ज्योतिषीयो के कभी कोई ग्रह खराब नहीं होते है क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते है कि ज्योतिष बोगस है। बहुत से ज्योतिषीयो ने कोई रत्न आदि केवल दिखावे के लिए ही धारण किए होते है। जिससे यह जताया जा सके कि ज्योतिष सही है और वह भी इसे जानते हुए मानते है तो आम व्यक्ति क्यों न माने। ज्योतिषीयो के ग्रह तभी खराब होगें जब आप इनसे अपने भविष्य के संदर्भ मे प्रश्न करने की बजाय ज्योतिष की सत्यता और प्रमाणिकता पर प्रश्नचिन्ह लगा देगें। जिस दिन आप ऐसा करेगें आपके सब ग्रह उसी समय ठीक हो जाएगें -तुरंत प्रभाव से। और ज्योतिषीयो के सब ग्रह उसी समय खराब हो जाएगें मंगल दोष साढे साती ढैय्या कालसर्प योग आदि सब एक साथ शुरु और ज्योतिषी जी आपके मोहल्ले मे तो क्या पूरे शहर ने कहीं नजर नहीं आयेगें। आप चाहे किसी भी ज्योतिषी के पास जाओ वह हमेशा एक ही बात कहेंगे कि ग्रह खराब है। कभी बुध खराब कभी शनि खराब तो कभी मंगल कभी ऐसे राहु केतु जो आपकी कुंडली मे है ही नहीं। आप यह सुन सुन कर पक नहीं जाते जब देखो तब ग्रह खराब - ग्रह न हुए मित्सुबिशी की लैन्सर कार हो गई जो हर मोङ पर खराब हो जाती थी, उसे तो बनाने वाली कम्पनी भी ठीक नहीं सकी तो ज्योतिषी/टोटके कैसे किसी ग्रह को ठीक कर देगें। वह भी ऐसे ग्रह जिनका ज्योतिषीयो को व्यास, दूरी भी नहीं पता, और पता लग गया तो वह दिन दूर नहीं जब ज्योतिषी ग्रहों को ठीक करने के लिए भी इतने ... रु प्रति वर्ग किलोमीटर के हिसाब से पैसे लेने लग जाएगें ग्रह की दूरी के चार्ज अलग से, जिसकी जेब मे जितना पैसा हो उतना ग्रह ठीक करवा लो ऐसे मे आप एक चन्द्रमा भी ठीक नहीं करवा पायेगें, जब उस समय मे ग्रह को ठीक करवाना छोङना ही है तो अभी क्यों नहीं छोङ देते। जिन ग्रहो को ठीक करते सदियां बीत गई और वह अभी तक भी खराब ही है, ऐसे मे भलाई इसी मे है कि उनसे दूर ही रहा जाए। आपको कभी ऐसा नहीं लगता है कि चाहे जीवन मे एक ही बार सही पर दिमाग से काम लेना चाहिए प्रिसर्व करके उसने कौन से अंडे देने है - देगा तो भी आपके काम ही आयेगें। मान ले कि आपका शनि नीच राशि का है जाहिर है खराब हुआ ! आपको लगता होगा कि केवल आपका ही खराब है जब्कि शनि एक राशि मे ढाई वर्ष तक रहता है उस ढाई वर्ष के दौरान जितने भी पैदा हुए उन सभी का नीच राशि मे है। अब अगर आप शनि का उपाय भी करते है तो वह केवल आपके लिए ही कैसे ठीक हो कर शुभ फल देना शुरू कर देगा। टोटके मे वैज्ञानिकता बताने के लिए आपको यह तर्क दिया जाता है - जो बीमार है दवाई भी वही खायेगा तो ठीक भी वही होगा - आप भी हां मे हां मिला देते है जब्कि बीमारी मरीज मे शरीर मे होती है फिर वही बीमारी कितनो को ही क्यों न हो ! जब्कि ज्योतिष मे समस्या का कारण एक ग्रह है। कम से कम भी 10 करोङ व्यक्ति आपके साथी है यदि वह सब भी टोटके करे तो भी शनि ठीक नहीं होगा और ठीक होकर कौन सा उच्च