ज्योतिषी त्रिखोटी लाल अपने क्षेत्र के जाने माने ज्योतिषी थे। एक दिन किसी कार्य से लौटते हुए रास्ते मे उनके किसी यजमान का घर पङता था और त्रिखोटी लाल जी के पास समय भी था तो सोचा कि अपने इन यजमान जो इनके दू....र के रिश्ते मे भी थे, से मिलता चलूं कुछ देर सुस्ता भी लूंगा तक तक शाम ढल चुकी होगी और गर्मी कम हो जायेगी तो घर की ओर हो लूंगा। इस विचार के साथ ज्योतिषी त्रिखोटी लाल जी ने अपने उन यजमान के घर मे दस्तक दी। घर मे उनके यजमान तो नहीं थे पर उनके बच्चे गर्मियों की छुटियों मे घर आए हुए थे जो ज्योतिषी त्रिखोटी लाल जी को उनके घर आने जाने के कारण जानते थे अतः उन्होने उन्हें घर मे आदर सहित बिठाया ही था कि पड़ोस मे रहने वाली टुनटुन आंटी अपने बेटे की कुंडली लेकर आ गईं।
टुनटुन आंटी - प्रणाम पंडित जी।
त्रिखोटी लाल - प्रणाम, प्रणाम .. बहन जी घर मे सब कुशल मंगल तो है न !
टुनटुन आंटी - जी पंडित जी सब ठीक है बस आपकी कृपा है सब।
त्रिखोटी लाल - अरे नहीं बहन जी ! कृपा मेरी नहीं कृपा उस प्रभु की है, कहिए कैसे आना हुआ।
टुनटुन आंटी - पंडित जी बहुत दिनों से आपके पास आने की सोच रही थी पर समय नहीं मिल पा रहा था... आज आपको यहां आते देखा तो सोचा यहीं मिल लूं।
त्रिखोटी लाल - कोई बात नहीं बहज जी, आजकल समय किस के पास है ! और मैं तो सेवा कार्य के लिए सदैव हाजिर हूं आप तो केवल मुझे सेवा बताइए कि मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं।
टुनटुन आंटी (कुंडली आगे रखते हुए) - पंडित जी ये मेरे बेटे की कुंडली है जरा देख कर बताएं उसकी न तो नौकरी का हो रहा है न ही कहीं रिश्ते की बात ही बन रही है।
ज्योतिषी त्रिखोटी लाल जी हम्म्म कहते हुए कुंडली उठाई और बांचने लगे। दो चार मिनट तक बांचने के बाद कहने लगे -
त्रिखोटी लाल - कुंडली के हिसाब से तो ग्रह स्थिति कुछ ठीक नहीं है, शनि की दशा मे राहु का अन्तर चल रहा है इस कारण नौकरी मिलने मे और विवाह होने मे अङचन आ रही है।
टुनटुन आंटी - जी पंडित जी आप सही कह रहे हैं इसके हर काम मे अङचन आ जाती है उसका कोई उपाय बताएं पंडित जी।
त्रिखोटी लाल - उपाय तो बतायेगें ही और ऐसा उपाय बताएगें कि उसको करने के बाद इधर नौकरी मिली, उधर चट मंगनी पट व्याह।
टुनटुन आंटी - पंडित अगर ऐसा हो जाए तो मैं 10 पंडितो को भोजन कराऊंगी, और आजकल इनकी दुकान भी कुछ ठीक नहीं चल रही है उसके लिए भी कुछ उपा...
