यदि आपको लगता है कि ज्योतिष बिल्कुल सही है और स्टीक भविष्य के लिए जन्म कुंडली का सही होना अनिवार्य है तो अगली बार जब भी किसी ज्योतिषी के पास जाए तो अपनी वास्तविक जन्म विवरण न देकर जन्म तिथि/समय/वर्ष मे फेरबदल कर के बताएं - ज्योतिषी गलत जन्म तिथि/समय/वर्ष से भी सही भविष्य बताएगें।
जिस प्रकार से रेडियो पर केन्द्र निदेशक द्वारा दी गई सूची पर से उदघोषक कल प्रसारित होने वाले कार्यक्रम की सूचना देता है, ठीक उसी प्रकार व्यक्ति के द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ज्योतिषी वर्तमान समय के विश्लेषण से भविष्य की रूपरेखा की सम्भावना व्यक्त करते है जिसे व्यक्ति भविष्यवाणी समझ लेते है।
समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता सब समय की प्रतीक्षा करते है और वह भी बिना परिश्रम के ही मनुष्य सुनहरे व उज्जवल भविष्य की कल्पना कर अनेक सपने बुनते है परन्तु उन सपनो को साकार करने के लिए परिश्रम करने की इच्छा नहीं रखते है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है यह वाक्य किसी किताब के पन्ने पर से रट कर परीक्षा मे उतीर्ण होने तक ही सीमित रह गया है उसके पश्चात इस पर अमल करना तो दूर याद तक नहीं किया जाता है।
अपने कार्य की शीघ्र सिद्धि चाहने वाला मनुष्य नक्षत्रों की प्रतीक्षा नहीं करता - चाण्क्य।
जो मनुष्य शक्ति न होते हुए भी मन से हार नहीं मानता है उसे दुनिया की कोई ताकत परास्त नहीं कर सकती। - चाणक्य
जो व्यक्ति निश्चित से अनिश्चित की और भागता है वह निश्चित को भी खो बैठता है।
मुहुर्त का ज्योतिष से कोई सम्बन्ध नहीं है न ही मुहुर्त लग्न, राशि, जन्म नक्षत्र अनुसार देखे जाते थे - कार्य का परिणाम ही मुहुर्त की शुभता अशुभता सिद्ध करता है - यदि कार्य सफल हुआ तो मुहुर्त शुभ था यदि सफलता प्राप्त नहीं हुई तो मुहुर्त अशुभ हो जाता है।
टाटा रिलाएंस कोरस शैल मितल भूषण स्टील राठी बार आदि को शनि की दशा व साढे साती कभी नहीं लगती है लोहे व तेल का व्यावसाय होने के बावजूद भी इनका शनि कुछ नहीं बिगाङ पाता है। शनि की तिरछी वक्र दृष्टि केवल आपके ऊपर ही पङती है जो कुछ नहीं करते है सिवाय टोटके करने के।
ग्रहों नक्षत्रों टोटको पर आस्था श्रद्धा और विश्वास करने की बजाय स्वयं की बुद्धि शिक्षा पर विश्वास कर और आत्मविश्वास से दृढ़ निश्चय कर कार्य के प्रति समर्पित होकर लगन से किसी भी कार्य को किया जाए तो सफलता प्राप्ति निश्चित है।
मेरे जन्म समय मे आकाश मे ग्रहों की स्थिति सही नहीं थी इसलिए मेरे साथ ऐसा हो रहा है यह विचार कर उसे सही करने की बजाय इस बात पर विचार क्यों न किया जाए कि पृथ्वी से करोङो कि.मी. दूर स्थित गैस से निर्मित ग्रहों की स्थिति से मेरे जीवन मे हो रही घटनाओं का क्या सम्बन्ध है - संक्षेप मे जो हो रहा है उसे ग्रह किस प्रकार से अन्जाम दे रहें है।
मनुष्य कर्म को नहीं कर्म फल को समर्पित होते है और उसे निश्चित करने के लिए कर्म का त्याग कर टोटके करते रहते है जिसके कारण सफलता दूर ही रहती है - कार्य का परिणाम कर्म के द्वारा ही सुनिश्चित किया जा सकता है न कि टोटके से।
यदि ज्योतिषीयों द्वारा बताए गए टोटको से व्यापार चलता, उसमे वृद्धि होती, बिक्री अधिक होती तो अंटार्कटिका मे विश्व का सबसे बङा माल होता जहां से पेंग्विन आईस क्रीम खरीदने के लिए लाईन मे खङे मिलते।
सफलता और असफलता एक ही सीढ़ी के दो छोर है व्यक्ति को किस छोर से चढ़ना है उसका निर्णय उसे स्वयं ही करना चाहिए।
