भविष्य को बदलने के लिए पहले व्यक्ति को अपने भविष्य का ज्ञान होना आवश्यक है तभी उसे बदल पाएगें जिस प्रकार मरीज की बीमारी के कारण को बिना जाने इलाज नहीं किया जा सकता है उसी प्रकार भविष्य बदलने के लिए पहले उसका ज्ञात होना आवश्यक है उसके बाद ही उसमे किसी तरह का फेरबदल किया जा सकता है परन्तु भविष्य को तभी जाना जा सकता है जब वह पूर्वनिश्चित हो और उसे जानने की कोई प्रमाणिक तकनीक/तरीका भी उपलब्ध हो। प्रत्येक व्यक्ति को यही लगता है कि भविष्य लिखा जा चुका है पूर्वजन्म के कर्मो के आधार पर ही इस जन्म का भविष्य निर्धारित हो चुका है और ज्योतिष उस भविष्य को बता सकता है इसीलिए आप ज्योतिषी के पास जाते है और जो बात उन्हे पसन्द नहीं आती है वह टोटके करके बदल लेते है यह विचार किए बिना कि पूर्वनिश्चित भविष्य को कैसे बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए आपके भविष्य मे डाकटर बनना लिखा था लेकिन आप बनना चाहते है इन्जीनीयर और उसके लिए आपने ज्योतिषी का बताया कोई टोटका किया और इन्जीनीयर बन गए। परन्तु आपने कभी यह विचार किया है कि आपका भविष्य जो एक डाक्टर के रुप मे कार्य करने के लिए लिखा गया था उसका क्या होगा/हुआ! वह मरीज जो आपके द्वारा किए गए ईलाज से ठीक होने थे उन सबका क्या होगा हो सकता था कि आप एक बहुत बङे डाकटर बनते और कुछ नया करते अथवा किसी बीमारी का ईलाज ही खोज कर लेते जिससे दुनिया को एक महान डाक्टर मिलता। अब उन लाखो मरीजो का भविष्य तो फिर से लिखना पङेगा जो आपके पास अपना ईलाज करवाकर ठीक होने थे साथ ही अनेक अन्य डाक्टरो का भविष्य भी बदलना पङेगा। आपके द्वारा भविष्य बदलने से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए अन्य डाक्टरो के भविष्य मे तबदीली करनी होगी जिस से उन लाखो मरीजो को उचित ईलाज मिल सके - हो सकता है उनको होने वाली बीमारियां जो लिखी जा चुकी थी उनमे भी फेर बदल करना पङे क्योंकि यह आवश्यक तो नहीं कि कोई और डाक्टर भी आपके जितना ही विशेषज्ञ हो और मरीजो के भविष्य मे ठीक होना लिखा हो - उन्हे तो ठीक करना ही पङेगा ! आपके भविष्य बदलने से उन्हे मारा नहीं जा सकता है। एक व्यक्ति द्वारा भविष्य बदलने से इतना व्यापक असर पङा तो विचार करे कि करोङो की संख्या मे भविष्य बदलने से क्या स्थिति होगी जिसकी कल्पना तो की ही जा सकती है ऐसे ही आप अपने साथ होने वाली किसी भी घटना को टालने/बदलने से असंख्य व्यक्तियों के भविष्य मे उलट फेर कर देगें वह भी उनके द्वारा बिना कुछ किए ही। यह बात हुई भविष्य बदलने के दूरगामी परिणाम की परन्तु रोजमर्रा का भविष्य जिसे आप बदलने का प्रयास करते ही रहते है उस पर भी कभी विचार करे यदि वह वास्तव मे हर क्षण बदलता रहे तो कैसी स्थिति होगी।
