यदि मनुष्य का भविष्य उसके पूर्वजन्म के कर्म का ही फल है तो आदिमानव से आधुनिक मानव बने मनुष्य के प्रत्येक जन्म में ऐसे कौन से कर्म रहे थे की वह हर युग में वह श्रेष्ठता को प्राप्त करता गया। आधुनिक मानव अत्याधुनिक यंत्रो उपकरणों व तकनीक के साथ जीवन यापन कर रहा है जिनकी आदिकाल में कल्पना भी नहीं की जा सकती थी फ्रिज ए.सी. मोबाइल टीवी कंप्यूटर इंटरनेट आदि अनेक ऐसे आविष्कार है जो मानव के ज्ञान की देन है। यदि यह मान लिया जाए की यह सब होना पूर्वनिश्चित था तो तो जिन व्यक्तियों ने इनका आविष्कार किया उनके पूर्वजन्म में ऐसे कौन से कर्म थे जिसके कारण समुचित मनुष्य जीवन लाभान्वित हुआ। सूई से लेकर हवाई जहाज तक सभ कुछ मानव निर्मित है यदि वह उसके पूर्वजन्म के कर्म का ही परिणाम है तो जिन व्यक्तियों ने इनकी खोज की उसके पूर्वजन्म मे किस प्रकार के (कौन से) कर्म रहें होंगे जिसके फल के परिणामस्वरूप वह अपने इस जन्म में कोई नई खोज या यंत्र आदि का आविष्कार कर पाए इस पर कोई भी व्यक्ति विचार नहीं करता है। यदि इस विषय पर आप किसी ज्योतिषी से प्रश्न करे तो कोई तर्कसंगत उत्तर नहीं दे पाएगा (यह हो सकता है कि वह कुछ भी कहकर आपको मूर्ख बना दे क्योंकि वह इसी कार्य के लिए प्रशिक्षित है)। यह प्रश्न इसलिए उठाए जा रहें है क्योंकि मनुष्य के कर्म उसकी शिक्षा नौकरी व्यापार धन संपत्ति रोग … आदि तक ही सीमित न हो कर उसके प्रथम श्वास से लेकर अंतिम श्वास तक घटित होने वाली जीवन की प्रत्येक घटना से संबंध रखते है जिसमे चाय पीने जैसा मामूली प्रतीत होने होने वाला कार्य भी एक कर्म है। अपने जिस मोबाइल/कम्प्यूटर/लैपटॉप पर आप इस लेख को पढ़ रहे है, वह भी अनेक व्यक्तियों के कर्म का ही परिणाम है जिससे आप लाभान्वित हो रहें है अर्थात अपरोक्ष रूप से प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य समाज के अनेक व्यक्तियों से जुड़ा होता है यदि ऐसा नहीं होता है, तो हम सब भूखे मरते क्योंकि किसान द्वारा उत्पादित अन्न हम तक पहुँचता ही नहीं। अतैव यह प्रश्न उठना आवश्यक है कि व्यक्ति अपने वर्तमान जन्म मे ऐसे कौन से कर्म करे जिससे कि वह अपने अगले जन्म मे प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति वैज्ञानिक या अन्य प्रसिद्ध धनाढय व्यक्ति बन जाए। वस्तुतः आपको इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा भी नहीं क्योंकि किसी को इसका ज्ञान नहीं है न ही कभी होने वाला है क्योंकि भविष्य अनिश्चित है न कि निश्चित जैसा हम मानते आए है। हम जब भी किसी व्यक्ति को आर्थिक रुप से सम्पन्न हो या किसी उच्च पद पर आसीन हो कोई कलाकार हो या कोई अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति हो, को देखते है तो सीधे ही उसके जीवन को उसके पूर्व जन्म के कर्म, भाग्य, किस्मत या ग्रहों से जोङ देते है और उक्त व्यक्ति की सम्पन्नता प्रसिद्धि आदि के लिए ग्रहों को कारण बना दिया जाता है। यदि पूर्वजन्म के कर्म का परिणाम इस जन्म में वर्तमान व भविष्य है तो तब भी हम अपने वर्तमान व भविष्य के उत्तरदायी स्वयं है क्योंकि यह हमारे कर्म ही थे जिनका फल हमें अपने वर्तमान के रूप में प्राप्त हो रहा है और इसका अर्थ है कि भविष्य निश्चित है और निश्चित भविष्य को बदलने के लिए हमे अनगिनत पूर्वजन्म के कर्म को बदलना होगा तभी हमारा आज व कल बदलेगा अन्यथा नही। अपने इस कथन को मैं अधिक विस्तार देकर लेख को विस्तृत नहीं करना चाहता हूँ इसलिए इस पर आप स्वयं विचार करें।
