ज्योतिष के सिद्धांत निश्चित भविष्य के आधार पर ही बनाए गए थे। इसलिए हम निश्चित भविष्य के संदर्भ मे ही उनकी विवेचना कर जानने का प्रयास करेगें कि वह कितने सही है और क्या भविष्य निश्चित है आदि। निश्चित भविष्य का अर्थ है कि जो भविष्य मे जो कुछ भी घटित होने वाला है, वह होकर ही रहेगा कोई भी ज्योतिषी उसे बदलना तो दूर एक पल का अन्तर भी नहीं ला सकते है। यह लेख विशेष रुप से उन सभी व्यक्तियो के लिए -
जो व्यक्ति भविष्य को निश्चित मानते है और ज्योतिष बिल्कुल सही है और भविष्य बता सकता है। जो व्यक्ति निश्चित भविष्य/ज्योतिष के सिद्धांत के साथ कर्म की वकालत करते है। वह व्यक्ति तो भविष्य को भगवान द्वारा पूर्व निर्धारित/लिखित मानते है। और वह जो यह मानते है कि भविष्य तो अनिश्चित है लेकिन ज्योतिष उसे बता सकता है।
• यह उनके लिए जो भविष्य को निश्चित मानते है और ज्योतिष बिल्कुल सही है और भविष्य बता सकता है।
ज्योतिष के एक ग्रुप मे बहुत से तथाकथित ज्योतिषी IAS का योग बना रहे थे, प्रश्न करने पर सब योग भूल गए वही प्रश्न यहां रख रहा हूं। यदि ज्योतिष के सब सिद्धांत सही है तो वह होकर ही रहेगा जो सिद्धांत कह रहा हो, ऐसे मे -
1.यदि किसी व्यक्ति की कुंडली IAS मे का योग हो तो वह बिना पढाई किए भी IAS बन ही जाएगा ? चाहे अनपढ़ की कुंडली मे ही क्यो न बने ग्रह बना ही देगें - क्योंकि ज्योतिष का सिद्धांत ऐसा भविष्य कह रहा है जो निश्चित है। जिन व्यक्तियो का यह मानना है कि जब IAS बनने का योग है, तो वह अपने आप IAS बनेगा ग्रह उस से वैसा करवायेगें - तो किस प्रकार ?
• यह उनके लिए जो निश्चित भविष्य/ज्योतिष के सिद्धांत के साथ कर्म की वकालत करते है। जो यह मानते है कि बेशक योग IAS बनने का हो, लेकिन कर्म करना ही पङेगा -
2.पहली बात तो यह कि निश्चित भविष्य मे कर्म की कोई उपयोगिता ही नहीं है। जब भविष्य ही निश्चित है, तो व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कोई कर्म नहीं कर सकते है - यहां तक की खाना भी वही खाएगें जो निश्चित है। खाने मे नमक मिर्च ज्यादा पङ जाए तो यह भी निश्चित हुआ व्यर्थ मे अपनी पत्नी को दोष क्यों।
3.जब कर्म करना ही पङेगा तो कुंडली मे ग्रह योग बने या नहीं उस से कोई अन्तर ही नहीं पङता - फिर ज्योतिष किस काम का।
4.यदि कर्म से ही IAS बनेगा तो Engg. Doctor adv. आदि कुछ भी बन सकता है - ज्योतिष के ग्रह योग तो आकर उसे IAS की coaching देने से रहे - तो सिद्धांत बोगस हो गया।
5.जब सिद्धांत बोगस हो गया इसका अर्थ यह कि भविष्य अनिश्चित है - कर्म से बनता है ज्योतिष से नहीं, ज्योतिष जो सिद्धांतो का ही विषय है बोगस हो गया।
• अब इसे दूसरे तरीके से देखते है। मान लीजीए कि किसी की कुंडली मे किसी रोग अथवा दुर्घटना का योग है तो क्योंकि सिद्धांत/भविष्य निश्चित है वह भी होकर ही रहेगा। लेकिन आप किसी ज्योतिषी के पास जाते है कोई उपाय के रुप मे टोटका आदि करते है निश्चित भविष्य को बदलने के लिए ? और जिन व्यक्तियो को लगता है कि टोटके/रत्न आदि से निश्चित भविष्य बदला जा सकता है, बदल दिया और दुर्घटना टल गई -
