एक सफल ज्योतिषी बनने के लिए व्यक्ति को मूर्ख बनाने की कला का ज्ञान होना आवश्यक होता है। यदि वह ज्ञान आपको नहीं है तो आप एक सफल ज्योतिषी नहीं बन सकते है। इसमे कोई शक नहीं है कि आपके ग्राहक अक्कल के अन्धे है परन्तु उन्हे भी मूर्ख बनाना आना चाहिए जो मनोविज्ञान समझने के पश्चात ही संभव है। ज्योतिष की किताबे पढकर आप एक ज्योतिषी तो बन गए परन्तु सफल भविष्यवक्ता के लिए भविष्यवाणी का सही होना आवश्यक होता है। और भविष्यवाणी तभी सही होगी जब आपकी कही बातो से व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रुप संतुष्टि प्राप्त हो जाए। यदि आप नए नए ज्योतिषी ही बने है तो ज्योतिष के सिद्धांतो से कोई सही भविष्यवाणी कर पाएगें यह आपका वहम है वह सब के सब बोगस है जिसका ज्ञान आपको वर्षो के अनुभव बाद ही होगा। बेशक आपने सभी सिद्धांतो को रट्ट लिया है लेकिन वह किसी काम नहीं आएगें जैसे कि - जन्म के समय यदि राहु ९वें या १०वें भाव मे हो तो जातक की आयु १६ वर्ष की होती है - राहु प्रत्येक दिन ४ घंटे के लिए ९/१०वें भाव मे होता है, हर दिन उन चार घंटो मे जन्म लेने वाले अंसख्य बच्चो की आयु महज १६ वर्ष ही हो यह सम्भव नहीं है। आपको ऐसी कोई कुंडली मिल ही जाएगी जिसकी संयोगवश १६ वर्ष ही आयु थी और राहु ९/१०वें भाव मे - बस वही कुंडली का उदाहरण देकर आप अन्य व्यक्तियो को भी फसा सकते है विशेषकर उन्हें जो ज्योतिष मे कम विश्वास करते है। इसी तरह से संयोगवश सही हुई भविष्यवाणी अर्थात टुल्लेबाजी के कारण सिद्धांत को सही समझने की भूल कदापि न करे। क्योंकि किसी एक व्यक्ति कुंडली मे कोई सिद्धांत सही लग भी गया तो दूसरे की कुंडली मे बिलकुल भी नहीं लगेगा तीसरे चौथे की तो बात ही बहुत दूर है - यह बात आपको धीरे धीरे ज्ञात हो जाएगी। जैसे जैसे आप कुंडलियां देखते जाएगें तो आप पाएगें कि एक ही कुंडली मे धन योग है तो दरिद्र योग भी है, विवाह का योग है तो तलाक का योग भी, नौकरी का योग के साथ ही व्यापार का योग भी। इस तरह कोई भी योग स्पष्ट न होने के कारण आप किसी सही नतीजे पर नहीं पहुंच पाएगें तो भविष्यवाणी भी नहीं कर पाएगें। जैसे कि तुला लग्न मे सूर्य कन्या राशि का होकर द्वादश भाव मे स्थित हो तो जातक की आयु १०० वर्ष होती है। प्रत्येक वर्ष एक महीने के लिए सूर्य कन्या राशि मे स्थित होता है और उस एक महीने मे सुबह के समय तुला लग्न मे पैदा हुए सभी व्यक्तियों की आयु १०० वर्ष ही हो यह भी संभव नहीं है। इसका सबसे बङा उदाहरण है महात्मा गांधी जिन्का तुला लग्न था और सूर्य कन्या मे १२वे भाव मे और आयु ७९ वर्ष थी। इसलिए सिद्धांतो को भूल कर मनोविज्ञान को सीखीए तभी भविष्यवाणियां सही होगीं।
