क्या
फलित ज्योतिष को ऋषियों ने बनाया था जैसा कि इस विषय पर प्रचलित धारणा है।
• फलित ज्योतिष को किसी ऋषि ने नहीं बनाया था न ही वह फलित ज्योतिष व इसका कार्य करने वालों का समर्थन करते थे।
• यदि फलित ज्योतिष को ऋषियों ने बनाया होता तो वह ज्योतिष को अत्यन्त ही निंदित व घृणित कर्म कह कर ज्योतिषीयों को चांडाल कह कर सभ्य समाज से बहिष्कृत क्यों करते।
• ऋषियों ने 28 नक्षत्र बनाए थे यदि फलित ज्योतिष ऋषियों द्वारा निर्मित होता तो वह एक बार 28 नक्षत्र बनाने के बाद ज्योतिष मे 27 नक्षत्र ही क्यों रखते।
• ऋषियों द्वारा निर्मित सभी 28 नक्षत्रों के अंश का विस्तार भी असमान था जब्कि ज्योतिष मे 27 नक्षत्रों के अंश समान है। ऋषियों को फलित ज्योतिष को बनाने के लिए नक्षत्रों के अंशो को समान करने की आवश्यकता नहीं थी।
• किसी भी वेद पुराण उपनिषद मे ऋषियों ने फलित ज्योतिष के सिद्धांतो का वर्णन नहीं किया है यदि फलित ज्योतिष को ऋषियों ने बनाया होता कि किसी वेद पुराण आदि मे इसके बारे मे कुछ तो लिखते।
• ज्योतिष मे ग्रहों को पांच और राशियों को चार तत्व दिए गए है यदि ऋषियों ने ज्योयिष की रचना की होती तो वह ग्रहों को पांच तत्व देने के पश्चात राशियों को चार ही तत्व क्यों देते - स्पष्ट है राशियों का ज्ञान भारत से बाहर का था।
• नक्षत्र और राशियों को विभिन्न तारों के समूह को मिलाकर ही बनाया गया है और ऋषियों ने केवल नक्षत्र बनाए थे और नक्षत्रों को बनाने के पश्चात राशियों को बनाने का कोई औचित्य ही नहीं था।
• यदि आप नक्षत्रों से सम्बन्धित देवता को देखें तो वह सब - इन्द्र ब्रम्हा अग्नि यम आदि - सब भारतीय है, जब्कि राशियों की आकृतियां ही भारत के किसी देवी देवता से सम्बधित नहीं है उनका सम्बन्ध ग्रीस के देवताओं से है। यदि ऋषियों ने राशियां बनाई होती तो उनकी आकृति व सम्बन्धित देवता भारतीय ही होते जैसे कि नक्षत्रों के है।
• वेद पुराणों मे राशियों का उल्लेख नहीं है जिस से स्पष्ट होता है कि राशियों को ऋषियों ने नहीं बनाया था वरना वह वेद मे नक्षत्रों के साथ राशियों का उल्लेख अवश्य करते।
• ग्रह भविष्य बताने के लिए बने है या ग्रहों से भविष्य बताया जा सकता है, किसी वेद पुराणों मे इस बात का उल्लेख नहीं है यदि ऋषियों ने ग्रहों का भूत भविष्य से सम्बन्धित प्रभाव ज्ञात किया होता तो उसका उल्लेख अवश्य करते।
• किसी ऋषि ने नहीं कहा है और धर्म ग्रन्थों मे इस बात का उल्लेख नहीं है कि कुंडली बनाओ, ज्योतिषी के पास जाओ, भविष्य दिखाओ, ग्रह ठीक करवाओ आदि जिस से स्पष्ट होता है कि फलित ज्योतिष को किसी ऋषि ने नहीं बनाया था।
• वेद मे कुंडली बनाने की प्रक्रिया का ही वर्णन नहीं है यदि ऋषियों ने फलित ज्योतिष को बनाया होता तो कुंडली निर्माण की इतनी महत्वपूर्ण बात का उल्लेख अवश्य करते।
• वेद मे मुख्यतः पांच ग्रहों का ही उल्लेख है जब्कि ज्योतिष मे नौ ग्रह है ऋषियों ने ज्योतिष की रचना करनी होती तो उन्ही ग्रहों के साथ करते जिनका उन्हे ज्ञान था।
• वेद मे पहला नक्षत्र कृतिका है और ज्योतिष मे पहला नक्षत्र अश्विनी है जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि फलित ज्योतिष ऋषियों द्वारा निर्मित नहीं है।
• ऋषियों के अनुसार बेलनाकार ब्रम्हांड मे ग्रहों की स्थिति एक के उपर एक इस क्रम मे थी - पृथ्वी - सूर्य - चन्द्रमा - नक्षत्र - बुध - शुक्र - मंगल - शनि - वृहस्पति। इनमे राहु केतु का नाम नहीं है जो ज्योतिष मे ग्रह है।
- उपरोक्त तर्क/तथ्यों से
स्पष्ट है कि फलित ज्योतिष को किसी ऋषि ने नहीं बनाया था न ही ज्योतिष का अनुसरण
करने को ही कहा है यह भ्रम ज्योतिषीयों द्वारा फैलाया गया है केवल अपने ठगी के
धन्धे के लिए। जिन ऋषियों ने फलित ज्योतिष को न तो बनाया था न ही वह इसका कार्य
करने वालो का समर्थन करते थे उन्ही ऋषियों के नाम पर ज्योतिषीयों द्वारा ठगी का
धन्धा किया जा रहा है व्यक्ति की आस्था श्रद्धा व विश्वास का लाभ उठाकर उनकी
भावनाओं से खेला जा रहा है व्यक्ति कि अज्ञानता के कारण मूर्ख बनाकर लूटा जा रहा
है। ऋषियों ने जिस ज्योतिष को बनाया था वह आज का खगोलशास्त्र है न कि फलित ज्योतिष
इससे ऋषियों का कोई सम्बन्ध नहीं है। फलित ज्योतिष पूर्णतया बोगस है सिद्धांतहीन
है इसका कोई सही वैज्ञानिक आधार नहीं है जिसकी जानकारी इस ग्रुप मे दी जा रही है
आवश्यकता है तो चर्चा को खुले दिमाग से पढ़ते हुए समझने की, अपने खोये आत्मविश्वास को पुनः प्राप्त करने की तभी आप ज्योतिष जैसे
अन्धविश्वास से मुक्त हो सकते है।
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