जन्म कुंडली मे ग्रह तो प्रारब्ध/पूर्व जन्म के कर्म अनुसार जन्म लेते ही स्पष्ट हो गए कुंडली मे उनकी स्थिति को किसी भी सूरत मे नहीं बदला जा सकता है ऐसे मे यह प्रश्न भी उत्पन्न होता है कि जो भविष्य पूर्वजन्म के कर्म अनुसार निश्चित हो चुका है उसे किसी टोटके/यन्त्र/मन्त्र/रत्न आदि से किस प्रकार बदला जा सकता है। ग्रह यदि किसी भाव मे अशुभ फल दे रहा है तो वह पूर्व जन्म के कर्म के अनुसार ही दे रहा है उसमे उस ग्रह का क्या दोष ! फिर वह टोटके यन्त्र रत्न आदि से प्रसन्न होकर शुभ फल कैसे दे सकता है जब वह उसके हाथ मे है ही नहीं। एक क्षण के लिए यह मान भी लिया जाए कि टोटके करने से ग्रह शुभ फल देने लगते है तो उसके लिए उन्हे पहले आपके पूर्व जन्म के कर्म को बदलना पङेगा जब कर्म बदलेगा तो उस से इस जन्म के फल मे बदलाव स्वत ही हो जायेगा जो कि एक नामुमकिन कार्य है। व्यक्ति अपने एक क्षण पहले के व्यतीत हो चुके समय को नहीं बदल सकते है पूर्व जन्म मे तो दूर की बात है। परन्तु व्यक्ति को सन्तुष्टि नहीं होती है इसलिए वह अपने हर क्षण को बगैर कर्म किए ही किसी टोटके से बदल कर अपनी इच्छानुसार फल की प्राप्ति चाहते है जिसके लिए वह ऐसे ज्योतिषीयो के पास कतार मे खङे होते है जिनका भविष्य नागवेष्ट नर्क मे बैठा उनका इन्तजार कर रहा है क्योंकि वह ऋषियों द्वारा बताए गए मार्ग व शास्त्रो के विरुद्ध कार्य कर रहे है।
ज्योतिषी ने कह दिया कि फलाणा ग्रह कुंडली मे सही स्थिति मे नहीं है और अशुभ फल दे रहा है तो आव देखा न ताव लग गए किसी टोटके से पृथ्वी से करोङो कि.मी दूर स्थित उस ग्रह की स्थिति सही करने जिससे वह शुभ फल देकर जीवन सुखी कर दे। कोई ग्रह यदि किसी भाव/नीच राशि मे स्थित होकर अशुभ फल दे रहा है तो टोटका करने से वह वहीं पर उसी भाव/नीच राशि मे स्थित होते हुए शुभ फल कैसे दे देगा - यह तो ज्योतिष के सिद्धांतो के विपरीत हुआ जिससे सिद्धांत गलत हुआ और ज्योतिष बोगस। ज्योतिष का सिद्धांत जो होने को कह रहा था वही नहीं हुआ अथवा किसी टोटके से बदल दिया गया, तो सिद्धांत बोगस सिद्ध होता है और बोगस सिद्धांत से सही भाविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। अतः जो भविष्यवाणी की जाती है वह टुल्लेबाजी होती है यदि संयोग से सही निकल आए या मान ली जाए तो ग्राहक पक्का हो गया और सही न होने पर टोटके के कार्य करने को बताकर व्यक्ति को मानसिक रुप से इस कदर विक्षिप्त कर दिया जाता है कि आजीवन टोटके कर "पूर्वनिश्चित" भविष्य को बदलने मे लगे रहते है। यह विडंबना ही है कि व्यक्ति पूर्व जन्म के "कर्म" पर आधारित इस जन्म के भविष्य को टोटको से बदलने मे लगे रहते है - इसे मूर्खता/अज्ञानता अथवा अन्य कुछ कहा जाए यह आप ही विचार करें। क्या कभी आपके मन मे यह विचार नहीं आया कि पूर्व जन्म के कर्म तो हो चुके और उन्ही कर्म अनुसार इस जन्म का भविष्य भी बन चुका तो अब किसी टोटके से उसे कैसे बदला जा सकता है। और सबसे बङी बात कि जब पूर्व जन्म मे किए गए कर्म के अनुसार इस जन्म मे फल मिलता है तो इस जन्म मे आप कर्म की बजाय टोटके कर रहें है फिर अगले जन्म के लिए कौन से कर्म का फल मिलेगा जब वर्तमान मे कर्म ही नहीं किया सिवाय ज्योतिषीयो के दरबार मे भविष्य दिखाने के व टोटको द्वारा उसे बदलने के। यह बेहद हास्यास्पद है कि "व्यक्ति पूर्व जन्म के कर्म को इस जन्म मे महत्व