फलित ज्योतिष विज्ञान नहीं है इस बात को बार बार कहा जा रहा है और इस बात को दृढ़तापूर्वक केवल वही व्यक्ति नहीं कह सकता है जो इस विषय का ज्ञान रखता हो, गहराई से अध्ययन किया हो बल्कि एक सामान्य शिक्षित व्यक्ति जो खगोलशास्त्र का सामान्य ज्ञान रखता हो वह भी इस बात को सरलता से समझ सकता है। इस पर आप यह भी कह सकते है कि ज्योतिषीयों को भी तो फलित ज्योतिष का ज्ञान है उन्होंने भी वर्षो इस विषय का अध्ययन कर डिग्री प्राप्त की है वह फलित ज्योतिष को विज्ञान कहते है तो दोनों में से कौन सही है और कौन गलत। इस प्रकार किसी भी व्यक्ति का पक्ष और विपक्ष के बीच भ्रमित होना स्वाभाविक है लेकिन आपके इसी भ्रम को दूर करने के लिए फलित ज्योतिष पर चर्चा की जा रही है जिससे की जिज्ञासु मित्र फलित ज्योतिष के पक्ष और विपक्ष में प्रस्तुत किए जा रहे तर्क तथ्य और प्रमाण के आधार पर अपनी बुद्धि व विवेक अनुसार सही निष्कर्ष पर पहुँच सके लेकिन यह तभी संभव है जब व्यक्ति खुले दिमाग से दोनों पक्ष के तर्क वितर्क को समझते हुए पढ़े। यदि आप यही विचार कि, "ज्योतिषी गलत हो सकता है ज्योतिष नहीं" को दिमाग में रखकर चर्चा व अन्य लेख पढ़ेंगे, तो सत्य क्या है यह कभी नहीं जान पाएंगे।
फलित ज्योतिष को विज्ञान क्यों नहीं माना जा सकता है इसके लिए सबसे पहले यह बताना आवश्यक हो जाता है कि किसी भी विषय को विज्ञान कहलाने के लिए क्या आवश्यक होता है। किसी भी विषय/विद्या/ज्ञान को विज्ञान की एक शाखा मानने के लिए उसे कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ता है जो इस प्रकार से है।
1 - विषय या विद्या का स्पष्ट अवधारणाओं पर आधारित होना आवश्यक है।
2 - प्राप्त हुए निष्कर्ष को प्रयोग तथा प्रेक्षणों द्वारा जांच करने की सुविधा होनी चाहिए।
3 - ऐसे परीक्षण भी उपलब्ध होने चाहिए जिससे यह जांच की जा सके कि, प्रयोग द्वारा प्राप्त हुआ निष्कर्ष सही है अथवा गलत।
4 - उसमे असत्य सिद्ध करने की गुंजाइश भी होनी चाहिए।
जब-जब फलित ज्योतिष की उपरोक्त कसौटियों पर जांच की गई तब-तब फलित ज्योतिष उस जांच में खरा नहीं उतरा लेकिन इसके पश्चात भी समाज में फलित ज्योतिष का महत्व कम नहीं हुआ बल्कि वह और भी अधिक प्रचलित हो गया आज स्थिति यह है कि फलित ज्योतिष पर विश्वास करने वाला सामाजिक वर्ग विज्ञान की उपेक्षा का शिकार होकर भविष्य की पीढ़ी को भी अपने पदचिन्हों पर चला रहा है जो उनके भविष्य के लिए ही नहीं वरन सम्पूर्ण मनुष्य प्रजाति के लिए खतरे की घंटी है इस तथ्य से अनभिज्ञ व्यक्ति लकीर के फकीर बन कर रह गए है। फलित ज्योतिष क्या विज्ञान की उपरोक्त कसौटियों पर पूर्णतः खरा उतरता है या नहीं इसके लिए हम फलित ज्योतिष की अवधारणा के सिद्धांतों को उपरोक्त परिभाषानुसार विश्लेषण कर जानने की प्रयास करते है।
1 - विषय या विद्या का स्पष्ट अवधारणाओं पर आधारित होना आवश्यक है।
- फलित ज्योतिष स्पष्ट अवधारणाओं पर आधारित नहीं है - फलित ज्योतिष की अवधारणा का पहला नियम है कि ग्रहों का मनुष्य के भूत वर्तमान भविष्य पर प्रभाव पड़ता है लेकिन वह प्रभाव पड़ता किस प्रकार से है, ग्रह व्यक्ति के दैनिक जीवन के कार्यो को जैसे की शिक्षा, नौकरी, व्यापार, स्वास्थ्य, सन्तान, विवाह, धन सम्पति, आयु, मृत्यु, रोग, आय, लाभ, हानि, व्यय, विदेश यात्रा आदि अनेक विषयों को किस प्रकार से प्रभावित करते है, फलित ज्योतिष में यह स्पष्ट नहीं है न ही वह इसे प्रमाणित करता है। वह कौन सा माध्यम है जिसके द्वारा ग्रहों का प्रभाव पृथ्वी तक पहुंचता है फलित ज्योतिष इस पर खामोश है और न ही ज्योतिष के तथाकथित विद्वान इस बारे में कुछ जानते है। इसके अतिरिक्त भी फलित ज्योतिष की अवधारणाएं है जो अस्पष्ट है और केवल मान्यताएं बन कर ही रह गई है क्योंकि फलित ज्योतिष उनमे से किसी एक अवधारणा को स्पष्ट व सिद्ध करने में असमर्थ है न ही फलित ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले विद्वानों के द्वारा उन अवधारणाओं को स्पष्ट कर किसी वैज्ञानिक विधि द्वारा सिद्ध किया गया है।
