ज्योतिषीयों द्वारा कही जाने वाली कुछ बातें जिन्हे आप अज्ञानतावश सही मान लेते है और ज्योतिष को सही समझते है - उनके बारे मे सही तर्क/तथ्य जानकर अपने अज्ञान/भ्रम को दूर करिए।


अधिकतर ज्योतिषी ठग है जो पैसे कमाने के लिए ज्योतिषी बनकर ज्योतिष को बदनाम कर रहे है।
- अधिकतर ज्योतिषी ठग है - यह बात स्वयं को महाविद्वान बताने के लिए ही कही जाती है क्योंकि व्यक्ति को ज्योतिषीयो के द्वारा बताए गए भविष्यवाणी/टोटके आदि से लाभ नहीं होता है - जिसका कारण ज्योतिषी का ज्योतिष ज्ञान ही समझा जाता है - इसलिए वह एक ज्योतिषी से दूसरे और दूसरे से तीसरे फिर चौथे पांचवे.. अनेक ज्योतिषीयो के द्वार भटकते रहते है किसी महाविद्वान ज्योतिषी की तलाश मे जिसे ज्योतिष का पूर्ण ज्ञान हो और उनके सभी दुख - जिसका कारण ग्रह समझे जाते है - को ठीक करके दूर कर दे। इसी बात का लाभ ज्योतिषी उठाते है और अन्य ज्योतिषीयो को ठग बता कर स्वयं को महाज्ञानी त्रिकालदर्शी ज्योतिषी बताकर व्यक्ति को मूर्ख बनाते है बोगस ज्योतिष के नाम पर सभी ज्योतिषी यही करते है चाहे वह कोई भी हो। चूंकि ज्योतिषी के समक्ष व्यक्ति की स्थिति स्पष्ट होती है इसलिए किसी टुल्लेबाजी/टोटके को सही समझ लेने पर उसे ज्योतिष का बड़ा विद्वान समझ लिया जाता है और अन्य को ठग - जब्कि वास्तव मे सभी ठगी ही है क्योंकि पूरा फलित ज्योतिष ही बोगस है तो किसी के सही होने का प्रश्न ही नहीं उठता है।

ऐसे ठग ज्योतिषीयो के कारण ज्योतिष को गलत नहीं कहा जाना चाहिए।
- अब तक यही धारणा सर्वमान्य है कि जिन ज्योतिषीयो को ज्योतिष का समुचित ज्ञान नहीं है और ज्योतिषी बने हुए है ऐसे ज्योतिषीयो के कारण ज्योतिष बदनाम हो रहा है व उनके कारण ज्योतिष को गलत नहीं कहा जा सकता है। जब्कि सच्चाई यह है कि ज्योतिष को बोगस किसी ज्योतिषी की गलत भविष्यवाणी, ज्योतिष का कम ज्ञान आदि के आधार पर बोगस नहीं कहा जा रहा है बल्कि सिद्धांतो के आधार पर कहा जा रहा है। पूरे फलित ज्योतिष मे एक भी सिद्धांत सही नहीं है और बोगस सिद्धान्तों के आधार पर किसी भविष्यवाणी का सही होना असम्भव है इसलिए ज्योतिष को बोगस कहा जा रहा है।

सही भविष्यवणी करने के लिए भगवान की कृपा भी होनी चाहिए।
- ज्योतिष सिद्धांतो का विषय है भविष्य बताने के लिए सिद्धांत बने हुए है जो बोगस है उन से सही भविष्य नहीं बताया जा सकता है, तो भगवान कितनी भी कृपा क्यों न कर ले सिद्धांत सही नहीं होने वाले है। और ऐसा भी कहीं नहीं लिखा है कि ज्योतिष के सिद्धांतो से सही भविष्यवाणी के लिए भगवान की कृपा होनी भी आवश्यक है। भगवान को कृपा ही करनी है तो वह ज्योतिषीयो पर ही क्यों करेगा वह भी तब ही जब व्यक्ति ज्योतिष सीख ले। ऐसा भी नहीं है कि भगवान अपनी कृपा ज्योतिषीयो को ही देता है। भविष्य ही बताना है तो सीधे ही उस व्यक्ति को क्यों न बता दे जिसका है ! भगवान इतना बेवकूफ तो नहीं है कि अपने लिखे भविष्य को ज्योतिषीयो को बता देगा। इतनी बेवकूफी की उम्मीद एक व्यक्ति से भी नहीं की जा सकती है फिर वह तो भगवान है। शिक्षक यदि अपने द्वारा बनाए प्रश्न पत्र को परीक्षार्थी को पहले ही बता दे तो उसका परीक्षा लेने का क्या अर्थ रह गया।

