नवमे च यदा सूर्यः स्वगृहस्थो यदा भवेत्। तस्य नो जीवति भ्राता एको§पि च नृपैः सम।। गर्गहोराशास्त्र - 1/24 अर्थ - स्वराशि सूर्य यदि नौवें भाव मे स्थित हो तो जातक राजा होता है लेकिन जातक का भाई जीवित नहीं रहता है। विश्लेषण - फलित ज्योतिष मे सूर्य सिंह राशि का स्वामी है जो उसकी स्वराशि हुई। 17 अगस्...
बोगस ज्योतिष के बोगस सिद्धांत - 11
कर्मस्थाने निजक्षेत्री यदि राहुर्भवेदिह। भौमशुक्रबुधैयुर्क्त: क्षणे वृद्धि: क्षणे क्षय:।। गर्गहोराशास्त्र 1/25 अर्थ - दसवें भाव मे राहु की राशि मे मंगल, बुध और शुक्र के साथ स्थित हो तो क्षण मे वृद्धि क्षण मे क्षय होता है। विश्लेषण - राहु किसी भी राशि का स्वामी नहीं है अर्थात उसकी कोई राशि नह...
बोगस ज्योतिष के बोगस सिद्धांत - 10
ज्योतिषीयों की हमेशा यह मांग रहती है कि किसी व्यक्ति की कुंडली लेकर आओ जिसमे फालाणा सिद्धान्त हो और उसके जीवन मे उस सिद्धान्त के विपरीत फलित हो रहा हो तब वह मानेगें कि ज्योतिष बोगस है जब्कि इस ग्रुप मे किसी ज्योतिषी से नहीं कहा जा रहा है कि वह यह माने कि फलित ज्योतिष बोगस है. लेकिन आज जो सिद्ध...
बोगस ज्योतिष के बोगस सिद्धांत - 9
फलित ज्योतिष में अनेक ऐसे सिद्धांत है जो अब प्रासंगिक नहीं है अर्थात उनके अंर्तगत लिखी गई बातों का फलित होना नामुमकिन है। ऐसे ही कुछ सिद्धांतो का विस्तृत विवरण के साथ उल्लेख किया जा रहा है जिससे जिज्ञासु मित्रों को ज्ञात हो कि ज्योतिषी किस प्रकार से बोगस ज्योतिष पर से ठगी का धन्धा कर रहें है। ...
त्रिखोटी लाल के टोटके
ज्योतिषी त्रिखोटी लाल अपने क्षेत्र के जाने माने ज्योतिषी थे। एक दिन किसी कार्य से लौटते हुए रास्ते मे उनके किसी यजमान का घर पङता था और त्रिखोटी लाल जी के पास समय भी था तो सोचा कि अपने इन यजमान जो इनके दू....र के रिश्ते मे भी थे, से मिलता चलूं कुछ देर सुस्ता भी लूंगा तक तक शाम ढल चुकी होगी और गर्म...
ज्योतिषीयो से प्रश्न
1.नामकरण चन्द्रमा स्थित राशि नक्षत्र के चरणाक्षर पर ही क्यों किया जाता है किसी अन्य ग्रह स्थित राशि नक्षत्र पर क्यों नहीं। उतर मे यह मत कहना कि शुभ होता है क्योंकि चन्द्रमा महीने मे दो दिन अपनी नीच राशि मे होता है, 12 दिन चन्द्रमा को अपना शत्रु मानने वाले ग्रहो कि राशि मे, 10 दिन उन्ही शत्रुओ के स...
ऋषियों व शास्त्रों की वाणी
क्या फलित ज्योतिष व ज्योतिषीयों को ऋषियों (व सभ्य समाज) द्वारा सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता था? इसका उतर है नहीं। पौराणिक शास्त्रो व ग्रन्थो के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि फलित ज्योतिष (अर्थात भविष्य बताने) को व ज्योतिषीयों को प्राचीन काल से ही सम्मानजनक दृष्टि से नहीं देखा जाता था...