नोट - ज्योतिष के बोगस सिद्धांतो की यह श्रृंखला केवल और केवल जिज्ञासु (अर्थात जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक अनुसार कार्य करने में सक्षम है, अपनी शिक्षा व ज्ञान के महत्व को पहचानते है, कुछ नया सीखना जानना चाहते है) मित्रों के लिए ही है अन्य के लिए नहीं।

कुटुम्बस्थानगे राहु: कलत्रे भौमसंयुते।
पाणिग्रहे च त्रिदिने सर्पद्रंष्टे वधूमृति:।।

अर्थ - दूसरे भाव मे राहु हो और 7वें भाव मे मंगल हो तो विवाह के पश्चात 3 दिनों के अन्दर ही साँप के काटने से पत्नी की मृत्यु होती है।
(बृहद पाराशर होरा शास्त्र - द्वादशभावविचाराध्याय - जयाभावफलाध्याय - 37)

विश्लेषण - मंगल एक राशि में 45 दिन तक रहता है और वक्री होने की स्थिति में 45 दिन से अधिक समय तक भी रहता है। हर दूसरे वर्ष 45 दिनों के लिए यह योग बनेगा अर्थात मंगल के राहु से छठी राशि में आने पर किसी एक लग्न के लिए राहु लग्न से दूसरे व मंगल सातवें भाव में स्थित होकर दिए गए सिद्धांत अनुसार योग बनेगा जो प्रत्येक दिन में 2 घंटे के लिए बनेगा। अब यह समझा जा सकता है कि लगातार 45 दिन तक किसी एक ही लग्न में उत्पन्न होने वाले सभी व्यक्तियों की पत्नियों की सांप द्वारा काटे जाने के कारण (वह भी विवाह के 3 दिन के अंदर) मृत्यु नहीं हो सकती है इसलिए यह सिद्धांत बोगस है।
• 31/12/1983 - 6/3/1984 तक 18/10/1985 से 5/12/1985 के मध्य मेष व मीन लग्न में उत्पन्न हुए व्यक्तियों की कुंडली में यह योग था तो क्या हम मान लें कि इस समय में मेष और मीन लग्न में उत्पन्न हुए सभी विवाहित पुरुषों की पत्नियों की सर्प द्वारा काटे जाने के कारण मृत्यु हो चुकी है किसी एक व्यक्ति की पत्नी भी जीवित नहीं है ? यह संभव नहीं है कि लगातार 45 दिन तक मेष व मीन लग्न में उत्पन्न हुए सभी व्यक्तियों की उनके विवाह के 3 दिनों के पश्चात ही सांप के काटने से मृत्यु हो जाए - मेरी बात का विश्वास न हो तो स्वयं विचार करिए की ऐसे शहर में जहां पर सांप देखने को भी नहीं मिलता हो व बहुमंजिली इमारते होती है व्यक्ति 17वीं या 45वीं मंजिल पर रहते है वहां सांप कैसे आयेगा।
इस सिद्धांत में सांप द्वारा काटने पर मृत्यु होने वाली बात महत्वपूर्ण है इसे घटित होने के लिए पहले ग्रहों को इस योग वाले व्यक्तियों की पहचान करनी होगी फिर उनका विवाह करवा कर उसकी सूचना मंगल और राहु को देनी होगी, विवाह की तारीख भी बतानी पङेगी क्योंकि 3 दिन का ही समय है तो इस समय मे मंगल और राहु को सांप का इन्तजाम भी करना है (एक दिन में लाखों विवाह होते है जिनमे इस योग वाले व्यक्ति भी होंगे) इसलिए मंगल राहु के पास Rapid Action Snake Force होनी चाहिए जिससे के सिद्धांत अनुसार विवाह के 3 दिन के अंदर ही उनकी पत्नियों को मारा जा सके, कितना काम करना पड़ता है ग्रहों को। पता नहीं "ग्रह ज्योतिष के सिद्धांत अनुसार कैसे कार्य करते है" यदि किसी ज्योतिषी या ज्योतिष समर्थक को पता हो तो वह बता सकते है।
- लग्न से सातवें भाव मे मंगल का अर्थ हुआ कि व्यक्ति की कुंडली मे मांगलिक दोष है हालांकि मांगलिक दोष का उपरोक्त सिद्धांत से कोई सम्बन्ध नहीं है लेकिन ज्योतिष के सिद्धांत बिना किसी अध्ययन व शोध के बनाए गए थे यह बताने के लिए विवेचन किया जा रहा है। मंगल के 7 भाव में स्थित होने पर मांगलिक दोष बन गया जो की विवाह में बाधक होता है तो किसी व्यक्ति की कुंडली में उपरोक्त योग होने पर ज्योतिषी मांगलिक दोष के नाम पर मूर्ख बनाते रहेंगे और सांप के काटने से मृत्यु वाले सिद्धांत को भुला दिया जाएगा क्योंकि ज्योतिषी भी जानते है कि ऐसा होना संभव नहीं है इसलिए ज्योतिष के बोगस सिद्धांतो से अन्जान व्यक्ति को ग्रहों का भय दिखाकर लूटते रहते है।

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