सबसे पहला महत्वपूर्ण उपाय तो यही है कि आप ज्योतिष के विषय मे जाने और समझे कि ज्योतिष कैसे बोगस है जब यह बात आपकी समझ मे आ जाएगी तो आप कभी भी किसी ज्योतिषी के पास नहीं जाएगें। लेकिन आपके अन्धविश्वासी विचारों के कारण, ज्योतिष बोगस है यह समझने मे आपको इतना समय लग जाएगा कि आपके नाती पोते भी आपकी उम्र के हो जाएगें और हो सकता है शायद तब भी समझ मे न आए लेकिन आज की और आने वाली युवा पीढ़ी अन्धविश्वास से मुक्त हो आत्मविश्वास से भरपूर हो और वह कर्म प्रधान बने इसलिए उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ऊट-पटांग लिखता रहता हूं।

स्वयं पर विश्वास करे और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाए। किसी भी कार्य के होने या न होने के पीछे ग्रह नहीँ है - स्वयं आप ही है अत: कहां कमी रह गई उन कारणों पर विचार करे और दूर करने का प्रयास करे।
अपने अन्दर की जिज्ञासा को जागृत करे तभी कुछ जानने सीखने व समझने की इच्छा उत्पन्न होगी और ज्ञान की प्राप्ति होगी और तभी कुछ नया कर पाएगें।
व्यक्ति का ज्ञान और कर्म ही उसका सच्चा साथी होता है इसलिए अपने ज्ञान को बढ़ाए और योग्यता को निखारें तभी मनवांछित मंजिल मिलेगी।
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए परिश्रम करेँ, लक्ष्य प्राप्ति की दिशा मे ही अग्रसर रहेँ, दिन रात उसी के सपने देखे। जो लक्ष्य तय किया है उसी अनुसार परिश्रम करेगेँ तो सफलता निश्चित है।
कार्य को करने से पहले लक्ष्य की प्राप्ति हेतु आवश्यक उपलब्ध संसाधनो पर अवश्य विचार करें और जिस वस्तु की आवश्यकता हो पहले उनका प्रबन्ध कर ले।
पूर्व जन्म के चक्रव्यूह से बाहर निकले वह बहुत पीछे रह गया और यह केवल कल्पना मात्र है - पुराणो के अनुसार ८४ लाख योनियो के पश्चात मनुष्य योनि मिलती है इतनी समय पहले किए गए कर्मो के लिए आप उतरदायी कैसे हो सकते है।
इस जन्म के कर्म पर विचार करे - कर भी रहेँ है या नहीँ क्योँकि वही है जो आपको पता है और उन के लिए उतरदायी भी आप ही है।
तर्कवादी बने। क्या क्योँ और कैसे इन शब्दो का प्रयोग करना सीखे। किसी भी बात को ऐसे ही सच न माने। स्वयं विचार कर के अच्छी तरह से तथ्य को परख कर ही विश्वास करे फिर कोई भी आपको मूर्ख नहीँ बना पाएगा।
किसी टोटके आदि मे विश्वास करना त्याग दें। नहीँ त्याग सकते है तो एक बार इस बात पर विचार करे कि जिस काम को मनुष्य होकर भी कर नहीँ पाए उसे मसूर दाल, बताशे, रेवङिया, हल्दी, चन्दन किस प्रकार से करेगें।
भविष्य को जान कर उसे बदलने की बजाय, अपने वर्तमान को पहचान कर उसे बेहतर बनाए - भविष्य अपने आप संवर जाएगा।
भविष्य पूर्व निश्चित नहीँ है अनिश्चित है वह कर्म से बनता है और कर्म आपके अपने हाथ मे है अत: कर्म प्रधान बने।
भाग्य को दोष देना बन्द करें। यदि भाग्य मे लिखे लेख के अनुसार ही जीवन चक्र चलित हो, तो कर्म की आवश्यकता ही नहीं होती सब कुछ भाग्य अनुसार अपने आप ही हो जाता।
वर्तमान में जियें एक वही है जो पास है क्योंकि न तो भूतकाल एंव न ही भविष्यकाल पर हमारा नियंत्रण है।
सफलता व असफलता एक ही सीढ़ी के दो छोर है आपको किस छोर से चढ़ना है आपके स्वयं के निर्णय पर निर्भर करता है।
सदैव याद रखेँ कि आपके जन्म के समय आपके साथ उसी क्षण मे २५५ व्यक्ति और भी उत्पन्न हुए है, और ३०२०० व्यक्ति आपकी कुंडली के ग्रह योग लेकर। अतः यह भ्रम मन से निकाल दे कि ग्रहों के कारण आपके साथ ऐसा हो रहा है।
यदि फिर भी आपको लगता है कि नहीं ज्योतिष सही है और ज्योतिषी ही आपका भविष्य बदल सकते है, तो आपको कोई नहीँ समझा सकता है कि आपकी कुंडली मे ३६ प्रकार के राज योग क्योँ न हो, कर्म हर कीमत पर करना ही पड़ेगा इसलिए आपका यह सब पढ़ना बेकार गया। किसी ज्योतिषी के पास जाईए और जो बनना हो उसका योग बनवा कर ले आए और चैन से सो जाए - ग्रह सब कर ही देगें।

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