- आज मेरा
जन्म हुआ है और सभी इस बात से बहुत प्रसन्न है और मैं एक पालने मे पङा हुआ हूं।
मेरे माता पिता व अन्य मेरे जन्म के समय की पूछताछ कर रहें है लेकिन अभी तक मुझे
किसी ने देखा नहीं है क्योंकि मेरे मात पिता दादा दादी व अन्य एक मिडिल पास
ज्योतिषी से मुझे देखे जाने के लिए हरी झंडी मिलने का इन्तजार कर रहें है उसी की
कही अनुसार वही व्यक्ति मुझे देखेगें जिन्हे ज्योतिषी ने कहा है।
- अभी मे शिशु ही हूं इसलिए अपने नाम का
चुनाव स्वयं नहीं कर सकता इसलिए अपने माता पिता पर निर्भर हूं और मेरे माता पिता
दोनो शिक्षित है सब कुछ जानते है उम्मीद है वह अपनी इच्छानुसार एक अच्छा सा नाम
रखेगें लेकिन अफसोस कि वह मेरा नाम भी स्वयं नहीं रख सकते है इसके लिए भी उन्हे
मुश्किल से मिडिल पास ज्योतिषी की आवश्यकता पङती है जो अक्षर ज्योतिषी बताएगा उसी
अक्षर से नाम रखना पङेगा किसी को पसन्द हो न हो।
- आज मेरा अन्न खाने का पहला दिन है मैं
चाहता हूं कि मुझे कुछ अच्छा सा स्वादिष्ट पकवान खाने को मिलेगा लेकिन अभी यह बात
बोल नहीं सकता हूं तो माता पिता से ही ऐसी उम्मीद कर कर रहां हूं लेकिन आपको क्या
बताऊं मेरे अन्न खाने का दिन भी उसी ज्योतिषी ने निकाला और खाने मे लौकी की सब्जी
मिली क्योंकि एक मिडिल पास ज्योतिषी ने मेरे उच्च शिक्षित माता पिता से ऐसा करने
को कहा था पर मैं खुश हूं कि ज्योतिषी ने करेले की सब्जी खिलाने को नहीं कहा।
- अब मैं बङा हो गया हूं और स्कूल जाने लगा
हूं और स्कूल जाने का दिन भी उसी मिडिल पास ज्योतिषी ने बताया और कौन से विषय रखे
जाएं इसकी सलाह भी एक मिडिल पास ज्योतिषी ने दी। कालेज की पढाई मे क्या विषय लिए
जाएं इसके मुझे स्वयं की रुचि व ज्योतिषी की सलाह के बीच संघर्ष करना पङा बरहाल
मैंने ऐसे विषय चुने जिसमे भविष्य की दृष्टि से अच्छी सम्भावना हो।
- शिक्षा तो जैसे तैसे पूरी हो गई अब
अत्यधिक प्रतियोगिता व अन्य कारको के कारण नौकरी नहीं मिल रही है तो उस मिडिल पास
ज्योतिषी द्वारा बताए गए टोटके कर रहा हूं जिसके कि नौकरी मिल जाए चूंकि मेरे उच्च
शिक्षित माता पिता ने मुझे अन्धविश्वासी बनाने मे कोई कमी नहीं रखी इसलिए मैं
स्वयं न चाहते हुए भी उन्ही के नक्शे कदम पर चलने के लिए विवश कर दिया गया हूं और
नौकरी पाने के लिए उस ज्योतिषी के बताए टोटके कर रहा हूं जिसे स्वयं नौकरी नहीं
मिली।
- अब मेरी विवाह की आयु हो चुकी है और माता
पिता व अन्य रिश्तेदार इसके बारे मे कानाफूसी कर रहें है। पर आपको बता दूं कि मैं
एक लङकी से प्रेम करता हूं और उसी से विवाह करना चाहता हूं लेकिन वह मिडिल पास
ज्योतिषी ऐसा होने नहीं दे रहा है क्योंकि हमारी कुंडली नहीं मिलती है मैं तो इन
बातों को नहीं मानता लेकिन माता पिता के सम्मान स्वरुप मुझे उनकी हर आज्ञा का पालन
करना पङता है परन्तु इस बात पर विचार अवश्य करता हूं कि क्या एक मिडिल पास
ज्योतिषी मे मेरे जीवन के प्रत्येक निर्णय लेगा ? जब्कि मैं
और मेरा परिवार उस से कहीं अधिक शिक्षित है।
- तो अब विवाह भी हो गया और माता पिता की
इच्छानुसार 32 गुण मिलने वाली लङकी से हुआ लेकिन हम दोनो
बिल्कुल विपरीत विचारों के है दोनो मे बिल्कुल नहीं बनती है आए दिन लङाई झगङा होता
रहता है जिस से परेशान होकर फिर से उसी मिडिल पास ज्योतिषी के चक्कर लगाए जाए रहें
है जिसकी लङकी का तलाक हो गया है और मेरा न हो उसके लिए उसने कुछ टोटके बताए है
कभी शनि खराब तो कभी राहु बस इसी तरह से टोटके पर टोटके किए जा रहें है लेकिन
नतीजा शून्य।
- इतना कुछ होने के बाद अब भी उसी मिडिल
पास ज्योतिषी के द्वार पर जाना बन्द नहीं हुआ है अपना जीवन तो जैसे कट रहा है अपने
बच्चों के भविष्य की चिन्ता ने एक ऐसे ज्योतिषी के द्वार पर लाकर खङा किया है जो
अपना भविष्य भी नहीं जानता है परन्तु मैं भी सदियों से चली आ रही परम्परा को
निभाने पर मजबूर हूं क्योंकि मेरे उच्च शिक्षित माता पिता द्वारा उसी परम्परा का
निर्वहन किया जाता रहा और मेरी परवरिश उसी माहौल मे हुई तो मुझे एक शिक्षित
व्यक्ति की तरह अपनी बुद्धि व ज्ञान का प्रयोग करना नहीं आया। मुझसे कभी किसी ने
कहा ही नहीं कि अपनी शिक्षा ज्ञान बुद्धि व विवेक का प्रयोग करना चाहिए। अब
आत्मविश्वास की कमी के कारण मैं कोई भी निर्णय लेने मे असमर्थ हूं उसके लिए मुझे
मुझे एक मिडिल पास ज्योतिषी की आवश्यकता होती है मेरे माता पिता ने मुझे ऐसा करना
सिखाया उन्होने मुझे ज्योतिषी का द्वार दिखाया जिसने ग्रहों और टोटको पर आश्रित
रहना सिखाया। इसलिए अब भी किसी मिडिल पास ज्योतिषी की तलाश करता रहता हूं जो सही
भविष्य बता दे जिससे जीवन सुखी हो जाए इसलिए मैं अपना व अपने बच्चों का भविष्य
जानकर टोटके से पृथ्वी से करोङों कि.मी. दूर ग्रहों को प्रसन्न कर सुखी जीवन के
लिए फिर से वही क्रम दोहरा रहा हूं जो पूर्वजो के अज्ञान स्वरुप मुझे विरासत मे
मिला है और मैं बिना अपनी बुद्धि का प्रयोग किए उसी परम्परा का निर्वहन कर
अन्धविश्वास की डोर को और अधिक मजबूत कर रहा हूं, यही है
मेरी - मूर्खता की पराकष्ठा।
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