क्या आप ज्योतिष को जानते
हुए मानते है या बिना जाने केवल मानते हुए ही विश्वास करते है।
किसी भी विषय के बारे मे जानना व मानना दोनो ही अलग-अलग
बाते है यदि व्यक्ति विषय को जानते हुए मानते है तो वह सही है, लेकिन व्यक्ति ज्योतिष जैसे बोगस विषय को मानते है जानते नहीं है और
इसीलिए ठगे जाते है। सामान्यतः ज्योतिष को सही मानने व उस पर अत्यधिक विश्वास का
कारण है अपने बारे मे किसी भविष्यवाणी का सही होना अथवा किसी अन्य चिर-परिचित
व्यक्ति द्वारा किसी सटीक भविष्यवाणी करने वाले ज्योतिषी का गुण बखान करना। यदि
कभी किसी ज्योतिषी के एक दो तीर-तुक्के सही लग गए तो ज्योतिष सही मानकर उस पर और
अधिक विश्वास किया जाता है, जब्कि वास्तव मे कोई सही
भविष्यवाणी नहीं हो रही होती है। वास्तव मे ज्योतिष मे कोई ऐसा सही सिद्धान्त नहीं
है जिससे किसी भी व्यक्ति के जीवन की किसी घटना की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती हो
यदि कोई सही सिद्धान्त होता जिसके प्रयोग से इतनी ही सही भविष्यवाणी कर सकते तो
किसी प्राकृतिक आपदा सुनामी चक्रवात भूकम्प यातायात सम्बन्धी दुर्घटाएं आदि की
भविष्यवाणी करते और एक ही भविष्यवाणी से करोङपति बन जाते ! इस पर किसी भी
अंधविश्वासी व्यक्ति द्वारा विचार नहीं किया जाता है क्योंकि एक तो उन्हे ज्योतिष
का ज्ञान नहीं होता है और दूसरे ज्योतिष के विषय मे प्रचलित मान्यताओं के कारण,
एवं व्यक्ति मे स्वयं जिज्ञासा न होने के कारण कभी सही तर्क तथ्य
जानने का प्रयास नहीं किया जाता है इसलिए सदियों से चले आ रहे अंधवशिवास को बिना
विषय की सत्यता जाने सही मान कर जस का तस निर्वहन किया जाता है। जिस प्रकार से
किसी वाद्य यन्त्र के सुरों की ध्वनि को तीव्र/मन्द स्वर पर व्यवस्थित कर दिया जाए
तो उसके बाद उसे बजाने वाले को संगीत की सरगम का ज्ञान हो या नहीं हो उसके सुर वही
निकलेगें जहां पर उन्हे व्यवस्थित किया गया है ठीक इसी प्रकार आपने भी अपने दिमाग
को ज्योतिष के सही होने के पक्ष मे समस्वरित कर लिया है और जब किसी विषय को सही
मान लिया गया हो तो उसके गलत होने के पक्ष मे कितने भी तर्क तथ्य व अन्य प्रमाण
क्यों न दिए जाए सब व्यर्थ है - समझ मे आने से रहे क्योंकि उस विषय के बोगस होने
के बारे मे जानने की जिज्ञासा ही नहीं होगी और बिना जिज्ञासा के ज्ञान की प्राप्ति
नहीं होती है, तो व्यक्ति प्रचलित मान्यताओं व धारणाओं को ही
सही मान लेते है जिसमे ज्योतिष के विषय मे फैलाई गई बातें भी है जैसे की ज्योतिष
एक विज्ञान है दैवीय विज्ञान है आदि। ज्योतिष को भविष्य बताने का विषय/विज्ञान
मानते हुए ही व्यक्ति अपना भविष्य जानने के लिए ज्योतिषी के पास जाते है परंतु जिन
ज्योतिषीयों को अपना भविष्य भी पता नाही होता है वह दूसरों का कैसे बता सकते है
