पिछले लेख मे आपने जाना
की मांगलिक दोष बोगस है और ज्योतिषी अनावश्यक रूप से केवल अपने ठगी के धंधे के लिए
ही मनगढ़ंत मांगलिक दोष रचकर समाज को भयभीत कर रहे है। इस लेख मे हम मांगलिक दोष के
उपाय पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि ज्योतिषी किस प्रकार से बोगस मांगलिक दोष के
उपाय के नाम पर समाज को मूर्ख बनाकर ठगी का धन्धा कर रहें है।
मांगलिक दोष के उपाय मे सबसे पहला उपाय तो यही कहा गया है
कि मांगलिक दोष वाले लङके/लङकी का विवाह मांगलिक दोष वाली लङकी/लङके से ही किया
जाए तो यह दोष समाप्त हो जाता है। पहली नजर मे यह बात किसी को सही प्रतीत हो सकती
है क्योंकि लोहे को लोहा और जहर को जहर ही मारता है, जैसे
तर्क दिए जाने से कोई भी व्यक्ति सही ही कहेगा। लेकिन यह उपाय ठीक वैसा ही है जैसे
की आपकी और आपकी होने वाली पत्नी/पति की कुंडली मे IAS बनने
का योग हो और विवाह होने के कारण ग्रहों द्वारा निर्मित योग समाप्त हो जाने से
दोनों क्लर्क बनकर ही रह जाएं। परंतु पृथ्वी से करोङों कि.मी. दूर मंगल ग्रह को इस
बात का पता कैसे चलता है कि, किस व्यक्ति की कुंडली मे वह 1,4,7,8,12
भाव मे स्थित होकर मांगलिक दोष बना रहा है और किस व्यक्ति के नहीं।
क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली मे अपनी स्थिति के ज्ञान के बगैर वह यह नहीं
जान सकता कि किस व्यक्ति का विवाह मांगलिक दोष वाले व्यक्ति से ही हुआ है और किस
का नहीं हुआ है - तभी वह अपने मांगलिक दोष रुपी विनाशक प्रभाव को फलित या समाप्त
कर पाएगा। इस उपाय पर दूसरा प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि मांगलिक दोष वाले
लङके/लङकी का, मांगलिक दोष युक्त कुंडली वाली लङकी/लङके से
करने पर मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त कैसे होता है इसके पीछे कौन सा तर्क/तथ्य है,
इस प्रश्न का उतर किसी ज्योतिषी के पास नहीं है सिवाय किसी किताब के
पन्ने पर लिखे होने के लेकिन मांगलिक दोष का ज्योतिष के किसी शास्त्र मे उल्लेख
नहीं होने से यह भी नहीं कह सकते है की यहाँ लिखा हुआ है। यदि मांगलिक दोष वाले
स्त्री/पुरुष का विवाह मांगलिक दोष वाले पुरुष/स्त्री से करने पर दोष समाप्त हो
जाता है तो यह भी एक सिद्धान्त हुआ की समान योग वाले स्त्री पुरुष का विवाह होने
पर वह योग समाप्त हो जाता है और इस सिद्धान्त के अनुसार कोई भी योग समाप्त हो
जाएगा जैसे की IAS बनने का आदि। यदि सभी स्त्री पुरुष की
कुंडली मे ऐसे ही एक समान योग/दोष होने पर उनका फल समाप्त होने लग जाए तो अनगिनत
व्यक्तियों की कुंडली मे शायद ही कोई योग/दोष बचे इससे आप अन्दाजा लगा सकते है कि
ज्योतिषी मूर्ख बनाने के लिए व्यक्ति की परिस्थिति अनुसार किसी भी सिद्धांत को बना
या बिगाङ सकते है। ज्योतिष के सिद्धांत किसी वैज्ञानिक विधि से नहीं बनाए गए थे
इसलिए सब बोगस है न ही ग्रहों का कोई ऐसा प्रभाव होता है जो वैवाहिक जीवन को नष्ट
कर सके तो इन प्रश्नों के ज्योतिषी भी क्या उतर देंगे सिवाय व्यक्ति को मूर्ख बनाने
के जो शिक्षित होते हुए भी गैस से निर्मित ग्रहों से डरते है।
प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसका वैवाहिक जीवन