प्राचीन मान्यता के अनुसार पूर्वजन्म के कर्म वर्तमान जन्म मे भविष्य का आधार है। जो बात केवल व्यक्ति को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा स्वरूप कही गई थी वह आज अन्धविश्वास का रुप ले चुकी है। पूर्वजन्म के कर्म और फल के लिए हमे पहले पूर्वजन्म को समझना होगा - पुराणों के अनुसार चौरासी लाख योनियो के पश्चात एक मनुष्य योनि प्राप्त होती है इसका अर्थ यह हुआ कि इस जन्म मे मनुष्य योनि मे आने के पश्चात आपको फिर से मनुष्य योनि नहीं मिलने वाली आप चाहे जो मर्जी करे। 84 लाख योनियो को पार करने मे लगने वाले समय की गणना की जाए तो करोङो या हो सकता है कि अरबो वर्षों के पश्चात आप फिर से मनुष्य बनेगें इतने समय तक ग्रह प्रत्येक व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मो का हिसाब कैसे रखते होगें यह तो ग्रह जाने या ज्योतिषी, उनसे आप स्वयं प्रश्न करें और यदि दिमाग निष्क्रीय अवस्था मे नहीं होगा तो इस विश्लेषण से ही उतर प्राप्त हो जाएगा। यहां पर मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैं किसी धर्म, धार्मिक मान्यता या पुराणों पर प्रश्न नहीं उठा रहा हूँ बल्कि ज्योतिषी किस प्रकार से इनकी आड़ में समाज को मूर्ख बना रहे है यह उजागर कर रहा हूँ। पुराणों के अनुसार 84 लाख योनियों के अंतर्गत विभिन्न योनियों की व्यवस्था इस प्रकार से है - वृक्षादि - २० लाख। जलचर - ९ लाख। कृमि - ११ लाख। पक्षी - १० लाख। पशु - ३० लाख। वानर - ४ लाख। मनुष्य - १। कुल चौरासी लाख एक। यह तो योनियों का उल्लेख किया गया है। अब इतनी योनियों मे कितनी जीव प्रजातियां होती है उनकी गणना भी असंभव है अर्थात यदि व्यक्ति अपने पिछले जन्म मे पशु योनि मे था तो कौन सा पशु था, यदि शाकाहारी पशु था तो ऐसे कौन से कर्म करेगा कि मनुष्य योनि मे जन्म लेते ही कुंडली मे राजयोग बन जाए। यदि मांसाहारी पशु था तो शिकार के बिना भूखा मर जाएगा, फिर मनुष्य योनि मे उसे किस बात का दंड। प्रत्येक योनि मे जन्म कर्म अनुसार ही होगा - चूंकि वृक्ष की भी एक योनि कही गई है, तो सम्भव है कि वृक्ष मनुष्य बन जाए, तो वृक्ष से मनुष्य बने व्यक्ति के कौन से कर्म हुए, कि उसकी कुंडली मे राजयोग बना दिया जाए अथवा आजीवन कंगाल ही रहे। अब यदि आप यह विचार कर रहे है कि पूर्वजन्म का अर्थ केवल मनुष्य योनि ही है तो व्यक्ति को 84 लाख योनियों को पार करने मे इतने करोङ वर्ष लग जाएगें जितनी कि पृथ्वी पर मानव सभ्यता की आयु भी नहीं है। तो पूर्वजन्म के कर्म के फल की बात बेमानी है और ज्योतिषीयों द्वारा अपने ठगी के धन्धे के लिए प्रमुख शस्त्र के रुप मे प्रयोग होती है क्योंकि व्यक्ति की कुंडली उसके इस जन्म के, जन्म समय के आधार पर बनाई जाती है और ग्रहों को इसी जन्म मे अपनी आकाशीय स्थिति के अनुसार व्यक्ति के वर्तमान भविष्य को प्रभावित करना है वह भी ज्योतिष के उन सिद्धांतो के अनुसार जो व्यक्ति के वर्तमान जन्म के लिए बनाए गए है न की पिछले जन्म के लिए। ज्योतिष अनुसार ग्रह व्यक्ति के वर्तमान जन्म समय के आधार पर बनी कुंडली मे अपनी स्थिति अनुसार अपना फल देते है और ज्योतिषी व्यक्ति के ग्रह भी वर्तमान जन्म