ज्योतिषी द्वारा भविष्यवाणी के गलत होने पर जन्म कुंडली का गलत होना कारण बताया जाता है जिसमे जन्म का समय सही न होना मुख्यतः होता है। ज्योतिष से सही भविष्यवाणी के लिए जन्म समय का सही होना कितना आवश्यक है - इसके लिए आपको पहले कुंडली के स्वरुप को समझना होगा। कुंडली अथवा जन्मपत्रिका किसी निश्चित समय का आकाशीय मानचित्र है जिसकी रचना का आधार समय सापेक्ष गणित है। पहले के समय में समय की सटीक एवं सूक्ष्म गणना न हो पाने के कारण कुंडली में त्रुटियों की सम्भावना बहुत अधिक रहती थी लेकिन कम्पूटर के आने व ज्योतिष के अनेक साफ्टवेयर की उपलब्धता के कारण कुंडली वर्षो से कम्पयूटर से ही बनाई जा रही है। चूंकि कम्पयूटर, समय की सूक्ष्म ईकाई के स्तर पर गणना करने मे सक्षम है जिससे कुंडली बनाने मे किसी भी प्रकार के त्रुटि की कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई है। परन्तु जन्म के जिस समय के आधार पर ज्योतिषीयों द्वारा कुंडली बनाई जा रही है वह ज्योतिष अनुसार कितना सही है इस पर भी चर्चा कर समझने का प्रयास करेगें।
जन्म समय - सही कुंडली बनाने के लिए व्यक्ति के जन्म वर्ष मास तिथि के साथ सही समय की आवश्यकता होती है लेकिन जन्म का सही समय कौन सा होता है यह ज्योतिषीयों को भी पता नहीं है। यह हो सकता है कि आपने यह बात पहली बार सुनी हो लेकिन यह सत्य है जन्म के समय पर सभी ज्योतिषीयों का मत अलग अलग है कोई बच्चे के सिर दिखाई देने के समय को जन्म का मानते है, कोई पूरी तरह से जन्म लेने पर, तो कोई नाल काटने पर और कोई बच्चे के रोने के समय को जन्म का समय मानते है और मान लेने से कोई समय (विषय) सही नहीं जो जाता है जब तक मान लिए जाने का आधार (जो वास्तव में होता नहीं है) स्पष्ट व तथ्य पर आधारित न हो। आधुनिक समय मे जन्म अस्पतालों मे ही होते है जहां पर डाक्टर बच्चे के सकुशल जन्म के लिए चिंतित होते है न कि जन्म के समय के लिए इसलिए बच्चे के सकुशल जन्म लेने के पश्चात (उसके सांस लेने नाल काटने आदि) जन्म समय की बारी आती है अतः ज्योतिषी द्वारा जिस जन्म समय को लेकर कुंडली बनाई जाती है वह बच्चे के पूरी तरह से जन्म लेने का समय है।
परन्तु ज्योतिषीयों मे जन्म समय को लेकर इतने मतभेद क्यों है इसका कारण भी स्वयं ज्योतिष के शास्त्र ही है जिनमे जन्म के सही समय के बारे मे स्पष्टतया कोई उल्लेख नहीं किया गया है। ज्योतिष के ही मान्य शास्त्र फलदीपिका के रचनाकार आचार्य मन्त्रेश्वर के अनुसार -
“केचिद्यथाधानवि लग्नेमन्ये शीर्षोदयं भूपतनं हि केचित।
होराविदश्चेतनका ययोन्योर्वियोगकालं कथयन्ति लग्नम्॥ - फलदीपिका अध्याय-13 श्लोक 2
अर्थ – जन्म का समय कौन-सा लिया जाय ? कोई तो गर्भाधान के लग्न को ही मुख्य मानते हैं और कुछ लोगों के मत से जब बच्चे का सिर माँ के शरीर से बाहर निकल आवे उस समय को मुख्य मानना चाहिये। कुछ अन्य लोगों का मत है कि जब बालक का पूरा शरीर पृथ्वी पर आ जाय वह समय लेना चाहिये और कुछ अन्य ज्योतिषियों का मत है कि जब नाल काटी जाय तब का समय लेना चाहिये क्योंकि जब तक नाल नहीं कटती तब तक बालक का पृथक अस्तित्व नहीं होता।
- अर्थात आचार्य मन्त्रेश्वर स्वयं नहीं जानते कि जन्म का सही समय कौन सा होता है लेकिन ज्योतिष के सिद्धांतो पर पूरी किताब लिख देते है जिसके सिद्धांत सभी ज्योतिषीयो द्वारा प्रयोग मे लाए जाते है वह बिना सही जन्म समय के ज्ञान के किस प्रकार से सही कुंडली बना कर सटीक भविष्यवाणी कर सकते है जैसा कि उनके द्वारा दावा किया जाता है, आप स्वयं विचार कर सकते है। चूंकि जन्म के सही समय को कोई ज्योतिषी नहीं जानते है इसलिए जन्म समय सही करने (birth time rectification) के नाम पर ग्राहक को हजारों रुपये का चूना लगाया जाता है इस तथ्य से व्यक्ति अनभिज्ञ है और अपनी अनभिज्ञता के कारण हजारों रुपये ज्योतिषीयों के द्वार पर स्वाहा कर आते है - अब जब्कि यह तथ्य बताया जा चुका है तब भी किसी की समझ मे नहीं आने वाला है क्योंकि अपने दिमाग को समस्वरित ही ज्योतिष के सही होने के पक्ष मे कर रखा है और अब चाहकर भी उसकी फ्रीक्वेंसी नहीं बदली जा सकती है। क्रमशः

एक टिप्पणी भेजें

 
Top