सुखमय व्यतीत हो इसके लिए विवाह से पूर्व होने वाले वर/वधु की कुंडली का मिलान
किया जाता है और और किसी प्रकार की ग्रह बाधा को दूर करने के लिए ज्योतिषी द्वारा
बताए गए अन्धविश्वास से परिपूर्ण दाकियानुसी टोटके किए जाते है जिनमे मांगलिक दोष
के वैवाहिक जीवन विनाशक प्रभाव को दूर करने के लिए किये जाने वाले उपाय भी शामिल
है। मांगलिक दोष निवारण के अनेक प्रचलित उपायों मे से कुछ उपाय तो ऐसे है कि, यदि व्यक्ति एक क्षण के लिए अपनी बुद्धि का प्रयोग कर विचार करे तो ज्ञात
हो जाए कि उसे मूर्ख बनाया जा रहा है और वह बन रहे है। उन दाकियानुसी उपायों मे
घङे से विवाह पेङ से विवाह यहां तक कि कुत्ते से विवाह भी शामिल है जिसे समाज के
उच्च शिक्षित वर्ग द्वारा भी करते हुए देखा जा सकता है। उनमे से कोई भी व्यक्ति यह
विचार नहीं करता है कि घङे पेङ और कुते से विवाह का मंगल ग्रह का क्या सम्बन्ध है
क्या कुते की कुंडली मे मांगलिक दोष देखकर विवाह किया जाता है ? आश्चर्य होता है यह देखकर कि आज की युवा पीढ़ी ऐसे हास्यास्पद व
दाकियानुसी बातों का अनुसरण कर रही है जिनका कोई आधार नहीं है बस किसी मिडिल पास
ज्योतिषी ने करने को कहा है इसलिए ब्रह्म आज्ञा समझकर कर रहे है। अन्धविश्वासी
विचारों के कारण दिमाग इस स्थिति मे ही नहीं होता है कि ज्योतिषी द्वारा मूर्ख
बनाए जाने के बारे मे जान सके उस पर विचार कर सके इस स्थिति से बाहर निकलने की बात
पर विचार करना तो दूर की कौङी होती है। विवाह होने व विवाह मे विलम्ब के लिए आयु,
सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक
आदि अनेक कारण उतरदायी होते है, इसी बात का फायदा उठाकर मंगल
ग्रह बाधक बना दिया जाता है और उसके उपाय के नाम पर बहुत से अन्धविश्वास भरे टोटके
अनुष्ठान आदि करवा कर एक मोटी रकम ऐँठी जाती है - मुफ्त भी हो तो भी अन्धविश्वास
ही है - हमारा समाज इतना अन्धविश्वासी है कि अपनी शिक्षा व ज्ञान का त्याग कर एक
मिडिल पास ज्योतिषी के कहे अनुसार ही कार्य करते है। एक तरफ उपाय चलते है, दूसरी तरफ विवाह के लिए वर/वधू की तलाश भी जिनको योग्य वर/वधू मिल जाते है
वह ज्योतिषी का गुणगान करते नहीँ थकते और जिनको सफलता नहीँ मिलती वह ज्योतिषी ही
बदल देते है। यह क्रम निरन्तर चलता रहता है, और एक दिन मेहनत
तो रंग लाती ही है, आपकी अपनी या ज्योतिषी जी की स्वयं विचार
करेँ।
यह तो हुए मांगलिक दोष से बचने के उपाय अब जरा एक नजर
मांगलिक दोष पर भी डाल लेते है जिससे आपको भी ज्ञात हो कि ज्योतिष के किसी
सिद्धांत मे लिखे हुए दोष के निवारण के लिए सुझाए गए टोटके उपाय से ज्योतिषी स्वयं
ही सिद्धांत को बोगस सिद्ध करते है और आप बोगस योग/दोष के निवारण करने के नाम पर
मूर्ख बनते है। यदि मांगलिक दोष का प्रभाव टोटके उपाय - पेङ घङे कुते से विवाह आदि
- से समाप्त हो जाता है तो मांगलिक दोष वाले स्त्री/पुरुष किसी भी ऐसे
पुरुष/स्त्री से विवाह कर सकते है जिनकी कुंडली मे मांगलिक दोष न हो, क्योंकि टोटके द्वारा मांगलिक दोष समाप्त होने के कारण सिद्धांत अर्थहीन
हो गया। टोटके करने से मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है तो सिद्धांत ही
बोगस हो गया क्योंकि सिद्धांत जो होने को कह रहा था वह आपने टोटके कर टाल दिया तो
