क्या ग्रहों का कोई ऐसा प्रभाव होता है जो मनुष्य के वर्तमान भविष्य को प्रभावित करता है इस प्रश्न का उतर इस ग्रुप में उपस्थित में उपस्थित ७५०० तथाकथित ज्योतिष के विद्वानों में से किसी भी ज्योतिषी ने नहीं दिया है क्योंकि -
ज्योतिषी स्वयं नहीं जानते कि ग्रह मनुष्य के भूत वर्तमान भविष्य को किस प्रकार से प्रभावित करते है - ग्रहों के प्रभाव के नाम पर गुरुत्व बल किरणें विकिरणें चुम्बकीय बल आदि बातों से आपको मूर्ख बनाया जाता है।
ग्रहो का ऐसा कोई प्रभाव ही नहीं होता है जिससे कि व्यक्ति के दैनिक जीवन के कार्य - शिक्षा विवाह नौकरी व्यावसाय धन सन्तान सम्पति आदि - विषय प्रभावित होते हो।
यदि ग्रहो का ऐसा कोई प्रभाव होता तो विज्ञान ने अब तक खोज लिया होता क्योंकि पहले के मुकाबले अब और अधिक विकसित तकनीक व उन्नत यन्त्र उपल्ब्ध है।
यह तर्क बेमानी है कि ग्रहो का ऐसा कोई अदृश्य प्रभाव जो भूत वर्तमान भविष्य को प्रभावित करने मे सक्षम है जो हमारे ऋषि मुनि व आचार्यगण ने ज्ञात कर लिया था लेकिन उसे लिखना भूल गये और जिसे आज के वैज्ञानिक व कोई यन्त्र ज्ञात नहीं कर सकते है।
ग्रह ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है यदि ऐसा होता तो आज भी विवाह ७/१०/१३ वर्ष की आयु मे हो रहे होते, शिक्षा का अधिकार एक समुदाय को ही प्राप्त होता और स्त्रियां आज भी अशिक्षित होती।
ग्रह आपके पीछे नहीं है और न कभी थे न ही कोई व्यक्ति इतना महत्वपूर्ण है कि सभी ग्रह उसका बेङा गर्क करने लग जाए - वह आपके अपने हाथ मे है।
दो घंटे के लग्न मे हजारों व्यक्ति पैदा होते है एक जैसे कुंडली - लग्न राशि ग्रह योग दशा - के साथ यदि ग्रहों का प्रभाव ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार होता तो सभी के रुप रंग से लेकर भविष्य तक एक जैसा ही होता।
राशि और नक्षत्र के तारे हमारी आकाशगंगा मे ही नहीं है लाखों प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक तारे के पृथ्वी पर मनुष्य के भविष्य को प्रभावित करने की बात तर्कसंगत नहीं है।
आकाशगंगा मे असंख्य तारे है उन मे से केवल राशियों/नक्षत्रों के तारे ही पृथ्वी पर रह रहे ममुष्य को प्रभावित करते है और अन्य नहीं यह बात भी तर्कसंगत नहीं है क्योंकि गैस से निर्मित तारों के लिए ऐसा करना सम्भव नहीं है।
चन्द्रमा 2 दिन तक एक राशि मे रहता है जिसका अर्थ निकलता है कि दो दिन तक जितने भी बच्चे उत्पन्न होगें सभी की राशि एक ही होती है - यदि ग्रहों का कोई प्रभाव होता तो एक ही राशि के अन्तर्गत आने वाले सभी व्यक्तियों का रंग रुप, आकार प्रकार, गुण स्वाभाव, प्रकृति आदि राशि आनुसार एक से होते जब्कि ऐसा नहीं होता है जो इस बात को प्रमाणित करता है ग्रहों और तारों का कोई प्रभाव नहीं होता है।
जुङवा बच्चों की कुंडली एक जैसी होने के पश्चात भी दोनो का भविष्य एक जैसा नहीं होता है जिससे स्पष्ट होता है कि ग्रहों का हमारे भूत भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
जुङवा बच्चो का एक जैसा रंग रुप उनके DNA  की वजह से होता है यदि ग्रहों की वजह से होता तो उनका भविष्य भी एक जैसा होता।
चूंकि जुङवा बच्चो की कुंडली एक जैसी होती है इसलिए D30/60 कुंडली के नाम पर मूर्ख बनाया जाता है जब्कि ज्योतिष मे D9 से D60 तक की कुंडली के लिए कोई सिद्धांत नहीं है।
गुरुत्व बल - ज्वार भाटा - पूर्णिमा चुम्बकीय शक्ति किरणें विकिरणें आदि से भविष्य प्रभावित नहीं होता है यह बातें आपको मूर्ख बनाने के लिए ही कही जाती है।
राहु केतु का पदार्थ रुप मे कोई अस्तित्व ही नहीं है उनका न गुरुत्व होता है न चुम्बकीय शक्ति न किरणें न ही विकिरणें - अर्थात इनसे भविष्य को प्रभावित होने की बात कहना मूर्ख बनाना है।
चन्द्रमा वास्तव मे ग्रह न होकर उपग्रह है यदि पृथ्वी के उपग्रह चन्द्रमा का प्रभाव मनुष्य के भूत भविष्य पर पङता है तो मंगल वृहस्पति शनि आदि अन्य ग्रहों के उपग्रहों का भी पङना चाहिए।
पाश्चात्य ज्योतिष मे यूरेनस नेपच्यून और प्लूटो भी होते है और भारतीय ज्योतिष मे नहीं। राहु केतु भारतीय ज्योतिष मे है और पाश्चात्य ज्योतिष मे नहीं - यदि आपके पास थोङा सा भी दिमाग है तो उसका प्रयोग कर विचार करे कि क्या यूरेनस नेपच्यून भारत को प्रभावित नहीं करते और राहु केतु पाश्चात्य जगत को।