की कुंडली मे स्थिति अनुसार ही ठीक करते है जिसका अर्थ यह हुआ की ग्रह एक बार ठीक हो जाने पर उसका फल भी सही हो गया फिर चाहे वह पूर्वजन्म का हो या इस जन्म का, मिलना तो वर्तमान समय मे ही है। यदि किसी टोटके से भविष्य बदल जाता है तो पूर्वजन्म किस खेत की मूली है, भविष्य बदलने पर वह स्वत ही बदल जाएगा, फिर किस बात का रोना है ! व्यर्थ मे ही क्यों पूर्वजन्म के कर्मो को रोया जाए जब व्यक्ति के पास उसे बदलने का टोटका है ! “यूं की सोचने वाली बात यह है” कि जब पूर्व जन्म के कर्म अनुसार इस जन्म मे फल मिलता है तो इस जन्म मे आप कर्म की बजाय टोटके कर रहें है फिर अगले जन्म के लिए कौन से कर्म का फल मिलेगा जब वर्तमान मे कर्म ही नहीं किया। लेकिन अंधविश्वासी व्यक्ति यह विचार करने से रहे कि पूर्व जन्म के कर्म इस जन्म मे इतिहास बन गए उसे किस प्रकार से बदला जा सकता है उनका निश्चित फल भविष्य हुआ जो इस जन्म मे मिल रहा है। यदि इस जन्म मे मिल रहे फल का आधार पूर्व जन्म के कर्म है, तो फल को बदलने के लिए पहले पूर्व जन्म (भूतकाल) के कर्म को बदलना पङेगा - तभी उनका फल (भविष्य) बदल पाएगा। व्यक्ति बीते हुए कल को ही अपना पूर्व जन्म समझ कर किए गए कर्मो को आज बदलने का प्रयास कर के देखिए - क्या बदल सकते है ? इस पर अधिकतर व्यक्ति कहेंगे कि बदल नहीं सकते पर ठीक तो कर ही सकते है! उनसे मैं यही कहूंगा कि आपने जो कुछ भी अभी तक पढ़ा वह समझ मे नहीं आया है इसलिए दोबारा पढ़े तब भी समझ में नहीं आए तो एक बार फिर से पढ़ें उसके पश्चात भी समझ में न आए तो अपनी कुंडली निकाले जेब में कुछ पैसे रखें और किसी ज्योतिषी के पास भविष्य बदलवाने चले जाएं क्योंकि इस से अधिक मैं नहीं समझा सकता हूं।।
प्राचीन मान्यता के अनुसार पूर्वजन्म के कर्म वर्तमान जन्म मे भविष्य का आधार है। जो बात केवल व्यक्ति को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा स्वरूप कही गई थी वह आज अन्धविश्वास का रुप ले चुकी है। पूर्वजन्म के कर्म और फल के लिए हमे पहले पूर्वजन्म को समझना होगा - पुराणों के अनुसार चौरासी लाख योनियो के पश्चात एक मनुष्य योनि प्राप्त होती है इसका अर्थ यह हुआ कि इस जन्म मे मनुष्य योनि मे आने के पश्चात आपको फिर से मनुष्य योनि नहीं मिलने वाली आप चाहे जो मर्जी करे। 84 लाख योनियो को पार करने मे लगने वाले समय की गणना की जाए तो करोङो या हो सकता है कि अरबो वर्षों के पश्चात आप फिर से मनुष्य बनेगें इतने समय तक ग्रह प्रत्येक व्यक्ति के पूर्वजन्म के कर्मो का हिसाब कैसे रखते होगें यह तो ग्रह जाने या ज्योतिषी, उनसे आप स्वयं प्रश्न करें और यदि दिमाग निष्क्रीय अवस्था मे नहीं होगा तो इस विश्लेषण से ही उतर प्राप्त हो जाएगा। यहां पर मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैं किसी धर्म, धार्मिक मान्यता या पुराणों पर प्रश्न नहीं उठा रहा हूँ बल्कि ज्योतिषी किस प्रकार से इनकी आड़ में समाज को मूर्ख बना रहे है यह उजागर कर रहा हूँ। पुराणों के अनुसार 84 लाख योनियों के अंतर्गत विभिन्न योनियों की व्यवस्था इस प्रकार से है - वृक्षादि - २० लाख। जलचर - ९ लाख। कृमि - ११ लाख। पक्षी - १० लाख। पशु - ३० लाख। वानर - ४ लाख। मनुष्य - १। कुल चौरासी लाख एक। यह तो योनियों का उल्लेख किया गया है। अब इतनी योनियों मे कितनी जीव प्रजातियां