२१वीं सदी मे जो अन्धविश्वास समाप्त होना चाहिए था वह १७वीं शताब्दी से भी ज्यादा परिपक्वता के साथ अपनी जङे जमा रहा है। आज के वैज्ञानिक युग मे भी हम पुरातन काल के अन्धविश्वासी विचार रखते है सच तो यह है कि हम उस मे से कभी निकल ही नहीं पाए न ही निकलने का प्रयास ही किया गया। प्राचीन मान्यताओ धारणाओ को ज्यों का त्यों निर्वहन किए जा रहे है, बिना उन के उद्गम कारण व तथ्यो पर विचार किए। शिक्षा व ज्ञान के अभाव ने अन्धविश्वास को जन्म दिया जो आज शिक्षा ज्ञान व विज्ञान के होते हुए भी जस का तस है। अन्धविश्वास की कोई लिखित सहिंता नहीं है न ही इसका पालन करना आवश्यक होता है यह प्रचलित पारम्परिक विचार/मत हैं जो हमे अपने समाज,परिवार और पूर्वजो से एक कर्ज के रुप मे प्राप्त होते है जिसकी EMI हम जीवन भर चुकाते रहते है। व्यक्ति परिस्थितियों पर नियन्त्रण अथवा निश्चित परिणाम की प्राप्ति के लिए अन्धविश्वास का सहारा लेते हैं। असल मे हम दोहरे व्यक्तित्व का जीवन जीते है एक और ईश्वर की प्रभुसता को स्वीकार कर स्वयं को उसी के मार्ग पर चलने की इजाजत देते है तो दूसरी ओर उसी के मार्ग से विमुख हो कर अन्धविश्वास का सहारा लेते है। उदाहरण के लिए गीता मे बताए के कर्म के मार्ग की वकालत करेगें तो दूसरी ओर उस कर्म के परिणाम को निश्चित करने के लिए कर्म का त्याग कर टोटको का सहारा लेगें अथवा अन्तरिक्ष की ओर टकटकी लगाए रहेगें। सरल अर्थ मे कहे तो एक अच्छा डाक्टर वकील वैज्ञानिक बनने के लिए जिस परिश्रम की आवश्यकता होती है वह न कर के अन्तरिक्ष से आने वाले उसके परिणाम को किसी टोटके से सुनिश्चित करने मे लगे रहते है। क्या कर्म का परिणाम अन्तरिक्ष से आता है वह भी ऐसा कर्म जो किया ही नहीं गया हो। यदि आता है, तो कैसे और कौन से माध्यम से हम तक पहुंचता है। पूर्वजो के अन्धविश्वास रुपी कर्ज के चलते आज हमारी युवा पीढी परिश्रम कर भविष्य को सुनिश्चित करने की बजाय दूर अन्तरिक्ष मे स्थित निर्जीव ग्रह व तारो से भविष्य निमार्ण की आस लिए ज्योतिषीयो के दरबार मे पालथी लगाए बैठी है उनकी यही कर्महीनता भाग्यहीनता मे परिवर्तित होकर उनके नहीं वरन समाज के समक्ष खङी है इसलिए आज बुद्धिजीवी वर्ग का इस पर चिन्तित होना लाजमी है जो युवा समाज को एक नई राह दिखा सकते है वह स्वयं ही अन्धविश्वास के गर्त मे बैठे हुए अपने ही पतन की कहानी लिख रहें है। शिक्षा नौकरी व्यावसाय परिवार सन्तान धन सम्पति स्वास्थ्य आदि विषयो को प्रभावित करने वाले तत्व सुदूर अन्तरिक्ष मे स्थित न होकर यहीं पृथ्वी पर सामाजिक परिवेश आर्थिक पारिवारिक व्यक्तिगत राजनैतिक भोगोलिक विषमता जलवायु आदि अनेक रुप मे विद्यमान है जिन मे से कुछ पर व्यक्ति का नियन्त्रण है कुछ पर नहीं है। जिसके कारण व्यक्ति अपने जीवन मे घटने वाली बहुत सी घटनाओ को नियन्त्रित कर पाते है जिन्हे नहीं कर पाते है उसके लिए फिर वही आकाश की ओर...गैस के गेंदो की तरफ उनसे आने वाले किसी अदृश्य प्रभाव को पकङने के लिए...
