अच्छे संस्कार के नाम पर व्यक्ति को बचपन से ही भाग्यवादी बनाया एवं आश्रित रहना सिखाया जाता है विद्या के लिए सरस्वती, धन के लिए लक्ष्मी, कार्य सिद्धि के लिए गणेश, संकट के लिए हनुमान आदि। टोने टोटके तो पैदा होते ही प्रारम्भ हो जाते है - नजर के लिए काला टीका, दूध न पिये तो काली बिल्ली, परीक्षा मे सफलता के लिए दही, डाकटर वकील इन्जिनीयर आदि बनने के लिए ग्रह योग आदि। बच्चों/व्यक्ति को अपनी शिक्षा बुद्धि व विवेक का प्रयोग करना सिखाया ही नहीँ जाता है और फिर उम्मीद की जाती है बच्चे बङे होकर हर क्षेत्र मे सफलता प्राप्त करे अपनी शिक्षा से प्राप्त ज्ञान के आधार पर, वह भी ऐसी शिक्षा जो केवल अच्छी नौकरी व पत्नि/पति प्राप्ति के उदेश्य तक ही सीमित रह होती है इसलिए योग्यता न होने, परिश्रम न करने व लक्ष्य केन्द्रित न होने के कारण सफलता प्राप्त नहीं होती है तो ज्योतिषीयों के चक्कर लगाए जाते है ग्रह ठीक करवाने के लिए जिससे कि पृथ्वी से करोङो कि.मी. दूर स्थित गैस के गोले उनका भविष्य संवार दे उन्हे प्रसन्न करने के लिए दाकियानुसी टोटके किए जाते है जिससे कि ग्रह प्रसन्न होकर जीवन की हर मुश्किल को समाप्त कर जीवन सुखमय बना दे अर्थात व्यक्ति को अन्धविश्वासी व भाग्यवादी बनाने मे कोई कसर नहीँ रखी जाती है और व्यक्ति एक बार अन्धविश्वासी बनने के पश्चात आजीवन इसी चक्रव्यूह मे उलझे रहते है परिणामस्वरुप व्यक्ति पुरुषार्थ करने की बजाय भाग्य, किस्मत, प्रारब्ध, पूर्व जन्म आदि बातों पर विश्वास करके भविष्य बदलने के लिए ज्योतिषीयो के द्वार भटकते रहते है न तो "पूर्वनिश्चित भविष्य" का ज्ञान होता है न ही वह बदलता है और व्यक्ति उस पूर्वनिश्चित भविष्य को जानने के चक्कर मे अपने वर्तमान को भी खो देते है।
ज्योतिष की बात करे तो अन्धविश्वास की यह सूची और बङी हो जाती है ज्योतिष के अनुसार ग्रह ही व्यक्ति के माई बाप है एक ग्रह के पास अनेक विभाग है और उनकी देख रेख के लिए ग्रहो ने ज्योतिषीयो को अपना निजी सचिव रखा हुआ है। किस व्यक्ति को कब क्या कहाँ और कितना देना है यह वही तय करते है ग्रह तो केवल उनकी आज्ञा का पालन करते है, सभी योग दोष आदि स्वत्वाधिकार सहित ज्योतिषीयो के पास सुरक्षित होते है वह व्यक्ति की सुविधा व अपनी आवश्यकतानुसार जब चाहे किसी भी योग दोष मे संशोधन करे या कोई नया ही बना दे। हालांकि व्यक्ति के भूत भविष्य के निर्धारण मे ग्रहों का कोई योगदान नहीँ होता है और न ही ग्रह पृथ्वी पर ज्योतिषीयो द्वारा बनाए गए योग/सिद्धान्त अनुसार ही कार्य करते है, परन्तु व्यक्ति को गुरुत्व बल, किरणें, चुम्बकत्व आदि से विश्वास दिला दिया जाता है कि उसका जीवन ग्रहों द्वारा ही संचालित है। विज्ञान के शब्दो के प्रयोग के कारण पहली नजर मे यह बातेँ किसी को भी सही प्रतीत होती है क्योंकि विज्ञान से सम्बन्ध रखने के कारण ज्योतिषी इन्हीं तर्क व तथ्य द्वारा ज्योतिष को विज्ञान दर्शाते है और व्यक्ति भी इसी प्रकार की तथ्यहीन बातों पर विश्वास कर लेते है इस पर विचार नहीं करते है कि गुरुत्व बल, किरणे, विकिरणे, चुम्बकीय शक्ति आदि विषय जो भौतिक शास्त्र के अन्तर्गत आते है वह किस प्रकार से व्यक्ति के भविष्य को निर्मित कर सकते है ! यदि करते तो जिन वैज्ञानिकों ने इनकी खोज की थी वह इन से व्यक्ति के भविष्य के निर्माण से सम्बन्धित तथ्यो का भी पता लगा लेते, यह काम उनके लिए इतना मुश्किल तो नहीँ हो सकता था। भविष्य ग्रहों के गुरुत्व बल, किरणें, विकिरणे, चुम्बकीय शक्ति आदि के माध्यम से ही प्रभावित होता हो, तो उसे एक भौतिक विज्ञानी अच्छी तरह से समझ और बता सकता है बजाय किसी ज्योतिषी के