ज्योतिषी आपको यह विश्वास दिलवा देते है की आपके प्रत्येक कार्य के पीछे ग्रहों का हाथ है और व्यक्ति ग्रहों की कठपुतली मात्र है, जिसके लिए वह अनेक प्रकार के हथकंडे अपनाते है जिसमे किसी प्रसिद्ध व विशिष्ठ व्यक्तियों की कुंडली विश्लेषण भी शामिल होता है यह कुंडली विश्लेषण इस प्रकार से किया जाता है कि पढ़ने वाले व्यक्ति को यही लगता है कि उक्त व्यक्ति के साथ जो कुछ भी घटित हुआ है उसका कारण ग्रह ही है और भविष्य पूर्वनिश्चित है। भविष्य पूर्वनिश्चित है जिसे ज्योतिष से जाना जा सकता है ऐसी मान्यता के कारण सिक्का उछाल कर या ज्योतिष से अपना भविष्य जानने के लिए ज्योतिषी के पास जाना स्वाभाविक होता है इसलिए ऐसे ज्योतिषी की तलाश की जाती है जो सही भविष्य बता दे जब तक ऐसा सिक्का या ज्योतिषी नहीं मिल जाता है तब तक यह तलाश जारी रहती है। जब आप सिक्के से पास या फेल का खेल खेल रहें होते है तो यह खेल तब तक खेला जाएगा जब तक सिक्का अधिक बार आपकी इच्छानुसार नहीं गिरे क्योंकि कोई भी व्यक्ति फेल नहीं होना चाहता है चाहे उसने किताब कभी खोली भी नहीं हो परंतु सिक्के का अधिक बार पास होने की ओर गिरना मिथ्या रूप से आश्वस्त कर देता है की वह पास हो जाएगा परंतु क्या ऐसा व्यक्ति पास हो सकता है जिसने कभी किताबे छुई भी न हो? उतर सीधा है की हरगिज नहीं यह व्यक्ति का पूर्वाग्रह है जिसकी पुष्टि के लिए वह कर्म की बजाय सिक्के का सहारा लेते है। यही सिक्के के खेल का कार्य आप अपने भविष्य के संदर्भ मे करते है और ऐसे ज्योतिषी की तलाश मे रहते है जो सही भविष्य बता दे। यह भी संभावित है की 10 मे से कोई एक ज्योतिषी तो ऐसा मिल जाएगा जिसकी कही कोई बात सही हो गई हो, वास्तव मे उस सही हुई बात के पीछे भी ज्योतिष या ज्योतिषी नहीं है कारण है व्यक्ति का स्वयं का परिश्रम और लगन जिसे सदैव अनदेखा किया जाता है क्योंकि दिमाग ज्योतिषी की भविष्यवाणी पर ही केन्द्रित होता है इसलिए व्यक्ति के कर्म के फलस्वरूप किसी कार्य मे सफलता मिलने पर उसका श्रेय ज्योतिषी की भविष्यवाणी को दिया जाता है। ज्योतिषी के पास व्यक्ति अनेक प्रकार की समस्याएं व प्रश्न लेकर जाते है वह प्रश्न चाहे जो भी हो शिक्षा व्यावसाय धन सम्पति विवाह संतान आदि से सम्बंधित ही होते है जिनमे से अधिकतर प्रश्नों के उत्तर हाँ या न में ही होते है नौकरी मिलेगी या नहीं, धन आयेगा या नहीं आदि, संतान होगी या नहीं आदि। यदि संतान के विषय मे ज्योतिषी से प्रश्न किया जाए की लड़का होगा या लड़की तो कहानी फिर से घूम कर सिक्के पर आ जाती है आप चाहें तो लड़का ले लें या लड़की किसी एक ओर तो सिक्का अधिक बार गिरेगा ही न भी गिरे तो उसे तब तक गिराया जाएगा जब तक की वह व्यक्ति इच्छानुसार बार-बार या अधिक बार न गिरे और ज्योतिषी जिंदाबाद। यह व्यक्ति का दिमाग भी जानता है की सिक्का न तो पास करवा सकता है न फेल, न लड़का पैदा कर सकता है न लड़की, न ही ज्योतिषी सही भविष्य बता सकता है लेकिन दिमाग बेचारा लाचार होता है क्योंकि वह अंधविश्वास का मारा है वह इस बात पर विचार नहीं कर सकता है कि पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित गैस आदि से निर्मित निर्जीव ग्रहों का उसके दैनिक जीवन के कार्य का कोई सम्बन्ध नहीं है न ही वह भविष्य को प्रभावित कर सकते है। ग्रहों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता जो व्यक्ति के भूत भविष्य को प्रभावित करता हो और जब ग्रहों का उसके भविष्य पर कोई प्रभाव ही नहीं है तो उन्हें प्रसन्न कर भविष्य बदलने के लिए किए जा रहे टोटके व्यर्थ है, केवल अंधविश्वास है।

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