फलित ज्योतिष(predictive astrology) और वेद दोनों का ही आपस मे कोई सम्बन्ध नहीं है न ही फलित ज्योतिष का पुराण उपनिषद धर्म ग्रन्थों और अन्य शास्त्रो से किसी प्रकार का कोई सम्बन्ध है। ज्योतिषीयों द्वारा ज्योतिष के सम्बन्ध मे भ्रमित करने वाले प्रचार के कारण समाज मे यह धारणा व्याप्त हो चुकी है कि फलित ज्योतिष को ऋषियों ने बनाया था, वेदों से निकला है और फलित ज्योतिष पर विश्वास करना या ज्योतिष अनुसार कार्य करना धार्मिक व शास्त्र आज्ञा है। वास्तव मे ऐसा कुछ भी नहीं है यह बातें केवल ज्योतिषीयों द्वारा ही प्रचारित की गई है जिससे कि उनका ठगी का धन्धा बिना किसी बाधा विरोध के बे-रोक टोक चलता रहे। वेद पुराण और अन्य धर्म ग्रन्थ से धार्मिक आस्था व श्रद्धा जुङी होने के कारण व्यक्ति इन पर कोई प्रश्न करने से रहा इसलिए ज्योतिषीयो ने व्यक्ति की उसी धार्मिक आस्था व श्रद्धा का लाभ उठाकर फलित ज्योतिष को ऋषि, वेद पुराण धर्म से जोङकर आस्था व श्रद्धा का विषय बना दिया। आज के समय मे किसी व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता कि वह वेद पुराण आदि का अध्ययन करे समय हो भी तब भी जिज्ञासा न होने के कारण किसी बात की तह तक नहीं जाते है इसलिए अज्ञानतावश सदियों से चली आ रही अनेक गलत मान्यताओं व धारणाओं का समाज के अधिकतर व्यक्तियों द्बारा जस का तस निर्वहन किए जाने के कारण सही मान लेते है जिसका कारण व्यक्ति का अन्धविश्वासी होना होता है इसी का लाभ ज्योतिषीयों को मिलता है और उनके द्वारा प्रचारित की गई गलत बाते भी सर्वमान्य रुप से सही मे परिर्वतित हो जाती है।
फलित ज्योतिष को किसी ऋषि ने नहीं बनाया था ऋषियों ने कभी भी ज्योतिष व ज्योतिषीयों का समर्थन नहीं किया और किसी वेद पुराण आदि मे कहीं पर भी फलित ज्योतिष का उल्लेख नहीं है। वेदों मे राशियों तक का उल्लेख नहीं किया गया है फलित के किसी सिद्धांत का वर्णन तो दूर की बात है। वैदिक ज्योतिष इस शब्द को फलित ज्योतिष का संदर्भ मे प्रयोग कर सामान्य जन को भ्रमित किया जाता है वास्तव मे यह शब्द आज के खगोलशास्त्र के संदर्भ मे प्रयुक्त होता है न कि फलित ज्योतिष के संदर्भ मे। वेद मे जिस ज्योतिष का उल्लेख है वह आज का खगोलशास्त्र है न कि फलित ज्योतिष अतः यह बात सर्वथा गलत है कि फलित ज्योतिष की उत्पति वेद से हुई है वास्तव मे फलित ज्योतिष का वेद से कोई सम्बन्ध नहीं है न ही ज्योतिष को मानना अथवा शास्त्र आज्ञा है किसी धर्म ग्रन्थ/शास्त्र मे नहीं लिखा है कि ज्योतिष को मानो उस पर विश्वास करो, कुंडली बनवाओ ग्रह दिखाओ ज्योतिषी की भगवान की तरह पूजा करो, व्यक्ति यह सभी कार्य अपनी अज्ञानतावश मूर्ख बन कर रहें है। फलित ज्योतिष के विषय मे अनेक प्रकार की भ्रांतियां फैलाई गई है जैसे कि - फलित ज्योतिष की उत्पति वेदों से हुई है आदि। अपनी बात की पुष्टि के लिए ज्योतिषीयों ने व्यक्ति की अज्ञानता का लाभ उठाकर अनेक वेदोक्त श्लोक का मनचाहा अर्थ कर बहुत भ्रमित कर रखा है। वेद के जिन श्लोक का गलत अर्थ कर फलित ज्योतिष से जोड़कर भ्रमित किया जाता है वह इस प्रकार है :-
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत।
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत ।।
भावार्थ :- उसके(the man) मन से चँद्र उत्पन्न हुए, नेत्र से सूर्य की उत्पति हुई, मुख से इन्द्र और अग्नि, और श्वास से वायु की उत्पति हुई।