जैसे ही व्यक्ति आपके पास आते है वह वैसे ही आपको उनके टेपरिकार्डर का पले का बटन दबाना है। जिसके बाद वह अपने दिमाग की कैसेट मे उपलब्ध जानकारी को किसी मधुर संगीत की तरह बजाते जाएगें आपको तो केवल वह याद रखना है। जब कैसेट समाप्त हो जाए उसके बाद आप अतीत की बातो से भविष्यवाणी की शुरुआत करें जैसे कि आपके एक नाक है दो कान आंखे है, चश्मा लगा हो तो दृष्टि दोष है आदि - वह सही न हो प्रश्न ही नहीं उठता है। कभी भी निश्चित समय की भविष्यवाणी न करें क्योंकि वह कभी सही नहीं होने वाली है। इसलिए भविष्यवाणी ऐसी होनी चाहिए जो सही हो या न हो परन्तु व्यक्ति को यही लगे कि भविष्यवाणी सही हुई। जैसे कि किसी ने प्रश्न किया कि क्या मुझे नौकरी मिलेगी, सरकारी मिलेगी कि प्राईवेट - तो पहले व्यक्ति की शिक्षा और योग्यता की परख कर ले। यदि व्यक्ति मे योग्यता हुई तब भी यह मत कहें कि सरकारी नौकरी ही मिलेगी, उसकी बजाय सरकारी नौकरी का योग है ऐसा कहें। यदि इतनी योग्यता नहीं है तो कहें कि प्राईवेट नौकरी का योग है अथवा यह ज्यादा अच्छी रहेगी, आप यह भी कह सकते है कि सरकारी क्षेत्र मे लाभ कम होगा अथवा इसका उलट। परिश्रम और योग्यता अनुसार नौकरी सरकारी मिले या प्राईवेट आपकी भविष्यवाणी सही हो ही जाएगी। इसी तरह से यदि आपने किसी से कह दिया कि सरकारी नौकरी का योग नहीं है जो मिलना इतना सरल नहीं रह गया है, और न मिलने की स्थिति मे व्यक्ति भविष्यवाणी को सही मानते रहेगें व ग्रहो दोष देते रहेगें कि कुंडली मे स्थिति अच्छी न होने के कारण वह नौकरी से वंचित है। अर्थात आपको कोई भी निश्चित भविष्यवाणी नहीं करनी है बस उसे कहना इस प्रकार से है कि उसके अनेक अर्थ निकले। व्यक्ति अपनी सुविधानुसार कोई अर्थ चुन लेगें और उन्हे यही लगेगा कि हां ज्योतिषी की भविष्यवाणी सही हुई।
आप कितने बङे विद्वान ज्योतिषी है और आपकी भविष्यवाणी कितनी सही व सटीक है, यह जताने के लिए अखबार आदि मे छपने वाले अपने लेख मे किसी प्रसिद्ध हस्ती की कुंडली का विश्लेषण अर्थात पोस्टमार्टम करते रहिए। प्रसिद्ध व्यक्ति की कुंडली इसलिए क्योंकि उनके बारे मे पूरी दुनिया जानती है - उनके खान पान से लेकर जीवन के अनेक उतार चढाव से परिचित होते है। आपको उनके जीवन मे घटित महत्वपूर्ण घटनाओ का ग्रहो से कुछ इस प्रकार से से सामंजस्य बिठाना है कि पढने वालो को यही लगे कि सब ग्रहो की वजह से ही हुआ है। जब आप हर घटना को ग्रहो से जोङकर यह लिखते है जैसे कि - गजकेसरी योग ने बनाया उन्हे धनवान, विपरीत राजयोग के कारण उच्च पद मिला, कालसर्प योग के कारण हुआ बेङा गर्क आदि - तो पढने वालो के मन मे यही विचार आता है कि ज्योतिषी जी ने बिल्कुल सही लिखा है उनके जीवन मे यही सब हुआ है। इस से ज्योतिष पर उनका विश्वास और अधिक दृढ़ होता है और वह ज्योतिष को सही मानकर और आपको एक बङा विद्वान समझकर तलाश प्रारंभ कर देते है। यदि सभी आपके पास नहीं भी आए तो भी कोई चिन्ता नहीं किसी न किसी के पास तो जाएगें ही ! मतलब तो उन्हे अन्धविश्वासी बनाने से है ताकि धन्धा चलता रहे - बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी। एक डाक्टर जब किसी मुर्दे का पोस्टमार्टम कर जो रिपोर्ट देता है वही सही होती है क्योंकि मुर्दा तो कहने से रहा कि डाक्टर सही है या गलत। ज्योतिष के विषय मे आप डाक्टर है और आपका मुर्दा है ग्रह - बाकि आप समझ ही गए होगें।
