नोट - ज्योतिष के बोगस सिद्धांतो की यह श्रृंखला केवल और केवल जिज्ञासु (अर्थात जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक कार्य करने में सक्षम है, कुछ नया सीखना जानना चाहते है) मित्रों के लिए ही है अन्य के लिए नहीं।

उच्चस्थो वाथ नीचस्थ: सप्तमस्थो यदा रवि:।
मातृहीनो भवेद् बाल: अजाक्षीरेण जीवति।।
(बृहद पाराशर होरा शास्त्र - अरिष्टाध्याय: श्लोक 26) ।

अर्थ:- जिसके जन्म के समय मे लग्न से सातवें भाव मे, उच्च राशि मे या नीच राशि मे सूर्य हो तो उसकी माता की मृत्यु होती है और वह बालक बकरी के दूध से जीता है।

• विश्लेषण - पहली बकवास बात तो इस सिद्धांत में यही है कि माता की मृत्यु होने पर गाय भैंस आदि दुधारू पशु के होते हुए बालक को बकरी का दूध क्यों दिया जाएगा, बाजार से भी जो दूध खरीदा जाता है वह भी गाय भैंस का ही होता है तो ग्रह बकरी का दूध ही क्यों पिलायेंगे यह तो वही जाने या उनके मैकेनिक (ज्योतिषी)। पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर से सूर्य को पहले करोडों शिशुओं की माता को मारना होगा फिर उनके लिए बकरी के दूध का इंतजाम भी करना है - इतनी दूर से सूर्य कैसे पृथ्वी पर बनाए गए सिद्धांत अनुसार कार्य करता है और किस प्रकार से करता है यह तो ज्योतिषी भी नहीं जानते है परंतु हमें तो सिद्धांत की सत्यता से मतलब है (जिसमे बकरी के दूध पर जीवित रहना भी सम्मिलित है) तो उसी की बात करते है।
- सूर्य एक राशि मे एक महीने अर्थात 30 दिन तक रहता है। सिद्धांत में सूर्य की उच्च व नीच राशि का ही उल्लेख है तो सूर्य मेष राशि में उच्च, और तुला राशि में नीच का होता है। एक वर्ष मे 2 बार ऐसी स्थिति बनती है जब सूर्य अपनी उच्च और नीच राशि मे होता है और वर्ष का वह समय होता है 13 अप्रैल से 14 मई - जब सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होता है और 15 अक्तूबर से 16 नवम्बर - जब सूर्य अपनी नीच राशि तुला में होता है। इन 2 महीनो मे प्रत्येक दिन के 24 घंटे मे से 2 घंटे ऐसे होगें जब सूर्य सातवें भाव मे स्थित होगा और उस समय में लग्न होगा तुला (13 अप्रैल से 14 मई) और मेष (15 अक्तूबर से 16 नवम्बर)। अब आप स्वयं विचार करे कि क्या ऐसा हो सकता है जब वर्ष के 2 महीने मे हर दिन 15 अक्तूबर से 16 नवम्बर तक तुला और 13 अप्रैल से 14 मई तक मेष लग्न में जन्म लेने वाले सभी शिशुओ की माता ही मर जाए! किसी एक की भी जीवित न रहे ! मेष और तुला लग्न को छोड़कर अन्य सभी लग्नो में उत्पन्न शिशुओं में किसी की माता की मृत्यु नहीं होगी! आधुनिक तकनीक व चिकित्सा विज्ञान की बदौलत किसी विशेष परिस्थिति में ही माता की मृत्यु होती है जिसका की ज्योतिष के सिद्धांतों और ग्रहों से कोई सरोकार नहीं है यदि होता तो प्रत्येक वर्ष के दो महीनें में प्रत्येक दिन 2 घंटे मेष और तुला लग्न में जन्म लेने वाले सभी शिशुओं की माता की मृत्यु हो जाया करती लेकिन ऐसा होना किसी भी प्रकार से संभव नहीं है इसलिए सिद्धांत भी बोगस है यह संभव है की इस समय में पैदा होने वाले लाखों बच्चों में से किसी की माता की मृत्यु हो गयी हो जो सामान्य बात है। परन्तु चालाक ज्योतिषी ऐसी ही किसी कुंडली का उदाहरण दे कर पूरे समाज में यह भ्रम फैला देते है की ज्योतिष सही है।
ज्योतिषी इस सिद्धांत पर चर्चा के लिए तो नहीं आएंगे क्योंकि वह भी जानते है कि ज्योतिष के सभी सिद्धांत बोगस है जिनके बारे मे ज्योतिष से अंजान व्यक्ति न तो जानते है न जानना चाहते है और न जानने की कोशिश ही करते है इसलिए सही ज्योतिषी की तलाश में लुटते रहते है।

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