आधुनिक जीवन मे धन एक आवश्यकता है और प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके पास अकूत धन सम्पदा हो। धन की इसी लालसा के कारण उसे पूर्ण करने के लिए नैतिक अनैतिक मार्ग अपनाने से भी पीछे नहीं हटता है। जब किसी भी तरह से अकूत धन की प्राप्ति नहीं होती है तो वह ज्योतिष टोटके यन्त्र मन्त्र आदि के सहारे अपनी हर इच्छा को पूर्ण करना चाहता है। ज्योतिष यन्त्र मन्त्र तन्त्र टोटके आदि का प्रचार समाज के एक विशेष वर्ग द्वारा अन्धविश्वास फैलाकर अपने व्यापारिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया जाता है जिसके लिए समाज मे बकायदा अनेक प्रकार की भ्रांतियां व विभिन्न प्रकार के भ्रमित करने वाले लुभावने विज्ञापनों का सहारा लिया जाता है इसलिए कोई भी व्यक्ति अन्धविश्वास के जाल मे फसकर अनेक मान्यताओं व धारणाओं पर आसानी से विश्वास कर लेता है। अपनी जन्म कुंडली लेकर ज्योतिषी के पास अपना भविष्य जानने के लिए किए जाने वाले प्रश्नों मे धन सम्बन्धी प्रश्न भी होता है कि हम अमीर कब बनेगें, पैसा कब होगा, कितना होगा आदि जिसके लिए व्यक्ति कर्म करने की बजाय ग्रहों पर आश्रित रहकर अपनी धन सम्बन्धी आवश्यकता को पूरा करना चाहते है और ज्योतिष द्बारा जानना चाहते है कि कब ग्रह उन्हे बिना कर्म किए ही करोङपति बनाने वाले है। परन्तु क्या ज्योतिष यह बताने मे सक्षम है कि व्यक्ति के पास कितना धन होगा इसके लिए ज्योतिष के उन सिद्धांतो का विश्लेषण करते है जिनके प्रयोग से ज्योतिषी व्यक्ति के धन से सम्बन्धित प्रश्न का उतर देते है।
ज्योतिष मे बेहद मान्य पुस्तक वृहद पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार -
धनेशे लाभराशिस्थे लाभेशे वा धनं गते।
तावुभौ केन्द्रराशिस्थौ धनवान् स नरो भवेत्।।
अर्थ - धनेश(2 भाव का स्वामी) 11वें भाव मे हो और लाभेश(11वें भाव का स्वामी) दूसरे भाव मे हो अथवा दोनो केन्द्र मे हो तो व्यक्ति धनी होता है।
- ज्योतिष मे यह ग्रह स्थिति बहुत अच्छी कही गई है और इस योग मे जन्म लेने वाले व्यक्ति को बहुत धनवान कहा गया है इसलिए ज्योतिषी ने सिद्धांत लगाया और कह दिया कि आपके पास बहुत धन होगा। लेकिन इसी धन योग के कारण आपको 13 वर्ष की आयु मे ही विवाह भी करना पङेगा यह कोई ज्योतिषी आपको नहीं बताएगा।
धनेशे लाभराशिस्थे लाभेशे धनराशिगे।
अब्दे त्रयोदशे प्राप्ते विवाहं लभते नर:।।
अर्थ - धनेश लाभ भाव मे और लाभेश धन भाव मे हो तो 13वें वर्ष मे विवाह होता है।
- विवाह कानूनन 18/21 वर्ष की आयु से पहले सम्भव नहीं है, तो जाहिर है सिद्धांत गलत है और धन योग भी बोगस है। इस सिद्धांत का यदि लग्न वार विश्लेषण किया जाए तो कर्क सिंह और कुंभ लग्न मे यह ग्रह योग बनता ही नहीं है तो क्या कर्क सिंह कुंभ लग्न मे पैदा हिए व्यक्ति अमीर नहीं होते या बाल विवाह कानून से पूर्व उनका विवाह 13 वर्ष की आयु मे नहीं होता था ? दोनो ही बातें सम्भव नहीं है। अन्य लग्नो मे भी वृष मिथुन मीन कन्या वृश्चिक और मकर लग्न मे धनेश/लाभेश नीच/शत्रु राशि मे स्थित हो जाते है, - हालांकि उपरोक्त सिद्धांत मे ग्रहों के नीच/शत्रु राशि मे होने की कोई बात नहीं लिखी है तो इन लग्नो मे यह योग बनता है, लेकिन ज्योतिष के ही एक अन्य सिद्धांत के अनुसार "अपनी नीच राशि मे स्थित ग्रह अशुभ फल देता है" - जब नीच राशि मे स्थित ग्रह का फल अशुभ होता है, तो धनेश/लाभेश के एक दूसरे के(२-११) भाव मे ही नीच राशि मे स्थित होने पर वह उपरोक्त सिद्धांत अनुसार करोङपति कैसे बना सकता है ? स्पष्ट है कि सिद्धांत गलत है जिसका कारण है ज्योतिष के मूल सिद्धांत - राशि स्वामी और ग्रहों के उच्च नीच दृष्टि, मित्र-शत्रु आदि का बोगस होना है इसलिए उपरोक्त सिद्धांत भी बोगस है।
वृहद पाराशर होराशास्त्र के ही एक अन्य सिद्धांत के अनुसार -
