ज्योतिषी मूर्ख क्यों बनाते है - क्योंकि व्यक्ति मूर्ख बनते है इसलिए। लेकिन व्यक्ति मूर्ख क्यों बनते है - क्योंकि वह दिमाग से काम नहीं करते इसलिए। जैसे कि ज्योतिषी ने कह दिया - अगर ग्रह ज्वार भाटा ला कर समुद्र को प्रभावित कर सकता है तो व्यक्ति को क्यों नहीं। और व्यक्ति भी उसी समय कहते है कि हां बात तो सही है और झट से कुंडली आगे सरकाई दो चार टुल्लेबाजी सुनी जेब ढीली की और खुशी से घर आकर अगने दिन फिर किसी ज्योतिषी की तलाश करेगें ठगे जाने के लिए। व्यक्ति इस पर तो विचार करने से रहे कि चन्द्रमा के कारण ज्वार भाटा आता है तो वह उसकी गुरुत्व बल के कारण आता है जो भविष्य तो नहीं बना सकता पर व्यक्ति को मूर्ख तो बन ही सकता है।
अगला ज्योतिषी कह देगा कि जब चन्द्रमा पूर्णिमा और अमावस्या को पागल कर सकता है तो और कार्य क्यों नहीं। जैसे और दिन व्यक्ति नहीं होते हो ! यदि चन्द्रमा पागल कर सकता तो सभी को क्यों नही, क्या चन्द्रमा व्यक्ति को चुन-चुन कर पागल करता है ! तो भविष्य भी पूर्णिमा और अमावस्या को ही बनना चाहिए - इन दो दिन व्यक्ति चन्द्रमा को प्रसन्न करने के लिए क्या नहीं करते जिस से प्रसन्न होकर चन्द्रमा को अच्छा भविष्य ही बनाना चाहिए, पूर्णिमा से भविष्य तो नहीं व्यक्ति मूर्ख अवश्य ही बन जाते है।
फिर तीसरा ज्योतिषी कह देगा कि जब सूर्य की किरणे पृथ्वी तक आ सकती है, तो उसका प्रभाव भी पङता है। अब सूर्य की किरणे तो प्लूटो तक भी जाती है और पृथ्वी पर समान रुप से पङ रही है उस से किसी का भविष्य तो नहीं बन सकता न ही ऐसा ही होता है कि जिसका सूर्य उच्च राशि मे हो उसे गर्मी नहीं लगती और जिसका नीच राशि मे हो उसे सदैव ठंड ही लगती है। और बरसात मे बादलो के होने से सूर्य का शुभ अशुभ प्रभाव भी रुक जाना चाहिए. परन्तु व्यक्ति इन बातो पर क्यों विचार करने लगे - उन्हे तो मूर्ख बनना है।
चौथा ज्योतिषी थोङा ज्यादा पढ़ा लिखा हुआ तो कहेगा कि ग्रहो की चुम्बकीय शक्ति से प्रभाव पङता है। व्यक्ति भी हां मे हां मिलाते देर नहीं करते, चाहे बच्चे रोज घर मे किसी खिलौने जिसमे चुम्बक लगा हो से खेलते हो पर आए ही मूर्ख बनने है तो क्यों विचार करने लगे कि चुम्बकीय शक्ति से भविष्य बनता तो हर व्यक्ति स्वयं ही अपने घर मे बना लेता - जब चाहे किसी अशुभ प्रभाव देने वाले ग्रह की चुम्बकीय शक्ति कम कर लेते और शुभ ग्रह की अधिक, इतना आसान तो है भविष्य बनाना नहीं - मूर्ख बनना।
पांचवा ज्योतिषी डिग्री धारी हुआ तो कह देगा ग्रहो की विकिरणो से प्रभाव पङता है। जब्कि ग्रहो की विकिरणे - जो मूर्ख बनाने के लिए ही निकलती है - से ज्यादा तो पृथ्वी पर मौजूद वस्तुओ से कहीं ज्यादा निकलती है। इस तरह से मोबाईल से ही भविष्य बन जाता - अशुभ ग्रह को शुभ करने का app, साढे साती, कालसर्प दोष मांगलिक दोष समाप्ति app आदि - जो कुछ समय बाद उपलब्ध भी हो सकते है व्यक्ति की मूर्ख बनने की बढ़ती क्षमता को देखते हुए - से ही भविष्य बन जाएगा बस जैसा भविष्य चाहिएउसका app install करो और हो गया - विकिरणो से मूर्ख बनना।
छठा ज्योतिषी बहुत बङा होगा क्योंकि अब इतने ज्योतिषीयो के द्वारा मूर्ख बनाए जानेसे भी सन्तुष्टि नहीं मिली होती है इसलिए मोटी फीस लेने वाले ठग ही एकमात्र विकल्प होता है। वह कह देगा कि ग्रह प्रभाव नहीं डालते बल्कि भविष्य मे होने वाली घटनाओ की जानकारी देते है। जैसे कि वह जानकारी ज्योतिषी जी के पास ही सुरक्षित रखी हो अथवावही उस जानकारी को कुंडली से देखकर बता सकतेहो। व्यक्ति भी कुछ देर मे ही फैसला कर लेते है कि हां ऐसा हो सकता है क्योंकि बङे ज्योतिषी जी कह रहे है। घटनाओ की जानकारी मिले न मिले परन्तु ज्योतिषी को यह जानकारी अवश्य मिल जाती है कि व्यक्ति कितना बङा मूर्ख है इतने ज्योतिषीयो द्वारा ठगे जाने के पश्चात भी उसके पास आ गया है, इसलिए अपने बङे नाम के मुताबिक ठगा जाता है।
यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक भविष्य वर्तमान से होते हुए इतिहास नहीं बन जाता है। परन्तु व्यक्ति को तब भी भविष्य पता नहीं चलता है वह कभी भी अपने इतिहास पर एक क्षण के लिए भी विचार नहीं करते है कि भविष्य जानने के चक्कर मे उन्होने क्या गवां दिया। जो भविष्य व्यक्ति के स्वयं के हाथ मे था वर्तमान के रुप मे, अपने आत्मविश्वास शिक्षा और पुरुषार्थ से उज्ज्वल हो सकता था, आज इतिहास बनकर व्यक्तिके सामने उसकी कर्महीनता और भाग्यवादी विचार पर कटाक्ष कर रहा है। - भविष्य की जानकारी तो नहीं मिलती परन्तु व्यक्ति अपने दिमाग का कितना इस्तेमाल करते है इसकी जानकारी मिल ही जाएगी पोस्ट को पढ़ते ही अगर - वही अक्कल का...

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