त्रिखोटी लाल - ...बहन जी होगा क्यों नहीं ! ज्योतिष का 30 साल का तजुर्बा है आप तो उपाय लिखो बस।
उसके बाद त्रिखोटी लाल जी ने उपाय बताना शुरु किया और पास मे बैठी अन्तरा जो उनके यजमान की बेटी है, ने टुनटुन आंटी के कहने पर एक कागज पर लिखना शुरु किया।
त्रिखोटी लाल - घोङे की लीद मे प्याज और टमाटर का रस मिलाकर उसे सरसों के तेल मे तलकर कस्तूरी मृग को खिलाएं। यह उपाय एक ही बार करना और शनिवार को ही करना है वह भी सूरज छिपने के बाद। दूसरा उपाय है, काले रंग के कुते को लगातार 43 दिन तक मकई की रोटी खिलानी है किसी भी शुक्रवार से शुरु करना है। और तीसरा व्यापार के लिए 100 ग्राम हल्दी मे 3 किलो नमक मिलाकर बहते जल मे प्रवाहित कर दें बस इतना सा कार्य करना है उसके बाद सब ठीक हो जायेगा।
इस से पहले की टुनटुन आंटी कुछ कहतीं अन्तरा ने त्रिखोटी लाल जी से प्रश्न किया -
अन्तरा - चाचा जी ! ये टोटके जो आपने बताए है, क्या इनको करने से किसी को नौकरी मिल सकती है, विवाह हो सकता है, व्यापार चल सकता है ?
त्रिखोटी लाल - हां क्यों नहीं ! ये लाल किताब के टोटके है कभी फेल नहीं होते बस श्रद्धा भाव से विधि अनुसार करने का आवश्यक्ता मात्र है।
अन्तरा - अगर ऐसा है तो आपने यह उपाय क्यों नहीं किए ?
त्रिखोटी लाल - मैं यह उपाय क्यों करने लगा ! मेरा विवाह भी हो चुका है, काम भी ठीक चल रहा है और इस उम्र मे नौकरी तो करने जाऊंगा नहीं, तो भला मैं उपाय क्यों करने लगा !
अन्तरा - इसका मतलब है कि आप जो उपाय दूसरों को बताते है, उन्हें खुद नहीं करते !
त्रिखोटी लाल - अरे जब मुझे कोई समस्या ही नहीं है तो मैं उपाय क्यों करुंगा।
अन्तरा - तो जब कोई समस्या होती होगी तब तो करते होंगे न !
त्रिखोटी लाल - मैं पूजा पाठ वाला व्यक्ति हूं, रोज नवग्रह पूजन करता हूं मुझे क्यों कोई समस्या होने लगी ! और बीमार होने पर क्या तुम डाक्टर के पास नहीं जातीं ! वैसे ही समस्याग्रस्त व्यक्ति मेरे पास आते है मैं उन्हे समस्या से निजात पाने का उपाय बताता हूं।
अन्तरा - चाचा जी, अगर मैं डाक्टर से पूछूं की बीमारी कैसे ठीक होगी तो वह मुझे समझा सकता है की ऐसे/वैसे होगी, वैसे ही मैं आपसे पूछ रही हूँ की ऐसे टोटके करने से किसी की समस्या कैसे ठीक हो सकती है ? और अगर ऐसा ही होता है तो आपने सबको अपने टोटके से नौकरी क्यों नहीं लगवा दिया ?
त्रिखोटी लाल – अब मैंने पूरी दुनिया का ठेका तो नहीं ले रखा है, जो मेरे पास आयेगा उसे उसे ही बताऊंगा रही टोटके से समस्या समाप्ति की बात तो जैसे रोटी खाने से भूख मिटती है वैसे ही टोटके करने से ग्रह ठीक होकर समस्या का अन्त कर देते है।
अन्तरा – चलिए मान लिया आपने पूरी दुनिया का ठेका नहीं ले रखा है लेकिन भूख लगना तो शरीर की स्वतः प्रकिया है उसके लिए कोई टोटका नहीं करना पङता है।
त्रिखोटी लाल - क्यों ! रोटी खाना भूख का उपाय नहीं हुआ, इसे तुम टोटका भी कह सकती हो।
अन्तरा - अरे चाचा जी ! रोटी खाने से भूख नहीं लगती है यह तो समझ मे आता है, टोटके करने से ग्रह ठीक होकर समस्या का अन्त कैसे कर देते है मैं ये समझना चाहती हूं।
त्रिखोटी लाल - देखो बिटिया तुम अभी बच्ची हो नादान हो अभी तुम मे इन बातों को समझने की बुद्धि नहीं है।
अन्तरा - चाचा जी ! तो इसका कारण भी तो ग्रह ही होंगे न ! जो मुझे बच्ची नादान और बुद्धिहीन बनाए हुए है तो आप मुझे किसी टोटके से बङी समझदार बुद्धिमान बना दीजीए ! बताइए कोई टोटका जिससे मे अभी के अभी बङी हो जाऊं।
त्रिखोटी लाल - अरे ऐसा कोई टोटका नहीं होता है जो पल मे बांस जैसा बङा कर दे, बुद्धिमान बनाने का कोई टोटका होता तो दुनिया के सारे मूर्ख बुद्धिमान न बन गए होते !
