ज्योतिषीयों की
हमेशा यह मांग रहती है कि किसी व्यक्ति की कुंडली लेकर आओ जिसमे फालाणा सिद्धान्त
हो और उसके जीवन मे उस सिद्धान्त के विपरीत फलित हो रहा हो तब वह मानेगें कि
ज्योतिष बोगस है जब्कि इस ग्रुप मे किसी ज्योतिषी से नहीं कहा जा रहा है कि वह यह
माने कि फलित ज्योतिष बोगस है. लेकिन आज जो सिद्धांत लिखा जा रहा है उसे सही सिद्ध
करने के लिए अब मैं ज्योतिषीयों से कहता हूं जाओ और किसी एक व्यक्ति की कुंडली
लेकर आओ जिसमे यह सिद्धांत लागू होता हो.
चन्द्रः कविं
कविश्चन्द्रमन्यो§स्यं
त्रिभवस्थितः।
मिथः पश्यति वा
क्वापि राजयोग उदाह्रतः।।
अर्थ - यदि
चन्द्रमा से शुक्र, या शुक्र से
चन्द्रमा तीसरे स्थान पर स्थित हो कर, एक दूसरे पर परस्पर दृष्टि सम्बन्ध रखते हुए कहीं पर भी स्थित हो तो राजयोग
होता है। - वृहदपाराशर होराशास्त्र - 39/41
विश्लेषण - यह
सिद्धांत पूर्णतया बोगस है क्योंकि शुक्र और चन्द्रमा एक दूसरे से ३/११वें स्थान
मे स्थित होने पर परस्पर दृष्ट नहीं हो सकते है क्योंकि शुक्र और चन्द्रमा की
दृष्टि ७वीं होती है तो दोनो मे परस्पर दृष्टि सम्बन्ध एक दूसरे से ७वें भाव मे
स्थित होने पर ही सम्भव है इसलिए एक दूसरे से ३/११ मे स्थित होने पर परस्पर दृष्टि
न होने से यह योग भी नहीं बनेगा। इस प्रकार जिज्ञासु मित्र समझ सकते है कि
ज्योतिषी क्यों सिद्धांतो पर चर्चा नहीं कर रहें है जिसका कारण स्पष्ट है कि
सिद्धांत बोगस है तो वह क्या चर्चा करे और किस पर जब कुछ सही है ही नहीं।
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