नवमे च यदा सूर्यः स्वगृहस्थो यदा भवेत्। तस्य नो जीवति भ्राता एको§पि च नृपैः सम।। गर्गहोराशास्त्र - 1/24
अर्थ - स्वराशि सूर्य यदि नौवें भाव मे स्थित हो तो जातक राजा होता है लेकिन जातक का भाई जीवित नहीं रहता है।

विश्लेषण - फलित ज्योतिष मे सूर्य सिंह राशि का स्वामी है जो उसकी स्वराशि हुई। 17 अगस्त से 16 सितम्बर तक सूर्य सिंह राशि मे रहता है इस एक महीने के समय मे (प्रत्येक) दिन मे 2 घंटे के लिए नौवें भाव मे भी आता है। जब सिंह राशि का सूर्य नौवें भाव मे होगा तो उस समय धनु लगन होगा जिसका अर्थ हुआ कि 17 अगस्त से 16 सितम्बर तक धनु लग्न मे उत्पन सभी व्यक्ति राजा बनेगें (कोई भी मन्त्री या सन्तरी नहीं बनेगा) और उनके भाई जीवित नहीं रहेंगे - अब यह कैसे सम्भव है यह तो ज्योतिषी ही बतायेगें, मेरा कार्य तो आपको, सिद्धांत कैसे बोगस है, यह बताना है जो बता दिया गया है। लेकिन अनेक ज्योतिषी है जो आए दिन ज्योतिष के सिद्धांतो को व्यवहारिक रूप से सही कहते रहते है तो उनके लिए उपरोक्त सिद्धांत की व्यवहारिक सत्यता पर एक प्रश्न पूछा जा रहा है उम्मीद है कि कोई भी ज्योतिषी इसका उत्तर देने का साहस नहीं करेगा और अपने किसी बेअक्कल प्यादे को आगे कर स्वयं परदे के पीछे रहकर तमाशा देखते रहेंगे - क्योंकि अब तक यही होता आया है।


प्रश्न है - किसी दम्पति के पहली पुत्र सन्तान उपरोक्त ग्रह योग के साथ पैदा हो जाती है - अब जाहिर है कि सूर्य को सिद्धांत अनुसार कार्य करने के लिए एक और पुत्र को पैदा करना पडेगा - तो उस दम्पति के दूसरी सन्तान भी पुत्र ही होती है लेकिन उपरोक्त सिद्धांत अनुसार वही ग्रह योग लेकर जो पहले पुत्र की कुंडली मे है - तो बताओ दोनो मे से कौन सा मरेगा और कौन सा राजा बनेगा ? सूर्य इस बात का निर्णय कैसे करेगा कि किस पुत्र को मारना है और कौन से पुत्र को राजा बनाना है। इसे जुडवा बच्चो के सन्दर्भ मे भी देखा जा सकता है जिनकी कुंडली एक जैसी ही होती है।

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  1. Sir you are right aap jese logo ki hi jarurat ha is samaj ko......
    Sab churanpanti h .........sab soch or beleive pe nirbhar h ki hum apni life me kya krenge

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