ज्योतिष पर विश्वासी सामाजिक वर्ग को यही लगता है कि ज्योतिष सही है क्योंकि सदियों से वह एक ही बात सुनते आये है कि ज्योतिष सही है, एक विज्ञान है, ऋषि मुनियों की देन है आदि, उन्हें लगता है कि जो लोग ज्योतिष की आलोचना कर रहे हैं ज्योतिष को बोगस कह रहे है वह गलत है। ज्योतिष तो ज्ञान का सागर है जिस ज्योतिषी ने इस विषय का गहराई से अध्ययन नहीं किया है उस कारण यह विद्या बदनाम हो रही है इसलिए वह ज्योतिषी गलत है न कि ज्योतिष विद्या। इस प्रकार की भ्रमित करने वाली बातों को सही मानकर ज्योतिष को सही बना दिया जाता है ज्योतिषी और ज्योतिष प्रेमी फलित ज्योतिष को विज्ञान कह कर एक छद्म विज्ञान को विज्ञान बना देते है। चूँकि ज्योतिषी और ज्योतिष को मानने वाले इसे विज्ञान ही कहते है, तो होगा ही, ऐसा मान लिया जाता है इसके अनेक कारण है जिसमे से एक है खगोलशास्त्र और फलित ज्योतिष में अंतर का ज्ञान न होना। हमारे सौरमँडल मे स्थित ग्रह तारे आदि के अध्ययन का विषय जिसे खगोल शास्त्र कहा जाता है और उन ग्रहों पर आधारित निर्मित विषय को फलित ज्योतिष कहा जाता है जिसमे ग्रहो की आकाशीय स्थिति के आधार पर निर्मित सिद्धान्तों से भविष्य बताने का कार्य किया जाता है  लेकिन फलित ज्योतिष में भी खगोलशास्त्र की तरह ही ग्रह नक्षत्रों के अध्ययन की बात कहकर सामान्य जन को भ्रमित किया जाता है इस कारण खगोल शास्त्र और फलित ज्योतिष को एक ही विषय समझ लिया जाता है और विज्ञान के समकक्ष स्थापित कर दिया जाता है साथ ही खगोलशास्त्र की शब्दावली को भी भ्रमित करने के उद्देश्य से फलित ज्योतिष में प्रयोग किए जाने से ज्योतिष एक विज्ञान है इस बात पर भी विश्वास हो जाता है। ग्रह नक्षत्रों को फलित ज्योतिष का आधार बता कर इसे विज्ञान सिद्ध कर दिया जाता है परन्तु यह आधार केवल कुंडली बनाने तक ही सीमित है, और कुंडली व्यक्ति के जन्म के समय मे ग्रहों की आकाशीय स्थिति का मानचित्र मात्र होती है। इसके बाद बारी आती है फलित की यानि भविष्य कथन की, जिसके लिए ज्योतिष में ग्रहों की आकाशीय स्थिति के आधार पर निर्मित सिद्धान्त प्रयोग में लाए जाते है उन सिद्धांतो के आधार पर ही ज्योतिषी भविष्य बताते है। परन्तु फलित के वह सिद्धांत जैसे की राशि स्वामी, ग्रहों की दृष्टि, ग्रहों की उच्च नीच मूल त्रिकोण राशि, कारक तत्व, महादशा अंतरदशा आदि सभी मूल सिद्धांत किसी वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन न करते हुए वैज्ञानिक आधार पर नहीं बनाए गए थे। ज्योतिष के मूल सिद्धांतो के आधार पर निर्मित फलित के सभी सिद्धांत भी अवैज्ञानिक है। उदाहरणार्थ - यदि सूर्य लग्न मे सिंह राशि मे हो तो व्यक्ति को रतौन्धी रोग होता है (किसी ने तो अन्धा होता है यह कहा है) सूर्य 14 अगस्त से 15 सितम्बर तक सिंह राशि में होता है, प्रत्येक दिन 2 घन्टो के लिए लग्न में भी होगा, तो क्या यह संभव है कि लगातार एक महीने तक सिंह लग्न में पैदा हुए सभी व्यक्ति रतौन्धी रोग से पीङित अथवा आँखो से लाचार व्यक्ति ही उत्पन्न होंगे? वह भी प्रतिवर्ष 14 अगस्त से 15 सितंबर के मध्य में, ऐसी क्या विशेषता है इस समय में। सूर्य, जो कि स्वयं प्रकाश का द्योतक है, कैसे किसी की आँख की रोशनी छीन सकता है? ज्योतिष का सिद्धांत कहता है कि अपनी राशि में स्थित ग्रह अच्छा फल देते है तो सूर्य को अपनी ही राशि में स्थित होने के बावजूद रतौंधी रोग कारण कैसे बनाया जा सकता है - यह सिद्धान्त तो स्वराशि फल के सिद्धांत के विपरीत है अंतर्विरोधी है! प्रकृति का कोई ऐसा नियम भी नहीं है कि किसी विशेष समय पर विशिष्ठ प्रकार के व्यक्ति ही उत्पन्न होंगे अतः आपको ऐसे व्यक्ति भी मिल जायेंगे जो 14 अगस्त से 15 सितंबर में मध्य में सिंह लग्न में पैदा हुए है और आँखों के रोग से पीङित हैं और ऐसे व्यक्ति भी मिल जायेंगे जिन्हें आँखों से सम्बंधित कोई रोग नहीं है लेकिन ज्योतिषी किसी ऐसे व्यक्ति की कुंडली दिखाकर ज्योतिष के सही होने का प्रमाण देते है जिसके जीवन से संयोग वश कोई सिद्धांत मेल रखता हो। इसी प्रकार से ज्योतिषी किसी बड़ी घटना या किसी बङी हस्ती के जीवन मे घटित हो चुकी घटना का ज्योतिष के दृष्टिकोण से विश्लेषण कर अखबार, टी.