ज्योतिष तो भगवान की देन है उसने ही ज्योतिष का ज्ञान ऋषियो को दिया।
- ज्योतिष को न तो भगवान ने बनाया थ न ही इसका ज्ञान ऋषियो को दिया था। भगवान को ऐसा ज्ञान देने की क्या आवश्यकता थी जो काम ही नहीं करता हो। जब सृष्टि का निर्माण ही भगवान द्वारा माना जाता है तो अपनी ही बनाई हुई सृष्टि का ज्ञान उसे भलि भांति होगा ही - फिर ऋषियो को ब्रम्हांड का गलत ज्ञान क्यों दिया। ग्रहो की वास्तविक परिभ्रमण कक्षा एवं सटीक दूरी भी बताई जा सकती थी यह भी बताया जा सकता था कि पृथ्वी चपटी व स्थिर नहीं बल्कि गोल व चलायमान है जो अन्य ग्रहो सहित सूर्य की परिक्रमा करती है, ब्रम्हांड बेलनाकार नहीं है, न ही ग्रह एक के ऊपर एक स्थित है, पृथ्वी के निकट चन्द्रमा है न कि सूर्य और नक्षत्र ब्रम्हांड मे ही नहीं है आदि जिससे सिद्धांत सही बनते और भविष्य का सही पता चलता।

ज्योतिष एक दैवीय विज्ञान है।
- दैवीय विज्ञान की परिभाषा तक ज्योतिषीयो को पता नहीं है, न ही ऐसा कोई विज्ञान ही है इसलिए यह वाक्य केवल ठगी के धन्धे के प्रसार मे सहायता के लिए ही कहा जाता है। देवताओ को ज्योतिष की कोई आवश्यकता नहीं है न ही ज्योतिष को देवताओ द्वारा दिया गया है यह पूर्ण रुप से मानव निर्मित है। व्यक्ति दैवीय शब्द से भ्रमित हो जाते है व यही विचार करते है कि दैवीय विज्ञान है तो मानव विज्ञान से कहीं श्रेष्ठ होगा - आखिर दैवीय जो है। इसलिए ज्योतिषीयो से कोई प्रश्न नहीं करते कि यह दैवीय विज्ञान आखिर है क्या और कहां से आया। ज्योतिषी, जिन्हे मानव निर्मित विज्ञान की परिभाषा भी पता नहीं है ज्योतिष को किस आधार पर दैवीय विज्ञान कह रहें है। उन्होने ऐसा क्या देखा - इस तरह के प्रश्न न उठने से ज्योतिषीयो को ही लाभ मिलता है।

ज्योतिष हमारे वेदो मे है/धर्म ग्रन्थो मे है। ज्योतिष मे आस्था/श्रद्धा/विश्वास न रखने वाला नास्तिक है।
- किसी भी वेद या धर्म ग्रन्थों मे फलित ज्योतिष का उल्लेख नहीं है वेद मे राशि तक का उल्लेख नहीं है जहां से फलित ज्योतिष आरम्भ होता है। जिस ज्योतिष का उल्लेख वेद मे है वह आज का खगोलशास्त्र है न कि फलित ज्योतिष। फलित ज्योतिष का किसी भी धर्म और धर्म ग्रंथो से कोई सम्बन्ध नहीं है न ही किसी धर्म ने ज्योतिष को मान्यता दी है। न ही किसी धर्म ग्रन्थ मे ऐसा लिखा हुआ है कि ज्योतिष को मानो उस पर विश्वास करो - कुंडली बनवाओ ग्रह दिखाओ, ज्योतिषीयो के पास जाकर भविष्य ठीक करवाओ, टोटको पर आस्था रखो आदि। न ही यह लिखा है कि ग्रह भविष्य बताने के लिए बने है। इसलिए ज्योतिष जैसे बोगस विषय पर विश्वास न करना नास्तिकता/आस्तिकता के दायरे से बाहर है यह भी एक भ्रम है जो ज्योतिषीयो द्वारा ही फैलाया गया है अपने ठगी के धन्धे को सही ठहराने के लिए।

एक अच्छा ज्योतिषी बनने/भविष्यवाणी करने के लिए ध्यान/योग/छठी इन्द्रिय की आवश्यकता होती है।
- ज्योतिष के किसी भी शास्त्र मे कहीं पर भी यह बात नहीं लिखी है कि सही भविष्यवाणी के लिए ध्यान आवश्यक है। और ज्योतिष मे सिद्धांत है जिनके आधार पर कुंडली से भविष्यवाणी की जाती है उन सिद्धांतो का ध्यान/योग/छठी इन्द्रिय से कोई सम्बन्ध नहीं है यह एक प्रकार का भ्रम है जो ज्योतिषीयो द्वारा ही फैलाया गया है। विज्ञान ध्यान/योग/छठी इन्द्रिय के आधार पर कार्य न करके सिद्धांतो पर कार्य करता है ज्योतिष जिसे विज्ञान कहा जाता है यदि ध्यान/योग/छठी इन्द्रिय आश्रित है तो विज्ञान नहीं हुआ। सिद्धांत जो एक बार बना दिया गया वह सही हो या गलत, ध्यान/योग/छठी इन्द्रिय से बदलने से रहा। सच तो यह है कि ज्योतिष के सिद्धांत ही बोगस है जिनसे कभी भी सही भविष्यवाणी की ही नहीं जा सकती है इसलिए इस तरह के भ्रामक बाते प्रचारित की जा जाती है जिससे भविष्यवाणी के गलत निकलने पर व्यक्ति के ज्योतिष के प्रति अविश्वास की भावना न उत्पन्न हो और वह ऐसे ही किसी ध्यान/योग/छठी इन्द्रिय वाले ज्योतिषी की तलाश करते रहे।