कुछ अन्य बातें -
यह हास्यास्पद है कि ग्रहों के प्रभाव को न ज्योतिषी जानते है और न ही आप परन्तु फिर भी उस अन्जाने प्रभाव को ठीक करने के लिए बेतुके टोटके करते है। जैसे कि उन टोटको को पता हो कि क्या करना है - पानी मे बहाई गई मसूर की दाल रेवङिया बताशे आदि को पता होता है कि उन्हे उस व्यक्ति ने अपने मंगल के प्रभाव को सही करने के लिए बहाया है और उन्हे वही करना है।
एक से दो सें.मी. का रंगीन पत्थर हजारो कि.मी. व्यास वाले ग्रहों के करोङो कि.मी. दूर से आने वाले किसी अदृश्य प्रभाव को रोकने मे सक्षम है - हास्यास्पद है।
हमारे वैज्ञानिक इतने चमत्कारिक पत्थरों के महत्व को ही नहीं समझते है - मंगल के वातावरण मे प्रवेश करते ही पहला यान जलकर स्वाहा हो गया था अगर उसमे मूंगा जङा होता तो ऐसा हरगिज नहीं होता। मेरा तो सुझाव है कि सूर्य पर यान भेजते समय उसमे माणिक्य बांधा जाए जिससे वह बिना किसी क्षति के सूर्य की गर्मी से बचते हुए उसके केन्द्र तक चला जाए - ताकि सभी ज्योतिष का चमत्कार देख सके।
यदि आप उपरोक्त तर्क से सहमत नहीं है तो उसकी कोई जबरदस्ती नहीं है लेकिन पृथ्वी से करोङो कि.मी. दूर स्थित ग्रहों का वह कौन सा प्रभाव होता है जो मनुष्य के वर्तमान भविष्य को प्रभावित करता है जिसे न ज्योतिषी जानते है और न ही आप लेकिन टोटके रत्न यन्त्र मन्त्र यह उस प्रभाव को जानते है - जानते ही होंगे तभी उसे ठीक कर सकते है - इस प्रश्न पर विचार अवश्य करें क्योंकि यह आपके भविष्य का प्रश्न है।

एक टिप्पणी भेजें

 
Top