अन्तरा - यही तो मैं भी कह रही हूं चाचा जी ! कि नौकरी मिलने, विवाह होने, व्यापार चलने आदि का अगर कोई टोटका होता दो दुनिया मे न तो कोई बेरोजगार होता, न अविवाहित होता न ही किसी का व्यापार बन्द होता जो आप समझ नहीं रहे हैं।
त्रिखोटी लाल - हां हां अब तो मैं समझ गया हूं कि तुम भी अपने बाप पर ही गई हो, वह भी किसी की नहीं सुनता है कल ही मैंने उस से कहा था कि अपनी कार मे नीम्बू मिर्च टांग ले, लेकिन उसने सुनी अनसुनी कर दी, कल हो गया न टायर पंक्चर !! पर मेरी सुनता ही कौन है।
अन्तरा - तो आपके कहने का अर्थ है कि पापा ने कार मे नींम्बू मिर्च नहीं लटकाया था इसलिए कार का टायर पंक्चर हो गया ?
त्रिखोटी लाल - और नहीं तो क्या ! अरे इतनी मंहगी कार है आते जाते बहुतों ने देखा होगा, तो लग होगी किसी की नजर।
अन्तरा - अच्छा ! तो अगर कार मे आपके कहे अनुसार नींबू मिर्च लटका देते तो कार का टायर पंक्चर नहीं होता ?
त्रिखोटी लाल - और नहीं तो क्या ! जिसे तुम महज नींबू मिर्च समझ रही हो, वह कोई साधारण वस्तु नहीं है, जिसमे बुरी नजर से बचाने की शक्ति हो वह कोई साधारण वस्तु होगी ? पर तुम आजकल के बच्चे क्या जानों शास्त्रों के ज्ञान को।
अन्तरा - मैं तो शास्त्रों के ज्ञान को समझने की ही कोशिश कर रही हूं चाचा जी ! अब देखिए न, आपने कहा कि कार मे नींबू मिर्च लटकाने से टायर पंक्चर नहीं होता ! और मैंने मान लिया।
त्रिखोटी लाल - चलो अच्छा है मान लिया, कुछ बात तो तुम्हें समझ मे आई।
अन्तरा - चाचा जी आप समझाएंगे तो समझ मे आयेगी न !
इसके बाद अन्तरा घर की रसोई मे चली गई और वहां से अपने साथ नींबू और मिर्च लेकर बरामदे मे खङी कार की ओर गई और चाचा जी के कहे अनुसार नींबू और मिर्च कार मे बांध आई।
अन्तरा - लीजीए चाचा जी ! जैसा आपने कहा था मैंने वैसा ही कर दिया. अब तो कार का टायर पंक्चर नहीं होगा न !
