फलित ज्योतिष सैद्धांतिक रूप से ही बोगस है यह बताया जा रहा है जिसमे सिद्धांतो का विश्लेषण भी सम्मिलित है जो आप समझ चुके होंगे यदि नहीं भी समझे है तो कुछ तथ्य पुनः लिखे जा रहें है जिन्हें पढ़कर आप ज्योतिष के सही होने के भ्रम को अपने दिमाग से बाहर निकाल कर इस अंधविश्वास से दूर रहें।

• ब्रह्माण्ड की संरचना - जिस समय ज्योतिष की रचना की गई थी उस समय ब्रह्माण्ड की सही संरचना का ज्ञान नहीं था। उस समय के ज्ञान के अनुसार पृथ्वी चपटी व स्थिर थी जो सौरमंडल मे सबसे नीचे स्थित थी, स्थिर पृथ्वी के उपर सूर्य व सूर्य से उपर चन्द्रमा उसके उपर सभी नक्षत्रों के तारे उसके उपर बुध स्थित था। स्थिर पृथ्वी पर एक के उपर एक स्थित ग्रहों का क्रम इस प्रकार से था - पृथ्वी - सूर्य - चन्द्रमा - नक्षत्र अर्थात तारे - बुध - शुक्र - मंगल - गुरु - शनि। ब्रम्हांड के इसी ज्ञान के आधार पर ज्योतिष की रचना की गई थी जो आज के आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार गलत है।
• ग्रहों का प्रभाव - ब्रह्माण्ड का सही ज्ञान न होने के कारण आदिकाल से लेकर ग्रहों को देवता माना जाता था इस कारण उनके प्रभाव की कल्पना करना स्वाभाविक था जो वास्तव मे आज भी परिकल्पना मात्र ही है ऋषियों ने ग्रहों के भविष्य से सम्बन्धित किसी प्रभाव को ज्ञात नहीं किया था बल्कि ग्रहों को देवता मान लिए जाने के कारण उनके प्रभाव की मान्यता प्रचलित हो गई। आधुनिक खगोल के ज्ञान अनुसार ग्रह निर्जीव खगोलीय पिंड है जिनका ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है जिससे मनुष्य का भविष्य प्रभावित होता हो।
• ज्योतिष की रचना के समय में ग्रह व उपग्रह मे अन्तर का ज्ञान न होने के कारण चन्द्रमा जो वास्तव मे पृथ्वी का उपग्रह है, ज्योतिष मे ग्रह बन गया और सूर्य जो की एक तारा है उसे भी ग्रहों की श्रेणी मे रखा गया जो आधुनिक खगोल विज्ञान अनुसार न तो तर्कसंगत है न ही किसी दृष्टिकोण से सही है।
• राहु केतु - यह ज्योतिष के दो ऐसे ग्रह है जिनका अन्य ग्रहों की तरह कोई अस्तित्व नहीं है और अस्तित्वहीन ग्रह(?) को ग्रहों की श्रेणी में रखकर उनके भविष्य प्रभावित करने की बात करना न तो तर्कसंगत है न ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही है।
• स्थिर व चपटी पृथ्वी के उपर परिक्रमा करते सूर्य चन्द्र आदि सभी ग्रह, पृथ्वी के निकट सूर्य और चन्द्रमा सूर्य से भी दूर, सभी नक्षत्रों के तारे चन्द्रमा के उपर और बुध के मध्य स्थित है - ब्रह्मांड के बारे मे इस प्रकार की जानकारी ज्योतिष के सिद्धांतो का आधार है जो आज के खगोल के ज्ञान के परिपेक्ष्य मे गलत है जो ज्योतिष को बोगस सिद्ध करता है।
• नक्षत्र तारों का समूह है और तारे गैस से निर्मित है जो हमसे कई प्रकाश वर्ष दूर है अधिकतर तो हमारी आकाशगंगा में भी नहीं है उनके प्रभाव की बात बेमानी है।

जब ग्रहों के भविष्य सम्बन्धी प्रभाव की बात आती है तो निम्नलिखित तथ्य निकल कर सामने आते है जिनसे सिद्ध होता है कि -
• ग्रहों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं होता है जो मनुष्य के दैनिक जीवन के कार्य जैसे कि शिक्षा व्यावसाय धन सम्पति आयु लाभ हानि स्वास्थ्य विवाह सन्तान तलाक विदेश यात्रा वाहन नौकरी व्यापार आदि को प्रभावित करता हो।
• ग्रह पूरी पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति को उसके जन्म वर्ष, मास दिवस, समय व स्थान अर्थात प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में स्थिति अनुसार खोज - खोजकर प्रभावित नहीं प्रभावित कर सकते है।
• मनुष्य का भविष्य किसी रेलगाङी की पटरी की तरह नहीं है जिस पर चल रही रेलगाङी के प्रत्येक पङाव को पहले से निर्धारित कर जाना जा सकता हो, भविष्य अनिश्चित है।
• ज्योतिष के सिद्धांत निश्चित भविष्य के लिए है और मनुष्य का भविष्य अनिश्चित है इसलिए अनिश्चित भविष्य के लिए निश्चित सिद्धांत निरर्थक है।
• ग्रह ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार कार्य करने को बाध्य नहीं है न ही वह ऐसा कर सकते है। फलित के सिद्धांतों में अनेक ऐसे है जो अब प्रासंगिक नहीं है।
• एक ही स्थान दिन और समय पर हजारों/लाखों बच्चे उत्पन्न होते है जिनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति एक जैसी होने के बावजूद भी भविष्य एक जैसा नहीं होता है जो ग्रहों का मनुष्य के भविष्य पर कोई प्रभाव न होने का स्पष्ट प्रमाण है - जब ग्रहों का मनुष्य के भूत भविष्य पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता है तो फलित ज्योतिष व्यर्थ है अर्थात कोरी बकवास। यहां तक की कुछ मिनट के अंतराल पर जन्म लेने वाले जुङवा बच्चों का भविष्य भी एक जैसा नहीं होता है जबकि दोनों की कुंडली एक जैसी ही होती है यदि ज्योतिष के सिद्धांत सही होते तो दोनो का भविष्य एक जैसा होता जब्कि ऐसा नहीं होता है जो सिद्धांतो के बोगस होने का प्रमाण है।
इसके अलावा भी अनेक प्रमाण है जिनसे यह सिद्ध होता है कि फलित ज्योतिष एक बोगस विषय है जिनके बारे में बार-बार बताया जा रहा है जिससे की आप ज्योतिषीयों के ठगी के धंधे से दूर रहें।

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