ज्योतिष पर भी कुछ न कुछ लिखते रहिए जैसे कि कोई ग्रह योग दोष आदि का फल तात्कालिक ग्रहीय स्थिति के पङने वाले प्रभाव के विषय मे भी लिखा जा सकता है। जैसे कि ग्रह के किसी राशि मे स्थित होने का फल, व किसी ग्रह के राशि परिवर्तन से पङने वाले प्रभाव एवं फल इत्यादि। शनि राहु केतु मंगल इन ग्रहो से लोग इतना डरते है जितना कि एक शादीशुदा इन्सान अपनी पत्नी से। इन मे से किसी ग्रह को पकङ कर उनके विभिन्न राशियो पर पङने वाले प्रभाव से सम्बन्धित मिश्रित फल की विवेचना करते हुए एक लम्बा से लेख समय समय पर लिखते रहे। मिश्रित फल इसलिए क्योंकि करोङो व्यक्तियो के साथ क्या होने वाला है यह कैसे बताया जा सकता है। अतः सामान्यत ऐसे विषय जो सभी के लिए समान होते है, उनके बारे मे ही शुभ अशुभ फल को सन्तुलित करते हुए ही लिखे इस से पढ़ने वाले व्यक्तियों की वर्तमान परिस्थितियो से कुछ न कुछ मेल अवश्य ही मिल जाएगा। जैसे कि इस समय मे इस इस राशि वालो के लिए नौकरी मिलने का योग है, उस राशि के लिए विवाह का व किसी विशेष स्थिति के लिए सफलता प्राप्ति आदि। अब एक ही राशि के अन्तर्गत असंख्य व्यक्ति आते है तो किसी न किसी को नौकरी मिल ही जाएगी और अनेक विवाह भी होंगे ही व पुरूषार्थ से सफलता प्राप्ति भी - और भविष्यवाणी सही। चाहे तो स्वास्थ्य खराब रहने, हड्डी-वड्डी टूटने, प्रेम सम्बन्धो मे मिठास/खटास, आर्थिक स्थिति अच्छी न रहने, पारिवारिक रिश्तों मे तनाव आदि के योग भी लिख सकते है जिसकी पूर्ण गारंटी होती है आप लिखे या न लिखे। इसी आधार पर आप दैनिक साप्ताहिक मासिक यहां तक कि वार्षिक राशिफल भी लिख सकते है। इसके लिए आपको मेहनत केवल एक बार ही करनी होती है उसके बाद तो पहले लिखे जा चुके लेख मे ही हेर फेर कर नया रुप देना है। लेखन कार्य के लिए किसी पेशेवर की सेवाएं भी ली जा सकती है जो आजकल सस्ते दाम पर उपलब्ध हो जाती है।
यह बात सदैव स्मरण रखे कि आपके पास आने वाले व्यक्तियो के पास अक्कल का अकाल होता है। वह अन्धविश्वासी है इसलिए यदि छींक भी आ जाए तो उसके लिए भी कोई ग्रह ही जिम्मेदार होता है। अतः उनके जीवन मे जो कुछ भी अच्छा या बुरा हो रहा है वह ग्रहो के शुभ अशुभ प्रभाव के कारण ही हो रहा है, यह बात समझाने के लिए अधिक परिभाषा की आवश्यक्ता ही नहीं है। आपको तो बस उनकी छींक का किसी ग्रह से - जो भी आपकी इच्छा हो - उस से सम्बन्ध बताना है बाकि कहानी वह स्वयं ही बना लेगें। आपको उनकी अन्धविश्वास की गाङी को अपनी ग्रह रुपी पटरी पर दौङाना है जिस पर एक बार सवार होने पर वह आजीवन उसी मे रहेगें व और मुसाफिर लेकर आएगें जो मूर्ख बनने के भी पैसे देकर जाएगें। आपको तो केवल उस पटरी को उनके जीवन मे घट चुकी घटनाओ का ग्रहो से सांमजस्य बिठा कर बिछाते रहना है - जैसे जैसे आप व्यक्ति के मनोविज्ञान को समझने की कला मे प्रवीण होते जाएगें मूर्ख बनाना भी उतनी ही अच्छी तरह से आता जाएगा।

अब तक आप यह समझ ही गए होगें कि भविष्यवाणी अर्थात टुल्लेबाजी किस तरह से सही की जाती है। इसलिए अब इस मे कोई विशेष परेशानी नहीं होनी चाहिए तो मनोविज्ञान को समझ कर स्वयं को एक प्रतिष्ठित ज्योतिषी के रुप मे स्थापित कर ठगी के धन्धा करते रहिए।

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