ऐसे बोगस सिद्धांत पर से वैवाहिक जीवन के सुखी न रहने की भविष्यवाणी किस प्रकार से
की जा सकती है जिसके फल को टोटके कर किसी भी समय बदला जा सकता है? यदि ज्योतिष के सिद्धांत सही है तो कोई टोटका या अन्य उपाय उसके अन्तर्गत
लिखे फल को नहीं बदल सकता है, यदि ऐसा होता है तो सिद्धांत
बोगस है और सच्चाई भी यही है। इसी तरह से यदि मांगलिक दोष का सिद्धांत सही है तो
आप चाहे विवाह पेङ से करे कुते से अथवा शेर से वह आपको पृथ्वी से 7.8 करोङ कि.मी दूर मंगल ग्रह से नहीं बचा सकते है लेकिन व्यक्ति ज्योतिषी की
चालाकी को समझ नहीं पाते है और बोगस ग्रह दोष को टोटके से ठीक करते रहते है। यह
उल्लेखित है कि मांगलिक दोष का ज्योतिष के किसी शास्त्र मे जिक्र नहीं है और जब
मांगलिक दोष का ही कहीं पर उल्लेख नहीं है तो उसके निवारण के लिए उपाय का उल्लेख
स्वतः ही कहीं पर नहीं होगा - स्पष्ट है कि ज्योतिषी मांगलिक दोष और उसके निवारणार्थ
कराए गए उपाय के नाम पर हजारों रुपये लूट रहें है और व्यक्ति अपने अज्ञानता रुपी
अन्धविश्वासी विचारों के कारण लुट रहें है।
पूरी दुनिया मेँ हर रोज लाखोँ लोग मांगलिक दोष के साथ
उत्पन्न होते है इस बात से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि केवल इसी दोष के कारण
कितने व्यक्तियों को मूर्ख बनाकर व्यापार का विस्तार किया जा सकता है।
अन्धविश्वासी विचारों के कारण आज अनेक ऐसे युवा है जिनका विवाह केवल इस कारण से
नहीं हो रहा कि उनकी कुंडली मे मांगलिक दोष है जिससे डरकर माता पिता व अन्य बङे
बुजुर्ग मंगल के अनिष्ट से बचने के लिए न जाने कितने दाकियानुसी उपाय कर हजारों
रुपये व्यर्थ ही गवां देते है। मांगलिक दोष का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाणिकता नहीं
है न ही ग्रहों के लिए कोई व्यक्ति इतना अधिक महत्वपूर्ण है कि ग्रह अपनी किसी
विशेष आकाशीय स्थिति के कारण व्यक्ति के पीछे हाथ धोकर पङ जाए। ग्रहों का ऐसा कोई
प्रभाव नहीं होता है जो व्यक्ति के वर्तमान भविष्य को प्रभावित करता हो और न ही
ग्रह ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार कार्य करने को बाध्य है। चूंकि पूरा फलित ज्योतिष
ही बोगस है इसलिए किसी भी योग का कोई महत्व नहीं है सिवाय अन्धविश्वासी विचारों से
युक्त शिक्षित समाज को मूर्ख बनाकर ठगी का धन्धा करने के और यही ज्योतिष की सच्चाई
है। कुंडली मिलान के अन्य सिद्धांत - अष्टकूट मिलान आदि - पर आगामी अंक मे विस्तृत
चर्चा की जाएगी। इन दो लेख मे अपनी ओर से मैंने मांगलिक दोष के सभी पहलुओं को
ध्यान मे रखते हुए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विश्लेषण कर सरल तरीके से योग के बोगस
होने की विवेचना की है जिससे कि ज्योतिष से बिल्कुल अन्जान व्यक्ति भी आसानी से
समझ सके कि मांगलिक दोष कैसे बोगस है और ज्योतिष मात्र ठगी का धन्धा है। इसके
पश्चात भी कोई व्यक्ति यदि ज्योतिषी के पास कुंडली लेकर बैठा रहे तो उसे मूर्ख
नहीं अपितु महामूर्ख कहा जाना चाहिए - क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति के लिए तो इशारा
ही काफी होता है।
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