ठग(ज्योतिषी) :- त्राहि माम... त्राहि माम... भगवन त्राहि माम..!
भगवान :- क्या है! क्योँ शोर मचा रहे हो ?
ठग :- भगवन ! पृथ्वी पर कुछ मनुष्य आपकी बनाई ज्योतिष विद्या को गलत कह रहे है, इसे ठग विद्या कह रहेँ है और हमेँ ठग !
भगवान :- अरे मूर्खो ! मैनेँ कब यह ज्योतिष बनाई ? मुझे क्योँ नाहक ही इस से जोङ रहे हो !
ठग :- भगवन अब तो आपका ही सहारा है ! सारे प्रयत्न कर के देख लिए, ज्योतिष को सही साबित करने मेँ पर कोई भी तर्क उपाय काम नहीँ कर रहा अब आप ही कुछ कीजिए भगवन, नहीँ तो एक दिन हम सबकी ठगी की दुकाने बन्द हो जाएगी !
भगवान :-  हैलो..हैलो..हैलो.. तुम लोगो की आवाज नहीँ आ रही हैलो...हैलो...हैलो...!!

एक वैज्ञानिक जज से -
वैज्ञानिक - सर मैनें एक ऐसी मशीन बनाई है जो किसी के झूठ को भी पकङ सकती है और व्यक्ति के झूठ बोलते ही अपने आप बज उठती है।
जज - शाबाश ! बहुत अच्छा अब बदमाशों की खैर नहीं।
अगले दिन मशीन अपने आप ही बज उठी और रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी परेशान होकर जज ने वैज्ञानिक को फोन किया -
जज - अरे तुमने यह कैसी मशीन बना दी है सुबह से अपने आप ही बज रही है रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।
वैज्ञानिक - सर आपको पङोस मे कोई कोई ज्योतिषी भविष्यवाणी कर रहा होगा।

मोटू और पतलू प्रलय मे बच मे गए और अन्य बचे हुए व्यक्तियों को बचा रहे थे तो एक व्यक्ति की आवाज सुनाई दी जो दबा हुआ था। दोनो ने उसे बाहर निकाला और पूछा भाई तुम कौन हो ? व्यक्ति ने कहा मैं ज्योतिषी हूं - इतना कहते ही मोटू ने उसे फिर से मिट्टी मे वापिस दबा दिया। इस पर पतलू ने पूछा जब दबाना ही था तो बचाया ही क्यों ? मोटू - अगर मुझे पता होता यह ज्योतिषी है तो बचाता ही न।

मक्खन सिंह - मैं ज्योतिषी से मिलकर आ रहा हूं।
धमाका प्रसाद - क्या कहा ज्योतिषी ने !
मक्खन सिंह - यही कि उसकी ग्रह दशा ठीक नहीं चल रही है।
धमाका प्रसाद - क्या !!! ज्योतिषीयो की ग्रह भी खराब होते है !
मक्खन सिंह - हां होते है सनत जैन की किताब का नाम सुनते ही।

एक व्यक्ति ज्योतिषी से -
व्यक्ति - पंडित जी मेरे तीन विवाह हुए और तीनो ही बार मेरी पत्नी भाग गई। मेरा चौथा विवाह कब होगा ?
ज्योतिषी - आप बहुत खुशकिस्मत है।
व्यक्ति - चौथा विवाह होगा इसलिए !
ज्योतिषी - नहीं पहली तीनो भाग गई इसलिए।

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