अष्टकूट मिलान के पिछले
अंक मे आपने गुण मिलान के बारे मे जाना, इस अंक
मे हम उसी क्रम को आगे बढाते हुए अष्टकूट मिलान के अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
अब तक आपने जाना की अष्टकूट मिलान का कोई वैज्ञानिक आधार
नहीं है तो इसके आधार पर सुखमय वैवाहिक जीवन की अपेक्षा करना नादानी है बल्कि आज
के विज्ञान के युग मे मूर्खता कहा जाना चाहिए क्योंकि आज विज्ञान ने हमे ब्रहाण्ड
के बारे सही और विस्तृत ज्ञान उपलब्ध करवाया है आज हम जानते है की ग्रह देवता न
होकर गैस पत्थर आदि से निर्मित है इसके पश्चात भी यदि व्यक्ति मंगल ग्रह से डर कर
मांगलिक दोष का निवारण करने के बताशे रेवड़ियाँ पानी मे बहाते रहें और कल्पना करते
रहे की अब मंगल ग्रह ने मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त कर दिया है तो इसे मूर्खता
के सिवाय क्या कहा जा सकता है। हम जानते है की नक्षत्रों के तारे हमारी अपनी
आकाशगंगा मे नहीं है तो उन तारों के आधार पर विवाह से पहले कुंडली मिलान कर सुखमय
वैवाहिक जीवन को सुनिश्चित करना सिवाय मूर्खता के क्या हो सकता है विशेषत तब जब
आपको ज्योतिष के बोगस होने के प्रत्येक पहलू से अवगत करवाया जा रहा हो ज्योतिष के
बोगस होने के सभी प्रमाण सामाने रखे जा रहे हो ज्योतिषीयों के ठगी के धंधे की पोल
उन्हीं की जुबानी खुल रही हो इसके पश्चात भी यदि व्यक्ति ज्योतिषीयों के द्वार पर
भविष्य जानने व कुंडली मिलान करने के लिए बैठे रहें तो उन्हें क्या कहा जाना चाहिए
स्वयं विचार करें क्योंकि उनमे आप स्वयं भी शामिल है।
अष्टकूट मिलान का उल्लेख ज्योतिष की किसी भी प्राचीन
पुस्तक मेँ नहीं किया गया है यह भी मांगलिक दोष की तरह अपने धंधे को विस्तृत
स्वरूप देने के लिए ज्योतिषीयों द्वारा बनाया गया ठगी का एक हिस्सा है। आम व्यक्ति
यह बात जानते नहीं है न ही जानना चाहते है इसलिए इन ज्योतिषीयों की दुकानेँ चल रही
है। यदि कुंडली मिलान के विषय मे इतिहास पर नजर डाली जाए तो ज्ञात होता है कि
प्राचीन काल मे अष्टकूट मिलान जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी क्योंकि स्त्रियों की
कुंडली नहीं बनाई जाती थी और पुराणो मे स्वयंवर का उल्लेख मिलता है अर्थात कन्या
को अपनी इच्छानुसार वर चुनने का अधिकार प्राप्त था तो कन्या जिसे अपना वर चुनती थी
उसी के साथ विवाह होता था ऐसे मे यह आवश्यक नहीं था की दोनों की कुंडली मिले, जो इस बात को प्रमाणित करता है की प्राचीन काल मे विवाह से पूर्व कुंडली
मिलान नहीं होता था परंतु मैं यहां पर स्पष्ट कर दूं कि उस काल मे किसी भी व्यक्ति
की कुंडली नहीं बनाई जाती थी न ही कुंडली बनाने के लिए आज का आधुनिक ज्ञान और लिपि
उपलब्ध थी। फलित ज्योतिष को किसी ऋषि ने नहीं बनाया था न ही वह फलित ज्योतिष और
ज्योतिष का कार्य करने वालो का समर्थन करते थे इसलिए श्री राम व सीता की कुंडली
मिलान मे 36 गुण मिलने के नाम पर आपको मूर्ख बनाया जाता है न
तो किसी नक्षत्र से 36 गुण मिलते है न ही श्री राम, श्री कृष्ण की ज्योतिषीयों द्वारा प्रचारित कुंडली सही है उनकी कुंडलियाँ
केवल समाज को भ्रमित करने के लिए काल्पनिक रूप से बनाई गई है। कुंडली मिलान कर
सुखी वैवाहिक जीवन की कोई गारन्टी तो होती नहीं है न ही ज्योतिषी देते है इसलिए 18