आत्मविश्वास मनुष्य की अदृष्य और कर्म सदृश्य शक्ति है आत्मविश्वास अदृश्य इसलिए क्योंकि व्यक्ति कभी इसे सदृश्य रुप मे साकार करते ही नहीं है जब कर्म ही आत्मविश्वास के साथ नहीं किया जाएगा तो परिणाम अनिश्चित ही रहेगा। जब व्यक्ति यही नहीं जानते कि जो कर्म किया जा रहा है, वह सही दिशा मे हो रहा है अथवा नहीं तो ऐसे मे किसी निश्चित परिणाम की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। कर्महीन व्यक्ति परिश्रम की महता को नकारते हुए यह तर्क देते नजर आते है कि यदि परिश्रम ही सब कुछ होता तो एक मजदूर जो सबसे अधिक परिश्रम करता है वह सबसे अमीर होता। हालांकि एक मजदूर के श्रम की तुलना किसी अन्य श्रम से नहीं की जा सकती है क्योंकि वह परिश्रम को अपनी शारिरिक क्षमता से परे भी ले जाते है और बहुत से ऐसे उदाहरण भी है जहां आज के स्मृद्ध व्यक्ति एक समय मे ठेला आदि भी लगाते थे, यदि उन्होने बङे स्वप्न देखे तो उन्हे पूरा करने की दिशा मे परिश्रम भी किया। परन्तु कर्महीन व्यक्तियो का परिश्रम की महता को नकारने का यह तर्क पूर्णत निरर्थक है क्योंकि अपने पुरुषार्थ रहित जीवन मे कुछ न करने की चाहत लेकर भाग्यवादी स्वप्न के साथ चित की प्रसन्नता भी आवश्यक है। इस तर्क का प्रत्युत्तर मात्र इतना है कि "बोए पेङ बबूल का तो आम कहां से खाए" ! एक डाक्टर बनने के लिए इसी दिशा मे शिक्षा ग्रहण करनी पङती है और वैज्ञानिक बनने के लिए विज्ञान की। अभिप्राय यह कि लक्ष्य क्या है उसी अनुसार उसी दिशा मे कर्म आवश्यक है तभी लक्ष्य की प्राप्ति होती है।
जितना विश्वास व्यक्ति ग्रहों पर करते हुए उन्हे प्रसन्न करने के लिए टोटके करते है उसका आधा भी स्वयं पर करते हुए पुरुषार्थ करे तो जीवन ही परिवर्तित हो जाए। कुछ व्यक्ति यह भी कह सकते है कि यदि परिश्रम करने के बाद भी सफलता न मिले तो ! इस प्रश्न का उतर यह है कि जो कार्य आप मनुष्य होकर भी नहीं कर पाए वह करोङो कि.मी. दूर से ग्रह अथवा टोटके किस प्रकार कर सकते है और जब पता ही है कि ग्रह अथवा टोटको से कार्य होना निश्चित है तो परिश्रम करने की क्या आवश्यकता थी - स्वयं विचार करे। स्पष्ट शब्दो मे कहा जाए तो व्यक्ति की सफलता/असफलता का कारण व्यक्ति स्वयं ही है परन्तु अन्धविश्वास के चलते उसका श्रेय ग्रहो टोटको को दिया जाता है परिणामस्वरूप ज्योतिषीयो का धन्धा चमकता है। व्यक्ति अपनी समस्याओं के निवारण के लिए ज्योतिष तन्त्र मन्त्र यन्त्र टोटके आदि का सहारा लेते है इस बात पर विचार किये बगैर कि समस्या का कारण जाने बिना उसका निवारण नहीं किया जा सकता है। यदि किसी मैकेनिक को कार मे आई खराबी दूर करने के लिए कहा जाए और वह उसे ठीक करने की बजाय ग्रहो का जाप बता दे या कोई टोटका करने को कहे तो क्या आप उसकी बात पर यकीन करेगें - करना तो दूर दोबारा उसके पास भी नहीं जायेगें क्योंकि आप अच्छी तरह से जानते है कि खराबी कार के किसी पुर्जे मे है जो मैकेनिक/इंजीनियर ही समझकर ठीक कर सकता है लेकिन स्वयं की असफलता के पीछे के कारण पर विचार न करते हुए सीधे ही अन्तरिक्ष मे पहुंच जाते है - अब कुछ समय के लिए फ्लैशबैक मे चलते है - आप यह तो समझते ही है कि कार कुंडली मे वाहन योग/ग्रह दशा सही हुए बिना नहीं आ सकती है, जब आ नहीं सकती है तो खराब भी ग्रह दशा के कारण ही होनी चाहिए - खराब होने की स्थिति मे कार को मैकेनिक के पास क्यों ले जाते है ! ज्योतिषी के पास क्यों नहीं जाते है उसी ने तो ग्रह दशा सही करके कार दिलवाई थी तो ठीक भी कर ही सकते है - टोटके से ! - तब आप अन्तरिक्ष मे नहीं पहुंचते है, स्वयं की समस्याओं - शिक्षा विवाह नौकरी धन व्यापार आदि - के लिए ग्रहों को कारण कैसे मान लेते है। यदि किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल