारण व्यक्ति सुनी सुनाई बातो पर विश्वास करते हुए आजीवन रटते रहते है।

इतने लोग ज्योतिष को मानते है क्या वह सब गलत है।
- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और भीङ के साथ चलना व्यक्ति की आदत होती है। इस तरह से वह सुरक्षित महसूत करते है। संख्या बल के आधार पर विषय की सत्यता सिद्ध नहीं होती है, विषय वस्तु(content) की प्रमाणिकता से होती है। और ज्योतिष विषय जो तर्क की श्रेणी मे ही कहीं स्थान न रखता हो वह किसी अन्य कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता है। हमारे महान वैज्ञानिक जो आज हमारे बीच मे नहीं है जिनके अविष्कारो की वजह से आज हमारा जीवन इस आरामदायक स्थिति मे पहुंचा है। यदि वह भी भीङ के साथ चलते तो आज भी पाषाण युग ही होता।

जो व्यक्ति ज्योतिष को जानते नहीं है और जिन्हे किसी ज्योतिषी ने लूट लिया हो वह ज्योतिष को गलत कहते है इसमे ज्योतिष गलत नहीं हो जाता है।
- बिल्कुल सही बात है। अकसर और अब तक यही होता आया है इसलिए ज्योतिष कभी गलत हुआ ही नहीं और इस तरह से ज्योतिष और भी पैर पसारता गया। परन्तु यहां पर जो भी ज्योतिष का विरोध कर बोगस कह रहे है उन्होने ज्योतिष को अच्छी तरह से पढ़ा हुआ है। ज्योतिष के सिद्धांतो का विश्लेषण करने के पश्चात ही इस नतीजे पर पहुंचा गया है कि ज्योतिष बोगस है। इसी कारण से ज्योतिषी कोई सही सिद्धांत बताने मे असमर्थ है - कोई हो तब तो बताए भी। वर्षो तक ज्योतिष का अध्ययन करने के पश्चात ही यह कहा जा रहा है इसलिए किसी ज्योतिषी के द्वारा लूटे जाने का प्रश्न ही नहीं उठता है। क्योंकि आज तक किसी ने सिद्धांतो के आधार पर ज्योतिष की सत्यता को चुनौती नहीं दी थी इसलिए आज तक ज्योतिषी इसे सही सिद्ध करते रहे थे अपनी टुल्लेबाजी के आधार पर व गलत कहने वालो के ज्योतिष का अच्छा ज्ञान होने के कारण।

कोई कुछ भी कहे मुझे तो ज्योतिष मे विश्वास है। क्योंकि इस से मुझे बहुत लाभ हुआ है तो क्यों न विश्वास करुं।
- बेहतर तो यही होता है कि व्यक्ति अपने विश्वास की जांच कर ले और विषय की सत्यता परखने के बाद सही पाये जाने पर विश्वास करे। परन्तु यह तभी हो सकता है जब मन मे कुछ जानने सीखने की जिज्ञासा हो। परन्तु आपके विश्वास को कोई कुछ नहीं कह रहा है। न ही आपको ज्योतिषीयो के पास जाकर मूर्ख बनकर ठगे जाने से ही रोक रहा है। हर व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत आजादी होती है उसमे कोई अन्य व्यक्ति हस्तक्षेप कर भी नहीं सकता है। परन्तु उस आजादी का प्रयोग यदि व्यक्ति अपने तक ही सीमित रखे तो बेहतर रहता है व्यक्ति के लिए भी और समाज के लिए भी। यदि आप अन्धविश्वास के दलदल मे रहने के आदि है तो रहिए परन्तु अन्य व्यक्तियो को उस दलदल मे आने के लिए प्रेरित मत करे। हम भी किसी से नहीं कह रहे है कि ज्योतिष को मत मानो या ज्योतिषी के पास मत जाओ। केवल ज्योतिष की और ज्योतिषीयो के ठगी के धन्धे के बारे मे व्यक्ति को अवगत करवाया जा रहा है। जिसमे जानने की जिज्ञासा होगी वह जान ही लेगें।
यदि आप समाज मे फैली हुई बुराइयों कुप्रथाओ व किसी भी प्रकार के अन्धविश्वास को समाप्त करने मे अपना योगदान नहीं दे सकते है, तो जाने अन्जाने मे ही सही उसे बढाने का कार्य भी नहीं करें - इतना तो कर ही सकते है. आपके द्वारा उठाया गया एक कदम जीवन संवार भी सकता है और बर्बाद भी. फैसला आपका - आखिर जीवन भी है आपका।

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