जब आप सिक्के को उछाल कर उस अपना भविष्य पूछ रहे होते है तो आप यह बात भांति जानते है की वह भविष्य नहीं बता सकता है लेकिन जैसा की मैंने बताया की अंधविश्वासी दिमाग के भविष्य जानने के फितूर के कारण ही उसे उछाला जा रहा होता है तो यह भी स्पष्ट होता है की सिक्का किसी भी ओर गिर सकता है। अब आप यह मान लें की आपके सहित दस मित्रो ने अपने परीक्षा मे पास या फेल का प्रश्न सिक्के से किया और सिक्का 10 मे से 6 मित्रों के पक्ष (पास होने) मे ही गिरा और 4 मित्रों के विपक्ष (फेल होने) मे गिरा चूंकि सभी मित्र पढ़ाई भी कर रहे थे इसलिए सभी पास हो गए अब यदि 6 मित्र सिक्के के उनके पक्ष मे गिरने को सिक्के द्वारा सही भविष्य बताना मान ले और अन्य 4 मित्र इसे बोगस कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि सभी 10 मित्र सिक्के से अपना अपना भविष्य ही जानना चाह रहे थे इसलिए सिक्का जिसके पक्ष मे गिरा वह सही कहेगा और जिसके विपक्ष मे गिरा वह गलत कहेगा जो ज्योतिष के विषय में भी लागू होता है। यहाँ पर महत्वपूर्ण और विचार करने वाली बात यह है की सिक्के ने सही और गलत दोनों भविष्य क्यों बताया जबकि न तो सिक्का बदला था न ही उस से किया जाने वाला प्रश्न – सिक्का भी वही था प्रश्न भी वही था अंतर था तो केवल इतना की प्रश्न करने वाले व्यक्ति भिन्न थे। इसका उतर यह है की सिक्का गिरने का कोई सिद्धान्त नहीं है वह किसी भी ओर गिर सकता है किसी भी तरीके से यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है की सिक्का हमेशा इच्छानुसार गिरे यदि गिर भी जाए तब भी भविष्य सुनिश्चित नहीं होता है। ज्योतिषी की भविष्यवाणी भी सिक्के से मिले परिणाम जैसी होती है संयोगवश कोई बात सही ही गई तो ज्योतिष सही न हो तो ज्योतिषी गलत, और व्यक्ति ज्योतिष से अनभिज्ञ होने के कारण ज्योतिषी द्वारा लगाए जा रहे तीर तुक्कों को भविष्यवाणी की तरह से लेते है। सिक्के से सही भविष्य ज्ञात करने वाली यही बात ज्योतिष पर भी लागू होती है कि जिन सिद्धांतो के प्रयोग से (यदि) भविष्यवाणी सही हो रही है, फिर उन्ही सिद्धांतो पर से भविष्यवाणी गलत क्यों हो रही है जब्कि सिद्धांत तो वही है प्रश्न भी वही है केवल व्यक्ति अलग है। भले ही व्यक्ति अलग है लेकिन उनके प्रश्न तो वही है शिक्षा विवाह स्वास्थ्य संतान नौकरी व्यापार लाभ हानि आय व्यय विदेश यात्रा धन मकान संपति आदि प्रत्येक व्यक्ति के प्रश्न इन्ही विषयों से संबन्धित होते है कोई व्यक्ति ऐसे प्रश्न तो करता नहीं है की अंटार्कटिका मे पेंग्विन की संख्या कितनी है या अफ्रीका के आदिवासी कबीलों की संख्या कितनी है आदि। लेकिन प्रश्न चाहे कोई भी हो सभी विषय ज्योतिष के अंतर्गत ही आते है और सभी ज्योतिषी प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के लिए एक जैसे सिद्धांत ही प्रयोग मे ला रहें है। उन सिद्धांतों मे राशि स्वामी, ग्रहों की दृष्टि, ग्रहों के उच्च नीच, मूल त्रिकोण, कारक तत्व, महादशा अन्तर्दशा आदि सिद्धांत सम्मिलित है तो एक जैसे सिद्धांतों प्रयोग के बावजूद भी यह कैसे सम्भव है कि एक व्यक्ति के लिए भविष्यवाणी सही हो रही है और दूसरे के लिए गलत? उदाहरण के लिए एक व्यक्ति ने अपनी नौकरी के विषय मे प्रश्न किया, ज्योतिषी ने उसकी कुंडली पर सिद्धान्त लगाया और किसी समय मे मिलने की भविष्यवाणी कर दी और व्यक्ति को मिल भी गई इसके बाद किसी दूसरे व्यक्ति ने नौकरी से संबधित प्रश्न ही किया लेकिन ज्योतिषी की भविष्यवाणी के पश्चात भी उसे नहीं मिली तो ऐसा कैसे संभव है की दोनों व्यक्तियों की कुंडली पर वही (एक जैसे) सिद्धान्त लगाने के पश्चात भी एक व्यक्ति के विषय मे बात सही हुई और दूसरे व्यक्ति के विषय मे गलत? यदि सिद्धांत सही है तो ऐसा होना ही नहीं चाहिए, यह स्पष्ट करता है कि सिद्धांत ही गलत है और किसी वैज्ञानिक पद्धति से नहीं बनाए गए है अन्यथा बार बार प्रयोग करने पर हर बार प्राप्त परिणाम एक सा ही होता यही विज्ञान कहलाता है। 

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