- यह श्लोक मूल रुप से ऋग्वेद - १०/९०/१३ पुरुष सूक्त मे उल्लिखित है। पुरुष सूक्त मेँ इस ब्रह्माण्ड की उत्पति के बारे मे कहा गया है कि कैसे यह सृष्टी बनी और भगवान विष्णु के विराट स्वरुप के बारे मे कहा गया है उन्हे पुरुष की संज्ञा दी गई है। चन्द्रमा की उत्पति(born) उनके मन से हुई, सूर्य की उत्पति उनकी आन्खोँ से हुई, इन्द्र की मुँह से, और वायु की उत्पति श्वास से आदि... ऐसा कहा गया है पुरुष सूक्त मे और उसी संदर्भ मे यह श्लोक लिखा गया है जिसका गलत अर्थ बताकर ज्योतिषीयों द्वारा  फलित ज्योतिष को वेद से निकला कह कर भ्रमित किया जाता है। इस श्लोक मे केवल "चन्द्रमा मनसो जात सूर्यो चक्षु च आत्मा" तक अधूरे श्लोक का गलत अर्थ - चन्द्रमा मन का कारक है, सूर्य आत्मा का कारक है - कर भ्रमित किया जाता है। बहुत सी ज्योतिष की किताबो मे भी आपने इस श्लोक का यही अर्थ पढ़ा होगा जो कि गलत है न तो चन्द्रमा मन का कारक है और न ही सूर्य आत्मा का।
एक अन्य श्लोक जिसका गलत अर्थ कर फलित ज्योतिष से जोङकर भ्रमित किया जाता है वह है -
चत्वारि शृंङ्गा त्रयो अस्य पादा, द्वे शीर्षे सप्त हस्तासोऽस्य।
त्रिधा बद्धो वृषभो रोरविति, महो देवो मर्त्या आ विवेश।।
अर्थ - इस यज्ञाग्नि देव के चार सींग है और तीन पैर है दो सिर है सात हाथ है यह बलशाली देव तीन तरह से बद्ध होकर ध्वनि करते है और मनुष्यों के बीच मे प्रवेश करते है।
- ऋग्वेद - ४/५८/३ के इस श्लोक के जितने अर्थ आपको बताऊं उतने कम है क्योंकि अनेक ज्योतिषीयों से इस श्लोक के मनचाहे अर्थ कर ग्रहों राशियों व नक्षत्र जोङकर अनेक अर्थ कर रखें है लेकिन इस श्लोक का सही अर्थ उपरोक्त है।
वेदांग ज्योतिष - गणितीय खगोलशास्त्र के इस ग्रन्थ का उपयोग करके वैदिक यज्ञों के अनुष्ठान का समय निश्चित किया जाता था इसमे लिखित जिस श्लोक का गलत अर्थ किया जाता है वह है -
यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।
तद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥
अर्थ -  जिस प्रकार मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, उसी प्रकार सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है।
- इस श्लोक का भी गलत अर्थ कर भ्रमित किया जाता है जो इस प्रकार है - जिस प्रकार मोर मे शिखा और नाग मे मणि का स्थान सबसे उपर है उसी प्रकार वेदों व शास्त्रों मे ज्योतिष शास्त्र का स्थान सबसे उपर है - उपरोक्त सभी श्लोक का गलत अर्थ कर किस प्रकार से भ्रमित किया जाता है आप स्वयं सकते है। अब कभी भी कोई ज्योतिषी किसी श्लोक का गलत अर्थ कर आपसे यह कहे की फलित ज्योतिष का उल्लेख वेद मे है, तो उन्हे उस श्लोक का वास्तविक अर्थ बताए। जिन श्लोको का विवरण दिया गया है सामान्यतया उन्ही का गलत अर्थ किया जाता है लेकिन ऐसे अनेक श्लोक हो सकते है और ऐसे भी हो सकते है जिनका उल्लेख किसी वेद आदि मे न हो और ज्योतिषीयों ने अपनी सुविधानुसार लिखकर किसी शास्त्र से उल्लेखित कह कर प्रचारित किया जाता हो क्योंकि उनके पास आने वाले व्यक्ति तो कभी उसके बारे मे खोज करने से रहे इसलिए ज्योतिषी द्वारा कही गई बात को ही सही मान लिया जाता है और ठगी के धन्धे के लिए यही आवश्यक है। परन्तु जो व्यक्ति जिज्ञासु है वह सदैव याद रखें कि फलित ज्योतिष का किसी भी वेद के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है।

