सामान्यतः धारणा है कि भविष्य जानने के लिए ज्योतिषी का सही होना आवश्यक है और सही ज्योतिषी कौन है इसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति की राय अगल होती है लेकिन राय जी भी हो सही ज्योतिषी मिलना ठीक वैसा ही है जैसे सैंकङो सिक्कों मे से किसी एक का अधिक बार या बार-बार आपकी इच्छानुसार पक्ष मे गिरना। जो सिक्का जिसके पक्ष में अधिक बार गिरेगा वह सही हो जाएगा वह उसी सिक्के को सही कहेगा दूसरा व्यक्ति दो रुपये के सिक्के को सही कहेगा तीसरा व्यक्ति पांच रुपये के सिक्के को सही भविष्यवक्ता बताएगा और ऐसे भी व्यक्ति होंगे जो एक रुपये से लेकर 10 रूपये तक के सिक्के से भविष्य पूछ चुके होंगे लेकिन किसी ने भी सही नहीं बताया तो वह 1 पैसे या 5 पैसे के सिक्के को सही भविष्यवक्ता कहेंगे जो की अब दुर्लभ है और अन्धविश्वासी धारणा के फलस्वरूप उन सिक्कों को खोजने में अपना बहुमूल्य समय नष्ट कर देते है। ऐसे ही जो ज्योतिषी मनोवैज्ञानिक रुप से मिथ्या भविष्य की सही तस्वीर दिखाने मे सफल रहता है वही ज्योतिषी व्यक्ति की नजर मे सही भविष्यवक्ता बन जाता है। सिक्का और ज्योतिषी दोनों ही मनोवैज्ञानिक रूप से व्यक्ति के पूर्वाग्रह की पुष्टि का खेल मात्र है जो इस कसौटी पर खरा उतरता है वही सही होता है यह वैसा ही है जैसे किसी दुकान में आपकी मनमाफिक वस्तु मिल जाती है तो व्यक्ति हर बार उसी दुकान का रुख करते है या किसी दुकानदार में आपकी इच्छा के अनुरूप कोई वस्तु बेच दी हो तो उसकी दुकान ही सही होती है लेकिन स्थिति चाहे जो भी हो प्रत्येक स्थिति में व्यक्ति दुकान व दुकानदार दोनों के मुरीद हो जाते है। जिस वस्तु की तलाश की जा रही होती है वह कहीं न कहीं पर तो प्राप्त हो ही जाती है और जिस स्थान पर मिल जाती है व्यक्ति वहीं का रुख करते है अब आप स्वयं विचार करें की जिस दुकान में आप वर्षो से जा रहें है वहां के दुकानदार को आपकी पसंद न पसंद रूचि बजट आदि के बारे में पूरी जानकारी होती है तो जब भी आप उस दुकान में जाएंगे जाहिर है कि दुकानदार आपकी पसंद की वस्तु ही पेश करेगा। इस उदाहरण को ज्योतिष के परिपेक्ष्य में रखकर चिंतन करे तो अन्धविश्वासी जनसंख्या के अधिकांश व्यक्तियों के ज्योतिषी निर्धारित होते है जिन्हे अपने यजमान का अगला पिछला सब पता होता है इसलिए ऐसे ज्योतिषी द्वारा अपने यजमान के विषय मे प्रत्येक बात का सही होना कोई चमत्कार नहीं होता है परन्तु कितने यजमान है जो इस पर विचार करते है कि वह वर्षो से उसी ज्योतिषी के पास जा रहें है ऐसा क्या है जो उनके विषय मे वह नहीं जानता है तो भविष्यवाणी करना कौन सी बङी बात है ! कुछ व्यक्ति यहां पर यह भी कहेगें कि अजी साहब हम तो फलाने ज्योतिषी से पहली बार मिले थे वह हमारे बारे मे कुछ नहीं जानता था फिर भी उसने सही बाते बता दी अपनी जगह पर ऐसे व्यक्ति सही है क्योंकि जिस ज्योतिषी से वह पहली बार मिल रहें है वह उनके बारे मे कुछ नहीं जानता है फिर भी कितनी सही बाते बता दी है उनके लिए तो यह ज्योतिष का चमत्कार ही कहलाएगा। बिल्कुल ! बहुत से ऐसे चमत्कारी ज्योतिषी भी है जो पहली मुलाकात मे ही सही बता देते है इस से आप यह अन्दाजा तो लगा ही सकते है कि ऐसे चमत्कारी ज्योतिषी ठगी के खेल मे कितने माहिर हो चुके है लेकिन यह व्यक्ति के मूर्ख बनने की क्षमता पर निर्भर करता है यदि आप बङी आसानी से मूर्ख बन जाते है तो हर वह ज्योतिषी जो ठगी के खेल का थोड़ा सा ज्ञान भी रखता है, पहली मुलाकात मे ही आपको मूर्ख बना देगा और यादि आप आसानी से मूर्ख नहीं बनते है तो दूसरे या तीसरी मुलाकात मे मूर्ख बना दिए जायेगे अर्थात तब तक भविष्यवाणी सही होने लग जायेगी। अब आप अपने अतीत मे झांककर देखे कि किस ज्योतिष ने पहली बार मे ही सही बताया था और किसने दो चार मुलाकात के बाद इस विश्लेषण से आप ज्योतिषी की मूर्ख बनाने व अपनी बनने की क्षमता का सही आकलन कर पाएगें क्योंकि यदि मैं यह कहुंगा कि ज्योतिष मे ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो सही भूत या भविष्य बता दे तो वह आपकी समझ मे नहीं आयेगा।
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