ज्योतिषीयो के पास केवल वही व्यक्ति जाते है जो कर्महीन है - पुरुषार्थ नहीं करना चाहते है, जिनमे आत्मविश्वास की कमी है और जो भाग्यवादी है सब कुछ ग्रहो से करने और पाने की आस लिए होते है और सबसे बङी बात कि वह अन्धविश्वासी है। कुछ व्यक्ति इतने अन्धविश्वासी होते है कि छींक भी आ जाए तो अथवा कौवे की कांव-कांव सुनाई दे तो उससे उत्पन्न होने वाले बुरे प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिषी के पास पहुंच जाते है। बिना इस पर विचार किए कि छींक आने से, कौवे की कांव कांव से कैसे कुछ बुरा हो जाएगा। जब्कि छींक आना शरीर की एक प्रक्रिया है और किसी पक्षी के चहचहाने से कुछ बुरा हो जाने की कल्पना करना भी मूर्खता है। कुछ व्यक्ति इतने अन्धविश्वासी तो नहीं होते कि छींक आने से विचलित हो जाएं परन्तु परिस्थितियो का इच्छानुसार न होना उन्हे अन्धविश्वासी बना देता है। हर तरह से प्रयत्न करके विफल रहने के पश्चात उन्हे यह लगने लगता है कि उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है वह ग्रहो के कारण ही हो रहा है। इसका सबसे बङा कारण होता है किसी चिर परिचित अन्धविश्वासी व्यक्ति के सम्पर्क मे आ कर उसकी बातो को बिना सोचे समझे मान लेना। ऐसे व्यक्ति स्वयं तो ग्रहो के भरोसे बैठे रहते है दूसरो को भी अपने जैसा बनाने मे कोई कसर नहीं रखते है।
चोर डकैत जेबकतरे आपको कभी भी किसी ज्योतिषी के पास बैठे हुए नहीं मिलेगें। वह ग्रहो से अधिक अपनी चोरी डकैती मे प्राप्त की हुई शिक्षा व हुनर पर विश्वास करते है जिसका वह पूर्ण आत्मविश्वास के साथ प्रयोग करते हुए अपने लक्ष्य मे सफल रहते है। पहले वह अपनी चोरी मे प्राप्त की शिक्षा से अपने कौशल को परिपक्व करते है उसके पश्चात माहिर व शातिर बन जाते है। वह माहिर और शातिर इसलिए होते है क्योंकि उनका लक्ष्य केन्द्रित होता है जिसकी प्राप्ति के लिए वह कर्म करते है न कि ग्रहो के भरोसे बैठे रहते है। वर्षो के "परिश्रम" के बाद चोर/जेबकतरे इतनी दक्षता व कार्यकुशलता प्राप्त कर लेते है कि दिन मे ही अपने कार्य को सफलतापूर्वक अन्जाम दे देते है। जब आप ज्योतिषीयो के पास बैठकर धन योग बनवा रहे होते है तो वह आपके घर मे हाथ साफ कर आपको कंगाल बना रहे होते है - वह भी बिना किसी ग्रह दोष व बाधा के - जिसकी जानकारी आपको घर आकर ही मिलती है - ज्योतिषी तो बताने से रहा। अब अगर आप यह सोच रहे है कि पकङे भी तो जाते है तो वह अपनी किसी गलती के कारण न कि ग्रहो की वजह से - अगर ग्रहो की वजह से पकङे जाते तो- जिस समय वह पैदा हुआ था उन दो घंटो मे पैदा हुए सभी चोर एक ही समय पर पकङ लिए जाते - आखिर पकङे जाने का योग तो सभी की कुंडली मे बनता। चोर जेबकतरे अपने परिश्रम (उनके लिए तो परिश्रम है कोई ऐसे ही तो हाथ मे आकर नहीं दे जाता) से अपनी कुंडली मे धन योग बना रहे होते है और आप ग्रहो के भरोसे रहकर। कुछ ही समय मे वह मालामाल हो जाते है और आप कंगाल - उनसे जो बच गया वो ज्योतिषी को देकर आते है - यह लो भाई अपना हफ्ता।
कल्पना करे कि अगर ज्योतिषी भविष्य बता सकते तो सारे चोर डकैत ज्योतिषीयो के पास जाकर पता लगा लेते कि किस दिशा किस मोहल्ले और घर मे उन्हे खूब माल मिलेगा और कहां पुलिस नहीं आएगी यदि आ गई - और टोटके काम करते - तो किसी टोटके से वह साफ बच निकलते। और तब आप भी धन योग बनाने की बजाय धन बचा योग, चोरी न हो योग बनवा कर ज्योतिषी से प्रश्न कर रहे होते कि आज मेरे घर मे चोरी का योग तो नहीं है। ऐसे मे पुलिस वालों की कुंडली मे भी उनको पकङने का योग होता और वह भी कोई टोटका कर रहे होते उन्हे पकङने का। साथ मे आप भी जिससे आपके घर मे चोरी न हो, तब किसके ग्रह योग और टोटके काम करते - चोर, पुलिस, अथवा आप के। ज्योतिष से भविष्य जानकर टोटके से बदला जा सकता तो चोर अपने पकङे जाने की हर सम्भावना को ही समाप्त कर देते - ऐसे मे पुलिस वाले जिन्होने उसे पकङना था - वह वकील जिन्होने उसका मुकदमा लङना था - वह जज जिसने उसे सजा सुनानी थी - वह जेल जहां उसे रखा जाना था वहां के कर्मचारी आदि - सभी का भविष्य बदल जाता चोर द्वारा टोटका कर अपना भविष्य बदल देने से। स्पष्ट है कि व्यक्ति का भविष्य केवल उसी का नहीं होकर उसके परिवार मित्र रिश्ते नातो व समाज के विभिन्न हिस्से से जुङा होता है। जिसमे एक क्षण का भी बदलाव सभी को प्रभावित करेगा व सभी के भविष्य मे उनके बिना कुछ किए ही बदलाव हो जाए यह संभव ही नहीं है जिसे समझने की आवश्यकता है। परन्तु शिक्षित होने के पश्चात भी बहुत कम व्यक्तियों की बुद्धि इतनी विकसित हो पाती है कि इन बातो को समझ सके कि ग्रह हमारे वर्तमान भविष्य को प्रभावित नहीं करते है न ही वह इसके लिए बने है। इतनी अक्कल हो तब तो व्यक्ति विचार करे भी जब दिमाग पर अन्धविश्वास की पट्टी बन्धी हुई हो तो किया ही क्या जा सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

 
Top