रही, विवाह नहीं हो रहा, व्यापार नहीं चल रहा, स्वास्थ्य सही नहीं रहता, धन सम्बन्धी समस्या है तो इसके लिए ग्रह कैसे जिम्मेवार हो गए। यह विचार ही हास्यास्पद है कि - "जन्म समय मे आकाश मे ग्रहो की स्थिति सही नहीं थी इसलिए मेरे साथ ऐसा हो रहा है" - वह भी ऐसे ग्रह जो रेत पत्थर गैस बर्फ आदि से निर्मित है वह किसी की नौकरी नहीं लगने देते, किसी का विवाह नहीं कराते, किसी को गरीब बना देते है, किसी का व्यापार नहीं चलने देते, किसी के जीवन का ही सत्यानाश कर डालते है। इस से भी अधिक हास्यास्पद बात तो यह है कि ग्रहो को ऐसा करने से रोकने/ठीक करने के लिए अनेक प्रकार के दाकियानुसी टोटके किये जाते है जो ठीक वैसा ही है कि जंगल मे अपनी ओर आते हुए शेर को देखकर किसी खरगोश से मदद करने को कहा जाए।
व्यक्ति ज्योतिष पर विश्वास करके ग्रह जाल मे कैसे फस जाते है - अपने अन्धविश्वासी विचार अज्ञानता और बुद्धि प्रयोग न करने के कारण। ज्योतिष का प्रचार भविष्य बताने वाली विद्या के रुप मे किया जाता है - भविष्य ज्ञात किया जा सकता है और उसे टोटके कर के बदला जा सकता है यह हुआ अन्धविश्वास। ज्योतिष मे ऐसा कोई सिद्धांत ही नहीं है जिससे भविष्य को पहले से ही जाना जा सकता हो यदि होता तो सभी ज्योतिषी अपना और अपने परिवार रिश्तेदार मित्रो आदि का भविष्य ज्ञात कर टोटके से बदलकर उन्हे कहीं से कहीं पहुंचा देते - यह हुई अज्ञानता। अपने जीवन की हर घटना के लिए ग्रहो को कारण समझ कर टोटके कर उन्हे सही करने का प्रयास करना व्यक्ति द्वारा बुद्धि का प्रयोग न करना दर्शाता है। होता यह है कि किसी सफल व्यक्ति की सफलता के पीछे उसकी कुंडली मे अच्छी ग्रहीय स्थिति का होना दर्शाकर आपकी असफलता के लिए कुंडली मे ग्रह स्थिति का अच्छा न होना, कारण बनाकर आपको लूटने के लिए मानसिक रुप से तैयार किया जाता है और इसमे अन्धविश्वासी विचारो के चलते ज्यादा समय भी नहीं लगता है। टोटके यन्त्र मन्त्र रत्न आदि पर विश्वास दिलाने के लिए अनेक तरह के हथकंडे अपनाए जाते है - चूंकि व्यक्ति अपनी जन्म तिथि नहीं बदल सकते है और कुंडली मे ग्रहो की स्थिति जो जन्म तिथि समय पर ही आधारित वह भी नहीं बदली जा सकती है परन्तु ज्योतिषीयो को तो प्रत्येक व्यक्ति को लूटना ही होता है वरना धन्धा कैसे चलेगा इसलिए विभिन्न प्रकार के टोटके द्बारा यह विश्वास दिला दिया जाता है कि उनसे ग्रहो के फल को बदला जा सकता है एक बार यह विश्वास हो जाने पर कि जीवन की हर समस्या का कारण ग्रह ही है कौन सा व्यक्ति समस्या से निजात पाने के लिए उपाय नहीं पूछेगा/करेगा - जाहिर है ज्योतिषी जो भी उपाय बताएगें वह किया ही जायेगा जब व्यक्ति पहले से ही मानसिक रुप से तैयार होकर लुटने आए हो तो उन्हे मूर्ख बनाना मुश्किल कार्य नहीं होता है।
ज्योतिष जैसे अन्धविश्वास से बाहर निकलने मे यह ग्रुप और यह ब्लॉग आपकी पूर्ण सहायता कर रहा है ज्योतिष की वास्तविक्ता और ज्योतिषीयो के ठगी के धन्धे से आपको अवगत करवाकर। ज्योतिष बोगस है यह बार बार कहा जा रहा है वह भी अनेक तर्क/तथ्य/प्रमाण के साथ यह बात कही जा रही है जिसे समझना आपको है हम तो केवल बता सकते है कि ज्योतिष मे ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो भूत भविष्य की सटीक जानकारी देता हो इसलिए ज्योतिषीयों की सामान्य बातो को भविष्यवाणी समझ कर आजीवन रटते रहने की बजाय अपनी बुद्धि को ज्योतिष कैसे बोगस है यह समझने मे लगाकर अपना और अपने परिवार, मित्रों आदि का भविष्य बरबाद होने से बचाएं। और कुछ न सही तो इस वर्ष संकल्प करे कि हम अन्धविश्वास नहीं फैलाएगे - स्वयं के साथ समाज को अन्धविश्वास से बाहर निकालने मे सहयोग कर स्वस्थ समाज का निर्माण करें।

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