राशि मे चला जाएगा - रहेगा तो वही ! फिर उसी राशि मे, ठीक होकर शुभ फल कैसे दे देगा वह भी उनको ही जिन्होने टोटका किया है। इस तरह से शनि के नीच मे होने का फल वाला सिद्धांत ही गलत हो गया क्योंकि जो होना लिखा था वह तो आपने टोटका कर के बदल दिया - ऐसे मे या तो सिद्धांत गलत है या टोटके सही - बल्कि सिद्धांत बोगस है और टोटको का कोई औचित्य ही नहीं है। एक बार टोटका करने के पश्चात आप किसी दूसरे ज्योतिषी के पास जाकर देखे उसे यह बात नहीं बताए कि आपने शनि का टोटका करके उसे ठीक कर दिया है ज्योतिषी कुंडली देखते ही कहेगा कि आपका शनि नीच का है और अशुभ फल दे रहा है क्योंकि ज्योतिष मे ऐसा कोई सिद्धांत ही नहीं है जो इस बात की पुष्टि करता हो कि व्यक्ति ने अशुभ फल देने वाले ग्रह का उपाय कर लिया है और ग्रह अब अशुभ फल का त्याग कर शुभ फल दे रहा है - वहीं नीच राशि मे बैठे-बैठे। यदि आपने बता भी दिया तो भी ज्योतिषी आपके उपाय करने मे ही कमी निकाल देगा अथवा कोई और ग्रह साथ मे जोङ देगा आदि आदि। क्योंकि आप पहले ही लुटकर आए है तो उसने भी लूटना ही है ऐसे कैसे जाने देगा, आप फिर से लुटेगें और कोई और टोटका करेगें जिस से करोङो कि.मी. दूर स्थित शनि ठीक हो जाए। कहने का अर्थ यह है कि टोटका करना ठीक वैसा ही है जैसे कि आप पानी का नल खोले अपने घर मे और बाल्टी पङोसी की भर जाए। और सदियो से ऐसा ही हो रहा है और होता रहेगा अगर अककल से काम न लिया जाए। एक अन्य उदाहरण द्वारा समझते है - कुछ समय पहले इसरो और नासा के यान सुरक्षित तरीके से मंगल ग्रह पर उतर गए और मंगल ग्रह को पता भी नहीं है कि दो मेहमान उसके घर पधारे है। अब तो बहुत समय हो गया उन्हे पहुंचे हुए पता नहीं मंगल उनकी ठीक से आवभगत भी कर रहा है कि नहीं ! कहीं उन्हे घुसपैठिये तो नहीं समझ रहा होगा जो उसकी तस्वीरे उसकी माता जी को भेज रहे है - खैर वह मंगल जाने उसका काम जाने हम क्यों व्यर्थ ही इस पचङे मे पड़े। लेकिन जब दोनो यान सुरक्षित पहुंचे तो आपने बहुत से ज्योतिषीयो को इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते देखा ही होगा कि उस समय मुहुर्त बहुत अच्छा था ग्रह स्थिति ऐसी थी वैसी थी इसलिए पहुंचा। अगर यान नहीं पहुंचता तो यही ज्योतिषी कहते घूमते कि "देखा मंगल ग्रह का कमाल बीच मे ही यान को नष्ट कर दिया, अगर मंगल अपनी ओर आते यान को नष्ट कर सकता है तो दाम्पत्य जीवन को क्यों नहीं कर सकता।" और फिर से कोई बेतुका ज्योतिषीय विश्लेषण अखबार आदि मे पढ़ने को मिलता जिससे प्रभावित होकर आप ग्रह ठीक करवाने ज्योतिषीके द्वार पर पहुंच जाते है। मान लीजीए कि दोनो मे से एक ही यान पहुंचता तो भी मुहुर्त ग्रह आदि ही कारण होते उसके लिए जिसका नहीं पहुंच पाता। मतलब यह कि चाहे व्यक्ति के कोई काम बने या न बने दोनो ही स्थितियो मे ज्योतिषीयो की चांदी होती है। जब ज्योतिषी इतना भी नहीं बता सकते