से अधिक गुण मिलने और बिना मांगलिक दोष के वैवाहिक जीवन सुखी न होने
तलाक हो जाने आदि पर, श्री राम व सीता की कुंडली मे 36
गुण मिलने के बाद भी उनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहने का हवाला
देकर अपने ठगी के धंधे को सही ठहरा कर ज्योतिष को सही करार दिया जा सके, और व्यक्ति की ज्योतिष पर अविश्वास की भावना उत्पन्न न हो इसलिए इस प्रकार
की भ्रमित करने वाली बातें फैलाई जाती है। चूंकि अंधविश्वासी व्यक्ति के पास इतनी
बुद्धि नहीं होती कि ज्योतिषी की बात पर गहराई से विचार कर सके कि जब ज्योतिषी
स्वयं कह रहे हैं कि श्री राम व सीता की कुंडली मे 36 गुण
मिलने के पश्चात भी उनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहा, तो
उनका कैसे रहेगा और क्यों ? इसका स्पष्ट अर्थ हुआ कि कुंडली
मिलान सुखी वैवाहिक जीवन का आधार नहीं है, लेकिन अपनी बुद्धि
प्रयोग न करने के कारण ज्योतिषी की ऐसी अनेक चालाकी भरी बातों पर ध्यान नहीं जाता
है और जिस दिन व्यक्ति स्वयं को मूर्ख बनाए जाने का एहसास/ज्ञान हो जाएगा उस दिन
ज्योतिष का धंधा भी बंद हो जाएगा। लेकिन अभी तो हालत यह है कि व्यक्ति स्वयं अपने
अंधविश्वास के कारण ज्योतिष जैसे बोगस विषय पर इस कदर विश्वास करते है कि कोई भी
कार्य बिना ज्योतिषी से पूछे नहीं करते है बल्कि कहना चाहिए कि नहीं कर सकते है
क्योंकि दिमाग मे ग्रहों का अन्जाना डर समाहित है जिसकी वजह से व्यक्ति विवाह के
लिए अपने जीवन साथी का चुनाव भी ग्रहों की आज्ञा लेकर करते है। जब तक दिमाग का नियंत्रण
ज्योतिषी के हाथ मे रहेगा तब तक ग्रहों का डर भी रहेगा और ग्रह जाल से मुक्ति भी
नहीं मिलेगी।
कोई भी ज्योतिषी कुंडली मिलान के आधार पर वैवाहिक जीवन
सुखमय व्यतीत होने की गारंटी नहीं देता है क्योंकि वह स्वयं जानते है की ज्योतिष
बोगस है तो बोगस सिद्धांतो के आधार पर एक पल की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है तो
आजीवन की नामुमकिन है लेकिन समाज मे व्यापात अनेक प्रकार के अंधविश्वास और ग्रहों
के प्रति डर ने उनके धंधे को चला रखा है। व्यक्ति को अपना भविष्य जानने से मतलब
होता है ज्योतिष बोगस है और ज्योतिषी ठग इस से उन्हे क्या लेना, कुंडली मे 18 गुण से अधिक मिल रहे है जिसका अर्थ है
की ग्रहों ने विवाह के लिए अनुमति प्रदान कर दी है तो अब झट मंगनी पट व्याह मे
अधिक देर नहीं करनी चाहिए इस से पहले की ग्रहों का मूड खराब हो जाए और वह अपना
निर्णय बादल दे। कुंडली मिलान सुखी वैवाहिक जीवन को सुनिश्चित करने के लिए किया
जाता है इसके लिए व्यक्ति एक नहीं अपितु अनेक ज्योतिषीयों से कुंडली मिलान करवाते
है क्योंकि सभी ज्योतिषीयों की राय अलग अलग होती है जिस कारण व्यक्ति कोई सही
निर्णय नहीं कर पाते है इसलिए जब तक 10-20 ज्योतिषीयों के
पास जाकर धन को लुटा नहीं देते है तब तक चैन नहीं मिलता है परंतु व्यक्ति की अक्कल
देखिए की अनेक ज्योतिषीयों द्वारा ग्रहों से विवाह के लिए अनुमति लेने पर भी
वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता है। कुंडली मिलान के पश्चात भी वैवाहिक जीवन मे
परेशानी - पति पति के बीच झगड़े, तलाक होना, विधवा/विदुर होना, संतान का न होना आदि - समस्याएं
होना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि ग्रह नक्षत्रों के आधार पर किया गया कुंडली