वैज्ञानिक जो गुरुत्व बल किरणे आदि से भलि भांति परिचित है उनके लिए इन्ही के द्वारा व्यक्ति पर भविष्य सम्बन्धी प्रभाव की खोज करना कितना मुश्किल कार्य हो सकता है वह भी आज के विज्ञान के लिए। कुछ सौ वर्ष पुराना विज्ञान इतना अक्षम भी नहीँ है कि गुरुत्व, विकिरण, चुम्बक आदि के द्वारा व्यक्ति के भविष्य से सम्बन्धित - शिक्षा, विवाह, स्वास्थ्य, नौकरी, व्यापार, धन, सन्तान, सम्पति आदि विषयो को प्रभावित करने वाले कारको का पता न लगा सके। वैज्ञानिको के शोध कार्य निरन्तर चल रहेँ है और नये नये यन्त्रो का आविष्कार किया जा रहा है, जब्कि "ज्योतिष विज्ञान" सदियो पुराना होने पर भी ज्योतिषीयो द्वारा भविष्य कथन का एक सही सिद्धांत खोज पाने मे भी असमर्थ है।
अन्धविश्वासी विचार हावी होने के पश्चात उससे मे निकलना सरल नहीं होता है स्थिति यह होती है कि व्यक्ति की शिक्षा एक ओर, और अन्धविश्वासी विचार दूसरी ओर दोनो ही किसी रेल की पटरी की तरह साथ साथ चलते है कहीं कोई मोङ शिक्षा की ओर आ भी जाए तो भी अन्धविश्वास की ओर ही झुकाव रहता है इसलिए शिक्षा के महत्व को नकार दिया जाता है क्योंकि वह अन्धविश्वासी विचारों से मेल नहीं रखती है। अन्धविश्वासी विचारों के कारण व्यक्ति को यही लगता है कि उसका भविष्य पूर्वनिश्चित है अतः वह अपने पूर्वनिश्चित भविष्य को जानने व जानकर टोटके यन्त्र मन्त्र रत्न आदि से बदलने का प्रयास करते रहते है। विश्व का शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा(कर्म करने वालो को छोङकर) जिसे अपना भविष्य पसन्द हो इसलिए सभी अपना भविष्य जानने के लिए ज्योतिषी के द्वार पर कुंडली लेकर बैठे रहते है। ऐसे ज्योतिषीयों से सही भविष्य बताने के कयास लगाए रखते है जिन्हे स्वयं अपना भविष्य भी पता नहीं होता है इसलिए उनके द्वारा की गई टुल्लेबाजी को भविष्यवाणी समझकर उसके लिए हजारों रुपये स्वाहा कर के आते है। किसी ज्योतिषी के संयोगवश सही हुए तीर तुक्के को सटीक भविष्यवाणी का नाम देकर आजीवन ज्योतिष/ज्योतिषी का गुणगान करते रहते है लेकिन इस तथ्य पर विचार नहीं करते कि यदि कोई ज्योतिषी इतनी ही सटीक भविष्यवाणी करने मे समर्थ होता वह स्वयं अपना भविष्य न जान लेता और टोटके से भविष्य बदल सकता तो ज्योतिषी स्वयं अपना भविष्य बदलकर जो चाहे बन जाते। यह बेहद आश्चर्यजनक है कि शिक्षित व्यक्ति ग्रहों मे अपने भविष्य की खोज कर रहें है और गुरुत्व से भविष्य प्रभावित होने की बात को स्वीकार कर टोटको से उसे बदल रहें है जिसका कारण है व्यक्ति के द्वारा अपनी बुद्धि का प्रयोग न करना और सदियों से चली आ रही मान्यताओं व धारणाओं को सहजता से स्वीकार कर उसी रुप मे निर्वहन करना केवल अच्छे संस्कार के नाम पर अन्धविश्वासी जीवन शैली का चुनाव कर अपने साथ साथ अपने आने वाली पीढ़ी अर्थात भविष्य को भी अन्धविश्वास की राह पर अग्रसर होने के लिए उसके आने से पूर्व ही राह बनाना जिससे अन्धविश्वास की विरासत पीढ़ी दर पीढ़ी यूं ही चलता रहे। इसलिए अन्तिम निर्णय आपको स्वयं ही करना है अपनी शिक्षा बुद्धि व विवेक के साथ आत्मविश्वास से पुरुषार्थ कर सफलता प्राप्त करना है कि भाग्यवादी रहकर ज्योतिषीयो के द्वार जाकर ग्रहों, टोटको से सब कुछ करने की आस लिए अपने भविष्य को भी अन्धविश्वासी बनाना है। इन बातो पर केवल बुद्धिमान व्यक्ति ही विचार करे अन्य नहीं, जिन्हे लगता है कि ज्योतिष सही है और ग्रह ही सब कुछ कर देगें - वह अपनी कुंडली लेकर ज्योतिषीयो के द्बार पर ठगे व लुटने के लिए प्रस्तुत होते रहेँ - क्या पता कभी कोई ग्रह उन्हे अक्कल दे जाए।

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