हमारा सामाजिक और पारिवारिक परिवेश ही अन्धविश्वास से परिपूर्ण है इसलिए ऐसे परिवेश मे किसी वैज्ञानिक चेतना का विकास होना लगभग न के बराबर ही रहता है - धन्य है वह व्यक्ति जिन्होने उसी चेतना को अपने अन्दर विकसित होने दिया और मानवता को एक नई दिशा दी जिसके कारण आज हम प्रगति के पथ पर चल रहे है। परन्तु इतना होने के पश्चात भी आज भी अधिकतर समाज अन्धविश्वासी ही है उनके लिए आज भी पृथ्वी स्थिर है, सूर्य उसके गिर्द घूमता है और राहु केतु ग्रहण के कारण है। निर्जीव पदार्थ मात्र ग्रह भविष्य का निर्माण कर उसे ज्योतिषीयो के पास सुरक्षित रखते है जिसमे वह स्वतत्वाधिकार सहित किसी भी संशोधन के लिए प्राधिकृत है और व्यक्ति भी जब चाहे अपने भविष्य से सम्बन्धित किसी भी घटना को(जो अच्छी न लगे) उसे टोटके करके बदल सकते है। कितनी सुविधा हो गई है कर्महीन जीवन भाग्यवादी विचार व निर्बुद्धि के चलते ! ऐसे ही तो वैज्ञानिक चेतना आएगी और आपके बच्चे भी एक दिन बहुत बङे वैज्ञानिक/डाक्टर आदि बनेगें - टोटके, रत्न, ग्रह योग से ही ज्योतिषी के द्वार पर पालथी लगाए बैठे हुए। विज्ञान के प्रसार के पश्चात भी हम अन्धविश्वासी जीवन जी रहें है व्यक्ति शिक्षित होकर भी ग्रहों से अपने भविष्य निर्माण की उम्मीद लगाए रहते है जैसे कि पृथ्वी से करोङो कि.मी. दूर स्थित गैस आदि से निर्मित ग्रह उनका भविष्य बना देगें - नौकरी लगवा देगें, विवाह करवा देगें, व्यापार चला देगें, धन सम्पति दे देंगे और सन्तान उत्पति भी उनकी इच्छा से ही होगी आदि। ग्रहों से ऐसा करवाने के लिए अनेक प्रकार के दाकियानुसी टोटके किए जाते है जैसे कि ग्रह व्यक्ति के टोटका करने का ही इन्तजार कर रहें होते है कि कब व्यक्ति टोटका करे और ग्रह उसकी इच्छानुसार भविष्य का निर्माण कर दे। आज शिक्षित युवा भी कर्म कर अपने भविष्य को बनाने की बजाए ग्रहों से भविष्य निर्माण की आस लगाए उनके प्रभाव को बदलने के लिए टोटके कर रहें है बिना अपनी बुद्धि का प्रयोग किए कि ग्रहों का ऐसा कौन सा प्रभाव होता है जो टोटके करने से सही हो जाता है।
ज्योतिषी यह नहीं जानते है कि ग्रह किस प्रकार से हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न विषयो को प्रभावित कर भविष्य की किसी घटना को अन्जाम देते है। ग्रहों के व्यक्ति के भविष्य पर पङने वाले प्रभाव के सम्बन्ध मे किसी ज्योतिषी अथवा ज्योतिष पर विश्वास करने वाले व्यक्तियों से प्रश्न किया जाए तो इसके उतर मे ग्रहों का गुरुत्व बल, किरणें, विकिरणें, चुम्बकीय शक्ति आदि बातें सुनने को मिलती है अर्थात ग्रहों की किरणे, विकिरणे, तरंगे, चुम्बकीय शक्ति, गुरुत्वाकर्षण बल - ज्वार भाटा पूर्णिमा आदि - से भविष्य प्रभावित होता है। पहले के समय मे जब विज्ञान का इतना प्रसार नहीं था, न ही साधारण से विज्ञान का ज्ञान था और विज्ञान के किसी कारनामे को व्यक्ति जादू समझ लेते थे, तब ग्रहो के प्रभाव को किरणे गुरुत्व ज्वार भाटा आदि के रुप मे समझ या मान लेना उचित ही था। परन्तु आज जब हर व्यक्ति शिक्षित है विज्ञान से भलि-भांति परिचित होते हुए भी ग्रहो के प्रभाव को भविष्य प्रभावित करने के संदर्भ मे किरणे विकिरणे गुरुत्व आदि के रुप मे स्वीकार करना सरासर व्यक्ति की बेअक्कली और मूर्खता का ही सूचक है। आज भी यदि किसी ज्योतिषी तो छोङो पर ज्योतिष प्रेमी से भी ग्रहो के प्रभाव का प्रश्न करने पर वह किरणे गुरुत्व बल ज्वार भाटा आदि ही उतर देते है। जब वह यह बात नहीं समझ सकते कि ग्रहो की किरणे गुरुत्व बल आदि किसी का भविष्य नहीं बना सकते है - न तो किसी की नौकरी लगा सकते है, न किसी को धन दे सकते है, न ही मकान धन सम्पति सन्तान शिक्षा आदि ही दे सकते है, न बेड़ा गर्क