शिक्षा योग्यता व ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से ग्रहण नहीं की जाती है बल्कि नौकरी सुनिश्चित करने उद्देश्य से की जाती है अतः सफलता संदिग्ध ही रहती है।
मनुष्य के भूतकाल से वर्तमान और वर्तमान से भविष्य का निर्माण होता है इसमे ग्रहों का कोई सम्बन्ध नहीं है।
तमसो मा ज्योर्तिगम्य - हमें अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले चलो। अन्धविश्वासी व्यक्ति के लिए इस वाक्य का कोई महत्व नहीं है। जिस दिन व्यक्ति यह समझ जाएगें कि ग्रहों का उनके भूत भविष्य से कोई सम्बन्ध नहीं है उस दिन से ज्योतिषीयों की ठगी का धन्धा हमेशा के लिए बन्द हो जाएगा।
यदि लोहे का काम करते टाटा, जूते बनाते हुए बाटा, शहनाई बजाकर बिस्मिल्लाह खान, दौङ लगाते हुए मिल्खा सिंह, पापङ बेलने से लिज्जत पापङ बन सकते है तो आप निठल्ले बैठकर ज्योतिषी के द्वार पर कुंडली दिखाकर ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए टोटके करते हुए क्या बनेगें इस पर विचार कीजीए।
अन्धविश्वास सबसे बुरा रोग है। ये हमें कई बार उन चीजों से भी अलग नहीं होने देता जो भविष्य में हमारे लिए ही विनाशकारी हो सकती हैं।
ईन्सान कहता है कि पैसा आए तो मैँ कुछ कर के दिखाऊं और पैसा कहता है कि इन्सान कुछ कर के दिखाए ...तो मैँ आऊं।
मनुष्य के जीन्स उसकी अनुवाँशिकी पर निर्भर करता है, उस के आत्मविश्वास से व्यक्तित्व प्रदर्शित होता है, उसकी शिक्षा से उसकी योग्यता निर्धारित होती है, उसके परिश्रम और लगन से सफलता सुनिश्चित होती है, अच्छे सँस्कार उस के चरित्र का निर्माण करते है, बुद्धि व विवेक उसे अच्छे-बुरे की पहचान करवाती है। आसमान मे, ग्रह नक्ष्त्र अथवा राशि कीस्थिति उसके जन्म के समय मे कैसी थी उसका इन सब से कोई सरोकार नहीँ है।
भाग्य या किस्मत से ज्यादा और समय से पहले किसी को कुछ नहीँ मिलता है! इस विचार पर केवल वही मनुष्य चलते हैं  जिन्हे अपने ऊपर विश्वास नहीँ होता जो मनुष्य परिश्रम नहीँ करना चाहते, उत्साह हीन है, वही भाग्य पर विश्वास करते है क्योकिँ उन्हे लगता है कि उनके भाग्य मे जो लिखा है वह तो उनको मिल ही जाएगा ! परन्तु यदि भाग्य मे लिखे लेख के अनुसार ही जीवन चक्र चलित हो तो फिर परिश्रम अथवा कर्म करने की आवश्यकता ही क्या है। और जो लिखा जा चुका है, और निश्चित है उसे कौन परिवर्तित कर सकता है। क्या:- ग्रह नक्षत्र भगवान या स्वयं मनुष्य !
ज्योतिष के अनुसार ग्रह मानव जीवन को प्रभावित करते है परन्तु सत्य तो यह है कि, ग्रहोँ का मानव जीवन मे कोई हस्तक्षेप नहीँ करते और ना ही कर सकते हैं ग्रहोँ का व्यक्ति के भूत वर्तमान तथा भविष्य  निर्माण मे किसी भी प्रकार का कोई योगदान नहीँ होता है यह व्यक्ति के स्वयं के किए गए कार्यो, परीश्रम तथा जीवन मे भली भाँति सोच विचारकर लिए गए निर्णय पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए - एक आलसी व्यक्ति का भविष्य कैसा हो सकता है स्वयं विचार करे।
अन्त मे -
किस्मत - व्यक्ति के दिमाग मे है जैसे चाहे लिखे।
भाग्य - व्यक्ति के स्वयं के हाथ मे है कर्म कर के जैसे चाहे बनाए।
पूर्वजन्म - सोये हुए दिमाग का स्वप्न मात्र है जो प्रत्येक रात्रि को नया होता है।
प्रारब्ध - आलस्य है जिसका त्याग कर पुरुषार्थ से संचित कर्म का फल दिखाई देने लगेगा।
शुभ अशुभ - आत्मविश्वास की कमी के कारण सही निर्णय न ले पाने की अक्षमता है।

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