अधिकतर व्यक्ति ज्योतिषीयो के द्वारा की जाने वाली टुल्लेबाजी के रुप मे सामान्य ज्ञान की बाते और भविष्यवाणी मे अन्तर करना नहीं जानते है। और वह इसलिए क्योंकि वह भविष्य जानने के लिए ही ज्योतिषी के पास जाते है, दूसरे वह अपनी अक्कल का प्रयोग करते कम ही देखे गए है। इसलिए ज्योतिषी के जिन वाक्यो को वह भविष्यवाणी समझने की भूल करते है वह असल मे भविष्यवाणी न होकर सामान्य ज्ञान होता है और अधिकतर बाते तो व्यक्ति स्वयं ही ज्योतिषी को बता देते है। आपके द्वारा परोक्ष व अपरोक्ष रुप मे दी गई जानकारी के आधार पर आपके बारे मे सत्यता के बेहद निकट अन्दाजा लगा लेना मुश्किल कार्य नहीं होता है। अधिकांश बाते तो सामान्य ही होती है जैसे कि आपने धन के बारे मे प्रश्न किया और ज्योतिषी ने कह दिया कि - आपके पास धन तो बहुत आता है लेकिन रुकता नहीं है अथवा आप बहुत खर्चीले है आदि। अब यह सामान्य बाते है जो प्रत्येक इन्सान पर लागू होंगीं लेकिन आप अपने अतिरिक्त किसी अन्य के बारे मे विचार ही नहीं करते है चूंकि कुंडली भी आपकी देखी जा रही होती है व बाते भी आप ही के बारे मे बताई जा रही है तो स्वभाविक है कि आप सामान्य बातो को भी भविष्यवाणी के रूप में देखेगे। अतः आप हर बात का नाप-तोल स्वयं पर ही करते है जिससे आपको यही महसूस होता है कि जो भी बाते बताई जा रही है वह केवल आपके बारे मे ही है और सत्य ही प्रतीत होती है। असल मे देखा जाए तो आपके बारे मे भविष्यवाणी नहीं भूतवाणी हो रही होती है। लेकिन आप यह मान कर ही चलते है कि ज्योतिषी तो मेरे बारे मे कुछ नहीं जानता है तो जो बताया जा रहा है वह - सामान्य ज्ञान के चलते - सही बताया जा रहा है। और ज्योतिषी जी कुंडली पर उंगलिया चला कर ऐसे जता रहे होते है कि जैसे बस उसी समय गणना करके बता रहे है जो आप ही की कुंडली मे लिखा हुआ है। इसलिए आप अपने बारे मे इस तरह की बाते कि - क्रोध बहुत आता है, पैसा कम टिकता है, मित्रो का साथ नहीं मिलता, सबकी मदद करते है आपकी कोई नही करता, स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है - पेट खराब रहता है, मानसिक परेशानी रहती है, व्यय बहुत रहता है, पारिवारिक तनाव आदि - सुनकर अपने बारे मे और अधिक जानकारी देते जाते है यही ज्योतिषी का मक्सद होता है इसी उद्देश्य से ही दो आंख एक नाक आदि बाते बताई जाती है जिसमे वह आपकी नासमझी के कारण पूर्णतया सफल रहते है।
इसके पश्चात आपके प्रश्न किया कि मेरे पास धन कब होगा तो आपसे कहा जाता है कि इस ग्रह की दशा-अन्तरदशा - जब भी आ रही हो - मे धन लाभ का योग है। जब भी आप यह शब्द सुनते है कि -"योग है" - चाहे वह धन, नौकरी, व्यावसाय, सन्तान, विवाह आदि किसी का भी हो, तो आप यही समझ लेते है कि बस अब तो काम हुआ ही समझो क्योंकि कुंडली बता रही है। ऐसा कोई योग हो या न हो टोटके/उपाय तो हमेशा होते ही है उनके द्वारा धन लाभ, नौकरी, व्यावसाय आदि सुनिश्चित करवा लो। यहां भी आपकी नासमझी की वजह से ज्योतिषी न तो कोई भविष्यवाणी करते है न ही उन्हे ऐसा कुछ कहने की आवश्यकता ही होती है जिसमे किसी निश्चित समय पर घटना के होने की बात कही जाए। अगर धन विवाह नौकरी व्यावसाय आदि मे सेकिसी भी योग मे कोई अङचन हो - जो ज्योतिषी आपकी आर्थिक स्थिति अनुसार ही बनाएगे - तो उपाय के रुप मे टोटके हमेशा से तैयार होते