ज्योतिष में विश्वास रखने वाले अधिकांश व्यक्तियों को ज्योतिष की संरचना का ज्ञान नहीं होता है व ज्योतिष के ज्ञान से अनभिज्ञ होते है। अधिकतर व्यक्ति ज्योतिषियों द्वारा की गई भविष्यवाणियों के कुछ प्रकार या तो अपने स्वयं के मामले में या, उनके परिचितों के मामले में सच हो जाने पर, इसलिए विश्वास करते है। आम तौर पर यह ज्योतिष पर विश्वास करने का मुख्य कारण है सदियों पुरानी परंपराओं में निर्विवाद धारणा यह भी विश्वास का एक महत्वपूर्ण कारण है।
प्राचीन समय मे धारणाए निर्विवाद क्योँ थी इसका भी कारण था भारत जैसे देश मे वेद पुराण व अन्य सभी प्रकार के धार्मिक ग्रन्थो को पढ़ने का अधिकार केवल एक विशेष समुदाय को ही था उन्हे ही सर्वोपरि मना जाता था अन्य समुदाय इस तरह के पठन से वंचित थे। शास्त्रो की निन्दा करने वालो के लिए सजा का प्रावधान था यदि कोई वेद आदि के मन्त्र सुन भी लेता था तो उसके कान मे पिघला हुआ सीसा डाल दिया जाता था उच्चारण करने पर जीव्हा भी काट ली जाती थी। कुछ इसी तरह का हाल पश्चिमी देशो का था जहाँ पर चर्च ही सर्वोपरि होता था उसके खिलाफ बोलने पर सजाए मौत तक दी जा सकती थी। इस तरह से यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि कोई व्यक्ति जानकार भी होता हो तो उसकी एक नहीँ चलती होगी और सजा के डर से कौन विरोध करने सहने की क्षमता रख सकते थे इसलिए सभी प्रकार धारणाए निर्विवाद रुप से चलती रही। उस समय की तकनीक और ज्ञान के आधार पर वह सही थे जब तक कि आधुनिक ज्ञान और उन्नत तकनीक ने उसे गलत सिद्ध नहीँ कर दिया।
ज्योतिष पर विश्वास का हास्यास्पद हिस्सा तो वह है, जब ज्योतिषीयो द्वारा की जा रही भविष्यवाणियो के गलत निकलने पर भी ज्योतिष के इस पक्ष को व्यक्ति द्वारा आसानी से नजर अन्दाज कर दिया जाता है। एक ज्योतिषी द्वारा बताई गई भविष्य से सम्बन्धित कोई बात गलत निकलने पर व्यक्ति ज्योतिषी के ज्योतिष ज्ञान पर संदेह कर किसी अन्य ज्योतिषी की तलाश मे निकल पङते है। इस सम्बन्ध मे ज्योतिष मे विश्वास करने वाले व्यक्तियो द्वारा यह तर्क दिया जाता रहा है कि जिन्हे इसके बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं है व औसत ज्योतिषी गलत भविष्यवाणी कर सकते हैं। वह ज्योतिषी जिन्हे ज्योतिष का सम्पूर्ण ज्ञान है, बहुत दुर्लभ हैं। इस के अलावा किसी भविष्यवाणी के सही व स्टीक न होने के बार मे ज्योतिषीयो से प्रश्न किए जाने पर वह व्यक्ति की कुंडली का सही न होना, जन्म का समय सही न होना, आदि कारण बता दिए जाते है। किसी उपाय के द्वारा लाभ नहीं मिलने की स्थिति मे व्यक्ति के उपाय करने मे त्रुटि उपाय पर आस्था एवं श्रद्धा न होना अथवा ग्रह दशा का अनुकूल न होना आदि कारण बताकर व्यक्ति को ही उतरदायी ठहराया जाता है। इस तरह के बहुत से अस्पष्ट कारकों के कारण व्यक्ति ज्योतिष की सत्यता और प्रमाणिकता के विषय मे अनिश्चितता की स्थिति मे रहते है फलस्वरूप ज्योतिष का वास्तविक आकलन एक असंभव काम हो जाता है। ज्योतिष का आकलन ज्योतिषीयो द्वारा की गई भविष्यवाणियो के आधार पर नहीँ किया जाना चाहिए, न ही हो सकता है, क्योँकि ऐसी भविष्यवाणियां सिक्का उछाल कर किए गए निर्णय से अधिक कुछ नहीँ होती है सिक्का जिसके पक्ष मे गिरेगा वह सही कहेगेँ और जिनके विपक्ष मे वह गलत। व्यक्ति के द्वारा परोक्ष व अपरोक्ष रुप से दी गई जानकरी के आधार पर ही भविष्य के संदर्भ मे पूर्वानुमान लगाया जाता है, जो सही या गलत होने पर भी दोनो ही स्थितियो मे ज्योतिष पर विश्वास को बढ़ावा देती है, जो अन्धविश्वास के सिवाय कुछ नहीँ है।
