ज्योतिषीयों द्वारा कहा जाता है कि ज्योतिष विद्या मानव कल्याण के किए है तो उसी कल्याण को ध्यान मे रखते हुए कुछ कल्याणकारक कार्य लिखे जा रहें है और हम उम्मीद करते है कि ज्योतिषी शीघ्र ही इनको करना प्रारम्भ कर मानव कल्याण करेगें।

भारत विकासशील देशों की सूची से निकल कर गरीब देशों की सूची मे शुमार हो गया है यह कौन से ग्रह के कारण हुआ है उसकी पहचान कर ज्योतिषीयों को कोई उपाय करना चाहिए जिससे कि अपना देश विकसित देश कहलाए।
रुपये के मुकाबले डालर की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है यह भी किसी ग्रह के कारण ही हो रहा होगा तो ज्योतिषी कब इसका उपाय करेगें।
तेल की कीमते भी बढ़ रही है जब्कि तेल के कारक ग्रह शनि को भारत के अलावा कहीं पर भी तेल से नहीं स्नान करवाया जाता है फिर भी शनि प्रसन्न नहीं हो रहा यहां तक उसने की तेल के कुएं भी अरब देशों को दे दिए जो उसे एक बूंद भी तेल नहीं देते तो ज्योतिषी कब शनि को प्रसन्न कर तेल मुफ्त करवा रहें है।
ओलम्पिक खेलो मे हमारे देश को मिलने वाले मेडल की संख्या घटती जा रही है इसलिए ज्योतिषीयों से बङी विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि वह अगले ओलम्पिक खेल(और भविष्य के भी) के लिए खिलाङियों का चयन शुरु कर दे अभिप्राय यह है कि सभी संभावित खिलाङियों की कुंडली बांच कर केवल उन्ही खिलाङियों का चयन करे जिनकी कुंडली मे गोल्ड मेडल जीतने का योग हो उन्हे ही भेजा जाए जिससे कि ओलम्पिक के सभी गोल्ड मेडल भारत की झोली मे ही आए।
हमारे पङोसी मुल्को के साथ चल रहे सीमा विवाद किस ग्रह के कारण है ज्योतिषीयों को तो उसका पता ही होगा अतः उसका कोई उपाय कर विवाद सुलझाने मे अपने देश/भारत सरकार की सहायता करें।
हमारे पङोसी मुल्को से हमारे मित्रतावत सम्बन्ध कब तक होगें इसके लिए ज्योतिषीयो को सभी देशों की कुंडली भारत की कुंडली से मिलाकर देखनी चाहिए और कोई ग्रह दोष हो तो उसका उपाय कर सही कर देना चाहिए - जैसे कुंडली मिलान के समय करते है।
काला धन एक राष्ट्रीय समस्या - अब यह बताने की आवश्यकता तो है नहीं कि इसका कारण भी ग्रह ही है तो उस ग्रह को प्रसन्न करके ज्योतिषी काले धन को कब वापिस ला रहें है - लाना ही चाहिए न भी ला सके तो कम से कम उसे देश मे वापिस लाने मे बाधक ग्रह का उपाय कर भारत सरकार की सहायता तो कर ही सकते है. तो ज्योतिषी यह कार्य कब कर रहें है।
देश की अर्थव्यवस्था अभी भी पटरी पर नहीं आ रही है। जो अमीर है वह और अमीर होते जा रहें है जो गरीब है वह गरीब किसान कर्ज के तले दब कर आत्महत्याएं कर रहें है तो यह सिलसिला कब थमेगा जिस भी ग्रह के कारण हो रहा है उसका शीघ्र कोई उपाय कर अर्थव्यवस्था को सन्तुलित करें।
पूर्णिमा और अमावस्या को मानसिक रोगियों की संख्या मे वृद्धि होती है सभी ज्योतिषी इस पर एक मत होते है तो जब पता है कि चन्द्रमा के कारण होता है तो ज्योतिषी पहले ही चन्द्रमा का उपाय कर मनोरोगियों को ठीक क्यों नहीं कर देते है - फालतू और बेतुकि बाते करने से तो बेहतर है कुछ नेक काम किया जाए।
इन सब के अलावा भी देश मे अनेक समस्याएं है जैसे कि भ्रष्टाचार बलात्कार नशीले पदार्थो की तस्करी आतंकवाद दंगे फसाद चोरी डकैती खून खराबा आदि इनके कारण ग्रह को भी ज्योतिषी जानते ही हैं(जब सभी व्यक्तियों की समस्या के कारण ग्रह को जानते है) तो इस दिशा मे ज्योतिषी कब और क्या कदम उठा रहें है।


ज्योतिषी "हर समस्या का समाधान" का बोर्ड लगाकर ऐसे घूम रहे होते है जैसे वही शक्तिमान हो तो जब वह व्यक्ति की हर समस्या का समाधान करने मे समर्थ है तो उन्हे अपने देश के लिए उपरलिखित कार्य करने ही चाहिए।

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