है। आत्मविश्वास की कमी के चलते आप अपनी कर्म/योग्यता पर विश्वास न करके ग्रहो पर करते है इसलिए जब तक कुंडली मे योग न हो, आपको यही लगता है कि तब तक कुछ नहीं हो सकता है अथवा ग्रह दशा जब तक सही न हो जाए तब तक कोई काम ही नहीं होने वाला है। ज्योतिषीयो ने आपकी इसी कमजोर नब्ज को पकङ लिया है और ग्रह दशा ठीक करने के नाम पर ऐसे टोटके बना दिए जिनका किसी ज्योतिष शास्त्र मे उल्लेख ही नहीं है न ही उनसे कुछ होने ही वाला है। ज्योतिषी ने कह दिया कि सरकारी नौकरी का योग है तो उसका हाथ धर कर इन्तजार करते रहेगें दूसरी और किसी बुरे योग -दुर्घटना रोग आदि -का उपाय करके उसे टालने का प्रसास करते रहते है यह विचार किए बिना कि जिन ग्रहो से सरकारी नौकरी का योग बना है और मिलेगी ही, दुर्घटना का योग भी वही ग्रह बना रहे है वह टोटका करने से कैसे टल जाएगा ? अगर टल गया, तब ज्योतिषी की भविष्यवाणी भी गलत हो गई क्योंकि जो होने को ज्योतिष कह रहा था वह नहीं हुआ और जब दुर्घटना नहीं हुई फिर सरकारी नौकरी भी कैसे मिल जाएगी। यही ज्योतिषीयो की चालाकी होती है जो आपकी समझ मे नही आएगी इसलिए दोनो मे से किसी भी टुल्लेबाजी के सही होने पर भविष्यवाणी सही करार दे दी जाती है और आप दो विपरीत बातो को एक साथ चलते हुए मूर्ख बनते रहते है।
अधिकतर व्यक्ति ऐसे ज्योतिषी की तलाश मे रहते है जो लालची न हो अर्थात पैसे न मांगता हो उसकी कोई निर्धारित फीस न हो। क्योंकि आपको लगता है कि वही ज्योतिषी ज्योतिष का सही ज्ञान रखता है और सही भविष्यवाणी भी वही कर सकता है जिसके मन मे लालच न हो। आपके अनुसार ऐसा ज्योतिषी सही होता है क्योंकि मन मे यह धारणा बन गई है कि - ज्योतिष किताबे पढ़कर नहीं आता है, सही भविष्यवाणी के लिए भगवान की कृपा होनी चाहिए, छठी इन्द्री सक्रीय होनी चाहिए, गुरु का सानिध्य होना चाहिए, त्रि-संध्या आदि - जो आपके अनुसार लालची ज्योतिषी के पास होना सम्भव नहीं है आपकी इस सोच के पीछे का कारण भी नासमझी ही है। कुंडली गणित के नियमो से कम्पयूटर ने बनानी है, बनने के बाद भविष्य बताने के लिए सिद्धांत बनाए गए है, उनके होते हुए उपरोक्त विषयो की आवश्यकता ही कहां रह जाती है। यदि किसी वैज्ञानिक को पानी बनाने का फार्मूला पता हो और एक निर्धारित वैज्ञानिक विधि से सही तत्व द्वारा पानी बनाए तो वह बनेगा ही ! इसमे छठी इन्द्री, त्रि-संध्या, लालच आदि की क्या भूमिका रह गई। इसी तरह से ज्योतिषी को भी यदि भविष्य बताने का कोई एक भी सही सिद्धांत पता है तो उस से सम्बंधित भविष्यवाणी सही होगी - यह अलग बात है कि ऐसा कोई सिद्धांत है ही नहीं जो व्यक्ति के भूत भविष्य का सही वर्णन कर दे यदि होता तो ज्योतिषी अब तक बता चुके होते। ज्योतिष के सम्बन्ध मे कोई भी बाहरी शक्ति/कारक/टोटके बनाए गए सिद्धांत को कैसे प्रभावित कर सकती है, यदि कर सकती है तो वह सिद्धांत ही बोगस है और बोगस सिद्धांतो से सही भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। सत्य यही है - ज्योतिष मे सिद्धांत बोगस है और टोटके व्यक्ति के कर्महीन जीवन के दिमाग का फितूर है चूंकि अक्कल पर अन्धविश्वास की पट्टी बन्धी हुई होती है तो मूर्ख बनना लाजमी है। निर्धारित फीस न लेने वाला ज्योतिषी मिल जाने पर वह आपको बहुत अधिक कुछ बताते ही नहीं है - क्योंकि उन्होने आपकी आर्थिक