इसलिए किसी ज्योतिषी की भविष्यवाणी अर्थात तीर तुक्के संयोगवश सही होने पर व्यक्ति
आजीवन उसी का ढोल पीटते रहते है और किसी ज्योतिषी के द्वारा बताई गई कोई बात गलत
होने पर उसके ज्योतिष के ज्ञान पर ही संदेह कर अन्य विद्वान ज्योतिषी की एक
अन्तहीन तलाश आरम्भ हो जाती है। न तो कोई ऐसा ज्योतिषी ही मिलता है न भविष्यवाणी
सही होती है - मनोवैज्ञानिक रुप से कोई मान ली जाए तो बात अलग है। असंख्य
ज्योतिषीयों के पास धन लुटाकर भी इस बात पर विचार नहीं किया जाता है कि पृथ्वी से
करोङो कि.मी. दूर स्थित निर्जीव ग्रह किस प्रकार से हमारे वर्तमान को संचालित कर
भविष्य को प्रभावित करते है जिन मे से दो ग्रह(राहु केतु जो वास्तव मे ग्रह नहीं
है) ऐसे है जिनका पदार्थ रुप मे अस्तित्व भी नहीं है तो उनका प्रभाव कैसे पङ सकता
है यह भी एक प्रश्न है जो ज्योतिष के बोगस होने की ओर इशारा करता है और इस तथ्य को
और स्पष्ट करता है कि ग्रहों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है जिससे व्यक्ति का भूत
वर्तमान भविष्य प्रभावित होता हो, तो सभी सिद्धांत बोगस हुए
उनके बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
ज्योतिष पर विश्वास के अनेक कारण है उन सभी पर लिखा जा
रहा है और आपके ज्योतिष के अनेक प्रचलित मान्यताओं के पीछे के सही तथ्य को आपके
सामने रखा जा रहा है जिससे कि आपको ज्योतिष के बारे मे समाज मे प्रचलित विभिन्न
भ्रमित करने वाली बातों के बारे मे जानकारी प्राप्त कर ज्योतिष जैसे अन्धविश्वास
से बाहर निकलने का प्रयास कर सके। ज्योतिष को सही मानने के कारणो मे एक यह भी है
कि ज्योतिष प्राचीन है ऋषियों द्वारा निर्मित है इसलिए सही है परंतु क्या यह तर्क
ज्योतिष को सही सिद्ध करने के लिए उपयुक्त है ? ज्योतिष
को चाहे कितना भी प्राचीन क्यों न कहा जाए, ऋषियो द्वारा
रचित मान लिया जाए लेकिन वह सिद्धांतो पर आधारित है चाहे सभी सिद्धांत बोगस है
लेकिन सिद्धान्त तो है, तो ऐसे मे उसकी सत्यता/प्रमाणिकता के
संदर्भ मे यह तर्क तो नहीं दिया जा सकता है कि वह प्राचीन है, ऋषियो द्वारा निर्मित है अतः सही है। ब्रह्माण्ड मे ग्रहों की स्थिति के
आधार पर बने सिद्धांत जब उपलब्ध है - जिनके प्रयोग से ज्योतिषी सही भविष्य बताने
का दावा करते है - उनका वैज्ञानिक विधि से विश्लेषण कर, क्यों
न सत्यता और प्रमाणिकता की जांच आधुनिक ज्ञान के पैमाने पर की जाए। सिद्धांतो को
प्राचीन होने व ऋषियों द्वारा निर्मित मान कर सही स्वीकार कर लेना बिना आधुनिक
ज्ञान के परिपेक्ष्य मे अध्ययन, विश्लेषण, निष्कर्ष के कहां तक उचित है ! ग्रहों का ऐसा कौन सा प्रभाव है जो मनुष्य
के भूत वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करता है ? और वह
प्रभाव हम तक पहुंचता किस प्रकार से है ? टोटके करने से
