फलित ज्योतिष एक बोगस विषय है यह बात अब तक आप समझ चुके होंगे लेकिन फलित ज्योतिष के सभी सिद्धान्त (जिनके प्रयोग से ज्योतिषी भविष्य बताते है) बोगस है यह बात आप नहीं जानते होंगे, जो आपको "ज्योतिष के बोगस सिद्धान्त" इस श्रृंखला के अंतर्गत बताया जाएगा। सिद्धान्त कैसे बोगस है इसके लिए फलित ज्योतिष के सिद्धांतों का आज के परिपेक्ष्य में वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण कर बताया जाएगा कि ब्रह्मांड के आदिकालीन ज्ञान के आधार पर निर्मित ज्योतिष के सिद्धान्त कैसे बोगस है। बोगस सिद्धांतो की यह श्रृंखला केवल जिज्ञासु व्यक्तियों (जो अपनी बुद्धि व विवेक अनुसार कार्य करने में सक्षम है, जिनमे कुछ नया सीखने की क्षमता है, समझ है) के लिए ही है अन्य व्यक्ति जो शिक्षित तो है लेकिन न बुद्धि काम करती है न कुछ समझ में आता है न ही कुछ सीखने जानने की जिज्ञासा है ऐसे व्यक्तियों के लिए यह ब्लॉग नहीं है। सिद्धान्त किस प्रकार से बोगस है इसका विश्लेषण करते समय ज्योतिष की शब्दावली को सरल भाषा में अर्थ कर समझाने का प्रयास किया जाएगा जिस से की ज्योतिष से बिलकुल अंजान व्यक्ति भी सरलतापूर्वक समझ सके फिर भी यदि कोई बात समझ नहीं आये तो आप उस पर प्रश्न कर सकते है। ज्योतिष के सिद्धांत कैसे बोगस है यह जिसको जानना हो वह पढ़े समझे और ज्योतिषीयों से नहीं वरन ज्योतिष से ही दूर रहे। जिसको नहीं जानना हो वह न पढ़े और पहले की तरह ही अपना धन लुटा कर तन और मन से ज्योतिषी की सेवा करते रहे। तो लीजिए पेश-ए-खिदमत है एक बोगस सिद्धान्त -

भृगु संहिता के अनुसार - यदि कर्क राशि में गुरु के साथ चंद्रमा बैठा हो तो ऐसा जातक कश्मीर देश का राजा होता है।
- विश्लेषण - पहली बात तो यह है कि इस सिद्धांत के फल अनुसार कश्मीर का राजा अब कोई नहीं बन सकता है, परंतु हम राजा न लेकर इसे मुख्यमंत्री या राज्यपाल मान लेते है (वरना ज्योतिषी बुरा मान जाएंगे) और वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण करते है। गुरु एक राशि में एक वर्ष के लिए रहता है कर्क राशि में भी एक वर्ष तक रहेगा, चूँकि चन्द्रमा दो दिन तक एक राशि में रहता है तो गुरु के साथ कर्क राशि में भी वह दो दिन तक रहेगा जिस कारण यह योग एक वर्ष के प्रत्येक महीने में लगातार दो दिन तक बनेगा अर्थात एक वर्ष में 24 दिन गुरु और चन्द्रमा कर्क राशि में रहेंगे। अब आप स्वयं विचार करें की एक वर्ष के 12 महीने में प्रत्येक महीने के दो दिन (लगातार) उत्पन्न होने वाले सभी बच्चे बड़े होकर कश्मीर के राजा - मुख्यमंत्री/राज्यपाल - बन सकते है ? गुरु और चन्द्रमा की स्थिति जो आप दिए गए चित्र में देख रहे है, वही स्थिति लगातार दो दिन तक बनी रहेगी और इस समय में जितने भी बच्चे (जिनकी संख्या हजारो में होगी और वर्ष के 24 दिन लाखो में पहुँच जायेगी) पैदा होंगे, उन सभी की कुंडली में यह योग विद्यमान होगा तो लाखों व्यक्ति एक देश के राजा बने यह संभव नहीं है। इसलिए यह सिद्धांत बोगस है - इस सिद्धांत का विस्तृत्त विश्लेषण किया गया है जिससे की ज्योतिष से पूरी तरह से अंजान व्यक्ति भी आसानी से समझ सके - अन्यथा विश्लेषण तो 4 वाक्य से अधिक का नहीं है।
गजकेसरी योग - ज्योतिषीयों के मुख से इस योग का नाम तो सुना ही होगा यदि नहीं भी सुना है तो अब सुन लीजिए यह जो ऊपर मैंने सिद्धान्त लिखा है वह गजकेसरी योग का सिद्धांत भी है इस योग की पोल पट्टी फिर किसी दिन खोली जायेगी अभी के लिए भृगु संहिता के सिद्धान्त पर ही चर्चा करते है जिससे की आपको समझने में आसानी रहे। गजकेसरी योग के फल अनुसार - ऐसा जातक तेजस्वी धनी मेधावी गुणी एवं राजा का प्रिय होता है - आप स्पष्ट देख सकते है कि कुंडली में गुरु और चंद्रमा मिलकर दो योग बना रहे है जिसमे से एक है कश्मीर देश का राजा बनने को कह रहा है तो दूसरा धनी गुणी व राजा का प्रिय बनने को। अब ज्योतिषी भी जानते है कि कश्मीर (जो कभी देश हुआ करता था) का राजा बनना तो संभव नहीं है, पर व्यक्ति तेजस्वी धनी मेधावी और गुणी तो बन ही सकता है इसलिए दोनों सिद्धांतो में से गजकेसरी योग को पकड़ो (कश्मीर का राजा छोड़ दो) और व्यक्ति को मूर्ख बना दो। व्यक्ति तो वैसे ही ज्योतिष से अंजान है वह गजकेसरी योग का नाम सुनते ही खुशी के मारे उछलता रहेगा, क्योंकि उसे थोड़ी पता है कि वह कश्मीर देश का राजा बनना था लेकिन ज्योतिषी बना नहीं पा रहा। ईस प्रकार से आप समझ सकते है कि ज्योतिषी किस प्रकार से बोगस सिद्धांतो पर से सही भविष्यवाणी का दावा कर आपको मूर्ख बनाते आ रहे है जबकि ज्योतिष में एक भी सही सिद्धान्त नहीं है जिससे सही भविष्यवाणी की जा सके। कोई ज्योतिषी या ज्योतिष के समर्थक जिनके अनुसार ज्योतिष बिलकुल सही है वह इस विषय/सिद्धान्त पर चर्चा करना चाहे तो आकर कर सकते है।

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