नोट - ज्योतिष के बोगस सिद्धांतो की यह श्रृंखला केवल और केवल जिज्ञासु (अर्थात जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक अनुसार कार्य करने में सक्षम है, कुछ नया सीखना जानना चाहते है) मित्रों के लिए ही है अन्य के लिए नहीं।

- बोगस सिद्धांतों की इस श्रृंखला में आज एक दो नहीं बल्कि 6 सिद्धांत लिखें जा रहे है। ग्रुप में उपस्थित अनेक "संस्कृत के विद्वान" ज्योतिषीयों को यह शंका रहती है कि शायद सिद्धांतो के सही अर्थ नहीं लिखे जाते है इसलिए सभी सिद्धांतो को संस्कृत और हिंदी में वैसे ही लिखा गया है जैसे की ज्योतिष की पुस्तकों में लिखे हुए है वह विद्वान चाहें तो स्वयं पढ़ सकते है।

षष्ठाष्टमे च मूर्तो च बुधभौमो यदा स्थितौ।
तस्करं घोरकर्माणा करपादं विनश्यति।। 1
अर्थ - जिस जातक के छठे आठवें अथवा लग्न में मंगल व बुध की युति हो(मंगल बुध दोनों एक साथ) ऐसा व्यक्ति तस्करी जैसे घोर अपराध वाले कर्म में लिप्त होकर हाथ पैर से हीन होता है।

षष्ठाष्टमे च मूर्तो जन्म काले यदा बुध:।
चतुर्वर्षे भवेत्मृत्युरमृते यदि सिंचति।। 2
अर्थ - जिस जातक के छठे आठवें अथवा लग्न में बुध स्थित हो, वह चार वर्ष की आयु में मृत्यु को प्राप्त होता है चाहे उसे अमृत में ही डुबो कर क्यों न रखा जाए।

नवमे दशमे रश्त्र जन्म काले यदव स्थित:।
षोडशाब्दे भवेन्मृत्युर्यदि शक्रो$पि रक्षति।। 3
अर्थ - जन्म लग्न से नौंवे अथवा दसवें भाव में राहु स्थित हो तो जातक की आयु 16 वर्ष ही होती है, चाहे उसकी रक्षा इंद्र क्यों न कर रहें हो।

केन्द्रे शुक्रेगुरौ यस्य द्वादशे यदि भास्कर:।
लग्ने बुधश्च संप्राप्त: शतंजीवति बालक:।। 4
अर्थ - शुक्र और गुरु केंद्र में स्थित हो, बारहवें भाव में सूर्य व बुध लग्न में स्थित हो तो बालक की आयु सौ वर्ष होती है।

अष्ट्माधिपतौ केन्द्रे लग्नेशे बलवर्जिते।
विंशद्वर्षाण्यसौ जीवेद् द्वात्रिंश्त्परमायुषम्।। 5
अर्थ :- आठवें भाव का स्वामी केन्द्र (1,4,7,10) में स्थित हो और लग्न का स्वामी निर्बल हो तो व्यक्ति की आयु 20,32 वर्ष होती है।

व्ययस्थाने यदव सूर्यस्तुलालग्ने तु जायते।
जीवेत्स शतवर्षाणि दीर्घायुर्बालको भवेत्।। 6
अर्थ - यदि तुला लग्न में जन्म हो और बारहवें स्थान में सूर्य हो तो बालक की आयु 100 वर्ष होती है।

- उपरोक्त सिद्धांतो का विश्लेषण नहीं किया जा रहा है वरन विश्लेषण के स्थान पर एक व्यक्ति की कुंडली (देखें चित्र) प्रस्तुत की जा रही है जो स्वयं इन सभी सिद्धांतो के बोगस होने की गवाही स्वयं देती है। ऐसा इसलिए किया गया है कि एक तो जिज्ञासु मित्र स्वयं देखें की सिद्धांत बोगस है और दूसरे, कुछ "महाविद्वान" जो किसी व्यक्ति की कुंडली की मांग करते है (जिसकी कुंडली में वह सिद्धांत हो और वह फिर भी जिंदा हो आदि) तो ऐसे महाविद्वानो को ध्यान में रखते हुए भी एक व्यक्ति की कुंडली प्रस्तुत की जा रही है जिसकी कुंडली में उपरोक्त सभी 6 सिद्धांत स्पष्ट रूप से देखे जा सकते है और वह व्यक्ति है राष्ट्रपिता श्री महात्मा गांधी। गांधी जी के बारे में वैसे तो समस्त विश्व जानता है लेकिन ब्लॉग पढ़ने वाले अनेक "महाविद्वान व्यक्ति" भी है जिनका सामान्य ज्ञान न के बराबर होता है इसलिए उनके लिए बताया जा रहा है कि गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था और मृत्यु हुई थी 30 जनवरी 1948 को, तो उनकी पूर्णायु हुई 78 वर्ष।
प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या - सभी सिद्धांत गांधी जी की कुंडली में पूर्ण रूप से लागू हो रहें है जिसे आप (ज्योतिष नहीं भी जानते है तब भी) स्पष्ट रूप से देख सकते है कि किस प्रकार से सिद्धांत के अंतर्गत लिखा फल घटित नहीं हुआ क्योंकि सभी सिद्धांत बोगस है तो इस से आगे मुझे कुछ भी लिखने की आवश्यकता नहीं है समझदार को इशारा काफी होता है और उन महाविद्वानो के आगे तो पूरी कथा भी पढ़ी जाए तो भी व्यर्थ है। यदि कोई ज्योतिषी चाहे तो अपने बेतुके प्रवचन और उपरोक्त बोगस सिद्धांतो के घटित नहीं होने के बोगस विश्लेषण के साथ पधार सकते है - मुझे उसी का इंतज़ार रहेगा।


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