त्रिखोटी लाल (मुस्कुराकर) - अरे जब किसी की बुरी नजर ही नहीं लगेगी तो क्यों होगा ! अब सवाल ही नहीं उठता कि किसी की बुरी नजर कार को लग जाए।
त्रिखोटी लाल के इस उत्तर के साथ ही अन्तरा भी मुस्कुरा दी और अपने छोटे भाई कार्तिक के कान मे कुछ कहा उसे सुनकर वह बाहर चला गया। कुछ देर बाद कार्तिक आया तो उसके हाथ मे एक हथौङा और एक बङी सी कील थी जो उसकी बहन अन्तरा ने लाने को कहा था जो उन वस्तुओं को पङोस मे किसी से मांग कर लाया था आते ही उसने कील और हथौङा अपनी बहन के आगे रख दिया। अब अन्तरा उठती है और कील व हथौङी लेकर कार की ओर बढती है कार्तिक भी साथ मे हो लेता है, और चाचा त्रिखोटी लाल हैरत भरी नजरों से दोनों के देख रहें होते है शायद समझने का प्रयास कर रहे होते है कि क्या हो रहा है। कार के पास पहुंच कर अन्तरा कील को कार के आगे के दाहिनी ओर के टायर जो चाचा त्रिखोटी लाल के नजरों के ठीक सामने है, पर कील रखकर कार्तिक से उस पर हथौङी से मारने को कहती है पर इस से पहले की कार्तिक हथौङी मारे चाचा जी बीच मे ही उन्हें रोककर कहते है -
त्रिखोटी लाल - अरे बेटा ये क्या कर रहे हो तुम दोनों ! कार के टायर मे कील क्यों गाङ रहे हो बिना वजह के टायर खराब क्यों कर रहे हो !! चाचा जी ने हैरत भरे अन्दाज मे कहा।
चाचा जी की बात सुनकर अन्तरा उठी और कील कार्तिक के हाथ मे पकङा कर चाचा जी की ओर आकर कहने लगी -
अन्तरा - चाचा जी हम कार का टायर पंक्चर नहीं कर रहें है बल्कि ये नींबू मिर्च जो आपने कार मे बांधने को कहे है उनकी शक्ति देखना चाहते है, हम भी तो देंखे कि नींबू मिर्च टांगने के बाद टायर पंक्चर होता है कि नहीं।
अन्तरा की बात सुनते ही चाचा जी को तो जैसे पसीने छूट गए हों, उन्होनें ने स्वप्न मे भी नहीं सोचा था कि कभी उनके बताए टोटके की कोई इस तरह से परीक्षा लेगा। खैर वह किसी तरह से बात को सम्भालने का प्रयास करने लगे या यूं कहिए कि अपनी पोल न खुले इसक प्रयास करने लगे।
त्रिखोटी लाल - अरे बेटा तुम्हें यही देखना है न कि नींबू मिर्च का ये टोटका काम करता है कि नहीं, यही न ! तो देख लेना जब आज के बाद कार का टायर पंक्चर नहीं होगा तब देख लेना ! अभी टायर को बेकार मे ही खराब करने की क्या आवश्यकता है... मेरी मानो और समय का इन्तजार करो.. हैं!!
अन्तरा - चाचा जी ! अब कार का टायर तो क्या पता कब पंक्चर होगा, होगा भी कि नहीं किसे पता, और टायर रोज रोज तो पंक्चर होता नहीं है तो मान लो कि एक महीने तक नहीं हुआ तो आप यह भी कह सकते हैं कि आपके बताए टोटके के कारण नहीं हुआ, अब इतना लम्बा इन्तजार तो मैं नहीं कर सकती हूं न ही मेरे पास इतना समय है मुझे तो अभी के अभी देखना है.. Advance में... आप खामखा घबरा रहें है कुछ नहीं होगा, आपके ये नींबू मिर्च है न ! वह सम्भाल ही लेंगे, या फिर आपको अपने टोटके पर यकीन नहीं है ?
त्रिखोटी लाल - अरे नहीं नहीं बेटा, ऐसा नहीं है 30 साल से ज्योतिष कर रहा हूं विश्वास नहीं होता तो करता ही क्यों, पर तुम पढ़ी लिखी हो समझदार हो, तनिक सोचो कि कील ठोंकने से टायर पंक्चर होने से भला किस प्रकार से बच सकता है ! यह तो स्पष्ट है कि टायर पंक्चर होगा ही इसमे कैसी परीक्षा !
अन्तरा - चाचा जी लगता है आप भूल गए है.. थोङी देर पहले ही तो आपने कहा था कि कार मे नींबू मिर्च टांग दो तो कार का टायर पंक्चर नहीं होगा !