भविष्य ब्रम्हा जी के अतिरिक्त कोई नहीं जानता है और न ही बता सकता है।
- यह वाक्य बहुत से ज्योतिषी व ज्योतिष प्रेमी कहते है। जब व्यक्ति को पता है कि भविष्य ब्रम्हा के सिवाय किसी को पता नहीं होता है तो जाहिर एक वही है जो भविष्य बता सकते है, तो आप ज्योतिषी के पास ठगे जाने के लिए क्यों जाते है वह भविष्य कैसे बता देगें जब्कि उन्हे अपना भविष्य भी पता नहीं होता है। ब्रम्हा जी इतने बेवकूफ तो नहीं हो सकते है कि पहले व्यक्ति का भविष्य लिखे फिर ज्योतिषीयो को उसकी एक एक प्रति भेज दे। वर्तमान मे आपके साथ जो भी घटित हो रहा है वह ब्रम्हा जी द्वारा लिखित भविष्य के कारण हो रहा है, और भविष्य मे जो कुछ भी होगा वह भी ब्रम्हा जी की इच्छा से ही होगा तो ज्योतिषी उसे कैसे बदल देगें ! टोटके करने से वर्तमान/भविष्य मे समस्याएं कैसे समाप्त हो जाएगीं - वह भी ब्रम्हा जी के द्वारा लिखी हुई - ब्रम्हा जी ने भविष्य मे लिख दिया कि गरीब रहेगा, नौकरी नहीं मिलेगी, विवाह नहीं होगा, व्यापार नहीं चलेगा, सन्तान नहीं होगी, कर्ज रहेगा आदि तो वह टोटके करके कैसे बदल जाएगा ! ग्रहों को प्रसन्न करने से भविष्य कैसे अनुकूल हो जाएगा - क्या ब्रम्हा जी ग्रहों का आदेश मानते है अथवा उसके लिए बाध्य है - इन प्रश्नों पर स्वयं विचार करें।

ग्रह भविष्य को प्रभावित नहीं करते है वरन भविष्य बताते है या भविष्य का संकेत देते है।
- यह बात तब कही जाती है जब ज्योतिषी ग्रहों के प्रभाव को सिद्ध नहीं कर पाते है और ज्वार भाटा किरणें विकिरणें गुरुत्व बल चुम्बकीय शक्ति आदि से भी बात नहीं बनती है तो सारा दिन ग्रहों के शुभ अशुभ प्रभाव से डराने वाले ज्योतिषीयों को अपने ठगी के धन्धे को बचाने के लिए यही कहना पङता है कि ग्रह प्रभावित न करके केवल भविष्य बताते है। ग्रहों द्वारा भविष्य का संकेत देने या भविष्य बताने के लिए भी ज्योतिष के सिद्धांतो का सही होना आवश्यक है तभी ग्रहों द्वारा बताए गए भविष्य को ज्योतिष द्वारा ज्ञात किया जा सकता है अन्यथा नहीं अर्थात ग्रह भविष्य को प्रभावित करे या न करे भविष्य जानने के लिए सिद्धांत का सही होना अनिवार्य है परन्तु ज्योतिष मे ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जिससे सही भविष्य ज्ञात किया जा सकता है। ग्रहों को व्यक्ति का भविष्य बताने के लिए भविष्य का पता भी होना चाहिए परन्तु उसके लिए भविष्य का पूर्वनिश्चित होना आवश्यक है जो है नहीं, और अनिश्चित भविष्य को न ग्रह जान सकते है न बता सकते है न ही प्रभावित कर सकते है न ही कोई ऐसा सिद्धांत बनाया जा सकता है जिससे अनिश्चित भविष्य को ज्ञात किया जा सकता हो इसलिए फलित ज्योतिष बोगस विषय है।
वैदिक ज्योतिष - इस शब्द के प्रयोग से आपको भ्रमित किया जाता है।
किसी भी वेद पुराण उपनिषद धर्म ग्रन्थ मे यह नहीं लिखा है कि ग्रहों का निर्माण भविष्य बनाने/बताने या मनुष्य के कार्य मे रुकावट डालने के लिए हुआ है और व्यक्ति ग्रहों को प्रसन्न कर अपने भविष्य को अपनी इच्छानुसार जब जैसे चाहें बदल सकते है आदि। और किसी भी वेद मे कुंडली बनाने की प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है न ही फलित के किसी सिद्धांत का इसलिए यह भ्रम अपने मन से निकाल दीजीए कि फलित ज्योतिष वेद मे है और ऋषियों द्वारा निर्मित है - यह असत्य है।

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