होती है उनकी गणना भी असंभव है अर्थात यदि व्यक्ति अपने पिछले जन्म मे पशु योनि मे था तो कौन सा पशु था, यदि शाकाहारी पशु था तो ऐसे कौन से कर्म करेगा कि मनुष्य योनि मे जन्म लेते ही कुंडली मे राजयोग बन जाए। यदि मांसाहारी पशु था तो शिकार के बिना भूखा मर जाएगा, फिर मनुष्य योनि मे उसे किस बात का दंड। प्रत्येक योनि मे जन्म कर्म अनुसार ही होगा - चूंकि वृक्ष की भी एक योनि कही गई है, तो सम्भव है कि वृक्ष मनुष्य बन जाए, तो वृक्ष से मनुष्य बने व्यक्ति के कौन से कर्म हुए, कि उसकी कुंडली मे राजयोग बना दिया जाए अथवा आजीवन कंगाल ही रहे। अब यदि आप यह विचार कर रहे है कि पूर्वजन्म का अर्थ केवल मनुष्य योनि ही है तो व्यक्ति को 84 लाख योनियों को पार करने मे इतने करोङ वर्ष लग जाएगें जितनी कि पृथ्वी पर मानव सभ्यता की आयु भी नहीं है। तो पूर्वजन्म के कर्म के फल की बात बेमानी है और ज्योतिषीयों द्वारा अपने ठगी के धन्धे के लिए प्रमुख शस्त्र के रुप मे प्रयोग होती है क्योंकि व्यक्ति की कुंडली उसके इस जन्म के, जन्म समय के आधार पर बनाई जाती है और ग्रहों को इसी जन्म मे अपनी आकाशीय स्थिति के अनुसार व्यक्ति के वर्तमान भविष्य को प्रभावित करना है वह भी ज्योतिष के उन सिद्धांतो के अनुसार जो व्यक्ति के वर्तमान जन्म के लिए बनाए गए है न की पिछले जन्म के लिए। ज्योतिष अनुसार ग्रह व्यक्ति के वर्तमान जन्म समय के आधार पर बनी कुंडली मे अपनी स्थिति अनुसार अपना फल देते है और ज्योतिषी व्यक्ति के ग्रह भी वर्तमान जन्म की कुंडली मे स्थिति अनुसार ही ठीक करते है जिसका अर्थ यह हुआ की ग्रह एक बार ठीक हो जाने पर उसका फल भी सही हो गया फिर चाहे वह पूर्वजन्म का हो या इस जन्म का, मिलना तो वर्तमान समय मे ही है। यदि किसी टोटके से भविष्य बदल जाता है तो पूर्वजन्म किस खेत की मूली है, भविष्य बदलने पर वह स्वत ही बदल जाएगा, फिर किस बात का रोना है ! व्यर्थ मे ही क्यों पूर्वजन्म के कर्मो को रोया जाए जब व्यक्ति के पास उसे बदलने का टोटका है ! “यूं की सोचने वाली बात यह है” कि जब पूर्व जन्म के कर्म अनुसार इस जन्म मे फल मिलता है तो इस जन्म मे आप कर्म की बजाय टोटके कर रहें है फिर अगले जन्म के लिए कौन से कर्म का फल मिलेगा जब वर्तमान मे कर्म ही नहीं किया। लेकिन अंधविश्वासी व्यक्ति यह विचार करने से रहे कि पूर्व जन्म के कर्म इस जन्म मे इतिहास बन गए उसे किस प्रकार से बदला जा सकता है उनका निश्चित फल भविष्य हुआ जो इस जन्म मे मिल रहा है। यदि इस जन्म मे मिल रहे फल का आधार पूर्व जन्म के कर्म है, तो फल को बदलने के लिए पहले पूर्व जन्म (भूतकाल) के कर्म को बदलना पङेगा - तभी उनका फल (भविष्य) बदल पाएगा। व्यक्ति बीते हुए कल को ही अपना पूर्व जन्म समझ कर किए गए कर्मो को आज बदलने का प्रयास कर के देखिए - क्या बदल सकते है ? इस पर अधिकतर व्यक्ति कहेंगे कि बदल नहीं सकते पर ठीक तो कर ही सकते है! उनसे मैं यही कहूंगा कि आपने जो कुछ भी अभी तक पढ़ा वह समझ मे नहीं आया है इसलिए दोबारा पढ़े तब भी समझ में नहीं आए तो एक बार फिर से पढ़ें उसके पश्चात भी समझ में न आए तो अपनी कुंडली निकाले जेब में कुछ पैसे रखें और किसी ज्योतिषी के पास भविष्य बदलवाने चले जाएं क्योंकि इस से अधिक मैं नहीं समझा सकता हूं।।
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