देते है और इस जन्म मे कर्म के महत्व को नकार कर टोटको को" पूर्व जन्म के कर्मो का रोना रो कर, इस जन्म को टोटके करके बर्बाद कर देगें परन्तु अपनी अक्कल नहीं लगाएगें - शायद उसे अगले जन्म के लिए रखा हुआ हो। शिक्षित होते हुए भी व्यक्ति की मूर्ख बनने की क्षमता बढ़ती जा रही है वैसे ही ज्योतिषी भी हाईटेक होते जा रहें है और नित नये टोटके बनाते जा रहें है अब ऐसा कोई कार्य नहीं जिसका टोटका उपलब्ध न हो और एक ही कार्य के अनेक टोटके है जो आप अपने दिमाग से काम न लेने के कारण प्रत्येक टोटके को आजमाते रहते है फलस्वरुप हमारा जीवन कर्मप्रधान न होकर टोटका प्रधान बन गया वह भी ऐसे टोटके जिनका किसी ज्योतिष की किताब मे उल्लेख ही नहीं है।
भविष्य जानने की जिज्ञासा और उसे बदल कर मनोवांछित करने की इच्छा ने ही ज्योतिषीयो के ठगी के धन्धे को चार चांद लगा दिए। प्रत्येक व्यक्ति अपने भविष्य को जानने व जानकर उसे बदलने मे लगा रहता है और इसी के चलते प्राय व्यक्ति दो विपरीत बातो का अनुसरण करते देखे गए है इसीलिए ज्योतिषी उन्हे मूर्ख बनाकर ठगी का धन्धा करते है। एक ओर कहेगें कि जो होना है वह होकर रहेगा और दूसरी ओर जो होकर ही रहेगा उसे बदलने का प्रयास करते रहते है यदि पूर्वनिश्चित भविष्य मे डाक्टर बनना लिखा है तो बनकर रहेगें - बनने से कौन रोक सकता है। इसी तरह यदि गरीबी दुख तकलीफें कष्ट सहना ही लिखा है तो किसी ज्योतिषी, ग्रह अथवा टोटके की क्या बिसात जो ब्रम्हा जी द्वारा लिखित भविष्य को बदल दे। दर असल व्यक्ति अन्धविश्वास के साथ अक्कल के मारे है एक ओर तो भविष्य को ब्रम्हलिखित कहेगें जिसे कोई नहीं जान सकता है तो दूसरी ओर उसी ब्रम्हलिखित भविष्य को जानने के लिए ज्योतिषीयो के पास जाएगें। इतनी अक्कल कौन लगाए कि ब्रम्हा जी के द्वारा लिखे हुए भविष्य को ज्योतिषी कैसे जान सकते है - क्या ब्रम्हा जी इतने मूर्ख है कि पहले व्यक्ति का भविष्य लिखेगें फिर उसे ज्योतिषीयो को बताएगें ताकि ज्योतिषी उसे बदल कर ब्रम्हा जी को फिर से नया भविष्य लिखना पङे। जब्कि ब्रम्हा जी ने यह बात कहीं पर भी नहीं लिखी/कही है कि मेरे द्वारा लिखित भविष्य को ज्योतिषी जानकर बता सकते है व जिसे टोटके द्वारा बदला जा सकता है इसलिए व्यक्ति को कर्म करने की कोई आवश्यकता नहीं है कुंडली बनवाकर ज्योतिषीयो के पास जाकर मनोवांछित भविष्य की प्राप्ति हो जाएगी। ज्योतिषी स्वयं ही यह कहते है कि भविष्य को ब्रम्हा जी के अतिरिक्त कोई नहीं बता सकता है अर्थात ज्योतिषी परोक्ष रुप से यह स्वीकार कर रहें है कि ज्योतिष बोगस है और वह भविष्य बखान के नाम पर ठगी का धन्धा कर रहें है। जब भविष्य को स्वयं ब्रम्हा जी के सिवाय कोई जान ही नहीं सकता है, तो ज्योतिषी भी कैसे जान सकते है और बिना जाने बता भी नहीं सकते है इसलिए फलित ज्योतिष - भविष्य बताने वाली विद्या - बोगस हुई जो ठगी का धन्धा मात्र है और भविष्य निश्चित नहीं अनिश्चित है जिसे व्यक्ति अपने कर्म से सुनिश्चित कर सकते है।

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