त्रिखोटी लाल - अरे हां हां कहा था, पर यह थोङी कहा था कि कील और हथौङी से करोगी तो नहीं होगा, टायर मे कील ठोकोगी तो टायर पंक्चर ही होगा इतना तो कोई बेअक्कल भी समझ सकता है।
अन्तरा - पर चाचा जी, जब कार मे नींबू मिर्च टांग दिया है फिर टायर पंक्चर कैसे होगा ? नींबू मिर्च के रहते होना ही नहीं चाहिए न !
त्रिखोटी लाल - अरे कोई समझाओ इस निर्बुद्धि को ! अरे नींबू मिर्च बुरी नजर से बचाव के लिए है न कि हथौङे से टायर मे कील ठोंक कर उसे पंक्चर होने से बचाने के लिए - कुछ समझीं।
अन्तरा - ओ हो चाचा जी इन नींबू मिर्च को थोङी न पता है कि कार का टायर सङक पर पंक्चर हुआ है कि हथौङे से कील ठोंक कर ! और टायर चाहे सङक पर पंक्चर हो या घर मे, होता तो किसी नुकीली चीज से ही है न ! नींबू मिर्च का काम तो उसे पंक्चर होने से बचाना है, इसी काम के लिए तो लगाया है कि नहीं।
त्रिखोटी लाल (झल्लाकर) - अरे बेवकूफ लङकी, अगर जानबूझ कर टायर मे कील ठोंक कर उसे पंक्चर करोगी ! तो नींबू मिर्च तो क्या स्वयं भगवान भी नहीं बचा सकते है टायर को फटने से।
अन्तरा - यही तो मैं कहना चाहती हूं चाचा जी... कि जब भगवान भी टायर को पंक्चर होने से नहीं बचा सकते, तो ये नींबू मिर्च कैसे बचा सकते है ? भगवान के सामने इनकी क्या बिसात !
त्रिखोटी लाल - देखो बेटा, यह टोटका कार को बुरी नजर से बचाने के लिए है, किसी की बुरी नजर के कारण कार को कोई हानि नहीं होगी। बाकि यह तो मशीन है चलेगी तो खराब तो होगी ही पर बात यह है कि इस टोटके से बुरी नजर के कारण कोई खराबी नहीं आयेगी उसके लिए है ये नींबू मिर्च न कि कील ठोंक कर टायर फाङने के लिए।
अन्तरा - पर चाचा जी इन नींबू मिर्च को कैसे पता चलेगा कि कार को किसी की बुरी नजर लग गई है, और उन्हें उसे खराब होने से बचाना है, और फिर हमें भी कैसे पता चलेगा कि कार बुरी नजर लगने से खराब हुई है या ऐसे ही।
त्रिखोटी लाल (अपनी एक न चलते देखकर) - क्या दवा को पता होता है कि उसे कौन सा रोग ठीक करना है ? तब भी वह रोगी को ठीक करती है कि नहीं, जैसे दवा रोगी को रोग मुक्त करती है ठीक वैसे ही ज्योतिष के टोटके काम करते है, कोई माने या न माने।
अन्तरा (ठिठोली अन्दाज में) - ओ हो चाचा जी, आप तो कहां कि बात कहां ले गए ! कहां मुश्किल से 300 साल पुराना विज्ञान, और कहां आपका हजारों साल पुराना ज्योतिष ! भला इन दोनों का क्या मुकाबला..
त्रिखोटी लाल (बीच मे बात काटते हुए) - हां... अब तुम समझीं हो ज्योतिष को, यह कोई मजाक मे उङाने की वस्तु नहीं है न ही इसे हर कोई यूं ही एक दिन मे समझ ही सकता है यह तो वह ज्ञान है जिसे पाने के लिए पापङ बेलने पङते है तब जाकर गुरु की कृपा प्राप्त होती है बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है, कुछ समझीं कि नहीं।
अन्तरा - अरे चाचा जी ! जब आपके जैसा ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले गुरु जी समझाएगें मैं क्यों नहीं समझूंगी ! बस आप समझाते जाइए और मैं समझती जाऊंगी। हां तो आपने कहा कि जैसे दवा काम करती है वैसे ही ज्योतिष के टोटके काम करते है और ये नींबू मिर्च जो कार से बंधे हुए है, वह भी ऐसे ही काम करते है, बिल्कुल.. दवा की तरह.. मैं सही कह रही हूं न !
