ज्योतिष के बोगस सिद्धांतो की यह श्रृंखला केवल जिज्ञासु मित्रों के लिए ही चलाई जा रही है इसलिए केवल जिज्ञासु मित्र ही इसे पढ़े - पढ़े लिखे बेअक्कल व्यक्तियों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है वह पहले की तरह ही ज्योतिष पर विश्वास करते रहें और ज्योतिषीयों के द्वार पर जाकर लुटते रहें - किसी को कोई आपत्ति नहीं है।

सिद्धान्त - यदि गुरु मंगल की राशि मे लग्न से 2,6,8 भाव मे स्थित हो तो जातक निसंदेह 6 वर्ष की आयु मे मृत्यु को प्राप्त होता है।
- इस का सीधा सा अर्थ यह है कि जब भी गुरु मंगल की राशि मेष वृश्चिक मे आएगा तो मीन वृश्चिक कन्या व तुला मिथुन मेष लग्न मे उत्पन्न हुए सभी बच्चो की आयु 6 वर्ष ही होगी क्योंकि इन लग्नो से गुरु 2,6,8 भाव मे स्थित होगा। गुरु एक राशि मे एक वर्ष तक रहता है इस एक वर्ष मे हर दिन 2-2 घंटे के लिए दिन में तीन बार ऐसी स्थिति बनती है जब गुरु लग्न से 2,6,8 भाव मे स्थित होता है तो क्या यह संभव है कि एक वर्ष तक लगातार दिन मे 6 घंटे(जब गुरु लग्न से 2,6,8 भाव में होगा) मे पैदा हुए सभी बच्चो की आयु 6 वर्ष की ही हो किसी भी बालक की आयु 6 वर्ष से कम व अधिक न हो - यह संभव नहीं है।
एक दिन में तीन बार यह स्थिति बनती कैसे है यह जान लेते है - मान लीजिए की किसी समय में गुरु मंगल की राशि मेष में स्थित है और सुबह की पहली लग्न राशि मीन है जिसका समय 6 से 8 बजे का है, इस समय में मीन लग्न से दूसरे भाव में मेष राशि स्थित हुई जिसमें गुरु स्थित है जिसका अर्थ हुआ की गुरु लग्न से दूसरे भाव में मंगल की राशि मेष में स्थित है और उपरोक्त सिद्धान्त अनुसार 6 वर्ष की आयु तक जीवित रहने का योग स्पष्ट रूप से बन रहा है - अर्थात 6 बजे से 8 बजे तक मीन लग्न में उत्पन्न हुए सभी बच्चों की कुंडली पर उपरोक्त सिद्धान्त लागू होता है जिसके अनुसार उन सभी की आयु 6 वर्ष ही होगी। ठीक 12 घंटे बाद शाम के समय 6 से 8 बजे तक कन्या लग्न आयेगा उस समय गुरु लग्न से 8वें भाव में स्थित होगा तो मीन लग्न के लिए भी उपरोक्त स्थिति बन जायेगी, इसके बाद रात के 10 बजे से लेकर 12 बजे तक वृश्चिक लग्न रहेगा उस समय गुरु लग्न से 6 भाव में होगा और उपरोक्त सिद्धान्त लागू हो जाएगा। अब जिज्ञासु मित्र स्वयं विचार करे की सुबह 6 से 8, फिर शाम के 6 से 8, और रात के 10 से 12 बजे तक के समय में उत्पन्न हुए सभी बच्चों की आयु 6 वर्ष ही कैसे हो सकती है।
- 25 मई 1999 से 2 जून 2000 तक गुरु मेष राशि मे था 28 अक्टूबर 2006 से 21 नवंबर 2007 तक गुरु वृश्चिक राशि मे था, इस समय मे मीन वृश्चिक कन्या व तुला मिथुन और मेष लग्न मे उत्पन्न हुए बच्चो की कुंडली मे गुरु क्रमश: 2,6,8 भाव मे था तो क्या 25 मई 1999 से 2 जून 2000 के मध्य में मीन वृश्चिक कन्या लग्न में, और 28 अक्टूबर 2006 से 21 नवंबर 2007 इस समय में तुला मिथुन और मेष लग्न में उत्पन्न हुए सभी बच्चों की आयु महज 6 वर्ष ही थी कोई भी जीवित नहीं है और अन्य लग्नो में उत्पन्न हुए सभी बच्चे जीवित है किसी की भी मृत्यु 6 वर्ष से पहले नहीं हुई - ऐसा किसी भी दृष्टि से होना संभव नहीं है इसलिए यह सिद्धांत बोगस है।
किसी पांचवी/आठवीं/बाहरवीं पास ज्योतिषी के निर्देशन में Ph.D की डिग्री प्राप्त किए हुए ज्योतिषी उपरोक्त सिद्धान्त पर चर्चा कर सही सिद्ध करने के लिए स्वतन्त्र है वह चाहें तो ब्लॉग पढ़ने वाले हजारों मित्रो को बता सकते है कि ज्योतिष/सिद्धान्त कैसे सही है।

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