वी. इंटरनेट आदि के माध्यम से उसका प्रचार कर एक बहुत बङे सामाजिक वर्ग को प्रभावित करते है चूंकि फलित ज्योतिष का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, इसलिए ऐसे विश्लेषण को कोई व्यक्ति गलत भी नहीं कह सकता है सामान्य जन जो ज्योतिष से अंजान है सिद्धांत का विश्लेषण करने में असमर्थ होते है (ज्योतिष को सैद्धांतिक रूप से बोगस सिद्ध करने के लिए आवश्यक है) और साथ ही ज्योतिषी के दांव पेंच समझने में भी असमर्थ है। बुद्धि का प्रयोग न करने के कारण व्यक्ति द्वारा यह विचार नहीं किया जाता है कि जब ज्योतिषी को पता था कि इस/उस समय में इस/उस ग्रह के कारण उक्त घटना घटित हुई तो उसने पहले ही उसकी भविष्यवाणी क्यों नहीं की परन्तु जिन सिद्धांतो का प्रयोग कर विश्लेषण किया गया है वही बोगस है तो कोई ज्योतिषी कैसे भविष्यवाणी कर सकता है इसलिए घटित घटना के ज्योतिषीय विश्लेषण के माध्यम से ज्योतिष को सही बताकर मनुष्य जीवन पर ग्रहों का प्रभाव बताकर उल्लू बनाया जाता है। एक आम व्यक्ति यह सब जानता ही नहीं है न ही जानने की जिज्ञासा ही होती है अतः देखने, पढ़ने वालो को यही लगता है कि ज्योतिष सही है और वह बहुत बङा विद्वान।
ऐसे विद्वान ज्योतिषी व्यक्ति के जीवन की किसी भी घटित हो चुकी घटना को ग्रहों से जोड़ने में जाहिर होते है पुष्टि के लिए आप चाहें तो अपने साथ घटित हुई किसी घटना का उल्लेख कर ज्योतिषी से कारण पूछ कर देख सकते है घटना को बताते ही ज्योतिषी उसी समय कोई ग्रह दशा योग दृष्टि आदि निकाल कर सामने रख देंगे की इस/उस ग्रह, दशा, योग के कारण ऐसा/वैसा हुआ। जबकि सच्चाई यह है कि ग्रहों का हमारे भूत वर्तमान और भविष्य से कोई सम्बन्ध नहीं है न ही ग्रहों का कोई ऐसा प्रभाव ही होता है जो व्यक्ति के भूत वर्तमान अथवा भाग्य को प्रभावित करता है इसलिये फलित ज्योतिष एक मिथ्या है क्योंकि इसकी अवधारणा ही गलत है। यदि व्यक्ति का जीवन ग्रहों द्वारा प्रभावित व संचालित होता तो भविष्य निश्चित होता और व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कुछ भी नहीं कर सकता था, क्योंकि ग्रहों ने उसके भविष्य का निर्माण पहले ही कर लिया होता और व्यक्ति के जीवन में जो कुछ भी घटित होता वह ग्रहों द्वारा निर्धारित समय चक्र के अनुसार ही होता, तब व्यक्ति ग्रहों की कठपुतली मात्र होता। यदि ऐसा होता तो फलित ज्योतिष के कोई भी कथन जो व्यक्ति के भविष्य बताने के लिये कहा गया है, कभी भी गलत नहीं होता क्योंकि ग्रहों के द्वारा भविष्य का निर्माण तो पहले ही किया जा चुका होता। यदि यह भी मान लिया जाये कि निर्माण नहीं हुआ है तो भविष्य अनिश्चित हुआ और अनिश्चित भविष्य को ग्रह कैसे जान सकते है कि कोई व्यक्ति किस समय पर क्या-क्या करने वाला है अतः वह बता भी नहीं सकते है। यदि किसी ज्योतिषी द्वारा कहा गया भविष्य कथन किसी भी जातक के विषय मे सत्य निकला भी है तो वह मात्र एक संयोग है क्योंकि ज्योतिष के जिस सिद्धांत से उसने वह कथन किया हो, किसी दूसरे जातक की कुण्डली पर वही सिद्धांत लगने पर भी सिद्धांत के अनुसार फल प्राप्त होता नहीं दिखता है उदाहरण स्वरूप यदि आप उपरोक्त