1.नामकरण चन्द्रमा स्थित राशि नक्षत्र के चरणाक्षर पर ही क्यों किया जाता है किसी अन्य ग्रह स्थित राशि नक्षत्र पर क्यों नहीं। उतर मे यह मत कहना कि शुभ होता है क्योंकि चन्द्रमा महीने मे दो दिन अपनी नीच राशि मे होता है, 12 दिन चन्द्रमा को अपना शत्रु मानने वाले ग्रहो कि राशि मे, 10 दिन उन्ही शत्रुओ के साथ मे स्थित होता है - तो काहे का शुभ ? इसका कोई वैज्ञानिक आधार हो तो बताएं।

2.चन्द्रमा स्थित नक्षत्र के स्वामी ग्रह से ही महादशा का प्रारम्भ क्यों लिया जाता है किसी अन्य ग्रह स्थित नक्षत्र के स्वामी ग्रह से क्यों नहीं।

3.चन्द्रमा स्थित राशि ही व्यक्ति की राशि क्यों होती है - इसके उतर मे भी यह मत कहना कि जब नाम ही चन्द्र राशि पर है तो राशि भी वही होगी - यह मैं भी जानता हूं। राशि के लिए अन्य ग्रहो का चुनाव क्यों नहीं किया जाता है यह बताएं।
4.हिन्दी वर्णमाला के अक्षर किस प्रकार से सभी राशि और नक्षत्रो मे विभाजित किए गए - अर्थात मेष राशि कि च चू ची देना है और तुला राशि को र रू रे - यह विभाजन किस प्रक्रिया के तहत किया गया।
5.राहु केतु को किसी राशि का स्वामी क्यों नहीं बनाया गया - ऐसे मे उनके कुंडली मे होने का क्या औचित्य है ?
6.जब राहु केतु को राशि का स्वामी ही नहीं बनाया गया तो नक्षत्रो का स्वामित्व उन्हे क्यों दे दिया गया और किस आधार पर।
7.मिथुन धनु व कुम्भ राशि मे कोई भी ग्रह उच्च अथवा नीच का क्यों नहीं होता है इन राशियो मे ऐसा क्या है जो किसी ग्रह को उच्च रखा गया न ही नीच।
8.राशियों मे नक्षत्रो का विभाजन किस प्रकार से किया गया - अर्थात कई नक्षत्रो के आधे व चौथाई भाग को किस आधार पर दूसरी राशि, ग्रह के स्वामित्व मे दे दिया गया।
9.नक्षत्रो को - वर्ग, योनि, गण, नाङी आदि मे किस प्रकार वर्गीकृत किया गया - अर्थात यह कैसे निर्धारित किया गया कि इस नक्षत्र की अश्व योनि, गण देव, नाङी आद्य आदि होगी।
10.और सबसे बङी बात - वेद मे 28 नक्षत्रो का उल्लेख है फिर ज्योतिष मे 27 नक्षत्र ही क्यों रखे गए. 1 नक्षत्र को किस कारण सम्मिलित नहीं किया गया।
ज्योतिषीयो के द्वारा ही कहा जाता है कि 98% ज्योतिष ठग है, तो जो 2% सही ज्योतिषी रह जाते है - जाहिर है ग्रुप मे भी होंगे ही - वह इन प्रश्नो के उतर भी दे ही सकते है. यदि ज्योतिष सही है - जैसे ज्योतिषी कहते है - तो कम से कम उन 2% ज्योतिषीयो को इन प्रश्नो के उतर पता ही होगें तो आगे आकर चर्चा कर अनेक मित्रो को बता सकते है कि वह 98% ठग ज्योतिषीयो मे से नहीं है. इन प्रश्नो मे एक भी प्रश्न ज्योतिष से बाहर का नहीं है न ही कोई ऐसा है जो किसी ज्योतिषी ने ज्योतिष विषय मे डिग्री लेते समय पढा न हो इसलिए इन प्रश्नो के उतर उन्हे अच्छी तरह से पता होने चाहिए। अब अगर ज्योतिषी डिग्रीधारी होकर भी इन प्रश्नो के सही उतर नहीं दे पाए तो समझ ले कि ज्योतिष बोगस है और ज्योतिषी ठग जो आपको मूर्ख बनाकर लूट रहे है जिनकी डिग्री केवल आपको मूर्ख बनाकर लूटने तक ही सीमित है। ऐसे ज्योतिषी यदि कहीं अन्यत्र भविष्यवाणी अर्थात टुल्लेबाजी करते किसी अन्जान व्यक्ति को मूर्ख बनाते हुए नजर आए तो उनकी वहीं पर पोल खोल दीजीए - जिससे अन्य मित्र भी उनकी ठगी का शिकार होने से बच जाए।

एक टिप्पणी भेजें

 
Top