नोट - ज्योतिष के बोगस सिद्धांतो की यह श्रृंखला केवल और केवल जिज्ञासु मित्रों के लिए ही है अन्य के लिए नहीं।

आयुः स्थानाधिपः पापैः सहैव यदि संस्थितः।
करोत्यल्पायुषं जातं लग्नेशो§प्यत्र संस्थित।।
अर्थ - अष्टमेश पापग्रह और लग्नेश के साथ ८वें भाव मे हो तो जातक अल्पायु होता है।
भावार्थ - जन्म के समय में यदि आठवें भाव का स्वामी यदि किसी पाप ग्रह और लग्न के स्वामी के साथ आठवें भाव में स्थित हो तो ऐसा जातक अल्पायु होता है।

इस सिद्धान्त के अनुसार मंगल जब भी वृश्चिक राशि मे आएगा तो 45 दिन तक मेष लग्न मे उत्पन्न हुए सभी व्यक्ति अल्पायु हो गए, क्योंकि मंगल एक पाप ग्रह है और मेष लग्न में लग्न के साथ ही आठवें भाव का स्वामी भी होता है वृश्चिक राशि में स्थित होने से मेष लग्न की कुंडली के वह आठवें भाव में स्थित होकर उपरोक्त सिद्धान्त अनुसार योग बनेगा जो 45 दिन तक रहेगा क्योंकि मंगल एक राशि में 45 दिन तक रहता है। ज्योतिष अनुसार 32 वर्ष तक की आयु अल्पायु होती है तो यह संभव नहीं है कि लगातार 45 दिन तक केवल मेष लग्न में पैदा हुए सभी व्यक्ति अल्पायु हों और 32 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहे किसी की भी आयु 32 वर्ष से अधिक न हो और अन्य सभी लग्नो में पैदा हुए व्यक्ति दीर्घायु हो।
इस सिद्धांत के विषय में ज्योतिषीयों से यह प्रश्न नहीं किया जा रहा है कि सिद्धान्त कैसे सही क्योंकि वह इसे कभी सही सिद्ध नहीं कर पाएंगे लेकिन ज्योतिषी ज्योतिष को विज्ञान कहते है तो इसी सम्बन्ध में प्रश्न है -
1. ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार 6 8 12 भाव के स्वामी 6 8 12 भाव में ही हो तो शुभ फल देते है फिर आठवें भाव का स्वामी आठवें भाव में ही स्थित होकर अल्पायु कैसे कर सकता है।
2. राशि स्वामी फल के सिद्धांत अनुसार स्वराशि स्थित ग्रह शुभ फल देते है, तो अष्टमेश अपनी ही राशि में स्थित होने के पश्चात अल्पायु कैसे कर सकता है। मिथुन और कर्क लग्न में शनि अष्टमेश होता है तो स्वराशि स्थित होने के पश्चात अल्पायु कैसे कर सकता है जबकि शनि स्वयं आयु का कारक है आठवें भाव में स्थित होने पर आयु में वृद्धि करता है।
3. धनु लग्न में लग्नेश गुरु आठवें भाव में अपनी उच्च राशि में और चन्द्रमा स्वराशि कर्क में स्थित होगा तो अपनी उच्च राशि में स्थित गुरु और स्वराशि स्थित चंद्रमा अल्पायु कैसे दे सकते है - किसी पाप ग्रह के साथ में स्थित होने से ऐसा क्या हो जाएगा कि स्वराशि व उच्च राशि का सिद्धांत ही बदल जाएगा।
यह कैसा विज्ञान है कोई Ph.D डिग्रीधारी ज्योतिषी इस पर प्रकाश डालने का कष्ट करेंगे या यूँ ही चुप रहकर बेअक्कलो द्वारा अपने ठगी के धंधे को बचाए जाने के मूर्खतापूर्ण कार्य का तमाशा देखते रहेंगे।

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