त्रिखोटी लाल - बिल्कुल सही कह रही हो।
अन्तरा - पर चाचा जी, दवा तो तब काम करती है जब रोग हो गया हो मतलब की दवा रोग को ठीक करती है और आपके इन नींबू मिर्च ने तो कार को खराब होने से बचाना है, बात तो तब बने जब कार खराब हो और उसमे नींबू मिर्च टांगते ही वह ठीक हो जाए जैसे दवा खाने पर मरीज ठीक होता है, है कि नहीं !
त्रिखोटी लाल - अब तुम बात को कहीं की कहीं ले जा रही हो, मैंने ऐसा कब कहा कि नींबू मिर्च कार की खराबी को ठीक कर देंगे ? बल्कि मैंने कहा कि किसी की बुरी नजर के कारण कार मे कोई खराबी नहीं आयेगी और तुमने पूछा कि ऐसा कैसे होता है तो इसे समझाने के लिए मैंने तुम्हारे विज्ञान की भाषा मे तुम्हें बताया कि जैसे दवा काम करती है वैसे ही ज्योतिष के टोटके काम करते है, अब इसमे खराब कार को ठीक करने की बात कहां से आ गई ! जब कार खराब ही नहीं होगी तो।
अन्तरा - चाचा जी, मैं भी तो उसी विज्ञान की भाषा मे ही समझना चाहती हूं.. कि ये बुरी नजर लगती कैसे है, नींबू मिर्च कार को कौन सी बुरी नजर से बचायेगें और कैसे बचायेंगे ? उस बुरी नजर से कार खराब कैसे हो जायेगी ? नींबू मिर्च को कैसे पता कि किसकी नजर अच्छी है और किसकी बुरी ? इनको कैसे पता चलेगा कि कब किस वक्त कहां पर किसकी बुरी नजर लगी ? और आपके ये नींबू मिर्च का टोटका कार को खराब होने से, टायर पंक्चर होने से कैसे बचायेगा ? बुरी नजर से कार मे खराबी कैसे हो जायेगी ? नींबू मिर्च लगाने से ऐसा क्या हो जायेगा कि कार खराब नहीं होगी न टायर पंक्चर होगा ? अगर कभी कार खराब हो गई तो इसकी क्या गारंटी है कि कार बुरी नजर से खराब नहीं हुई ? अब मैं तो इसके बारे मे कुछ भी नहीं जानती हूं पर आपने तो 30 साल से ज्योतिष कर रहें है आप तो सब जानते ही होंगे तो मैं आपसे ही समझना चाहती हूं... अब आपने तो कह दिया कि जैसे दवा काम करती है, पर दवा न तो बुरी नजर से बचाने के लिए होती है, न बचा सकती है, न खराब कार को ठीक कर सकती है और न ही टायर पंक्चर होने से बचा सकती है.. तो ज्योतिष के टोटके और दवाई का कोई मेल ही नहीं हुआ ! फिर मैं इस बात को कैसे मान लूं जो आप कह रहें है।
अन्तरा के तार्किक प्रश्नों को सुनकर चाचा जी को जैसे सांप सूंघ गया हो इधर हिले तो मरे उधर हिले तो मरे ऐसी स्थिति मे केवल एक ही रास्ता बचता था किसी तरह से विषय को बदलना जिस से कि उन्हें कुछ भी सिद्ध नहीं करना पङे पर अन्तरा भी कहां कम थी उसके पास भी चाचा त्रिखोटी लाल जी के हर बात का उत्तर था क्योंकि वह उनकी हां मे हां न मिलाकर अपनी आधुनिक शिक्षा व ज्ञान को सर्वोपरि रख रही थी जिसकी उसे आवश्यकता भी थी। पर इन सब मे भी एक विशेष बात थी और वह बात थी उसका आत्मविश्वास जो उसे किसी भी कार्य को करने के लिए प्रेरित करता था साथ ही  