सभी ज्योतिषी और ज्योतिष प्रेमी वैसे तो किसी भी पोस्ट पर आकर "ज्योतिष सही है विज्ञान है ज्योतिषी गलत हो सकता है ज्योतिषी नहीं" आदि चिल्लाते रहते है लेकिन जब इस बारे में उनसे प्रश्न तो दूध में गिरी हुई मक्खी की तरह मुर्दा बन जाते है कितने ही सिद्धान्त लिखे जा चुके है लेकिन ज्योतिष विज्ञान है सही है चिल्लाने वाले ज्योतिषी उस पर चर्चा के लिए भी सामने नहीं आते सिद्धान्त को सही सिद्ध करना तो दूर की बात। फलित ज्योतिष के बोगस सिद्धांत की इस शृंखला में जिज्ञासु मित्रो के लिए पेश है कुछ और बोगस सिद्धान्त। फलित ज्योतिष की पुस्तक गर्गहोराशास्त्र का एक सिद्धांत है -
शनिक्षेत्रे यदा भानुः भानुक्षेत्रे यदि शनि।
विंशे वर्षे भवेन्मृत्युरूपन्नो यदि बालकः।। 1/11
अर्थ - "जन्म के समय यदि शनि की राशि मे सूर्य व सूर्य की राशि में शनि हो तो ऐसे जातक की आयु केवल 20 वर्ष ही होती है"।
- इस सिद्धांत का विश्लेषण करने से पूर्व आप इस सिद्धांत से सम्बंधित कुछ ज्योतिषीय बातों को समझ लें। शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी होता है और सूर्य सिंह राशि का, शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है और सूर्य महज एक महीने तक एक राशि में रहता है, राशियों के क्रम में मकर के पश्चात कुंभ राशि आती है।
उपरोक्त सिद्धांत अनुसार यह योग तब बनेगा जब शनि सूर्य की राशि सिंह में और सूर्य शनि की राशि मकर या कुंभ में स्थित होगा। ग्रहों की यह स्थिति प्रत्येक तीस वर्ष के पश्चात दो वर्ष में लगातार 2-2 महीने तक बनी रहती है। यह स्थिति बनती कैसे है इसे भी जान लेते है - जब शनि सिंह राशि में प्रवेश करेगा तो वहां पर ढाई वर्ष तक रहेगा लेकिन इन ढाई वर्षो के दौरान सूर्य राशि चक्र को 2 बार पर कर चुका होगा अतः वह शनि के सिंह राशि में स्थित होने समय में 2 बार मकर व कुंभ राशि को पार करेगा। सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी से 14 फरवरी तक और कुम्भ राशि में 15 फरवरी से 14 मार्च तक रहता है। उपरोक्त सिद्धांत अनुसार यह ग्रह योग शनि के सिंह राशि में आने पर 2 वर्षो में लगातार 2-2 महीनों के लिए बनेगा और वह समय होगा 14 जनवरी से 14 मार्च तक का। तो क्या यह संभव है कि 14 जनवरी से 14 मार्च तक उत्पन्न हुए सभी बच्चों की आयु महज बीस वर्ष ही होगी, किसी भी बच्चे की आयु बीस वर्ष से अधिक नहीं होगी न ही 20 वर्ष की आयु से पूर्व किसी की मृत्यु ही होगी ! तकनीकी दृष्टि से ऐसा होना सम्भव ही नहीं है।
ग्रहो की यह स्थिति/योग - 14 जनवरी 1949 से 14 मार्च 1949 तक। 14 जनवरी 1950 से 14 मार्च 1950 तक। 14 जनवरी 1978 से 14 मार्च 1978 तक। 14 जनवरी 1979 से 14 मार्च 1979 तक। इस समय में शनि सिंह राशि में और सूर्य शनि की राशि मकर और कुम्भ में था। अब आप स्वयं विचार करें की क्या ऐसा होना संभव है कि इस समय अवधि में पैदा हुए सभी व्यक्तियों की आयु 20 वर्ष ही थी! कोई भी व्यक्ति बीस वर्ष की आयु के बाद जीवित नहीं होगा? यह संभव है कि अनेक व्यक्तियों की मृत्यु 20 वर्ष की आयु में ही हो गई हो लेकिन उसका कारण यह ग्रह योग नहीं था यदि होता तो उपरोक्त समय अवधि में पैदा हुए सभी व्यक्ति बीस वर्ष की आयु में ही मर चुके होते क्योंकि यह सिद्धान्त उक्त समय मे उत्पन्न बौने वाले सभी व्यक्तियों की कुंडली पर लागू होता है। चूंकि ग्रहों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है जो ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार जीवन में घटनाओं को घटित कर सके इसलिए सभी सिद्धांत बोगस है लेकिन संयोगवश जिनके जीवन से यदि कोई सिद्धान्त मेल रखता है तो वही कुंडली दिखाकर ज्योतिषी ज्योतिष को सही कहकर समाज को भ्रमित करते है। उदाहरण के लिए उपरोक्त सिद्धांत को ही ले लीजिए - सिद्धान्त के विश्लेषण से ही स्पष्ट है की यह योग दो महीने तक लगाकर बना रहता है अब यह सम्भव है की इन दो महीनों की समयावधि में अनेक व्यक्तियों की आयु 20 वर्ष ही रही हो तो यदि संयोगवश ऐसे किसी व्यक्ति की कुंडली ज्योतिषी को प्राप्त हो जाती है तो वह उसी व्यक्ति की कुंडली दिखाकर सिद्धांत के सही होने के बारे में भ्रमित करते है जबकि वह सत्य नहीं होता है लेकिन आम व्यक्ति जो ज्योतिष के सिद्धांतों के विषय मे कुछ नहीं जानते है वह ज्योतिषीयों द्वारा फैलाये गए भ्रम को ही सत्य मान लेते है। सदैव याद रखें की ज्योतिष के सभी सिद्धान्त बोगस है एक भी सिद्धान्त सही नहीं है जिससे किसी व्यक्ति के भविष्य की किसी घटना के बारे में सही बताया जा सकता हो और जब सिद्धान्त ही सही नहीं है तो सही ज्योतिषी भी कहीं नहीं है सब के सब ठग है। यदि कोई ज्योतिषी जो स्वयं को ठग नहीं समझते हैं वह चर्चा करने के आगे आकर सिद्धान्त को सही होने के पक्ष में अपनी बात रख सकते है।

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