समाज मे व्याप्त अन्धविश्वास और भविष्य के प्रति अनिश्चितता की स्थिति के कारण ज्योतिष ने एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है जिससे समाज का कोई भी वर्ग अछूता नहीं है। भविष्य के प्रति अनिश्चितता की इसी स्थिति के कारण प्रत्येक व्यक्ति अपना भविष्य जानना चाहता है इसके लिए वह ज्योतिष का सहारा लेते है व्यक्ति अपने प्रत्येक छोटे बङे प्रश्नों के उतर ज्योतिष मे तलाशते है जैसे कि शिक्षा किस विषय मे हो, नौकरी सही रहेगी या व्यापार, व्यापार करें तो कौन सा, नौकरी कब मिलेगी, विवाह कब होगा, विदेश जाएगें कि नहीं, धन सम्पति का योग है कि नहीं आदि अनेक प्रश्न है जिनके उतर वह ज्योतिष के माध्यम से जानना चाहते है इस कारण अंधविश्वास एक व्यापार बन गया है जिसमे ज्योतिष की भूमिका अहम है। अंधविश्वास के अंतर्गत आने वाले अनेक विषयों मे से ज्योतिष का व्यापार एक ऐसा व्यापार है जिसका लिए कहा जा सकता है की हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होए। बाजार से एक 50/60 रुपये की ज्योतिष की कोई भी किताब खरीद लाएं और ज्योतिषी बन जाएं इतना सरल है ज्योतिषी बनना और कमाई का तो कोई हिसाब ही नहीं है बाकी आपकी अपनी योग्यता पर निर्भर करता है की आप किसी व्यक्ति को कितना मूर्ख बना सकते है जितना अधिक वह मूर्ख बनेगा उतनी ही अधिक फीस देकर जाएगा। संचार के क्षेत्र मे हुई क्रान्ति के फल स्वरुप टीवी रेडियो इन्टरनेट आदि संचार के माध्यम हर घर तक अपनी पहुंच बना चुके है जिसके कारण अनेक ज्ञानवर्धक कार्यक्रमो के अलावा अन्धविश्वास का विस्तार करने वाले कार्यक्रम की भरमार होती है। टेलीविजन पर आने वाले ज्योतिषीयों बाबाओं व अन्य ज्योतिष से सम्बन्धित रत्न यन्त्र मन्त्र आदि बेचने वालो की कोई कमी नहीं है सरकार के अन्धविश्वास के प्रति उदासीन रवैये के कारण अन्धविश्वास से भरपूर कार्यक्रमों की संख्या बढती जा रही है जिसके कारण युवाओं का ज्योतिष के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है और वह कर्म के महत्व को न समझकर ग्रहों नक्षत्रों मे अपने भविष्य की रुपरेखा तलाश रहें है इसी कारण से भविष्य बताने, भाग्य बदलने वाले आज हर गली हर नुक्कङ पर अपनी दुकान सजाए बैठे है समाज का कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो इन भाग्य बदलने वालो के पास न जाता हो। अच्छे-अच्छे शिक्षित व्यक्ति भी इन तकदीर बदलने वालों के पास कतार मे खड़े हुए देखा जा सकता है उनमे से कोई किसी फुटपाथ पर रखे हुए तोते से अपना भविष्य पूछते नजर आते है तो कोई वातानुकूलित कमरे मे बैठे हुए मदारी से(जो एक विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षित व्यक्ति को भी अपनी उँगलियों पर नचा सकता हो वह मदारी ही कहा जाएगा  जमूरे भविष्य पूछेगा  जी पूछेगा, टोटके करेगा  जी करेगा, मूर्ख बनेगा  नहीं वह पैदाइशी हूं)।
अन्धविश्वास का व्यापार सौ प्रतिशत लाभ वाला व्यापार है जो हमेशा से चलता रहा है भारत जैसे अन्धविश्वासी जनसंख्या वाले देश मे व्यक्ति कितनी भी उन्नति कर ले कितने ही शिक्षित क्यों न हो जाए लेकिन यहां पर ज्योतिष एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे कभी हानि की संभावना ही नही है वैश्विक मंदी मे भी ज्योतिष के धंधे मे मंदी नहीं आती है बल्कि उस समय पर तो ज्योतिष का व्यावसाय अपने चरम पर होता है प्रत्येक व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए ग्रहों नक्षत्रों को टोटके कर प्रसन्न करने के लिए ज्योतिषी की तिजोरी अन्य दिनों की अपेक्षा और अधिक भरते है। अन्धविश्वास के कारण ही भविष्य बताने, तकदीर बदलने वालों के धन्धे मे चार चांद लग गए है इस पृथ्वी पर जन्म लाने से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति ज्योतिषी का पीछा नहीं छोडते है चाहे तो स्वयं को ही देख लीजीये सुबह उठते ही टीवी पर वही चैनल लगेगा जिस पर कोई ज्योतिषी अपनी दुकान सजाए बैठा होता है किसी अन्य कार्यक्रम का समय याद हो न हो ज्योतिषी की दुकान खुलने का समय रटा हुआ होता है। शिक्षित होने के पश्चात भी यदि नौकरी नहीं मिल रही व्यापार नहीं चल रहा या कोई काम धंधा नहीं कर पा रहे है तो चिंता की कोई बात नहीं है बस ज्योतिषी बन जाइए भोर होते ही द्वार पर गुरुजी पंडित जी कहकर चरणों मे दंडवत प्रणाम करने वालों की भीड़ लग जाएगी जो मूर्ख बनने के भी पैसे देकर जाएगे इतना ही नहीं प्रसन्नतापूर्वक घर वापिस भी जाएगे और अगली बार दो चार बेअक्कल व्यक्तियों को साथ मे लेकर आएंगे जो आपके ठगी के व्यापार के फलने फूलने मे सहायक सिद्ध होंगे।