सिद्धांत को ही लें (सूर्य के सिंह राशि में रतौन्धी रोग वाला) तो असंख्य व्यक्ति ऐसे है जो 14 अगस्त से 15 सितंबर के मध्य सिंह लग्न में पैदा हुए है और उन्हें किसी भी प्रकार का आँखों का कोई रोग नहीं है तो सिद्धान्त लागू होते हुए भी सम्बंधित फल नहीं मिला इसलिए सिद्धांत बोगस है उसे ज्योतिष का सही सिद्धांत नहीं कहा जा सकता, जो एक व्यक्ति के विषय में सत्य और दूसरे व्यक्ति के विषय में असत्य हो। पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर 71 प्रतिशत हाइड्रोजन गैस से निर्मित सूर्य का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है जो ज्योतिष के उपरोक्त सिद्धांत अनुसार फलित हो, न ही सूर्य प्रत्येक वर्ष 14 अगस्त से 15 सितंबर के मध्य सिंह लग्न में पैदा हुए व्यक्तियों को खोज कर उन्हें आँखों के रोग दे सकता है किसी भी ग्रह के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है न ही वह ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य है। पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर ग्रह मनुष्य के भूत भविष्य को कैसे प्रभावित करते है, कैसे उनका प्रभाव हम तक पहुंचता है, अपनी शिक्षा ज्ञान व बुद्धि का प्रयोग कर इन प्रश्नों पर स्वयं विचार कर उत्तर की खोज करिए अपने अंदर की जिज्ञासा को जागृत कर सत्य की तह तक जाइए अन्यथा ज्योतिषी इसी प्रकार ग्रहों का भय दिखाकर लूटते रहेंगे।
फलित ज्योतिष के सभी सिद्धांत बोगस है और इसी तरह के बोगस सिद्धांत फलित ज्योतिष का आधार है परन्तु इन सिद्धांतो के व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक स्तर पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन व विश्लेषण की आवश्यकता थी, जो किसी ने नहीं किया हालाँकि जिसने गहराई से किसी विषय का अध्ययन किया हो वह आसानी से समझ सकता है परन्तु व्यापारिक रुप से अपनाने के पश्चात क्यों कोई आलोचना करेगा, शराब नशे आदि के कारोबार से सम्बंधित व्यक्ति अच्छी तरह से जानते है कि वह गलत कार्य कर रहे है लेकिन कभी भी इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि धंधे का सवाल है इसलिए सरकार द्वारा समय समय पर जन जागृति के अभियान चलाती है जिससे की समाज में जागृति आए और वह स्वयं ही नशे से दूर रहे। ज्योतिष पर भी यह बात लागू होती है ज्योतिषी जानते है कि ज्योतिष बोगस है ठगी का धंधा है लेकिन कभी इसे स्वीकार नहीं करेंगे न किसी को बताएंगे इसलिए यह ग्रुप चलाया जा रहा है ताकि समाज में ज्योतिष जैसे अंधविश्वास के खिलाफ जागृति लाई जा सके लेकिन जिस प्रकार से सरकार द्वारा चलाए गए जन जागरण के प्रयास के बावजूद भी जुआ नशा आदि अनेक बुरे कर्म समाप्त नहीं होते है उसी प्रकार से ज्योतिष भी है इसे समाप्त होने में हजारों वर्ष का समय भी लग सकता है। जब व्यक्ति नशे से कैंसर जैसी बीमारी होने की चेतावनी के पश्चात भी नशा करना नहीं छोड़ते है, तो ज्योतिष बोगस है यह सिद्ध हो जाने के पश्चात भी क्यों छोड़ने लगे जिस प्रकार से नशे के कारोबारी मुफ्त में कुछ खुराक देकर व्यक्ति को नशे का आदि बना देते है उसी प्रकार ज्योतिषी भी मुफ्त का लालच, भ्रमित प्रचार व विज्ञापन और कुंडली विश्लेषण से जनता को भ्रमित किया जाता है जो की एक प्रकार का जाल होता है और किसी भी जाल में केवल अन्दर आने का रास्ता होता है बाहर निकलने का नहीं बाहर निकलने के लिए जाल को ही काटना पड़ता है इसलिए इस ज्योतिष के अंधविश्वास के जाल को काटिए और एक बार स्वयं को आजाद कर खुली हवा में सांस लेकर देखिए जहां पर न ग्रह बाधा हो न कोई दशा, न ही ग्रह दोष।

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