वित्तेशे रिपुभावस्थे लाभेशे तद्गते यदि।
वित्तलाभौ पापयुक्तौ दृष्टौ निर्धन एव सः।।
अर्थ - धनेश, लाभेश 6ठें भाव हो अथवा अथवा पाप ग्रह के साथ स्थित हो या दृष्ट तो व्यक्ति निर्धन होता है।
- इस सिद्धांत के अनुसार एक अकेला वृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क मे आने पर कुम्भ लग्न मे पैदा हुए सभी व्यक्तियों को कंगाल बना देगा - है न आश्चर्य की बात ! आपने कभी नहीं सुना होगा कि उच्च राशि मे स्थित ग्रह निर्धन भी बनाता है - इस ग्रुप मे रह कर लेख/चर्चा को पढ़ते रहिए बहुत कुछ ऐसा जानेगे जो कभी सुना ही नहीं होगा। कुंभ लग्न मे वृहस्पति ही धनेश(2 भाव का स्वामी) और लाभेश(11 भाव का स्वामी) होता है। वृहस्पति एक वर्ष तक एक राशि मे रहता है और अपनी उच्च राशि कर्क मे आने पर वह कुंभ लग्न के लिए 6ठें भाव मे स्थित होता है तो क्या यह सम्भव है कि लगातार एक वर्ष तक कुंभ लग्न मे पैदा हुए सभी व्यक्ति निर्धन हो कोई भी अमीर नहीं हो और अन्य लग्नो मे पैदा हुए सभी व्यक्ति अमीर ही होगें कोई भी गरीब नहीं होगा ? ऐसा सम्भव नहीं है तो कहा जा सकता है कि सिद्धांत गलत है। क्योंकि ज्योतिष के मूल सिद्धांत - राशि स्वामी, ग्रहों के उच्च नीच आदि - बोगस है इसलिए उनके आधार पर बनाए गए फल कथन के सभी सिद्धांत भी बोगस है उनके प्रयोग से किसी भी प्रकार की सटीक भविष्यवाणी करना सम्भव नहीं है। आपको ऐसे व्यक्ति भी मिल जाएगें जिनकी कुंडली मे धनेश व लाभेश एक दूसरे के भाव मे, केन्द्र मे, अपनी उच्च राशि मे स्थित है और निर्धन है, और ऐसे व्यक्ति भी मिलेगें जिनकी कुंडली मे धनेश व लाभेश 6/8/12 भाव मे, नीच राशि मे स्थित है लेकिन उनके पास धन की कोई कमी नहीं है। ज्योतिषी ऐसे किसी व्यक्ति जिसकी कुंडली लग रहा सिद्धांत उसके जीवन से भी मेल रखता हो, का विश्लेषण कर समाज को भ्रमित कर ज्योतिष को विज्ञान दर्शाया जाता है जिससे कि व्यक्ति ज्योतिष को विज्ञान समझकर ज्योतिष के ग्रह जाल मे हमेशा के लिए फस जाते है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति से ग्रहों का कोई सम्बन्ध नहीं है न ही कोई ज्योतिषी ग्रह योग टोटके व्यक्ति को करोङपति बना सकते है वह व्यक्ति के स्वयं के कर्म पर निर्भर करता है यदि व्यक्ति का लक्ष्य निर्धारित हो और आत्मविश्वास के साथ पुरुषार्थ करते हुए परिश्रम करे तो सफलता निश्चित रुप से प्राप्त होती है।
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि सिद्धांत किसी वैज्ञानिक विधि द्वारा नहीं बनाए गए थे इसलिए सब बोगस है और उन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर ज्योतिष को बोगस कहा जा रहा है। अब आप समझ गए होगें कि जिस ज्योतिष को विज्ञान मानते हुए विश्वास कर रहे है वास्तव मे वह विज्ञान न होकर ठगी का विज्ञान है ज्योतिषी आपके भविष्य से सम्बन्धित किसी भी प्रश्न का उतर देने के लिए ज्योतिष के सिद्धांतो का प्रयोग नहीं करते है क्योंकि वह सब बोगस है जिनके द्वारा किसी स्पष्ट निर्णय पर नहीं पहुंचा जाता सकता है एक सिद्धांत अमीर होने को कहता है तो दूसरा गरीब होने को। इसलिए ज्योतिषी द्वारा जो भविष्यवाणी की जाती है वह मात्र टुल्लेबाजी ही होती है जिसके लिए सही होगी वह ज्योतिष को सही कहेगें और जिसके लिए गलत होगी वह "ज्योतिषी गलत हो सकता है ज्योतिष नही" इस वाक्य को रटते हुए अन्य ज्योतिषी की तलाश करेगें फिर से लुटने के लिए। अतः अपने परिश्रम से कमाए हुए धन को अपने पास रखिए बजाय किसी ज्योतिषी के पेट मे डाल कर स्वाहा करने के वह आपकी कुंडली मे धन योग बनाने नहीं वरन अपनी तिजोरी भरने के लिए बैठे हुए है कि कब कोई अन्धविश्वास का मारा व्यक्ति आए और वह उसे लूट ले।
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