ग्रहों का प्रभाव किस प्रकार से ठीक होता है ? क्या इन
प्रश्नों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए ! जब्कि आज हम प्राचीन समय के ज्ञान व
तकनीक से कहीं अधिक उन्नत है तो क्या यह उचित नहीं होगा की ज्योतिष जिसे विज्ञान
कहा जाता है उसके सिद्धांतो को आज के ज्ञान के परिपेक्ष्य मे वैज्ञानिक विधि से
विष्लेषण कर सत्यता की जांच की जाए और उसके पश्चात प्राप्त हुए परिणाम के आधार पर
निर्णय किया जाए। शिक्षित होने के नाते हमारा दायित्व और अधिक बढ़ जाता है कि हम
तर्करहित व तथ्यविहीन बातों को जस का तस स्वीकार करने की बजाय आधुनिक ज्ञान के
पैमाने पर परख कर सही पाए जाने पर सहर्ष स्वीकार करे आखिरकार शिक्षा इसीलिए तो दी
जाती है। यह युग विज्ञान का युग है और हमारी सभ्यता पूर्णत वैज्ञानिक है जो दिन
प्रतिदिन विकसित व उन्नत हो रही है इसलिए आज आश्यकता इस बात की है ज्योतिष के
सिद्धांतो का वैज्ञानिक विधि से परीक्षण किया जाए जिस से उनकी प्रमाणिकता निकल कर
सामने आए सत्य पाए जाने पर ही विश्वास किया जाए। ज्योतिषी समाज के अंधविश्वास का
लाभ उठाकर प्रतिदिन बोगस सिद्धांतो की रचना करते जा रहें है जो पहले से ही ज्योतिष
विज्ञान शब्द के कारण प्रमाणित हो जाते है अथवा किसी व्यक्ति विशेष से मिला कर सही
करार दे दिए जाते है और व्यक्ति आंख मूंद कर ज्योतिषी की बातों को सच मानकर ज्योतिष
के ग्रह जाल मे फंस कर हमेशा के लिए अंधविश्वास के दलदल मे फंस जाते है। इस स्थिति
से निकलने का केवल एक ही उपाय है की व्यक्ति अपने सुषुप्त और निष्क्रीय अवस्था मे
पड़े हुए दिमाग को जाग्रत करके बुद्धि का प्रयोग कर अपनी शिक्षा और आधुनिक विज्ञान
के महत्व को पहचान कर अपने ज्ञान को बढ़ाएं, अपने अंदर की मृत
जिज्ञासा को जागृत कर अपनी तर्क शक्ति को बढ़ाएं व किसी भी मूर्खतापूर्ण बात को यूं
ही मान लेने की बजाय उसके विषय मे प्रस्तुत किए जा रहे तथ्यों को तर्क की कसौटी पर
परखकर देखें। यदि व्यक्ति इस प्रकार से करना प्रारम्भ कर देंगे तो वह दिन दूर नहीं
जब सभी ज्योतिषी बरसात के मेंढकों की तरह गायब होकर इतिहास के किसी कोने मे दफ्न
हो जायेगें। यही आपकी आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छा है अन्यथा उनका भविष्य भी टोटके
कर ग्रहों को ठीक करने मे ही निकाल जाएगा जो न तो उनके भविष्य के लिए सही होगा न
ही आपके वर्तमान के लिए। क्योंकि वर्तमान मे आपके द्वारा अंधविश्वास से परिपूर्ण
किए गए कार्य ही भविष्य मे उनके समक्ष एक अभिशाप बनकर खड़े होंगे उस समय आप उनकी
कोई सहायता नहीं कर पाएंगे न ही वह स्वयं इतने सक्षम होंगे कि अपने आप कुछ कर सके
सिवाय टोटके करने के – आखिर उन्हे अंधविश्वास ही तो विरासत
मे प्राप्त हो रहा है।
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