6.किसी निश्चित घटना को कोई टोटका/रत्न/यन्त्र अन्य उपाय कैसे बदल सकते है।
7.ऐसे मे सिद्धांत तो बोगस हो गया क्योंकि वह हुआ ही नहीं जो लिखा था - फिर भविष्य निश्चित कैसे हो गया।
• यह उनके लिए जो यह मानते है कि भविष्य भगवान द्वारा पूर्व निर्धारित है अर्थात लिखा गया है -
8.ऐसे मे भगवान अपने ही लिखे भविष्य को ज्योतिषीयो को क्यों बताएगा।
9.यदि उसे बताना ही है तो उसी व्यक्ति को क्यों न बताए जिसका भविष्य है।
10.भगवान जब भविष्य लिखता है तो क्या वह ग्रहो से पूछकर लिखता है या सब ग्रहो को लिखित भविष्य की एक-एक फोटोकापी भेज देता है - क्योंकि जब तक ग्रहो को भविष्य पता नहीं होगा वह ज्योतिषीयो को क्या बताएगें।
11.वह क्यों चाहेगा कि उसके लिखे भविष्य को ग्रह चुरा ले और ज्योतिषीयो को बता दे, और उसे हर समय नया भविष्य लिखना पङे।
12.भगवान द्वारा निर्धारित भविष्य - जो निश्चित हुआ - को किसी टोटके से कैसे बदला जा सकता है।
13.जब निश्चित भविष्य ही बदल गया तो ज्योतिष के सिद्धांत जो निश्चित है - बोगस हो गए।
14.यदि निश्चित भविष्य को ही बदल दिया तो व्यक्ति/ज्योतिषी भगवान से भी ऊपर नहीं हो गया - जिसने भगवान द्वारा लिखित भविष्य को ही बदल दिया !
• यह उनके लिए जो भविष्य को अनिश्चित लेकिन ज्योतिष द्वारा बताया जा सकता है, मानते है -
आपके लिए ज्योतिष किसी काम का नहीं है क्योंकि उसके सिद्धांत भविष्य को निश्चित मानकर रचे गए थे. उसमे फल का होना निश्चित रुप से लिखा है जिनसे अनिश्चित भविष्य के भविष्यवाणी की कल्पना करना व्यर्थ है. फिर भी आपको लगता है कि मैं गलत हूं तो -
15.निश्चित सिद्धांतो से अनिश्चित भविष्य की भविष्यवाणी किस प्रकार से सम्भव है।
• एक ओर तो व्यक्ति IAS बनने के लिए योग दशा का इन्तजार करते रहते है - जैसे वह होकर ही रहेगा। और दूसरी ओर किसी दुर्घटना को टालने का उपाय करते रहते है - जैसे कि वह टल ही जाएगी। यह दोहरी स्थिति क्यों।
भविष्य निश्चित नहीं है किसी रेलगाङी के मार्ग की तरह जिसके हर एक निर्धारित पङाव को पहले से भी जाना जा सकता है। भविष्य अनिश्चित है वह व्यक्ति के अपने पुरुषार्थ से बनता है मनुष्य के जीन्स उसकी अनुवाँशिकी पर निर्भर करता है। उस के आत्मविश्वास से व्यक्तित्व प्रदर्शित होता है। उसकी शिक्षा से उसकी योग्यता निर्धारित होती है। उसके परिश्रम और लगन से सफलता सुनिश्चित होती है। अच्छे सँस्कार उस के चरित्र का निर्माण करते है। बुद्धि व विवेक उसे अच्छे-बुरे की पहचान करवाती है। आसमान मे, ग्रह नक्षत्र की स्थिति उसके जन्म के समय मे कैसी थी, उसका इन सब से कोई सरोकार नहीँ है।

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