1930 के दशक मे जब राशिफल छपने की शुरुआत हुई तो इसके कारण अनेक अखबारों व अन्य पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री कई गुणा बढ़ गई और आज भी अनेक पत्र पत्रिकाएं अपने अन्धविश्वासी पन्नो के कारण ही बिकते है इसी कारण से अनेक अखबारों ने अपने अन्धविश्वासी पन्नो को सप्ताह मे एक निश्चित दिन पर अलग से कई पन्नो पर छापना शुरु कर दिया है और उस दिन यदि आपने अखबार लेने मे देरी कर दी तो आपको खाली हाथ भी रहना पङ सकता है क्योंकि उस दिन उन पत्र पत्रिकाओं की बिक्री अन्य दिनो के मुकाबले अधिक होती है केवल अन्धविश्वासी पन्नो के कारण इसके अलावा भी अनेक प्रकार के यंत्र मंत्र आदि है जो कुछ रुपए से लेकर लाखों रुपये तक मे बेचे जाते है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते है वर्ष भर मे कितने रुपए केवल अंधविश्वास की भेंट चढ़ जाते है। यह करोड़ो रुपये का व्यापार बन चुका है जिसकी देश के GDP मे गिनती भी नहीं होती है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति अपने अंधविश्वासी कार्य के लिए अलग से एक बजट लेकर चलता है। एक सामान्य अनुमान के मुताबिक व्यक्ति के तीन हजार रुपए प्रतिमाह अंधविश्वास की भेंट चढ़ जाते है अर्थात वर्ष मे 36 हजार रुपए व्यर्थ मे गवां दिए जाते है आज के मंहगाई के दौर मे यह आंकड़ा आपको शायद अधिक न लगे लेकिन यदि आंकड़ो पर नजर डालें तो इन्हीं पैसों को जमा कर आप 10 वर्ष मे एक कार खरीद सकते है। लेकिन आज के दौर मे कोई भी व्यक्ति 10 वर्ष तो दूर सुबह होने की प्रतीक्षा नहीं कर सकते है और करे भी क्यों जब ग्रह सब दे रहे है उन्हें टोटके से प्रसन्न कर जो चाहे हासिल किया जा सकता है तो वर्षों की प्रतीक्षा क्यों की जाए इसलिए किसी ज्योतिषी के पास चला जाए वह कोई न कोई टोटका बता ही देगा ग्रह दशा सुधार ही देगा इसके लिए यदि वह हजारों रुपए की फीस ले ले तो कौन सी बड़ी बात है आखिर उसने पृथ्वी से करोड़ो किलोमीटर दूर ग्रहों को ठीक करना है यह कोई मामूली बात तो नहीं है दुनिया की सभी अन्तरिक्ष संस्थाएं मिलकर भी ऐसा नहीं कर सकती है जो ज्योतिष से ज्योतिषी कर सकते है।
अन्धविश्वास सम्बन्धी विज्ञापन बहुत देखने को मिलते है जिसमे हर समस्या का समाधान - पारिवारिक क्लेश रोग शत्रु शमन विवाह समस्या प्रेम विवाह नौकरी व्यापार धन सम्बन्धी आदि समस्याओं से छुटकारा पाने की बातें कही होती है जो व्यापारिक उद्देश्य से ही दिए जाते है और विभिन्न पत्र पत्रिकाओ व संचार के अन्य माध्यम जैसे की टीवी इंटरनेट आदि पर प्राय देखने को मिल जाते है बल्कि अब तो अनेट टीवी छनलों व पत्र पत्रिकाओ ने अंधविश्वास के प्रचार व प्रसार के लिए समय ही निश्चित कर लिया है कोई भी ज्योतिषी, बाबा अन्य जो अंधविश्वास के व्यापार से जुड़े हुए है वह  निर्धारित फीस भरकर अपने ठगी के धंधे के विज्ञापन दे सकते है। टीवी इन्टरनेट आदि संचार के माध्यम की पंहुच अब जन जन तक हो गई है जिससे की ऐसे विज्ञापनो से एक बहुत बड़े जन समूह को प्रभावित करना बहुत ही सरल हो गया है विज्ञापनो के द्वारा अंधविश्वासी व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से लुटने के लिए तैयार किया जाता है क्योंकि ऐसे प्रायोजित क्रायक्रम का निर्माण ही इस प्रकार से किया जाता है जिससे की देखने वाले व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते है परिणामस्वरूप अंधविश्वास का व्यापार फलता फूलता है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी तरह की समस्या से त्रस्त होता है हर समय न सही परन्तु गाहे-बगाहे रोजमर्रा की जिन्दगी मे कुछ न कुछ समस्या उत्पन्न हो ही जाती है जिसके निवारण के लिए व्यक्ति यथासम्भव प्रयास भी करते है इसलिए टीवी आदि पर किसी व्यक्ति के सब सुख दूर करते हुए किसी ज्योतिषी, बाबा को देखकर उनकी शरण मे पहुँच जाते है इस से उनके दुख तो दूर नहीं होते लेकिन ज्योतिषी, बाबा लोग की तिजोरी मे अकूत धन संपदा आनी शुरू हो जाती है। अब आप समझ सकते है की यदि आप अंधविश्वासी है तो आप अरबों रुपये के अंधविश्वास के व्यापार का एक हिस्सा है इस से स्वयं को अलग कर लूटे ब मूर्ख बनाए जाए से कैसे बचाना है यह आपके ऊपर निर्भर करता है।


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