2 - आदिकाल में फलित ज्योतिष के सिद्धांतों की सत्यता व सटीकता की जांच करने के कोई साधन उपलब्ध नहीं होने व ब्रह्मांड के बारे में सही ज्ञान न होने के कारण सभी सिद्धांत सही कह गए। इसका एक कारण यह भी था कि सिद्धांत समाज के शिक्षित वर्ग के व्यक्तियों द्वारा बनाए गए थे इसलिए तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था और अज्ञान स्वरूप उसी वर्ग की बात सही कहा जाना स्वाभाविक था। आज वैज्ञानिक विधि व दृष्टिकोण के रहते सिद्धांतो की जांच सम्भव है और जब भी फलित ज्योतिष के मूल/आधारभूत सिद्धांतो की वैज्ञानिक विधि से विज्ञान की कसौटी पर जांच की गई है वह अवैज्ञानिक व गलत सिद्ध हुए है। यदि राशि स्वामी के सिद्धांत को देखें तो उसमें अवैज्ञानिकता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है - अग्नि तत्व के मंगल को अग्नि व जल तत्व की राशियों मेष और वृश्चिक का स्वामित्व मिला हुआ है जो विज्ञान की दृष्टि से पूर्णत गलत है और तर्कसंगत नहीं है इसी प्रकार ग्रहों के मित्र शत्रु, उच्च नीच आदि अन्य सिद्धान्त है जिनमे अवैज्ञानिकता की स्पष्ट छाप है। फलित ज्योतिष की रचना का आधार ही "स्थिर व चपटी पृथ्वी के ऊपर परिक्रमा करते सूर्य चंद्र व अन्य सभी ग्रह" गलत है अतः इस आधार पर बनाए गए सिद्धांत कैसे सही हो सकते है।
3 - फलित ज्योतिष के मूल सिद्धांतो के आधार पर निर्मित फलित के द्वितीय सिद्धांतों का जब भी परीक्षण किया गया है उसका परिणाम सदैव एक सा नहीं आया है। एक ही सिद्धांत अनेक व्यक्तियों की कुंडली में समान रूप से लागू होने के पश्चात भी परिणाम में भिन्नता पाई गई किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसी सिद्धांत अनुसार फलित सही नहीं पाया गया यहां तक की जुड़वां बच्चों की कुंडली एक सी होने के पश्चात भी दोनों का जीवन बिल्कुल अलग होता है जबकि दोनों की कुंडली मे एक जैसे ही सिद्धांत लागू होते है। फलित ज्योतिष में सभी सिद्धांत ऐसे है जिनका फल सिद्धांत के फल अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए सामान रूप से फलित नहीं होता है बुधादित्य गजकेसरी केमद्रुम बालारिष्ट योग व उच्च नीच राशि आदि इसके उदाहरण है जो हर तीसरे व्यक्ति की कुंडली में पाए जाते है और स्पष्ट रूप से फलित ज्योतिष की अवैज्ञानिकता को सिद्ध करते है।
4. ज्योतिष के सिद्धांतों में पौराणिक कथाओं व आदिकालीन मान्यताओं की स्पष्ट छाप दिखाई देती है अतः मान्यताओं पर आधारित विषय को विज्ञान नहीं कहा जा सकता है फलित ज्योतिष के मूल सिद्धांतों सहित सभी सिद्धांत पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है जैसे की यदि केतु 12वें भाव में हो तो व्यक्ति को स्वर्ग/मोक्ष की प्राप्ति होती है इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होने से धार्मिक मान्यता के कारण ऐसे सिद्धांतो(?) को चाहे गलत नहीं कहा जा सकता हो लेकिन सत्य होने का कोई प्रमाण भी उपलब्ध नहीं होता है। यदि ज्योतिष के सिद्धांतों को वैज्ञानिक विधि से विश्लेषण किया जाए तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि सिद्धांत बोगस है जिसके परिणामस्वरूप 11 प्रतिशत व्यक्ति (बिना कोई कर्म किए) पैदा होते ही मोक्ष के अधिकारी हो गए जो सिद्धांत की अवैज्ञानिकता को सिद्ध करता है।
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि जो विषय विज्ञान की परिभाषा पर भी खरा नहीं उतरता है उसे विज्ञान उसे विज्ञान कैसे कहा जा सकता है ? अतः यह कहा जा सकता है कि फलित ज्योतिष कोई विज्ञान नहीं है बल्कि एक छद्मविज्ञान है जिसे विज्ञान का नाम देकर समाज को भ्रमित किया जा रहा है। ज्योतिष के विज्ञान न होने के अन्य अनेक कारण है जिन्हें आने वाले लेख में स्पष्ट किया जाएगा - क्रमशः।

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