मूर्ख वह व्यक्ति बनते है जो अन्धविश्वासी हैं और अपनी बुद्धि का प्रयोग करने मे असमर्थ होते है और आत्मविश्वास की कमी के कारण कोई भी निर्णय स्वयं की बुद्धि व विवेक से नहीं कर पाते है इसलिए किसी भी ठग की बातों मे आ जाते है और बड़ी सरलता पूर्वक मूर्ख बनाकर लूट लिए जाते है। इस कड़ी मे ज्योतिष पर विश्वास करने वाले व्यक्ति सबसे पहले आते है क्योंकि वह किसी भी मूर्खतापूर्ण बात पर विश्वास कर लेते है। ज्योतिष जैसे बोगस विषय पर विश्वास करने वाले व्यक्तियों की संख्या अधिक होने के कारण ज्योतिषी उन्हे अकसर मूर्ख बनाते रहते है पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित गैस से निर्मित ग्रहों का भय दिखाकर और अंधविश्वासी व्यक्ति भी अनावश्यक रूप से इतना दर जाते है की ज्योतिषी के द्वारा मूर्ख बनाए जाने का उन्हे जरा भी एहसास नहीं होता है। ज्योतिषीयो के द्वारा मूर्ख बनने के अनेक लाभ है जिनके बारे मे आपको पता तो होगा ही परन्तु कभी उस पर विचार नहीं किया होगा। आइए एक नजर डालते है -
सबसे बङा लाभ तो यह है कि व्यक्ति को अपने दिमाग/अक्कल का प्रयोग नहीं करना पङता है वैसे भी जिनके पास दिमाग होता है उन्हे कोई मूर्ख बना भी नहीं सकता है - अर्थात दिमाग का प्रयोग न करना मूर्ख बनने का कारण है।
अपनी असफलता के लिए स्वयं को दोष नहीं देना पङता है अपनी अयोग्यता अज्ञान को दरकिनार करते हुए सारा दोष ग्रह दशा पर डाल दो और उसे ठीक करने के लिए बेतुके टोटके करके मूर्ख बनते रहो।
अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए ज्योतिषीयों की मौद्रिक नीति पर मोहर लगा कर अपने परिश्रम से कमाए धन को कर के रुप मे उन्हे देते रहो और मूर्ख बनते रहो।
विवाह न होने की स्थिति मे मंगल को प्रसन्न करने के लिए घर का राश्न पानी ज्योतिषीयों के पेट मे डालते रहो और मूर्ख बनते रहो।
व्यापार न चलने की स्थिति मे कुछ टिन के पटरे हजारों रुपये मे खरीद कर घर मे लाकर रखो और करोड़पति बनने के सपने देखकर मूर्ख बनते रहो।
जिन ज्योतिषीयो को अपना भविष्य भी नहीं पता उन ज्योतिषीयों के पास भविष्य जानने के लिए जाते रहो और मूर्ख बनते रहो।
जिस ज्योतिष मे - भविष्य बताने का - एक भी सिद्धांत सही नहीं है उसी ज्योतिष को विज्ञान कहकर ज्योतिषीयों की टुल्लेबाजी को सही कहकर मूर्ख बनते रहो।
जिन ज्योतिषीयों को यही पता नहीं कि जन्म का सही समय कौन सा होता है, उन्ही ज्योतिषीयों के पास जाकर जन्म समय को सही करवाने के नाम पर हजारों रुपये लुटाकर मूर्ख बनते रहो।
जिन ज्योतिषीयों को यह भी पता नहीं है की ग्रहों का कोई शुभ अशुभ प्रभाव होता है की यहीं होता है, और वह प्रभाव हम तक पहुंचता किस प्रकार से है उन्हीं ज्योतिषीयों द्वारा ग्रहों को ठीक करने के लिए बताए गए दाकियानुसी टोटके करके मूर्ख बनते रहो।
कर्म करने की आवश्यकता ही नहीं रहती ज्योतिषीयो के पास जाकर डाक्टर वैज्ञानिक आदि जो बनना हो उसका योग बनवाकर ले आओ और चैन से मूर्ख बनकर सो जाओ।
पृथ्वी से करोङो कि.मी. दूर स्थित ग्रहों से डरकर उन्हे प्रसन्न करने के लिए टोटके कर राश्न पानी मे बहाकर मूर्खता भरा काम करते रहो।
अपने मित्रों व अन्य परिचित व्यक्तियो को भी ज्योतिषीयो के द्वार पर पहुंचाकर उन्हे भी मूर्ख बनाते रहो।
नौकरी नहीं मिल रही हो तो मूर्ख बनकर ज्योतिषी का बताया टोटका करते रहो इस से नौकरी तो नहीं मिलेगी लेकिन मूर्ख बनने का आनन्द तो मिलेगा ही।
ऐसे ही न जाने कितने मूर्खतापूर्ण कार्य आप सुबह से शाम तक करते रहते है लेकिन एक पल के लिए भी अपने शिक्षित होने का लाभ उठाकर अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करते है की पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित गैस से निर्मित ग्रहों का हमारे भविष्य से क्या सम्बन्ध है, वह कैसे हमारे भविष्य का निर्माण कर सकते है और किस प्रकार से टोटके करने से भविष्य को बादल देते है। जब तक इन प्रश्नों पर विचार नहीं किया जाता है तब तक ज्योतिषी सदैव यूं ही मूर्ख बनाकर ठगी का धंधा करते रहेंगे और आप शिक्षित होकर भी एक मिडिल पास ज्योतिषी के हाथों मूर्ख बनाते रहेंगे। मूर्ख बनने के अनेक लाभ है जिसके लिए व्यक्ति का बेअक्कल होना आवश्यक है तभी उनका पूर्ण लाभ मिलता है सभी का उल्लेख किया जाए तो कई किताबें लिखी जा सकती है जानकारी के लिए उपरोक्त लाभ ही पर्याप्त है। यहां पर एक चलचित्र का संवाद याद आ रहा है - "वह आएगें तो MA MSC BSC B/M.TECH IT LLB MBBS CA MBA की  डिग्री लेकर, पर मैनें भी उन्हे मूर्ख बनाकर नहीं भेजा तो मैं ज्योतिषी नहीं"
ऐसे ही मूर्खो के लिए एक गीत है -

अन्धविश्वास की डगर पे
मूर्खो दिखाओ चल के
यह कर्म है तुम्हारा
करना इसे सम्भल के

अपने हो या पराए
सबको दिए लुटाए
देखो दिमाग तुम्हारा
काम करने न लग जाए
भैंस बङी है अक्कल से
रखना रस्सी पकङ के

ठग्गुओं की बात मानना
और मुंह से कुछ न कहना
कर दोगे एक दिन तुम
कबाङा अपने जन्म का
मोल दिखेगा उस दिन
सनत के वचन का

ज्योतिषीयों के सर पर
ठगी का ताज मत रखना
तन धन की भेंट देकर
धन्धे की लाज रखना
है यही कर्म तुम्हारा
करना फर्ज समझ के

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