मिलान सुखी वैवाहिक जीवन की नीव नहीं रखा सकता है यदि रखा सकता तो भली भांति
कुंडली मिलान के पश्चात विवाह करने पर किसी को सुई चुभने जितनी तकलीफ भी नहीं
होती। चूंकि पूरा फलित ज्योतिष ही बोगस है इसलिए ऐसे किसी मिलान की कोई उपयोगिता
नहीं है सिवाय ज्योतिषी के ठगी के धंधे मे काम आने के। अतः अपनी संतान के विवाह का
निर्णय ग्रह नक्षत्रों के आधार पर न करते हुए उनकी पसंद न पसंद को ध्यान मे रखते
हुए अपनी बुद्धि और विवेक अनुसार करे और बेहतर तो यही है कि यह निर्णय उन्ही पर
छोड़ दिया जाए क्योंकि यह उनके भविष्य का प्रश्न है तो अपना जीवन साथी चुनने का
अधिकार उन्हे होना ही चाहिए – आखिर संविधान भी 18 वर्ष की आयु मे मताधिकार देकर सरकार चुनने का अधिकार दे देता है तो क्या
आप 27/28 वर्ष की आयु के युवाओं को अपना जीवन साथी चुनने का
अधिकार भी नहीं दे सकते है – जरा सोचिए।
कुंडली मिलान से कभी भी किसी व्यक्ति के सुखी वैवाहिक
जीवन की भविष्यवाणी नहीँ की जा सकती है क्योंकि पूरा फलित ज्योतिष ही बोगस है
सिद्धांतहीन है एक भी सिद्धान्त ऐसा नहीं है जो सही हो तो बोगस सिद्धांतों के आधार
पर सुखी वैवाहिक जीवन की भविष्यवाणी कैसे की जा सकती है। कितनी भी गहराई से गुण, ग्रह इत्यादि मिला लीजिए परिणाम केवल दो व्यस्कोँ के बीच उनके वैवाहिक
जीवन के बारे मे भ्रान्ति उत्पन्न करने वाले ही होँगे - मांगलिक दोष नाङी दोष भकूट
दोष तलाक योग वैधव्य योग आदि से। यदि कुंडली मिलान ही सुखी वैवहिक जीवन का आधार
होता, फिर अच्छी तरह से कुंडली मिलान कर विवाह करने वाले
व्यक्तियों का वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी होता, न कभी किसी का
तलाक होता, न कोई विधवा/विदुर होते, न
ही किसी अन्य प्रकार का मनमुटाव होता। ज्योतिष पर विश्वास करने वाले व्यक्ति विवाह
के समय बकायदा कुंडली मिलाकर ही विवाह करते है यूं कहे कि अन्धविश्वासी समाज का
कोई भी कार्य ज्योतिषी को पूछे बिना सम्पन्न नहीं होता है जिसमे से विवाह से पूर्व
कुंडली मिलान भी शामिल है। लेकिन विडम्बना देखिए कि भलि भांति कुंडली मिलान के
पश्चात भी वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है लङाई झगङे से लेकर तलाक तक की नौबत आ रही है
और हो भी रहें है। कुंडली मिलान के पश्चात भी वह सब कुछ आंखो के सामने घटित हो रहा
होता है जिससे बचने के लिए कुंडली मिलाई जाती है। इतना होने के पश्चात भी किसी
व्यक्ति की बुद्धि काम नहीं करती है कि जब ग्रहों ने बिना मांगलिक दोष के व 18
से अधिक गुण मिलने के बाद विवाह के लिए हरी झंडी दे दी तो फिर बाद
मे उन्हे क्या हो गया जो सुखी वैवाहिक जीवन के अनुबंध को तोङ दिया। परंतु जिस
दिमाग मे अंधविश्वास कूट कूट कर भरा हो तो उसमे तर्क करने व तथ्य परख की गुंजाइश
नहीं रहती है, जिसके लिए शिक्षा दी जाती है पुराने समय मे तो
जब तक अच्छी तरह से समझ न आ जाए तब तक मास्टर जी बेंत से मार मार कर उर्दू के आठ
बना देते थे आज तो कुछ समझने की आवश्यकता ही नहीं है बस कापी पेस्ट करो 98 प्रतिशत लाओ ताकि एक अच्छी नौकरी और पत्नी/पति मिल सके और मिलने के बाद भी
विवाह का निर्णय स्वयं तो करने से रहे, आखिर अंत मे बैठना तो
ज्योतिषी के द्वार पर ही है – कुंडली मिलान के लिए।
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