कि ग्रह का उपाय कर लिया गया और वह अब ठीक है, तो भविष्य ! बहुत दूर की बात है। इस बात को केवल मनोवैज्ञानिक रुप से ही स्वीकार किया जाता है कि हमने टोटके कर दिये अब सब ग्रह ठीक होकर शुभ फल दे रहे है, इसका कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं होता है। इसके बाद एक दो काम आपके स्वयं के कारण बन भी गए तो यही समझा जाता है कि ग्रह शुभ प्रभाव दे रहा है इसलिए सब सही हो रहा है। यदि कुछ दिन बाद ही फिर से कुछ सही न हो रहा हो तो आपके लिए ज्योतिषीयो का यही तर्क काम कर जाता है - बीमारी एक बार ठीक हो गई तो दोबारा भी हो सकती है - अर्थात ज्योतिष को सही बताने के लिए अन्य विज्ञान का सहारा लिया जाता है इस से आपको उसी विज्ञान का स्मरण हो आता है और वही तथ्य आप ज्योतिष मे जोङ देते है। ग्रहो का प्रभाव हमारे वर्तमान भविष्य को प्रभावित कैसे करता है कौन से माध्यम से ग्रह ऐसा करते है कोई भी ज्योतिषी नहीं जानता है फिर उस प्रभाव को ठीक करना तो दूर की बात है। इसलिए आप आजीवन ऐसे ग्रहो को ठीक करते रहते है जिनको ठीक करते हुए पूर्वज भी दुनिया से विदा हो गए पर ग्रह ठीक नहीं हो पाए। जो ग्रह हमारे वर्तमान और भविष्य को किसी भी माध्यम से प्रभावित न करते थे न ही कर सकते है उन ग्रहो को अपने साथ होने वाली घटनाओ के लिए उतरदायी ठहराया जाता है केवल अपने ठगी के धन्धे के लिए आपको मूर्ख बनाकर लूटने के लिए। और आप भी अपनी मेहनत से कमाई धन दौलत को इन ठगो के दे कर आ जाते है - प्रसन्नचित मुद्रा मे। ग्रहों का हमारे भूत भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं पङता है न ही ग्रहों के लिए हम इतने महत्वपूर्ण है कि वह करोङो कि.मी. दूर से सबके पीछे हाथ धो कर पङ जाएं और ग्रहों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता जो मनुष्य के दैनिक जीवन के कार्यों - शिक्षा विवाह धन सम्पति स्वास्थ्य नौकरी व्यापार सन्तान आदि - को प्रभावित करने मे सक्षम हो। करोङो कि.मी. दूर स्थित ग्रह जो विभिन्न गैस के गोले मात्र है किस प्रकार से मनुष्य के भूत भविष्य को प्रभावित कर सकते है, निर्जीव पदार्थ मात्र ग्रहों के लिए ऐसा कर पाना सम्भव नहीं है न ही हमारा भविष्य किसी निश्चित पटरी पर चल रही रेलागाङी की की तरह है जिसके हर एक पङाव को पहले से ही जाना जा सके। भविष्य परिश्रम लगन व आत्मविश्वास के साथ किए गए कार्य से बनता है न कि करोङो कि.मी. दूर ग्रहों के द्वारा इसलिए कर्म कर अपने भविष्य के निर्माता स्वयं बने न कि ग्रहों के भरोसे हाथ पर हाथ रख कर टोटके करते हुए उनसे कुछ नहीं होने वाला है।

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  1. आप क्या जानेंगे ज्योतिष को येतो पूर्ण जन्म का
    बचा हुआ ऋण है
    आप ये जान ले की आप श्वास ले रहे हो वह भी ज्योतिष में आता हैं

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