ज्योतिष मे फलकथन के लिए सिद्धांत कहे गए है जिनके प्रयोग से ही ज्योतिषी भविष्य बताते है। परन्तु यह आश्चर्य की बात है कि फलकथन काएक भी सिद्धांत सही नहीँ है "स्थिर पृथ्वी के गिर्द परिक्रमा करते सूर्य चन्द्र आदि सभी ग्रह" फलित ज्योतिष का आधार है पृथ्वी को सौरमंडल का केन्द्र मानकर फलित ज्योतिष की रचना की गई थी। फलित के सिद्धांत इसी आधार पर बनाए गए है - राशि स्वामी, ग्रह मैत्री-शत्रुता, ग्रहो के उच्च-नीच, मूल-त्रिकोण, दृष्टि, कारक तत्व, प्रकृति, गुण-स्वभाव, लिंग, महादशा-अन्तरदशा, नक्षत्र स्वामी, आदि सभी फलित के मूल सिद्धांत है जिन्हे किसी भी वैज्ञानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए नहीँ बनाया गया था, और यह सभी गलत है। फलित ज्योतिष के उन्ही सिद्धांतो पर चर्चा कर के विश्लेषण किया जा रहा है यह जानने के लिए कि बोगस सिद्धांतो के प्रयोग से किस प्रकार सही भविष्यवाणी की जा सकती है। जब्कि ज्योतिष के मूल सिद्धांत राशि स्वामी, ग्रह दृष्टि, नीच- उच्च, कारक तत्व आदि ही सही नहीँ है और न ही ज्योतिषी - सही किस प्रकार से है, यह जानते है परन्तु फिर भी सही भविष्यवाणी का दावा किया जाता रहा है जब्कि उसके लिए भी ज्योतिष के सही सिद्धांत आवश्यक है और वह ज्योतिष मे डिग्रीधारी ज्योतिषी भी नहीं जानते है लेकिन फिर भी बिना किसी वैज्ञानिक आधार के फलित के नित नये सिद्धांतो की रचना की जा रही है - मूल सिद्धांत जिनके आधार पर ही किसी सिद्धांत की रचना की जाती है - वह गलत होने के बाद भी फलकथन के नये सिद्धांतो को सही करार दिया जाता है - हास्यास्पद ही है।
ज्योतिषी ज्योतिष को विज्ञान कहते है विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन, प्रयोग और उस से निकले निष्कर्ष से प्राप्त होता है, इस प्रकिया से बना कोई भी सिद्धांत दुनिया के किसी कोने मे भी प्रयुक्त किया जाए, परिणाम सदैव एक ही होता है। लेकिन फलित ज्योतिष के सिद्धांतो के साथ ऐसा नहीँ है सिद्धांत किसी वैज्ञानिक प्रक्रिया द्वारा न बनाए जाने के कारण अन्तर्विरोधी है और परिणाम सही व स्टीक नहीँ होता है इसलिए एक ही व्यक्ति की कुंडली के बारे मे सभी ज्योतिषीयों की राय अलग अलग होती है जिसका कारण ज्योतिषी का ज्योतिष ज्ञान समझ लिया जाता है जब्कि ऐसा नहीं है क्योंकि सभी ज्योतिषी एक जैसे सिद्धांत ही प्रयोग मे ला रहें है। क्या ऐसे सम्भव है कि कोई भी विषय जो वैज्ञानिक पद्धति से बनाया और विकसित हुए सिद्धांतो पर आधारित हो, और उस विषय के बारे मे सब का अलग-अलग ज्ञान हो, वैज्ञानिक दृष्टि से ऐसा सम्भव ही नहीं है। इस प्रकार से ज्योतिष के विभिन्न पहलुओ पर गहन अध्ययन/शोध/विचार करने एवं ज्योतिषीयो द्वारा ज्योतिष को सही सिद्ध न कर पाने के कारण कहा जा सकता है कि ज्योतिष बोगस है मात्र ठगी का धन्धा है।

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