एक टिप्पणी भेजें

  1. But kuch jyotish Jo yog batate Hain vo kaise fir sahi hote Hain ..akhir unka effect to hota hai

    जवाब देंहटाएं
  2. ज्योतिषी द्वारा बताई गई बाते जो सही प्रतीत होती है वास्तव में वह सामान्य ज्ञान की बातें होती है जो कोई भी व्यक्ति (जिसे ज्योतिष का जरा भी ज्ञान न हो) किसी अन्य व्यक्ति के बारे में कहे तो सही होंगी। आप भी यदि किसी व्यक्ति के बारे में 10 बातें कहेंगे तो उन बातों में से 1,2 बात या इस अधिक भी सही हो ही जाएंगी यह मनोविज्ञान है न कि ज्योतिषी की भविष्यवाणी। क्योंकि ज्योतिष में ऐसा कोई सही सिद्धांत ही नहीं है जिससे की किसी भी व्यक्ति के जीवन की किसी भी घटना के होने अथवा न होने के बारे में सही सही बताया जा सकता हो। तो जब सिद्धान्त ही सही नहीं है तो कोई ज्योतिषी कुछ बातें तो क्या एक भी बात सही नहीं बता सकता है। इसलिए ज्योतिष केवल ठगी का धंधा मात्र है क्योंकि ग्रहों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है जो मनुष्य के दैनिक जीवन की घटनाओं को ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार लागू कर सके (यह केवल एक भ्रम है कि ग्रहों का कोई ऐसा प्रभाव होता है)। इस प्रकार के अनेक प्रश्नों के उत्तर इस ब्लॉग में ही है उन लेख को पढ़ने की आवश्यकता मात्र है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपके जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना का विश्लेषण आपकी कुंडली के माध्यम से किया जा सकता है। सामान्य ज्ञान हर व्यक्ति के अनुसार अलग अलग नही हो सकता यदि आपकी कुंडली से यह बात दिया जाए कि आपको कब पुत्र होगा या आपके जीवन मे आप कब सफल या असफल होंगे।
      में आपकी इस बात पर पूर्णतया सहमत हूँ कि कुछ ज्योतिष लोगों से फायदा उठाते हैं। किंतु आप ज्योतिष शास्त्र के ज्ञान को गलत नहीं कह सकते।
      मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने आपको ठग लिया है। या हर बार आपका पाला ठग ज्योतिषियों से ही पड़ा है। किसी अच्छे ज्योतिष से मिलें आपकी हर जिज्ञासा का समाधान होगा

      हटाएं
  3. तुम को जो चीज गलत लगे इसका यह मतलब नही की ज्योतिष ही नही है... मेने जाना है ज्योतिष शास्त्र सत्य है... लेकिन कुछ ठग भी है

    जवाब देंहटाएं

 
Top