स्थिति भांप ली होती है। और ज्योतिषी जी को अपना घर भी चलाना है आय का एकमात्र साधन ठगी का धन्धा ही होता है तो बहुत देर तक आपको बिठाकर मूर्ख क्यों बनाएगें जब आपसे 101रु से आधिक की राशि मिलने की सम्भावना ही न हो। इसी तरह के अनेक ज्योतिषीयो के पास जाकर मनोवैज्ञानिक रुप से सन्तुष्टि प्राप्त न होने पर मोटी फीस लेने वाले ज्योतिषीयो का रुख किया जाता है। और उन्हे यह अच्छी तरह से पता होता है कि यदि ग्राहक टुल्लेबाजी से सन्तुष्ट नहीं हुआ तो दोबारा लुटने के लिए नहीं आएगा न ही किसी अन्य को साथ मे लाएगा अतः खरीदी गई टुल्लेबाजी सही न हो प्रश्न ही नहीं उठता है- महंगी वस्तु सदैव ही उत्तम होती है।

आश्चर्य की बात तो यह है कि सैंकङो ज्योतिषीयो के पास हजारो लाखो रुपये लुटाकर भी अक्कल नहीं आती है और जो कुछ भी कमाया होता है वह स्वेच्छा से ज्योतिषीयो के पेट मे डालकर स्वाहा कर दिया जाता है। फिर भी एक परम ज्ञानी महाविद्वान भविष्यवक्ता की तलाश जारी रहती है। इतनी सी बात समझ से परे ही होती है कि जिन ज्योतिषीयो को अपना भविष्य भी नहीं पता वह दूसरो का कैसे बता देगें - वह भी ब्रम्हलिखित भविष्य ! स्वयं विचार करे - अगर किसी व्यक्ति को पहले इनाम की लाटरी का नम्बर पता हो तो वह सबको बताएगा? इसी तरह से अगर ज्योतिषी के बताए टोटको से नौकरी मिला करती तो हर दफ्तर मे ज्योतिषीयो के परिवार मित्र व रिश्तेदार ही बैठे मिलते। ज्योतिष से भविष्य बताया जा सकता तो ज्योतिषी जुआ सट्टे बीमा कम्पनी आदि मे उच्च पद पर होते हर व्यक्ति ज्योतिषी ही बनता तब डाक्टर वकील वैज्ञानिक आदि बनने की आवश्यकता ही नहीं होती - जब सब कुछ ग्रहो द्वारा ही संचालित होता तो, अन्यथा तो किसी व्यक्ति को कोई बीमारी होती ही नहीं, होती तो टोटके से ठीक हो जाया करती। ऐसे ही ग्रहो/ज्योतिष द्वारा ही सभी अविष्कार किये जाते और आज जो विज्ञान व आधुनिक तकनीक हम प्रयोग कर रहे है सब ग्रहो के अधीन होती और ज्योतिषी उनके निजी सचिव। क्योंकि व्यक्ति किसी संयोगवश सही हुई टुल्लेबाजी का ढोल पीटते रहते है, ऐसे मे अनेक व्यक्तियो के बारे मे अनगिनत भविष्यवाणियो के गलत होने के बारे मे कभी जान ही नहीं पाते है, न ही उनके सही/गलत होने के पीछे की वजह को जानने का ही प्रयास करते है। अनगिनत गलत हुई भविष्यवाणियो को अनदेखा करते हुए मनोवैज्ञानिक रुप से सही हुई टुल्लेबाजी को आजीवन रटकर स्वयं के साथ अपने आस पास के मित्रो को भी अन्धविश्वासी बना देते है और हमेशा लुटते रहते है। अगर इस स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो भाग्यवादी विचार और पुरुषार्थ से रहित व्यक्ति करेगें भी क्या - जो सुबह उठते ही राशिफल रटने बैठ जाते हो तथा मनोरंजन के नाम पर दाकियानुसी कार्यक्रम जिनमे ज्योतिष से सम्बन्धित भी शामिल है, देखने रटने मे ही अपना समय व्यतीत कर देते हो उनसे और कौन से कर्म की उम्मीद की जा सकती है, उन्हे ज्योतिषी नहीं ठगेगें तो कोई और ठग लेगा - क्या पता भाग्य मे ठगी ही लिखवा कर लाए हों। ऐसे व्यक्तियो से कोई कितना भी कह समझा ले, कितने ही प्रमाण क्यों न दिए जाए ज्योतिष के बोगस होने के उनकी समझ मे आने से रहा। ऐसे व्यक्तियो के लिए एक ही वाक्य कहना उचित है - लुटो लुटाओ और ठगो की लाईफ बनाओ।

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