कर सकते है - तो ऐसे व्यक्ति यह भी नहीं समझ सकते कि ज्योतिष कैसे बोगस है उनसे इस बात की अपेक्षा रखना ही बेकार है - न ही की जाती है। क्योंकि ऐसे व्यक्तियो के कारण ही तो ज्योतिषीयो का धन्धा चल रहा है - जिनकी भरमार है। चिन्ता का विषय यह नहीं है कि उनकी समझ से खगोल विज्ञान की अत्यन्त साधारण बात कि - सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है - बाहर है, बल्कि यह है कि वह अपने साथ अपनी आने वाली पीढ़ी को भी वही अन्धविश्वास विरासत मे देने वाले है जो कि वास्तव मे हो रहा है - युवा वर्ग के द्वारा भी अपनी बुद्धि का प्रयोग न करने के कारण। जब कोई भी व्यक्ति यह बात समझने की स्थिति मे ही नहीं है कि पृथ्वी से करोङो कि.मी. दूर ग्रह हमारे भविष्य को गुरुत्व चुम्बकीय शक्ति विकिरणें किरणें आदि, व न ही किसी अन्य माध्यम द्वारा प्रभावित कर सकते है तो अन्य बातो को कैसे समझेगें - समझ कर स्वीकार करना तो दूर की बात है। समझे तो तब न जब अपने दिमाग का प्रयोग करे अपनी अक्कल को भविष्य जानने के स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए लगाएं - वह होने से रहा क्योंकि उनके अन्धविश्वास भरे विचारो से आज की आधुनिक जानकारी मेल ही नहीं रखती है न ही व्यक्ति मे इतनी क्षमता/साहस है कि वह अपनी अज्ञानता कर्महीनता के साथ स्वयं का भाग्यवादी विचारो का होना स्वीकार कर सके। ऊपर से न जिज्ञासा है, तो कोई भी सही तर्कसंगत व तथ्यपूर्ण बात कहां से और कैसे समझ मे आएगी।
ज्योतिषी आपसे वही कहते है जो आप सुनना चाहते है। किसको यह सुनना अच्छा लगता है कि आपके साथ जो कुछ भी हो रहा है वह आपकी अपनी गलती के कारण हो रहा है बजाय इसके अपनी विफलता के लिए अन्तरिक्ष मे स्थित ग्रहो को दोष देना ज्यादा प्रभावशाली लगता है। आपमे योग्यता इसलिए नहीं है क्योंकि आपके ग्रह ऐसे है गलत समय पर पैदा होने के कारण ग्रह नीच का हो गए/खराब हो गए और अब दशा ठीक नहीं चल रही है जिससे पढ़ाई भी ठीक से नहीं हुई तो नौकरी कहां से मिलेगी। अब ग्रह के उच्च राशि मे स्थित होने के समय मे पैदा होना आपके हाथ मे थोङी था नहीं तो आप भी फलां फलां होते, तो अब क्या कर सकते है माता पिता ने गलत समय पर पैदा कर दिया ज्योतिषी के पास जाकर ग्रह दिखा लेते तो आज आपकी यह हालत तो न होती। अब तो ज्योतिषी ही एकमात्र सहारा है, वह कुछ कर दे तो कर दे ! वरना आपके ग्रहो की स्थिति तो आपको कुछ करने नहीं देगी। इसलिए ग्रह दशा ठीक करने के लिए बेतुके टोटके करते रहते है - कभी शनि का टोटका तो कभी मंगल का तो कभी राहु का। कभी इस ज्योतिषी के पास जाते है तो कभी उसके पास - पर हजारो लाखों रुपये लुटाने के बाद भी किस्मत नहीं बदलती न ही यह समझ मे आता है कि रत्न मन्त्र टोटके आदि करने से ग्रह कैसे ठीक हो जाएगें और किस्मत बदल देगें। इतनी अक्कल कौन लगाए कि ग्रह किसी का भविष्य न बना सकते है न ही बिगाङ सकते है स्वयं तो इस बात पर क्या विचार करना परन्तु कोई समझाए भी तो वह समझने वाले से भी बङा बेवकूफ - क्योंकि वह अपना समय निकाल कर समझा रहा है वह भी मुफ्त मे ही और मुफ्त की सलाह किसे चाहिए होती है जितने समय मे यह समझने मे लगाएगें कि ज्योतिष बोगस है मात्र ठगी का धन्धा है - उतनी देर मे तो 2/3 ज्योतिषीयो के यहां से लुट कर आ सकते है। इसलिए यह समझने मे समय नष्ट करे(जब लुटने और ठगे जाने का योग कुंडली मे हो तो कोई कर ही क्या सकता है) इसलिए अपने भविष्य को आत्मविश्वास के साथ कर्म करके बनाए न कि ग्रहों के भरोसे रहकर, ग्रह न भविष्य बना सकते है न ही उनका ऐसा कोई प्रभाव ही होता है जिससे व्यक्ति का भूत भविष्य प्रभावित होता है।

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