अन्तरा अन्धविश्वासी नहीं थी भले ही उसकी परवरिश अन्धविश्वासी महौल मे हुई थी पर जैसे कमल कीचङ मे खिलकर भी कीचङ से अछूता ही रहता है उसी तरह अन्तरा भी अन्धविश्चास से अछूती थी इन्हीं कारणो से अन्तरा चाचा त्रिखोटी लाल जो कि पेशे से ज्योतिषी थे, को निरुत्तर कर पाई। पर त्रिखोटी लाल भी एक मंझे हुए ज्योतिषी थे बात को बदलकर अपने आप को बचाना वह बखूबी जानते थे तो वही करने लगे।
त्रिखोटी लाल - देखो बिटिया ! हमने एक बार कह दिया सो कह दिया, जैसे हर बीमारी के लिए अलग दवाई होती है वैसे ही बुरी नजर से बचने का यह टोटका है जो बुरी नजर से बचाता है अब तुम मानो या न मानो लेकिन ये सत्य है।
अपने इस वाक्य को कहने के साथ ही वह अब सारी बात बुरी नजर पर डाल रहे थे जिससे कि कुछ तो बात बन जाए।
अन्तरा - तो आपके कहने का अर्थ है कि बुरी नजर जैसी भी कोई चीज होती है ! अच्छा तो आप मुझे बताएं कि बुरी नजर कैसे लगती है मैं अभी अपनी कार को लगाती हूं और फिर देखती हूं कार का टायर पंक्चर होता है कि नहीं... चलिए बताइए मैं इस कार को बुरी नजर कैसे लगाऊं।
त्रिखोटी लाल - होती है, क्यों नहीं होती ! पर इसे वही समझ सकता है जो इन बातों को मानता हो, तुम तो किसी बात को मानती ही नहीं हो तो तुम्हें क्या पता कि बुरी नजर क्या होती है.. उससे पूछो जिसको लगी हो - भूख प्यास होती है कि नहीं होती ! अब अगर कोई कहे कि नहीं होती तो क्या वह नहीं होगी, अब तुम इसको भी नक्कार दोगी कि भूख प्यास नहीं होती तो क्या मैं इसे भी सिद्ध करता रहूंगा ! ऐसे कुतर्कियों से कौन कुतर्क कर अपना समय खराब करे। मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं हर बात को सिद्ध करता रहूं वो भी कुतर्की के लिए... मेरे पास और भी काम है करने के लिए, मैं जा रहा हूं... अपनी अम्मा पिताजी को बोल देना कि मै आया था।

अन्तरा के तर्क का चाचा जी के पास कोई उत्तर तो था नहीं इसलिए वह खिसकने मे ही अपनी भलाई समझने लगे तो चल दिए। पर अब वह भी क्या करे जैसा किसी ने सिखा दिया था वैसा ही किये जा रहे थे या यूं कहिए कि उनके पास अपनी समस्या के समाधान के लिए जाने वाले व्यक्तियों को मूर्ख बना रहे थे और उनका ठगी का यह धंधा फल फूल रहा था क्योंकि उनके पास आने वाले व्यक्तियों मे अन्तरा जैसी कोई नहीं थी/था जो अपनी शिक्षा व ज्ञान के प्रयोग के साथ तर्क कर सही तथ्य की तह तक जाने की क्षमता व योग्यता रखता हो। पर आज स्थिति अन्य दिनों से भिन्न है क्योंकि आज त्रिखोटी लाल जी के सामने कोई अन्धविश्वासी ग्राहक नहीं बल्कि इस देश की शिक्षित बुद्धिमान और जिज्ञासु महिला है जिसका नाम अन्तरा है जो हम सबके अन्तर्मन मे निवास करती है बस आवश्यकता है तो उसे जगाने की।

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